G: जेनेरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क
पिक्चर के साथ किये जाने वाले छेड़छाड़ को लेकर अक्सर शिकायत मिलती रहती है। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद से इसे रोका जा सकता है।जेनेरेटिव एडवरसरियल नेटवर्क के ज़रिए नई तस्वीरें बनाई जा सकेगी ।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की ABCD
बच्चों को A फॉर एप्पल और एडीएक्स कैसे काम करता है B फॉर बॉय सिखाने के दिन पुराने पड़ चुके है। आज बच्चे A फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, B फॉर बिग डेटा, R फॉर रोबोटिक्स और M फॉर मशीन लर्निंग जैसे शब्दों से परिचित है । यह सब उनके सिलेबस का हिस्सा है। मशीनों ने दुनिया को बदल कर रख दिया है इस कारण बच्चों की दुनिया बदली है इससे कोई भी अछूता नहीं रह सकता है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की ABCD :
A : आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस
इंसानों ने तकनीक का इजाद किया। लेकिन बुद्धिमान मशीनों से इंसान को पीछे छोड़ दिया है।
B: बायस
मशीनें भेद भाव कर सकती है यह सुन कर विश्वास नहीं होता लेकिन यह भेदभाव कई अर्थों में सामने आया है जो मानव एडीएक्स कैसे काम करता है को सोचने पर मजबूर करता है। मशीनों में जो डेटा फीड होता है वह एल्गोरिदम की बुनियाद पर काम करता है। बनाने वालों ने इनके साथ भी भेदभाव किया। मर्दों और औरतों के बीच भेद भाव और गोरे और काले रंग वालों के बीच भेद भाव करना बड़ी समस्या बनकर उभरा है।
Share Market में करना चाहते हैं निवेश की शुरुआत, जानिए शेयर बाजार की ABCD
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 05, 2022 19:07 IST
Photo:INDIA TV Share Market में निवेश की शुरुआत करने से पहले ये जानें
What is Share Market: शेयर मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है। अगर आप नए हैं, आपने इससे पहले कभी किसी स्टॉक (Stock) में निवेश नहीं किया है और आपको इस बात की जानकारी नहीं एडीएक्स कैसे काम करता है है कि शेयर मार्केट क्या होता है और यह कैसे काम करता है? क्या स्टॉक मार्केट में सिर्फ शेयर ही खरीदे-बेचे जाते हैं? तो आज हम आपके इन सभी सवालों का जवाब इस खबर में देने जा रहे हैं।
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है, जहां खरीदार BSE(Bombay Stock Exchange) और NSE(National Stock Exchange) पर सूचीबद्ध शेयरों एडीएक्स कैसे काम करता है की खरीद-बिक्री करते हैं। यह सेबी(Securities and Exchange Board of India) के देखरेख में काम करता है। सेबी भारत सरकार की संस्था है जो शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों पर नजर रखती है ताकि वह ग्राहक के साथ फ्रॉड ना कर सके। इसे दो भाग में क्लासिफाइड किया गया है। प्राइमरी और सेकेंडरी।
जब कोई कंपनी शेयरों के माध्यम से धन जुटाने के लिए पहली बार स्टॉक एक्सचेंज में खुद को रजिस्टर करती है तो उसे प्राइमरी कैटेगरी में रखा जाता है, वहीं एक बार जब कंपनी की नई सिक्योरिटी को प्राइमरी मार्केट में बेच दिया जाता है, तब उसका कारोबार सेकेंडरी में किया जाने लगता है। यहां निवेशकों को बाजार की मौजूदा कीमतों पर शेयर खरीदने और बेचने का मौका मिलता है।
शेयर के आलावा इनमें भी कर सकते हैं निवेश
स्टॉक एक्सचेंज में इन चार रूप (शेयर, बांड, म्यूचुअल फंड और Derivatives) में ट्रेडिंग होती है, जिसमें सबसे पहला स्थान शेयर का होता है। अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के उतने फीसदी के हिस्सेदार हो जाते हैं। कंपनी के नफा-नुकसान का असर सीधे आपके उपर पड़ता है।
बांड लंबी अवधि के लिए खरीदे जाते हैं। जब एक कंपनी को पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। पूंजी जुटाने का एक तरीका जनता को एडीएक्स कैसे काम करता है एडीएक्स कैसे काम करता है बांड जारी करना होता है। ये बांड कंपनी द्वारा लिए गए "ऋण" का प्रतिनिधित्व करते हैं। बांडधारक कंपनी के लेनदार बन जाते हैं और कूपन के रूप में समय पर ब्याज भुगतान प्राप्त करते हैं।
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी एडीएक्स कैसे काम करता है ही तेजी से डुबोया है.
