वित्त आयोग प्रभागः वित्त आयोग प्रभाग संबंधित वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार वित्त आयोग अनुदान जारी भारत की आगामी वित्तीय प्रवृत्ति किए जाने के संबंध में कार्रवाई करता है। 14वें वित्त आयोग ने अपनी अधिनिर्णय अवधि 2015-16 से 2019-20 के लिए राज्यों हेतु मुख्यतः तीन प्रकार के सहायता अनुदान अर्थात् हस्तांतरण पश्चात् राजस्व घाटा अनुदान, स्थायी निकाय अनुदान और राज्य आपदा मोचन कोष की सिफारिश की है। वित्त आयोग प्रभाग राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष के विभिन्न पहलुओं अर्थात् राज्यों में आईएमसीटी दौरे, एससी-एनईसी और एचएलसी के लिए संक्षिप्त वृतान्त तैयार करने और गृह मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष से केन्द्रीय सहायता जारी किए जाने के संबंध में की कार्रवाई करता है।
बजट दस्तावेज का संक्षिप्त विवरण
संविधान, भारत सरकार के एक अनुमान के अनुसार प्राप्तियों के बयान और व्यय के अनुच्छेद 112 के तहत 1 अप्रैल - 31 मार्च से चलता है, जो हर वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के समक्ष रखा जाना है। वार्षिक वित्तीय विवरण मुख्य बजट दस्तावेज है और आमतौर पर बजट वक्तव्य के रूप में जाना जाता है।
(बी) के अनुदान मांगों
बजट बयानों में शामिल है और आवश्यक संचित निधि से व्यय के अनुमान को आम तौर पर एक अलग मांग के नियंत्रण में प्रमुख सेवाओं में से प्रत्येक के लिए प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है अनुदानों की मांगों के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं लोक सभा द्वारा मतदान किया एक मंत्रालय / विभाग प्रत्येक मांग सामान्य रूप से वह यह है कि एक सेवा के लिए आवश्यक कुल प्रावधानों, राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय, कि सेवा करने के लिए संबंधित राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अनुदान और भी ऋण और अग्रिम के कारण प्रावधान शामिल हैं। व्यय अनुदान मांगों में शामिल किए गए अनुमानों सकल राशि के लिए कर रहे हैं।
व्यय विभाग DEPARTMENT OF Expenditure
लोक वित्त (राज्य) प्रभाग की भूमिका में निम्नानुसार संशोधन किया जाएगाः
लोक वित्त (राज्य) प्रभाग राज्य वित्त से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करता है जैसे परियोजनाओं/स्कीमों के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता/विशेष सहायता जारी किए जाने से संबंधित मुद्दे जिनके लिए व्यय विभाग द्वारा संचालित मांग के तहत बजट आबंटन प्रदान किया जाता है। लोक वित्त (राज्य) प्रभाग राज्यों के ऋण और देयताओं के प्रबंधन, भारत के संविधान के अनुच्छेद 293(3) के तहत राज्यों के ऋणों को अनुमोदन प्रदान करने की शक्ति के माध्यम से वित्त आयोग द्वारा भारत की आगामी वित्तीय प्रवृत्ति अधिदेशित राजकोषीय रूपरेखा लागू किए जाने, राज्यों के ऋण की निगरानी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ समन्वय, राज्य वित्त आंकड़े एकत्र करने और उनका रखरखाव करने, राज्य वित्त की प्रवृत्तियों के विश्लेषण, राज्य वित्त को प्रभावित करने वाले राज्य के विधानों की संवीक्षा, राज्यों के ओवरड्राफ्ट के साथ-साथ उनके संसाधनों और अर्थोपाय स्थिति पर निरंतर निगरानी, राज्यों के बजटों के विश्लेषण के संबंध में भी कार्रवाई करता है।
भारत पर भरोसा
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। परंतु आर्थिक क्षेत्र में भारत की छवि स्वतंत्रता के पश्चात एक विकासशील, या यूं कहें, पिछड़े देश की रही। इसीलिए जब विश्व में मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के लिए मशहूर कंपनी मैकेंजी एण्ड कंपनी के सीईओ बॉब स्टर्नफेल्स ने कहा कि ‘आने वाला दशक ही नहीं बल्कि आने वाली सदी भारत की है’ तो दुनिया भर के देशों का आंखें चौड़ी हो गईं। चीन और पाकिस्तान तो तिलमिला उठे।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा भारत की आगामी वित्तीय प्रवृत्ति लोकतंत्र है। परंतु आर्थिक क्षेत्र में भारत की छवि स्वतंत्रता के पश्चात एक विकासशील, या यूं कहें, पिछड़े देश की रही। इसीलिए जब विश्व में मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के लिए मशहूर कंपनी मैकेंजी एण्ड कंपनी के सीईओ बॉब स्टर्नफेल्स ने कहा कि ‘आने वाला दशक भारत की आगामी वित्तीय प्रवृत्ति ही नहीं बल्कि आने वाली सदी भारत की है’ तो दुनिया भर के देशों का आंखें चौड़ी हो गईं। चीन और पाकिस्तान तो तिलमिला उठे।
वित्तीय प्रशासन का विकास (Financial Administration : Evolution)
भारत के वित्तीय प्रशासन के इतिहास को भारत की आगामी वित्तीय प्रवृत्ति मोटे तौर पर निम्नलिखित चार विशिष्ट चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 512