उत्तर बिहार में आज बदलेगा मौसम का मिजाज, बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी
मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में अब बारिश शुरू हो गई है। तापमान में गिरावट के साथ गर्मी से भी राहत है। किसान अभी बारिश की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अब धान की रोपनी में भी तेजी आने की संभावना है।
समस्तीपुर, जासं। उत्तर बिहार के जिलों में हल्की वर्षा होने की संभावना है। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी व शिवहर में मौसम सामान्य है। हालांकि, समस्तीपुर जिले में सुबह से ही धूप निकली है। आसमान में हल्के बादल भी छाए हुए है। डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम वैज्ञानिक डा. ए सत्तार ने बताया कि पूर्वानुमान की अवधि में आसमान में मध्यम बादल छाये रह सकते हैं।
उत्तर बिहार के जिलों में अनेक स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार इस अवधि में अधिकतम तापमान 33 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 23 से 26 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 80 प्रतिशत तथा दोपहर में 45 से 55 प्रतिशत रहने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 12 से 18 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है। वहीं शिवहर जिले में मंगलवार को मौसम सामान्य हैं। हल्की धूप खिली है। आसमान में बादल छाए हुए हैं। हवा भी बह रही है। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में दिन में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना व्यक्त की है। सीतामढ़ी में आसमान में काले बादल छाए हुए हैं। सोमवार शाम कुछ देर के लिए बारिश हुई। उसके बाद से बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में वर्षा और वज्रपात की संभावना जताई है।
औसतन 60 वित्तीय पूर्वानुमान फीसदी कम हुई वर्षा
समस्तीपुर में कम वर्षा ने इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। धान की रोपनी धीमी गति से हो रही है। किसान किसी तरह पंप सेट से पटवन कर रहे हैं, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है। ऐसे में अगर जल्द तेज बारिश नहीं हुई तो परेशानी बढ़ सकती है। कृषि विभाग ने इस बार 75,816 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है। इस बार वर्षा कम होने के कारण अब तक मात्र 30.92 प्रतिशत ही रोपनी हो पाई है। इस स्थिति में कृषि विभाग भी ङ्क्षचतित है। अधिकारियों का कहना है कि अगर रोपनी नहीं हो पाई तो डीजल सब्सिडी पर विभाग विचार करेगा। साथ ही वैकल्पिक खेती को लेकर भी रणनीति तैयार की जा सकती है।
मौसम की मार से किसान हो चुके हैं हताश
समस्तीपुर प्रखंड के नीरपुर गांव निवासी किसान ललन ङ्क्षसह बताते हैं कि इस बार मौसम की बेरुखी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पटवन कर धान की रोपनी करना संभव नहीं हो पा रहा है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो निश्चित रूप से यह प्रखंड क्षेत्र सुखाड़ की स्थिति में है। कहा कि अगर अब तेज बारिश भी हुई तो धान की रोपनी पिछात होगी। खानपुर निवासी किसान शुभम कुमार ने बताया कि कम वर्षो होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है। रोपणी के लिए काफी खर्च बढ़ गया है।
जुलाई में अब तक 130.00 मिलीमीटर हो पाई है बारिश :
मौसम की बेरुखी का सहज इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जून और जुलाई माह में सामान्य वर्षापात की तुलना में काफी कम बारिश हुई। जुलाई में सामान्य वर्षापात 350.80 मिलीमीटर है, जबकि 24 जुलाई तक मात्र 130.00 मिलीमीटर ही बारिश हो पाई है। इस तरह औसतन 60 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
23 हजार 440 हेक्टेयर में हो पाई है धान की खेती
धान के बिचड़े और रोपनी के लक्ष्य के आंकड़ों पर गौर करें तो वह भी काफी पीछे हैं। जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 75 हजार 816 हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें अब तक महज 23 हजार 440 हेक्टेयर में ही खेती हो पाई है। यानी जिले में मात्र 30.92 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है। जो भी हो तेज बारिश का नहीं होना किसानों को सर्वाधिक परेशान कर रही है। आलम यह है कि हर कोई आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं।
फिच ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास दर वित्तीय पूर्वानुमान के पूर्वानुमान को घटाकर सात प्रतिशत किया
नई दिल्ली। फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को 7.8 प्रतिशत के पिछले अनुमान से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। फिच ने कहा कि जून में लगाए गए 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान की तुलना में अब उसे 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सात …
नई दिल्ली। फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को 7.8 प्रतिशत के पिछले अनुमान से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया।
