Income Tax Return File Last Date Verify Online On Official Website | कुछ दिनों में आ जाएगी रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट, जानें कैसे वेरिफाई करें ऑनलाइन ITR
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल: यदि आप एक पेशेवर या व्यवसायी हैं और आप हैं इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें ऐसा नहीं करने पर आपको आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। अगर आपने अभी तक आईटीआर फाइल नहीं किया है। तो 31 दिसंबर 2022 तक लेट फीस (बिल आईटीआर) के साथ आईटीआर फाइल कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 139(1) के तहत निर्धारित समय के भीतर आईटीआर फाइल नहीं करने पर धारा 234ए के तहत जुर्माना लगाया जाता है। बिल्ड आईटीआर 5 हजार रुपये के जुर्माने के साथ 31 दिसंबर 2022 तक फाइल किया जा सकता है। इसके साथ ही अगर करदाता की कुल आय 5 लाख रुपये या उससे कम है तो उसे 1000 रुपये का जुर्माना देना होगा। 2.50 लाख से कम आय वाले बिना किसी पेनल्टी के रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
संशोधित आईटीआर भी 31 दिसंबर तक देय है
अगर किसी ने आईटीआर फाइल करते समय कोई गलती की है तो वह संशोधित आईटीआर फाइल करके अपनी गलती को सुधार सकता है। इन दोनों तरह के आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2022 है और यह वित्त वर्ष 2021-22 के लिए है। अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के योग्य हैं, और आप 31 दिसंबर तक आईटीआर फाइल नहीं करते हैं, तो आयकर विभाग आपको नोटिस जारी कर सकता है। ऐसे में परेशानी से बचने के लिए आपको 31 दिसंबर तक आईटीआर फाइल कर देना चाहिए।
अगर आप आयकर के अधीन नहीं हैं तो भी आपको रिटर्न दाखिल करना होगा। अगर आप आईटीआर फाइल करते हैं तो इससे आपको कई फायदे मिलते हैं।
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आयकर रिटर्न के लाभ
- टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है। जब आप अपना आईटीआर फाइल करते हैं तो आयकर विभाग उसका मूल्यांकन करता है। यदि धनवापसी की जाती है, तो इसे सीधे बैंक खाते में जमा किया जाता है।
- कई देशों के वीजा अधिकारियों को वीजा के लिए 3 से 5 साल के आईटीआर की जरूरत होती है। आईटीआर के जरिए वे उस व्यक्ति की वित्तीय स्थिति की जांच करते हैं जो उनके देश आना चाहता है।
- आईटीआर फाइल करने पर एक सर्टिफिकेट मिलता है। जब भी आईटीआर फॉर्म 16 के साथ दायर किया जाता है, तो फॉर्म 16 उपलब्ध होता है जहां व्यक्ति कार्यरत होता है। इस प्रकार यह एक सरकारी प्रमाणित दस्तावेज बन जाता है जो यह साबित करता है कि व्यक्ति की निश्चित आय रुपये है। आय का पंजीकृत प्रमाण प्राप्त करने से क्रेडिट कार्ड, ऋण या व्यक्तिगत ऋण साबित करने में मदद मिलती है।
- ITR आपकी आय का प्रमाण है। सभी सरकारी और निजी संस्थान इसे आय के प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। अगर आप नियमित रूप से आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको बैंक से आसानी से लोन मिल सकता है।
