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क्या संकेतक बेहतर है
क्या आपको लग रहा है कि बीते कुछ समय में आपका वजन काफी बढ़ गया है? क्या कड़ी मेहनत करने के बाद आपको लगता है कि कैलोरीज कम नहीं हो रही हैं? क्या आपने हाल-फिलहाल अपने थायरॉयड लेवल की जांच करवाई है? दरअसल, कई बार हमें लगता है कि हमारा वजन यूं ही बढ़ रहा है। हाइपोथायरॉयडिज्म सामान्य रूप से महिलाओं में ज्यादा दिखाई देता है।
थायरॉयड का लेवल ऊपर नीचे होने पर हमारे शरीर को कई तरह के संकेत मिलते हैं। अवॉर्ड विनिंग सेलिब्रिटी कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट और माईस्किन की क्रिएटर डॉ. चित्रा बताती हैं, 'यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।' इसके कुछ लक्षण और ट्रीटमेंट क्या संकेतक बेहतर है के बारे में एक्सपर्ट क्या कहती हैं, आइए जानें।
क्या है हाइपोथायरॉयडिज्म?
हाइपोथायरॉयडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्लैंड अंडरएक्टिव रहती है और थायरॉक्सिन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। ज्यादा उम्र की महिलाएं आमतौर पर इस परेशानी से गुजरती हैं, लेकिन आज कई बदलावों के कारण 20 और 30 साल की उम्र में भी यह परेशानी देखी जा सकती है।
हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण?
हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण हार्मोन की कमी की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होते हैं। समस्याएं धीरे-धीरे विकसित होती हैं। कई बार इसका पता खाफी बाद में भी पता चलता है। इसके शुरुआती लक्षणों में थकान और वजन बढ़ना मेन है। साथ ही जैसे-जैसे आपका मेटाबॉलिज्म धीमा होता है, आपको और अधिक स्पष्ट समस्याएं हो सकती हैं। इसके कुछ लक्षण ऐसे हैं जिसका संकेत आपका शरीर आप तक पहुंचाता रहता है।
- थकान
- वजन का बढ़ना
- कब्ज
- कमजोरी याददाश्त
- मांसपेशियों में दर्द और जकड़न
हाइपोथायरॉयडिज्म का क्या है ट्रीटमेंट?
ज्यादातर मामलों में, हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज उस हार्मोन की मात्रा को बढ़ाकर किया जाता है जो आपका थायरॉयड अब नहीं बना रहा है। यह आमतौर पर एक दवा के साथ किया जाता है। हाइपोथायरॉयडिज्म के लिए ली जाने वाली दवा जो आप लेते हैं,वो आपके शरीर द्वारा उत्पादित थायरॉयड हार्मोन की मात्रा को बढ़ाती है और शाम को आपके स्तर को कम करती है।
हाइपोथायरॉयडिज्म को मैनेज करना आसान है। हालांकि, आपको अपने शरीर में हार्मोन की मात्रा को सामान्य करने के लिए लगातार दवा लेने की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही अपने लाइफस्टाइल में थोड़े से बदलाव भी आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। डॉ. चित्रा बताती हैं कि आप कुछ अन्य तरीकों से भी कंट्रोल कर सकते हैं।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करके अपने मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव कर सकती हैं।
- जोइट्रोजेनिक फूड जैसे पत्ता गोभी, सोए, ब्रोकोली और आयोडीन रिच फूड्स का सेवन करने से बचें।
- एंटीऑक्सीडेंट्स रिच फूड का सेवन करना न भूलें।
- जितना हो सकते ग्लूटेन को अपने आहार में क्या संकेतक बेहतर है लेने से बचें।
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अगर आप भी अपने बढ़ते वजन को लेकर संशय में हैं तो पहले थायरॉयड लेवल की जांच करा लें। अपने आहार में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें और ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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क्या रूसी सेना से बेहतर है यूक्रेन की सेना, या बेबुनियाद हैं कुछ संकेत?
रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) में वैसे तो रूस की सेना (Russian Army) का पलड़ा भारी लगता है. देखने में आ रहा ह . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 11, 2022, 18:15 IST
हाइलाइट्स
8 क्या संकेतक बेहतर है साल पहले रूस के क्रीमीया पर हमले के समय यूक्रेनी सेना बहुत कमजोर थी.
इस बार यूक्रेन को पश्चिमी देश और यूरोप का पूरा सहयोग मिल रहा है.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि रूसी सेना पर अब यूक्रेन का पलड़ा भारी पड़ रहा है.
रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) अब रणनीतिक स्तर पर ज्यादा सक्रिय हो गया है. हाल की घटनाओं में दो दिन पहले यूक्रेन (Ukraine) और क्रीमिया के बीच स्थित पुल पर हुआ धमाका सबसे बड़ी घटना रही. इससे दोनों पक्षों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी देखने को मिला. अभी के हालात तो यही बताते हैं कि युद्ध लंबे खिंच तो रहा ही है, इसे लंबा खींचा भी जा रहा है. रूस किसी निर्णायक कार्रवाई की जल्दी में नहीं है. तो क्या दोनों तरफ अभी बराबर की लड़ाई हो रही है या फिर यूक्रेन की सेना (Ukrainian Army) रूस पर वाकई भारी पड़ती दिख रही है जैसा कि पश्चिमी देश (Western Countries) दावा कर रहे हैं.
एक तरफा नहीं है ये युद्ध
फिलहाल रूस के कब्जे वाले पूर्वी यूक्रेन के इलाकों को जनमत संग्रह के जरिए रूस में शामिल कर लिया गया है जिसे पश्चिमी देशों से मान्यता नहीं मिली है. लेकिन इन इलाकों के अलावा रूस को यूक्रेन से कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. यह भी जानना जरूरी होगा कि पश्चिमी देशों और यूरोप की मदद ने यूक्रेन को कितना ताकतवर बनाया है और रूस के लिए यूक्रेन को सबक सिखाना कितना मुश्किल कर दिया है.
8 साल पहले
जब साल 2014 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सैनिकों को यूक्रेन में सबसे पहले क्रीमिया और फिर डोनबास की पूर्वी सीमा पर भेजा था, तब बेशक रूस की सेना बहुत ही बेहतर थी और यूक्रेनी सेना पर हर तरह से भारी थी और नतीजा भी उम्मीद के मुताबिक ही देखने को मिला था. लेकिन आठ साल बाद स्थितियां बदल गई हैं.
क्यों बदले हालात
यह सच है कि रूस की ताकत तो कम नहीं हुई, लेकिन युक्रेन की सेना भी उतनी कमजोर नहीं रही जितनी 8 साल पहले थे. इसके कई कारण बताए जा रहे हैं. इसमें सबसे बड़ा कारण है कि यूक्रेन को उसके साथियों से भारी मदद मिल रही है. जिसमें अमेरिका ब्रिटेन सहित बहुत से पश्चिमी देश और यूरोप के कई देश शामिल हैं. इन देशों से यूक्रेन को हथियार, इंटेलीजेंस सहयोग, नियोजन सहायता, क्या संकेतक बेहतर है नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक सहायता, यूक्रेन छोड़ने वालों के लिए हर तरह की मदद मिल रही है.
इस बार के युद्ध (Russia Ukraine क्या संकेतक बेहतर है War) में यूक्रेनी सेना ने कई मौकों पर खुद को रूसी सेना से बेहतर साबित किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
क्षमताओं में दिख रहा है भारी अंतर
ब्लूमबर्ग के लेख के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि 8 साल बाद हालात पलट गए हैं. जहां एक तरफ यूक्रेन क्या संकेतक बेहतर है को भरपूर मदद मिल रही है. रूसी सेना के जनरल गलती पर गलती कर रहे हैं. विशेषज्ञों ने यह भी देखा है कि दोनों ही सेनाओं का लड़ने का तरीका भी बहुत अलग तरह का है जिसका युद्ध के मैदान पर गहरा असर भी देखने को मिल रहा है.
