फाइनैंशियल इन्फ्लुएंसर सेबी की हारी हुई लड़ाई
बाजार में तेजी का हर दौर पिछले दौर से अलग होता है। यह बात केवल शेयरों के प्रकार और विभिन्न क्षेत्रों पर ही लागू नहीं होती बल्कि इससे होने वाले सामाजिक बदलावों पर भी यह बात लागू होती है। 2020 के मध्य में आरंभ हुए तेजी के दौर के कारण दो बदलाव आए: पहला, नए खाते खुलने में जबरदस्त तेजी आई और दूसरा, ऐसे सोशल मीडिया हैंडलों और चैनलों का जमकर विस्तार हुआ जो शेयरों की खरीद बिक्री को लेकर सलाह देते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो वे इतने अधिक बड़े और प्रभावशाली हो गए कि वे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के उन तीन नियमों का मजाक सा उड़ा रहे हैं जो निवेश सलाह, निवेश शोध और पोर्टफोलियो प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में गतिविधियों का संचालन करते हैं। अब सेबी इन फाइनैंशियल इन्फ्लुएंसर्स के लिए अलग नियम बनाने की योजना बना रहा है। ये इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया पर सामान्य निवेशकों को शेयरों, सामान्य निवेश, म्युचुअल फंड आदि को लेकर बिन मांगी सलाह देते हैं। क्या सेबी की योजना कारगर साबित होगी?
खेद की बात है कि जिन्न पहले ही बोतल से बाहर आ चुका है और अब उसे वापस बोतल में नहीं डाला जा सकता है। इन लोगों के आकार, गतिविधि और प्रभाव को देखा जाए तो वह इतना अधिक हो चुका है कि पंजीकृत सलाहकारों के लिए सेबी के कठोर नियम भी निष्प्रभावी नजर आ रहे हैं और उनका पालन करने वाले प्राय: बेवकूफ दिख रहे हैं। सेबी को समझना होगा कि समस्या बहुत बड़ी है। मैं अपनी बात की शुरुआत तीन नियमों की व्याख्या के साथ करूंगा।
वित्तीय उपभोक्ता या अनुशंसाओं के आधार पर खरीद बिक्री करना चाहते हैं या फिर वे चाहते हैं कि उनकी मुद्रा का प्रबंधन किया जाए। खरीद बिक्री संबंधी अनुशंसाओं का संचालन सेबी के शोध विश्लेषक (आरए) नियमन एवं निवेश सलाह नियमन द्वारा होता है। शोध विश्लेषक वे होते हैं जो ऐसी शोध रिपोर्ट तैयार करते हैं जो किसी शेयर के बारे में वित्तीय और परिचालन जानकारी, उसकी कीमतों का इतिहास, अनुशंसाएं, लक्षित मूल्य आदि मुहैया कराती है। उन्हें रिपोर्ट का इस्तेमाल करने वालों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। स्वतंत्र शोध विश्लेषकों को प्रोत्साहित करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? जा रहा हो। सेबी के नियम मोटे तौर पर ब्रोकर शोध को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।
निवेश सलाहकार (आईए) इससे परे जाकर वित्तीय नियोजन, दीर्घकालिक पोर्टफोलियो निर्माझा, पोर्टफोलियो पर नजर रखने, पुनर्संतुलन कायम करने जैसे काम करते हैं। उनकी सलाह अलग-अलग लोगों को ध्यान में रखकर खास उनके हिसाब से बनाई जाती है। उनके लिए सेबी के नियमन भी बहुत सख्त हैं। वे क्रेडिट कार्ड के माध्यम से शुल्क नहीं ले सकते, उन्हें 26 प्रावधानों वाले निवेशक समझौते पर हस्ताक्षर करने होते हैं और उन्हें दी जाने वाली हर सलाह का उचित तर्क के साथ रिकॉर्ड रखना होता है।
उन्हें टेलीफोन रिकॉर्डिंग, ईमेल और एसएमएस को पांच सालों तक सुरक्षित रखना होता है क्योंकि यह विधिक रुप से जांचे जा सकने योग्य हैं। यह सब इतना अव्यावहारिक है कि इसके चलते निवेश विश्लेषकों का कारोबार एकदम ठप है। डीमैट खातों में आई तेज उछाल के बावजूद सलाहकार कारोबार में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
बहरहाल इसके बावजूद सेबी में इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई। नियामक का काम नियम बनाने के साथ ही क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? समाप्त हो जाता है। वह नियमों के नतीजों या कारोबारी वृद्धि पर उनके असर को लेकर जिम्मेदार नहीं है। भले ही अवैध सलाहकार सेवाएं फल फूल रही हों। शोध विश्लेषक और निवेश विश्लेषक ग्राहक का पैसा स्वीकार नहीं कर सकते हैं ना ही उसका प्रबंधन कर सकते हैं। इसके लिए एक तीसरा नियम है जो पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं को कवर करता है। आप आप शोध, सलाह और प्रबंधन तीनों ही नहीं कर सकते हैं। यदि आपको ऐसा करना है तो सेबी में पंजीयन कराना होगा या नियमों का पालन करना होगा। सेबी का काम कितना कठिन है यह समझने के लिए देखना होगा कि इन तीनों नियमों का कितनी तरह से उल्लंघन किया जाता है।
यूट्यूब: अवैध सलाह के लिए ज्यादातर यूट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर एन्फ्लुएंसर यहां अपने वीडियो पोस्ट करते हैं। जो ज्यादातर हिंदी, किसी क्षेत्रीय भाषा या हिंग्लिश में होते हैं। उनके निशाने पर छोटे शहरों के गैर अंग्रेजी भाषा निवेशक होते हैं। इन वीडियोज के शीर्षक कुछ इस प्रकार होते हैं: ‘अपना पहला शेयर कैसे खरीदें’, ‘सोने से नियमित आय हासिल करें’ अथवा ‘20 वर्षों में कमाए ढाई करोड़ रुपये! कैसे?’