- आईटीआर रसीद आपके पंजीकृत पते आय का एक स्थिर स्रोत पर भेजी जाती है, जो पते के प्रमाण के रूप में काम कर सकती है। इसके अलावा यह आपके लिए आय के प्रमाण के रूप में भी काम करता है।
- अगर आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आईटीआर फाइल करना बहुत जरूरी है। साथ ही अगर आप किसी विभाग का ठेका लेना चाहते हैं तो आपको आईटीआर दिखाना होगा। किसी भी सरकारी विभाग में ठेका लेने के लिए भी पिछले 5 साल का आईटीआर जरूरी होता है।
- अगर आप एक करोड़ रुपये का बीमा कवर (टर्म प्लान) लेना चाहते हैं तो बीमा कंपनियां आपसे आईटीआर मांग सकती हैं। मूल रूप से वे आपकी आय के स्रोत को जानने और उसकी नियमितता की जांच करने के लिए ITR पर निर्भर होते हैं।
ऐसे करें ऑनलाइन कंफर्म
- पहले तुम www.incometax.gov.in आपको लॉगिन करना होगा और अपने ई-फाइलिंग खाते में जाना होगा।
- ‘ई-फाइल’ टैब के तहत ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पर क्लिक करें।
- ‘ई-वेरिफाई रिटर्न’ पर क्लिक करें।
- ‘आधार और ओटीपी का उपयोग कर ई-सत्यापन’ विकल्प का चयन करें।
- स्क्रीन पर दिखाई देने वाली विंडो पर ‘मैं अपने आधार विवरण को सत्यापित करने के लिए सहमत हूं’ पर क्लिक करें।
- ‘जेनरेट आधार ओटीपी’ बटन पर क्लिक करें।
- आपको पंजीकृत फोन नंबर पर एक ओटीपी प्राप्त होगा।
- प्राप्त ओटीपी को दिए गए बॉक्स में दर्ज करें और ‘सबमिट’ पर क्लिक करें।
- सफलतापूर्वक जमा करने पर, आपका आईटीआर सत्यापित किया जाएगा।
इस प्रकार ऑफ़लाइन सत्यापन कर रहा है
- आईटीआर वेबसाइट पर जाएं और अपने आईटीआर सत्यापन फॉर्म का प्रिंटआउट लें।
- फॉर्म पर हस्ताक्षर करें और इसे सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी), बैंगलोर को भेजें।
- आईटीआर-V प्राप्त होने के बाद सीपीसी का सत्यापन किया जाएगा।
- सफल सत्यापन पर आपको मेल और टेक्स्ट प्राप्त होगा।
अंग्रेजी समाचार की सुर्खियाँ: आधिकारिक वेबसाइट पर आयकर रिटर्न फ़ाइल की अंतिम तिथि ऑनलाइन देखें।
‘उम्मीदवारों और उनके परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत का खुलासा करना अनिवार्य हो’
आयोग ने कहा, ‘चुनाव हलफनामे का मौजूदा फॉर्मेट उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत के संबंध में कोई सूचना नहीं देता है।
उच्चतम न्यायालय
चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि उम्मीदवारों के लिए यह अनिवार्य बनाया जाना चाहिए कि वे नामांकन पत्र भरते समय अपने साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत का खुलासा करें आय का एक स्थिर स्रोत ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके। चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में भी संशोधन की मांग की ताकि किसी उम्मीदवार को न सिर्फ तब अयोग्य ठहराया जा सके जब उसका सरकार के साथ अनुबंध चल रहा हो, बल्कि तब भी अयोग्य ठहराया जा सके जब उसके परिवार के किसी सदस्य का भी इसी तरह का वित्तीय समझौता हो। उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि मतदाताओं को उम्मीदवारों और उनके परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत का पता चले। मौजूदा कानून के तहत किसी उम्मीदवार को अपना, अपनी पत्नी और तीन आश्रितों की संपत्तियों और देनदारियों का नामांकन पत्र भरने के दौरान फॉर्म 26 में आय का एक स्थिर स्रोत खुलासा करना होता है लेकिन आय के स्रोत का खुलासा नहीं करना होता है।