पिछड़ती हुई रूसी सेना
सितंबर में खारकीव में, डोनबास के उत्तर पूर्वी इलाकों की ओर यूक्रेनी सेनाएं तेजी से, संयुत बल वाले ऑपरेशन करने में सफल रही. इस दौरान उन्होंने रूसी विरोधियों के मुकाबले शानदार प्रदर्शन किया था. वहीं इसी अप्रैल में दक्षिणी खेरसोन इलाके मे यूक्रेन ने एक तीसरा बड़ा मोर्चा खोला जिसके बाद रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा था. अब पुतिन के बनवाए यूक्रेन क्रीमिया पुल पर विशाल विस्फोट क्या संकेतक बेहतर है हुआ है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जानते हैं कि यह युद्ध लंबा चलेगा और वे उसी हिसाब से रणनीति पर काम भी कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
बदलाव जारी है
रूसी सेना के खराब प्रदर्शन का रूस में भी असर दिख रहा है. पुतिन को सेना के प्रमुखों को बदलना पड़ रहा है. 2015 के बाद से यूक्रेन की सेना ने भी खुद में बहुत बदलाव किए हैं. भ्रष्टाचार पर लगाम क्या संकेतक बेहतर है लगी है. यूक्रेन में रूस के प्रति समर्थन नहीं रहा. पुराने रूसी समर्थक हाशिये पर चले गए हैं. लोगों को रूस की इरादा पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने का दिख रहा है. बाद में सेना में प्रशासनिक बदलाव हुए है. नाटो से जुड़ने के बाद और ज्यादा बेहतरी आने की उम्मीद है.
बेशक यूक्रेन युद्ध अब किसी भी तरह से एक तरफा नहीं हैं. यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने का फैसला कर लिया है और उसकी प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करना चाहता है. वहीं रूस अकेला पड़ता जा रहा है. इस युद्ध की शुरुआत से ही माना जा रहा था कि यह लंबा चलेगा और सब जानते हैं कि पुतिन इसे बखूबी समझते हैं. ऐसे में किसी भी सेना का किसी मोर्चे से पीछे हटना रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. जो भी इसका युद्ध का नुकसान दुनिया के बाकी देश झेल रहे हैं.
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क्या संकेतक बेहतर है
जानें, क्या है मानव विकास सूचकांक?
जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आमदनी के मानकों पर आधारित ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) पर दस सवालों के जवाब
On: Thursday 09 January 2020
Photo: Kumar Sambhav Shrivastava
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) क्या है?
मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट है जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के मानकों के आधार पर प्रकाशित की जाती है। सबसे पहले 1990 में एचडीआई रिपोर्ट जारी की गई थी। तब से हर साल इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है। ताजा रिपोर्ट 9 दिसंबर 2019 को जारी की गई थी।
ताजा एचडीआई में भारत की क्या स्थिति है?
इस सूचकांक में कुल 189 देश थे क्या संकेतक बेहतर है जिसमें भारत 129वें स्थान पर है। भारत ने पिछले साल के मुकाबले इस बार एक अंक का सुधार किया है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस साल तीन अंकों का सुधार किया है और बांग्लादेश ने भी भारत से बेहतर प्रदर्शन करके दों अंकों में सुधार किया है। पाकिस्तान 152वें और बांग्लादेश 135वें स्थान पर हैं, जबकि पड़ोसी देश नेपाल 147वें, भूटान 134वें, म्यांमार 145वें और श्रीलंका 71वें पायदान पर है।
एचडीआई को कितनी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है?
रैंकिंग के आधार पर इसमें शामिल सभी देशों को 4 श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी “बेहद उच्च मानव विकास” है जिसमें कुल 62 देश शामिल हैं। इस श्रेणी में नॉर्वे पहले, स्विट्जरलैंड दूसरे, आयरलैंड तीसरे, जर्मनी चौथे और हांगकांग चोटी के पांच देशों में शामिल हैं। दूसरी श्रेणी “उच्च मानव विकास” है जिसमें 63 से 116 पायदान पर रहे देश शामिल हैं। तीसरी श्रेणी “मध्यम मानव विकास” से संबंधित है। इसमें 117 से 153 नंबर तक के देशों को शामिल किया गया है। भारत भी इसी मध्यम मानव विकास श्रेणी में शामिल है। अंतिम श्रेणी “निम्न मानव विकास” की है जिसमें शेष सभी देश शामिल हैं।
निचले पायदान पर कौन से देश हैं?