जब क्रिप्टोकरेंसी उछाल पर थी तो उनका जोर क्रिप्टो भर था क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? ऐसे में लोगों ने लाखों रुपये कमाए। जब भी वह किसी शहर की अनुशंसा करते हैं वह एक अवैध काम कर रहे होते हैं। वे केवल शैक्षणिक वीडियो बना सकते हैं लेकिन उन्हें शायद दर्शक नहीं मिलेंगे।
टेलीग्राम/कॉस्मोफीड: निवेश संबंधी विचारों के चार्ट में विश्लेषण तथा अन्य तस्वीरों के लिए जहां यूट्यूब की जरूरत होती है वही टेलीग्राम चैनल शेयर संबंधी सलाह के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। कई नई एप्लिकेशन भी यही कर रही हैं। कॉस्मोफीड और रिजी ऐसी ही एप्स हैं। ऐसी नई ऐप निर्माता को भुगतान स्वीकार करने की इजाजत भी देती हैं आप रिजी में भुगतान करके शेयर सलाह संबंधी टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं। ऐसे सैकड़ों चैनल रोज शेयर खरीद की सलाह देते हैं।
मुद्रा का प्रबंधन: बिना पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा का लाइसेंस लिए पैसे का प्रबंधन करना उतना प्रचलित नहीं है लेकिन यह चिंता का विषय अवश्य है। हाल ही में एक आंख खोल देने वाली घटना सामने आई जहां एक शेयर कारोबारी ने एक विकल्प कारोबारी को एक करोड़ रुपए प्रबंधन के लिए दे दिए थे। कुछ ही समय में उस विकल्प कारोबारी ने इस राशि का 72 फीसदी हिस्सा गंवा दिया। उसने इस नुकसान की भरपाई करने के लिए अस्थायी रूप से अपना पैसा डाला और फिर 40 प्रतिशत का रिटर्न दर्शाया। इसे लेकर बहुत बातें हुई लेकिन कम ही लोगों ने ध्यान दिया कि यह एक अवैध गतिविधि थी।
मैं देख रहा हूं कि गैर पंजीकृत वित्तीय सलाहकारों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है। यह अवैध कारोबार कितना बड़ा है? इसे समझने के लिए सेबी के अवैध सलाहकारों संबंधी आदेशों को देखिए। कुछ दिन पहले जारी किया गया ऐसा ही क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? एक आदेश कहता है कि ऐसी एक गुमनाम सी सेवा से 6 करोड़ रुपए का शुल्क वसूला गया। उसका प्रवर्तक फरार है। मेरा अनुमान है क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? कि 200-300 लोग साल में कुछ करोड़ रुपये तो कमा ही रहे हैं।
इनमें से कुछ की कमाई दो अंकों में है। मैं एल्गो कारोबार और पीएमएस बाजार की तो बात ही नहीं कर रहा हूं जबकि ये दोनों भी अवैध हैं और पीएमएस का तो आकार भी बहुत बड़ा है। संक्षेप में कहें तो इस अवैध कारोबार का विशाल आकार और टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, फेसबुक और यूट्यूब पर इन फाइनैंशियल इन्फ्लुऐंसरों का प्रभाव देखकर मुझे महसूस होता है कि सेबी उन पर नियंत्रण की लड़ाई हार चुका है। वह केवल उनसे पैसे बनाता है जो पंजीकृत हैं और नियमों का पालन करते हैं। लेकिन इसकी परवाह किसे है?