आयोग ने कहा, ‘चुनाव हलफनामे का मौजूदा फॉर्मेट उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत के संबंध में कोई सूचना नहीं देता है ताकि मतदाता यह राय बना सकें कि पिछले चुनाव से उम्मीदवार की आय में वृद्धि तर्कसंगत है या नहीं।’ यह दलील एनजीओ लोक प्रहरी की उस जनहित याचिका के जवाब में आई है, जिसमें अदालत से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई है ताकि उम्मीदवारों के लिए अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की आय के स्रोत का खुलासा करना अनिवार्य बना दिया जाए।
एनजीओ ने केंद्र को यह भी निर्देश देने की मांग की है कि वह कानून में संशोधन लाए ताकि वैसे विधि निर्माताओं को अयोग्य ठहराया जा सके, जिनका किसी कंपनी में हिस्सा या स्वामित्व है जो सरकार या किसी सार्वजनिक कंपनी के साथ व्यापारिक अनुबंध करती है।
चुनाव आयोग ने कहा, ‘चुनावों में धन बल की बढ़ती भूमिका भी भलीभांति ज्ञात है और यह उन बीमारियों में से एक है जो कभी-कभार चुनाव प्रक्रिया को महज तमाशा बना देता है जब वित्तीय संसाधनों वाले कुछ विशेषाधिकार संपन्न उम्मीदवारों को अन्य उम्मीदवारों की तुलना में फायदे वाली स्थिति में डाल देता है।’ आयोग ने कहा, ‘इस तरीके के चुनाव का नतीजा लोगों की सही पसंद को परिलक्षित नहीं कर सकता। व्यवस्था कभी-कभी योग्य और सक्षम लोगों को जनता का प्रतिनिधित्व करने के अधिकारों से वंचित कर देती है।’ आयोग ने अदालत से यह भी कहा कि कानून में संशोधन करके गलत हलफनामा दायर करने के लिए कारावास की सजा बढ़ाकर दो साल कर दी जानी चाहिए। फिलहाल इसके लिए छह महीने के कारावास की सजा का प्रावधान है। आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि वैसी स्थिति में निर्वाचित प्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए जब उसके परिवार के सदस्य या उससे जुड़ी किसी कंपनी का सरकार में व्यापारिक हित जुड़ा हो।
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Income Tax Notice: आप भी तो नहीं कर रहे ये 6 गलतियां? कहीं घर न पहुंच जाए टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस
आयकर नियम: आयकर विभाग कई कारणों से आपको नोटिस भेज सकता है। मुमकिन है कि आपने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कुछ गलती की हो, आय आय का एक स्थिर स्रोत की सही जानकारी नहीं दी हो, या कोई घाटा हुआ हो तो उसकी डिटेल्स में कोई गलती हो।
आयकर नियम: आयकर नोटिस प्राप्त करना आपके लिए एक बड़ा सिरदर्द हो सकता है। इनकम टैक्स नोटिस टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से एक सूचना है कि आपके टैक्स अकाउंट या प्रोफाइल में गड़बड़ी सामने आई है। आयकर विभाग आपको कई कारणों से नोटिस भेज सकता है। मुमकिन है कि आपने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कुछ गलती की हो, आय की सही जानकारी नहीं दी हो, या कोई घाटा हुआ हो तो उसकी डिटेल्स में कोई गलती हो. आइए जानते हैं किन परिस्थितियों में आपको इनकम टैक्स का नोटिस मिल सकता है और किन गलतियों से आपको बचना चाहिए।