निचले पायदान पर अधिकांश अफ्रीकी देश हैं। इनमें नाइजर, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड़, दक्षिण सूडान, बुरुंडी, माली, इरिट्रिया, बर्कीनो फासो, सिएरा लियोन, मोजाम्बिक, कॉन्गो, गिनिया बिसाऊ और यमन मुख्य रूप से शामिल हैं।
हाल के दशकों में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा?
1990 से 2018 के बीच भारत के मानव विकास सूचकांक मूल्य में 50 प्रतिशत का सुधार हुआ है। यह 0.431 से बढ़कर 0.647 हो गया है। यह मध्यम मानव विकास की श्रेणी में शामिल देशों के औसत (0.634) से अधिक है। भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य दक्षिण एशियाई देशों के औसत मूल्य (0.642) से भी अधिक है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव विकास सूचकांक मूल्य के मामले में भारत की स्थिति में संतोषजनक सुधार हुआ है।
भारत के इस प्रदर्शन का क्या अर्थ निकलता है?
एचडीआई मूल्य में सुधार का अर्थ है कि पिछले तीन दशकों में जीवन प्रत्याशा में 11.6 वर्षों का सुधार हुआ है। स्कूल जाने वाले औसत वर्षों में भी 3.5 साल का सुधार हुआ है। इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय में भी 250 गुणा इजाफा हुआ है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पिछले तीन दशकों में जीवन प्रत्याशा, स्कूल जाने के वर्षों और आमदनी के मापदंडों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
रिपोर्ट भारत में गरीबी पर क्या कहती है?
रिपोर्ट कहती है कि 2005-06 से 2015-16 के दशक में भारत में 27.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल आए हैं। हालांकि इसके बावजूद दुनिया के 28 प्रतिशत गरीब भारत में रह रहे हैं। यानी भारत में अब भी 36.4 करोड़ गरीब रह रहे हैं। दुनिया भर में गरीबों की संख्या 130 करोड़ है।
समूह आधारित असमानता पर रिपोर्ट क्या कहती है?
रिपोर्ट के अनुसार, प्रगति के बावजूद भारतीय उपमहाद्वीप में समूह आधारित असमानता पैठ बनाए हुए है और यह असमानता महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है। सिंगापुर में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम घरेलू हिंसा हुई है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि दक्षिण एशिया में 31 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं।
लैंगिक विकास सूचकांक में भारत कहां खड़ा है?
लैंगिक विकास सूचकांक में भारत की स्थिति दक्षिण एशियाई देशों के औसत से थोड़ी बेहतर है। भारत 2018 में जारी लैंगिक असमानता सूचकांक रिपोर्ट में 122वें स्थान पर था। इसमें कुल 162 देश शामिल किए गए थे।
रिपोर्ट किस नई गरीबी की ओर इशारा करती है?
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में लोग भले ही तेज से गरीबी से बाहर निकल रहे हैं लेकिन वे एक अलग प्रकार की गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं। पहले असमानता स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक पहुंच पर आधारित थीं लेकिन नई गरीबी तकनीकी, शिक्षा व जलवायु से संबंधित है। रिपोर्ट बताती है कि भारत में दोनों तरह की गरीबी है। देश में जहां बड़ी संख्या लोग स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा से वंचित हैं, वहीं बहुत से लोग अब नई किस्म की गरीबी का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि ऐसे हालात में भारत के लिए सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल होगा। यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर कहते हैं कि संपत्ति व सत्ता का असमान वितरण असमानता की जड़ है जिसके कारण लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। जब तक कुछ किया नहीं जाता, ऐसा होता रहेगा।
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