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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम एडीएक्स कैसे काम करता है फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
होमियोपैथिक चिकित्सा का इतिहास | History of Homeopathy in Hindi
होमियोपैथी का आविष्कार 10 अप्रैल सन् 1755 को जर्मनी के माइसेन नामक नगर में जन्मे डॉ० क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमन ने किया था।
डॉ० हैनिमन प्रारम्भ में स्वयं एलोपैथिक चिकित्सक थे परन्तु वह इस चिकित्सा से कभी सन्तुष्ट नहीं हुये क्योंकि उन्होंने देखा था कि ‘एलोपैथिक चिकित्सा’ (विपरीत विधान चिकित्सा) से रोगी के रोग का शमन तो हो जाता है लेकिन बाद में इसका दुष्प्रभाव अन्य रोगों के रूप में प्रकट होता है।
एक बार उन्होंने अंग्रेजी की एक ‘एलोपैथिक मेटेरिया मेडिका’ में पढ़ा कि ‘सिनकोना’ नामक औषध ठण्ड लगकर आने वाले बुखार को दूर करती है लेकिन यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति ‘सिनकोना’ खा ले तो उसे ठण्ड लगकर बुखार आ जाता है । उन्होंने ‘सिनकोना’ के इस गुण का परीक्षण अपने ऊपर किया और इसी दृष्टि से अन्य औषधियों का भी परीक्षण किया। इस प्रकार होमियोपैथी का जन्म हुआ।
होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली के बारे में कुछ व्यावहारिक जानकारी | Some practical information about homeopathy
(1) होम्योपैथी दवा के कोई साइड इफ़ेक्ट (दुष्प्रभाव) नहीं होते हैं। इसका अर्थ यह नही कि मनमाने ढंग से दवाई लेने भी दुष्प्रभाव नही होगा।
(2) होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति सरल है, सस्ती है। और पुराने रोगोंमें स्थायी लाभ देनेका सामर्थ्य रखती है।
(3) होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली में रोगी के लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। इसी लिए सामान्यतः भारी भरकम खर्चीली जाँचें नहीं करायी जाती।
(4) होम्योपैथी दवा में कोई विशेष परहेज नहीं होता है। इसमें केवल तेज गन्धवाली वस्तुओंसे परहेज करना है।
(5) दवाको हाथ नहीं लगाना चाहिये, शीशीके ढक्कन से या सफेद कागज के टुकड़े पर लेकर सीधे मुँह में डालकर चूस लेना चाहिये।
(6) दवा लेने के 30 मिनिट पहले तथा दवा लेनेके 30 मिनिट बाद तक कुछ खाना / पीना नही चाहिए।
Hybrid Car क्या होती हैं और कैसे काम करती हैं? यहां समझिए पूरी ABCD
इन दिनों भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ-साथ हाइब्रिड कार सेगमेंट की कारें भी काफी चर्चा में आ रहीं हैं. मारुति सुजुकी ने अपनी ग्रैंड विटारा (Maruti Grand Vitara) और टोयोटो ने अर्बन क्रूजर हाईराइडर (Toyota Urban Cruiser Hyryder) एसयूवी को पेश किया.
How Hybrid Cars Works: इन दिनों भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ-साथ हाइब्रिड कार सेगमेंट की कारें भी काफी चर्चा में आ रहीं हैं. मारुति सुजुकी ने अपनी ग्रैंड विटारा (Maruti Grand Vitara) और टोयोटो ने अर्बन क्रूजर हाईराइडर (Toyota Urban Cruiser Hyryder) एसयूवी को पेश किया. ये दोनों ही हाइब्रिड टेक्नोलॉजी पर काम करती हैं और देश की सबसे ज्यादा माइलेज देने वाली एसयूवी हैं. इनका माइलेज 28Kmpl तक का है. इसके अलावा Honda City, Volvo XC90, Lexus NX समेत कई बाकी गाड़ियों में भी यह फीचर मिलता है. तो आइए समझते हैं कि आखिर क्या होती हैं हाईब्रिड कार और यह कैसे काम करती हैं?
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