1. आयकर रिटर्न में अपनी संपत्ति या आय के बारे में गलत जानकारी दर्ज करना-
आपको कर विभाग से एक नोटिस मिल सकता है, जिसमें आपसे अपनी संपत्ति और आय का सही-सही खुलासा करने को कहा जा सकता है। अगर आपने गलती से अपने आईटीआर में सही जानकारी नहीं दी है तो आप इस स्थिति में आ सकते हैं। इसलिए हमेशा अपनी संपत्ति और आमदनी की सही जानकारी दें। इसके साथ ही आपकी बेसिक जानकारी यानी नाम, पता, पैन नंबर जैसे डिटेल्स भी सही-सही भरे जाने चाहिए।
2. वास्तविक आय और घोषित आय का मिलान नहीं होना-
अगर विभाग को लगता है कि आपने अपनी किसी संपत्ति की जानकारी आईटीआर में नहीं डाली है, आपने अपनी वास्तविक आय का खुलासा नहीं किया है, तब भी आपको नोटिस मिल सकता है। आपके आईटीआर फॉर्म में आय, निवेश आय, संपत्ति आदि का विवरण पूरा होना चाहिए, क्योंकि अगर आपकी प्रोफाइल में कुछ और दिखाई देता है, लेकिन आईटीआर डिक्लेरेशन में कुछ और दिखाई देता है, तो आपको एक नोटिस भेजा जाएगा।
3. आय या लेनदेन में उच्च अस्थिरता-
अगर विभाग को पता चलता है कि आपकी आमदनी अचानक कम या अचानक बढ़ गई है तो आय का एक स्थिर स्रोत वह इस बारे में जानकारी मांग सकता है। साथ ही अगर आपने कई हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन किए हैं, या हाई-वैल्यू प्रॉपर्टी या इसी तरह की किसी अन्य संपत्ति में पैसा लगाया है, लेकिन आपके टैक्स रिटर्न में उनके बारे में पूरी जानकारी नहीं है, तो नोटिस भी आ सकता है।
4. अगर टीडीएस क्लेम में कोई गलती है-
टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) भरते समय यह फॉर्म 26एएस और 16 या 16ए में दी गई जानकारी के अनुसार होना चाहिए। अगर यह ठीक नहीं होता है तो आपको आईटी एक्ट के सेक्शन 143(1) आय का एक स्थिर स्रोत के तहत नोटिस मिल सकता है।
5. पहले भी टैक्स चोरी का केस बन रहा है-
विभाग जरूरत पड़ने पर पहले के टैक्स रिटर्न का आकलन भी कर सकता है और अगर ऐसा मामला सामने आता है कि आईटीआर में टैक्सेबल इनकम की सही जानकारी नहीं दी गई है तो सेक्शन 147 के तहत टैक्सपेयर को नोटिस मिल सकता है और रीअसेसमेंट किया जा सकता है. है।
6. टैक्स रिटर्न देर से फाइल करना-
आपको हर असेसमेंट ईयर में दी गई तारीख की पहली तारीख तक अपना टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। टैक्स देना और टैक्स रिटर्न फाइल करना दो अलग-अलग चीजें हैं। भले ही आप टैक्स के दायरे में नहीं आते हों, लेकिन फिर भी आपको अपना रिटर्न जरूर फाइल करना चाहिए। आईटी एक्ट की धारा 142(1)(i) अनिवार्य रूप से आपसे रिटर्न मांग सकती है, अन्यथा आपको नोटिस भेजा जा सकता है। आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
ध्यान दें कि अगर आपको आयकर विभाग से कोई नोटिस मिला है तो जल्द से जल्द उसका जवाब दें, नहीं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
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आय का एक स्थिर स्रोत