Cryptocurrency: क्रिप्टो टोकन बनाकर आप भी कमा सकते हैं पैसा, जानिए क्या होते हैं Crypto Token
नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में ढेरों क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में आई हैं। जिनका अच्छा खासा डेवेलपमेंट भी हुआ है। इनमें से सबसे पॉपुलर बिटकॉइन, इथीरियम, डॉजकॉइन और लाइटकॉन जैसी करेंसीज़ के नाम शामिल हैं। सीधे शब्दों में अगर बात करें तो क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी ही होती है। जिसे कॉइन या टोकन किसी भी रूप में लिया जा सकता है। यह दोनों ही चीजें एक-दूसरे से काफी अलग होती हैं। क्या आप जानते हैं कि आप भी खुद का क्रिप्टो टोकन कैसे बना सकते है। जो बाकियों से काफी अलग होगा है।
क्या हैं क्रिप्टो टोकन?
कॉइन और टोकन दोनों ही क्रिप्टोकरेंसी में गिने जाते हैं, लेकिन फर्क इतना है कि कॉइन्स अपनी खुद की ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलते हैं। ब्लॉकचेन एक डिजिटल बहीखाता होता है, जिसपर ब्लॉक पर होने वाले ट्रांजैक्शन का डेटा स्टोर किया जाता है। टोकन डिजिटल संपत्ति के वर्ग में रखे जाते हैं ये पहले से मौजूद किसी अन्य ब्लॉकचेन पर काम करते हैं।
ऐसे रिलीज होते हैं क्रिप्टो टोकन
जिस तरह शेयर मार्केट में IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग खुलते हैं, उस ही तरह टोकन्स को इनीशियल कॉइन्स ऑफरिंग के जरिए रिलीज किए जाते हैं। टोकन को क्राउडसेल्स के जरिए इंट्रोड्यूस किया जाता है। निवेशक ICO खत्म हो जाने के बाद भी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध टोकन की खरीद कर सकते हैं। यदि किसी को कोई नया टोकन बनाना है तो यह क्राउडसेल्स पर बनाया जाएगा। इन्हें कोई भी बना सकता है।
इस तरह लॉन्च करें क्रिप्टो टोकन
आमतौर क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? पर कहा जाता है कि अपना क्रिप्टो टोकन बनाना बहुत ही जटिल और लंबी प्रक्रिया है और जिसके लिए बहुत ही बारीक तकनीकी जानकारियां और कोडिंग की जानी चाहिए। हालांकि, अब यह बात बहुत सही नहीं है. अब ऐसे बहुत से प्लेटफॉर्म हैं, जहां लोग अपना खुद का टोकन बना सकते हैं।
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Ruby Currency का प्राइस पेज Crypto.क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? com क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? प्राइस इंडेक्सका हिस्सा है जो टॉप क्रिप्टोकरेंसी के लिए प्राइस हिस्ट्री, प्राइस टिकर, मार्केट कैप और लाइव चार्ट को फ़ीचर करता है।
WhatsApp पर बनाएं अपना अवतार और फ्रेंड्स के बीच छा जाएं, कैसे बनाना है? जानिए
नई दिल्ली. WhatsApp Avatar : वॉट्सऐप ने हाल ही में मच अवेटेड एनिमेटेड DP फीचर अवतार को लॉन्च किया है. ये फीचर अब iOS और एंड्रॉयड दोनों के लिए ही उपलब्ध है. इस फीचर के जरिए यूजर्स अपना खुद का एनिमेटेड DP (डिस्प्ले पिक्चर) क्रिएट कर सकते हैं. मैसेजिंग ऐप में इसके लिए यूजर्स को कई तरह के हेयरस्टाइल, फेशियल फीचर और आउटफिट्स के कॉम्बिनेशन भी मिलेंगे.
आपको बता दें कि ये फीचर पहले फेसबुक मैसेंजर के लिए पेश किया गया था. बाद में डिजिटल अवतार बनाने क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? का ऑप्शन इंस्टाग्राम में दिया गया है. अब फाइनली इसे वॉट्सऐप के लिए उतारा गया है.
WhatsApp में ऐसे क्रिएट करें अपना अवतार:
पहला स्टेप: WhatsApp ओपन करें फिर सेटिंग्स में जाएं और फिर प्रोफाइल के नीचे अवतार पर टैप करें.
दूसरा स्टेप: इसके बाद आप अवतार क्रिएशन पेज पर रिडायरेक्ट हो जाएंगे. यहां से आपको कलर टोन, हेयर स्टाइल, हेयर कलर, आउटफिट, बॉडी टाइप, आई शेप और आई कलर को सेलेक्ट करना होगा.