फिच ने कहा कि जून में लगाए गए 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान की तुलना में अब उसे 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
संस्था ने कहा कि अगले वित्त वित्तीय पूर्वानुमान वर्ष में भी विकास दर 7.4 प्रतिशत के पहले के अनुमान के मुकाबले अब 6.7 प्रतिशत तक रह जाने की संभावना है।
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विक्रय पूर्वानुमान के प्रकार - Types of Sales Forecasting
विक्रय पूर्वानुमान के प्रकार - Types of Sales Forecasting
(अ) आर्थिक पूर्वानुमान का संबंध इस बात के अनुमान लगाने से है कि सामान्यतः व्यवसाय और इसके विभिन्न कार्य क्षेत्रों पर व्यापक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक शक्तियों का क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं, सकल आय औद्योगिक उत्पादन उपभोक्ता व्यय फुटकर एवं थोक मूल्य, रोजगार सरकारी व्यय आदि के प्रभाव पूर्वानुमानित किये जा सकते हैं। व्यावसायिक पूर्वानुमान, आर्थिक पूर्वानुमान के अंतर्गत साधारण व्यवसाय की प्रवृत्तियों का विस्तृत रूप में अनुमान है जैसे सभी टिकाऊ वस्तुओं के लिए प्रमुख भाग इसे सामान्यत अर्थशास्त्रियों द्वारा तैयार किया जाता है।
(ख) कम्पनी पूर्वानुमान का क्षेत्र सीमित है। यह कम्पनी के विक्रय पूर्वानुमान से संबंधित है।
सामान्य व्यावसायिक पूर्वानुमान के लिए एक प्रमुख तत्व है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि सामान्य व्यावसायिक पूर्वानुमान के लिए अभी तक कोई तकनीक विकसित नहीं हो सके जो विक्रय पूर्वानुमानों से कही अधिक व्यापक हो । मुख्यत विक्रय पूर्वानुमान सकुचित क्षेत्र में कार्य करता है, जबकि व्यावसायिक पूर्वानुमान सम्पूर्ण व्यावसायिक क्षेत्र की प्रवृत्तियों का द्योतक है। कंपनी के पूर्वानुमानों की तुलना पूर्वानुमानों का वास्तविकता से अधिक निकट होना पूर्णतय समय है। इसका कारण यह है कि कंपनी के मामले में प्रतिस्पर्धा एक प्रमुख चल है जिसका नियन्त्रण नहीं किया जा सकता और जो अनिश्चित भी है। वित्तीय प्रबंध उत्पादन प्रबंध तथा विपणन प्रबंध के लिए सही विक्रय पूर्वानुमान के आकड़े बड़े कार्यशील उपकरण बन जाते है।
बजट पूर्वानुमान 2018 : डिजिटल इंडिया के लिए आवंटित हो सकता है अधिक धन
नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया के अभियान की रफ्तार तेज करने के लिए सरकार आगामी बजट में इस पर खास तवज्जो दे सकती है। डिजिटल पेमेंट को लेकर उठाए जा रहे कदमों और साइबर सुरक्षा पुख्ता करने के लिए संसाधनों की आवश्यकता को देखते हुए इस बार इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी के बजटीय आवंटन में खासी वृद्धि हो सकती है।
वित्त मंत्रालय के साथ बजट आवंटन को लेकर हुई बैठक में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल अभियान की गति बढ़ाने के लिए अधिक धनराशि की मांग की है। साथ ही देश में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे उपायों को भी मंत्रालय ने संसाधनों के लिहाज से अहम बताया है।
चालू वित्त वर्ष के बजट में मंत्रालय को 4039 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था। हालांकि मंत्रालय ने 4034 करोड़ रुपये की राशि की मांग रखी थी। 2016-17 में मंत्रालय को 3200 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था।
इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिक आवंटन को लेकर संसद की स्थायी समिति ने मंत्रालय की तरफ से आवंटित राशि के खर्च को लेकर भी टिप्पणी की है। समिति का मानना है कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने जैसे सरकार के कार्यक्रम के लिए पर्याप्त बजटीय संसाधनों की आवश्यकता है।
समिति का मानना है कि इस दिशा में मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यक्रम धनराशि की कमी की वजह से प्रभावित नहीं होने चाहिए। समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि बढ़े हुए आवंटन का मंत्रालय द्वारा तैयार योजना के अनुसार व्यय किया जाए।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को वित्तीय पूर्वानुमान सरकार का एक अम्ब्रैला प्रोग्र्राम बताया है। लेकिन मंत्रालय की तरफ से होने वाले वास्तविक व्यय में हर साल कमी आई है। चालू वित्त वर्ष में इस मद में 1498.55 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था लेकिन मंत्रालय ने 1672.76 करोड़ रुपये आवंटित किये। समिति ने इस संबंध में वित्त मंत्रालय पर भी टिप्पणी की है।
समिति का मानना है कि वित्त मंत्रालय आइटी मंत्रालय की प्रस्तावित निधियों की आवश्यकता पर गंभीर नहीं रहा। समिति ने इलेक्ट्रानिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सुझाव भी दिया है कि वह इस कार्यक्रम के लिए वित्त मंत्रालय से बजट में अधिक आवंटन मांग करे ताकि धन की कमी के कारण कार्यक्रम की सफलता प्रभावित न हो।
अधिकतम अंक: 5
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