खरगोन जिला मध्य प्रदेश में स्थित है और महाराष्ट्र राज्य, खंडवा, बड़वानी, देवास और इंदौर जिलों से घिरा हुआ है। नर्मदा, कुंदा और वेदा खरगोन जिले से होकर बहती हैं। उन्हें खरगोन की जीवन रेखा के रूप में जाना जाता है। हेड क्वार्टर समुद्र तल से 283 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जिला 362 किलोमीटर उत्तर से दक्षिण और 163 किमी तक फैला है। पूर्व से पश्चिम । जिले का कुल भूमि क्षेत्र 8030 वर्ग किलोमीटर है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 1.53% है। जिले में राज्य की कुल आबादी का लगभग 2.57% है। जनसंख्या घनत्व 233 प्रति वर्ग किमी है।
जिला साक्षरता | 62.70% (जनगणना 2011 के अनुसार) |
---|---|
डिवीजन की साक्षरता दर | 64.40% (जनगणना 2011 के अनुसार) |
2001 से साक्षरता दर में | 0.35% की कमी |
शिक्षा विभाग अंतर्गत | 2 विकासखंड (बडवाह एवं कसरावद) |
आदिम जाति कल्याण विभाग अंतर्गत | 7 विकासखंड (भगवानपुरा, भीकनगांव, गोगावा, महेश्वर, सेगांव एवं झिरनिया) |
जनशिक्षा केन्द्र | 98 |
संकुल केन्द्र | 95 |
शासकीय प्राथमिक शाला | 2377 |
शासकीय माध्यमिक शाला | 785 |
कुल | 3162 शासकीय शालाए |
हाई स्कूल | 137 |
हायर सेकेंडरी कुल | 104 |
शालाए | 241 |
जिला स्तरीय नवीन आवासीय बालक छात्रावास | 01 |
कस्तूरबा गाधी बालिका विद्यालय | 02 |
बालिका छात्रावास | 11 |
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों हेतु छात्रावास | 1 |
स्मार्ट क्लास | 26 |
सी.एम्. राईस स्कूल | 337, |
मिशन 1000 स्कूल | 11 |
माडल स्कूल | 2 (कक्षा 6 से 12) |
बालिका छात्रावास | 2 (कक्षा 9 से 12) |
उत्कृष्ट विद्यालय | 2 |
वोकेशनल स्कूल | 36 |
नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण अकादमिक – उपहार योजना अकादमिक – उपहार योजना माध्मिक विद्यालय गंधावड में उपहार योजना अंतर्गत बच्चो को उपहार वितरण
मोहल्ला कक्षा हमारा घर हमारा विद्यालय – विकासखंड कसरावद कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास धूलकोट विकासखण्ड भगवानपुरा बालिका शौचालय बठोली विकासखण्ड महेश्वर
Sach ki Parchhai Column : एक भी सरफिरा क्यों और कहां से.
Sach ki Parchhai Column : आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू और भिंडरावाले के फेर में एक युवा उलझ गया। वो जाने-अनजाने में कुछ ऐसा कर गया कि उसके कृत्य ने उसके ही अपनो के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर दी। वो खुद तो जेल गया, साथ ही अपने-अपनों के लिए विश्वास का संकट पैदा कर गया। समाज के प्रतिष्ठित जन और सामाजिक संगठन आरोपित युवा की वैचारिकी से असंलग्नता की बात कह रहे हैं। उनकी सफाई में सच्चाई भी हो सकती है। लेकिन, एक यक्ष सवाल तो है कि अलगाववादियों के समर्थन वाली जहरीली सोच को वैचारिक पोषण मिल कहां से रहा है? जिस आय का एक स्थिर स्रोत युवा परमजोत सांगा का भविष्य दांव पर लग गया- उसे राष्ट्र निर्माण की मुख्य धारा से जुड़ने की प्रेरणा क्यों नहीं मिल पाई. खैर. जो हुआ, सो हुआ- लेकिन अब समाज के प्रतिष्ठितजनों का दायित्व बढ़ जाता है। उनके लिए आवश्यक हो गया है कि वो नई पौध पर निगरानी रखें और उनमें अच्छी और सकारात्मक सोच का रोपण करते रहें।
साहब, सच में जरूरत है सुशासन की.