तीसरा स्टेप: इसके बाद आपको आई शेप को सेलेक्ट करना होगा. आपको यहां माथे पर बिंदी लगाने का ऑप्शन और नाक के शेप को पियर्सिंग ऑप्शन के साथ सेलेक्ट करना का भी ऑप्शन मिलेगा.
चौथा स्टेप: इसके बाद अपने माउथ शेप, उसका कलर, मार्किंग ऑप्शन के साथ फेस शेप, फेस लाइन और फेशियल हेयर को सेलेक्ट कर सकेंगे.
पांचवा स्टेप: इसके बाद आपको ईयररिंग या गॉगल को सेलेक्ट करना होगा और अंत में सेव बटन पर टैप करना होगा. इसके बाद वॉट्सऐप सेव किए गए अवतार के साथ ऑटोमैटिकली स्टिकर क्रिएट कर देगा.
अगर आपको अवतार पसंद ना आए या आप फिर से नया अवतार बनाना चाहते हैं तो आप मौजूदा एनिमेटेड इमेज को डिलीट कर सकते हैं:
MCD Result 2022: ‘आप’ जीती लेकिन केजरीवाल को हुआ नुकसान, हारकर भी जीत रही BJP, जानिए कैसे?
आम आदमी पार्टी को 135 सीटें मिली हैं. वहीं 15 साल बाद भी बीजेपी ने 104 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की. कांग्रेस की हालत काफी खस्ता रही, पिछले दो विधानसभा चुनावों की तरह कांग्रेस का एमसीडी में भी सूपड़ा साफ हो गया. कांग्रेस पार्टी सिर्फ 09 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. 3 निर्दलीय भी जीते.
दिल्ली एमसीडी चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है. अरविंद केजरीवाल ने 15 साल से सत्ता में काबिज बीजेपी को इस चुनाव में उखाड़ फेंका है. दिल्ली नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन चुकी है. आम आदमी पार्टी को 135 सीटें मिली हैं. वहीं 15 साल बाद भी बीजेपी ने 104 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की. कांग्रेस की हालत काफी खस्ता रही, पिछले दो विधानसभा चुनावों की तरह कांग्रेस का एमसीडी में भी सूपड़ा साफ हो गया. कांग्रेस पार्टी सिर्फ 09 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. 3 निर्दलीय भी जीते.
MCD से बीजेपी की बादशाहत खत्म
MCD में बीजेपी की 15 साल की बादशाहत को खत्म करते हुए AAP ने स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाबी क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? हासिल की है. खास बात ये है कि आप ने ये कारनामा सिर्फ अपने दूसरे एमसीडी चुनाव में किया. 10 साल पुरानी पार्टी ने अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों के किलों को ध्वस्त कर दिया है. हालांकि इसके बाद भी केजरीवाल को नुकसान हुआ है. पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में काफी गिरावट आई है. दूसरी तरफ विधानसभा और एमसीडी में बीजेपी का वोट शेयर साल दर साल बढ़ रहा है.
केजरीवाल को जीतकर भी हुआ नुकसान
AAP ने 2015 में 54.3% वोट शेयर के साथ 67 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था. वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 53.57% वोट शेयर के साथ 62 सीटें जीतीं. इस क्रिप्टो कैसे बनाते हैं? तरह से सिर्फ एक ही चुनाव में आप पार्टी की सीटें और वोट शेयर दोनों में गिरावट आई. इस चुनाव (MCD चुनाव) में आप का वोट शेयर घटकर 42.05 फीसदी हो गया है. हालांकि वो बीजेपी को हराकर एमसीडी की सत्ता में पहुंच गई है. वहीं बीजेपी हारकर भी अपना वोट शेयर बढ़ा चुकी है.
हारने के बाद भी बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा
2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में 8 सीटें जीतकर बीजेपी ने 2015 के आंकड़ों में सुधार किया. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी का वोट शेयर भी 32.30 प्रतिशत से बढ़ाकर 38.5 प्रतिशत पहुंच गया था. इस चुनाव में भगवा पार्टी को 39.10 फीसदी वोट मिला और 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी पार्टी का वोट शेयर 1% बढ़ा, वहीं केजरीवाल के 8 साल की सरकार में ही AAP का 12% वोट शेयर गिर गया.
बीजेपी को तलाशने होंगे नए चेहरे
रुझानों में आम आदमी पार्टी इस बार एमसीडी में भी सरकार बनाती दिखाई दे रही है. इस चुनाव में बीजेपी को प्रदेश में बड़े चेहरे की कमी खल रही है. पार्टी की ओर से केंद्रीय नेताओं की टीम उतारी गई थी, जो सिर्फ पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रहे थे. वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से केजरीवाल ने खुद कमाल संभाल रखी थी. दिल्ली बीजेपी के पास कोई ऐसा नेता नहीं था जो केजरीवाल का मुकाबला कर सके.
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