कलेक्टर साहब ने अधीनस्थ अफसरों और कर्मचारियों को को सुशासन की शपथ दिलाई। उद्देश्य रहा- उनमें ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, दायित्व बोध बढ़ाना। ताकि, वे आम आय का एक स्थिर स्रोत आदमी की वेदना को समझ सकें और उनकी समस्याओं के समाधान में सहायक हों। यह शपथ भारत-रत्न स्व.अटलबिहारी बाजपेयी को आदरांजलि तक सीमा तक निहित नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह शपथ वर्षों से ली जाती रही है, लेकिन लोगों की समस्याएं और तंत्र का यांत्रिकपन जस का तस है। लोग महीनों से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी ऐसी समस्याओं का भी निदान नहीं हो पा रहा है, जो व्यवस्थागत खामियों के चलते उत्पन्न हुईं। जिम्मेदारों को समझना चाहिए कि अच्छी तस्वीरें दिखाकर आप अपने नंबर तो बढ़वा सकते हैं, लेकिन उससे आम आदमियों को बहुत फायदा या सहयोग नहीं मिल पा रहा है। लोगों के अविश्वास की दरारें गहराती जा रही हैं। अफसरों के पास वक्त नहीं है। वो एक फार्मेट में व्यवस्था को हांकने की जद्दोजहद में लगे हैं।
बढ़िया दांव लगाया प्रशासन ने.
फ्लाइओवर निर्माण में बाधा बन रहे निर्माणाें को हटाने की जद्दोजहद लंबे समय से चलती रही। लेकिन आय का एक स्थिर स्रोत उसकी परिधि में अाने वाले धार्मिक स्थल स्थल उसके लिए बड़ी चुनौती रहे। इनके साथ 70 संरचनाओं को आंशिक या पूर्णरूपेण तोड़ना प्रशासन के लिए बड़ा ‘होम-वर्क’ रहा। चेरीताल का एक शताब्दी से ज्यादा पुराना हरदौल मंदिर और आगाचौक की दरगाह भी इस महाभियान की जद में आने वाली संरचनाओं में शामिल रहीं। आम शहरी घर की एक ईंट टूटने पर आय का एक स्थिर स्रोत भी तीखी प्रतिक्रिया का आदी है। वोट की राजनीति मेंं सफेदपोश भी उनके साथ हो लेते हैं। इसलिए प्रशासन ने पहले दोनों समाजों के प्रभावशाली लोगों के साथ चार दौर की बातचीत की। उनको प्रशासनिक वक्त की जरूरत से सहमत कराया। दोनों समाज के लोगों ने अपने-अपने धार्मिक स्थल खुद मौके पर पहुंचकर जरूरत के अनुसार हटवाए। इसका सुफल यह रहा कि आम आदमी भी अपने निर्माण टूटने की स्थिति में किसी भी प्रतिरोध की मानसकिता से बाहर हो गया।
वो वाकई अन्नदाता है या केवल किसान.
स्वास्थ्य के लिहाज से ‘हेल्दी-सीजन’ माना जाने वाला शीतकाल समाज के एक वर्ग के लिए ‘अनहेल्दी’ हो जाता है। मटर-टमाटर जैसी किचिन-किंग मानी जाने वाली सब्जियां बेमोल सी हो गईं हैं। इनको पैदा करने वाला किसान लागत को मोहताज है। ऐसा ही कुछ हाल धान का उत्पादन करने वाले किसानों का है। वो ढाई महीने की मेहनत के बाद जब खरीदी केंद्रों पर अपनी उपज बेचने पहुंचता है, तो उसके साथ जिस तरह का व्यवहार होता है, वो अनेक तरह के सवाल खड़े करता है। देश और प्रदेश के मुखिया तक किसानों को अन्नदाता कहकर पुकारते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि खरीदी केंद्रों पर भी उसे वाकई अन्नदाता के रूप में देखा जाता है? इसका जवाब वर्तमान परिस्थितियाें में तो ‘हां’ कतई नहीं हो सकता। व्यवस्था का हर अदना से आला व्यक्ति, उनको एक ग्राहक, याचक और अपने आय के स्त्रोत से अधिक कुछ नहीं समझता। ऐसे में जरूरत है उनको अन्नदाता कहने ही नहीं मानने की भी।
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