पुट ऑप्शन – पुट ऑप्शन की खरीद, बिक्री, फॉर्मूला और ट्रेडिंग
आइए हम पुट ऑप्शन के बेसिक्स पर चर्चा करते हैं और फिर हम पुट ऑप्शन प्रीमियम और ट्रेडिंग के लिए आगे बढ़ेंगे:
Put Options क्या है?
पुट ऑप्शन एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशेष प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस के रूप में भी जाना जाता है, पर बेचने की बाध्यता नहीं देता है׀
पुट ऑप्शन को कई अंडरलाइंग एसेट्स जैसे स्टॉक, करेंसी, और कमोडिटी पर भी ट्रेड किया जा सकता है।
वे एक विशेष प्राइस से नीचे के एसेट की प्राइस में गिरावट के खिलाफ हमारे ट्रेडों की रक्षा करने में हमारी सहायता करते हैं׀
प्रत्येक पुट कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग सिक्योरिटी के 100 शेयर शामिल होते हैं।
ट्रेडर्स को पुट खरीदने या बेचने के लिए अंडरलाइंग एसेट का मालिक होना आवश्यक नहीं है।
एक निश्चित पीरियड में, किसी विशेष प्राइस पर एसेट बेचने के लिए, पुट खरीदार के पास अधिकार है, लेकिन बाध्यता नहीं।
जबकि, विक्रेता के पास स्ट्राइक प्राइस पर एसेट खरीदने की बाध्यता होती है यदि ऑप्शन के मालिक ने उनके पुट ऑप्शन का उपयोग किया है।
Put Options खरीदने से क्या तात्पर्य है?
पुट खरीदी पुट ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है।
जब ऑप्शन ट्रेडर के पास किसी विशेष स्टॉक पर बेयरिश व्यू होता है, तो वह एसेट की प्राइस में गिरावट से प्रॉफिट के लिए पुट ऑप्शन की खरीदी कर सकता है।
प्रॉफिट कमाने की इस स्ट्रेटेजी के लिए एसेट का प्राइस एक्सपायरेशन डेट बाइनरी ऑप्शन खरीदार और विक्रेता से पहले पुट ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से नीचे मूव करनी चाहिए।
उदाहरण:
मान लीजिए कि शेयर 4900 रूपये पर ट्रेड कर रहा है और एक महीने के समय में एक्सपायर होने वाला 70 रूपये की स्ट्राइक प्राइस के साथ पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है।
आप उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले सप्ताहों में उनकी अर्निंग रिपोर्ट के बाद स्टॉक की प्राइस में तेजी से गिरावट आएगी।
दिए गए उदाहरणों का पे-ऑफ चित्र नीचे दिए गए चित्र जैसा होगा:
अगर कीमतें उम्मीद के अनुसार गिरती हैं तो हम अनलिमिटेड प्रॉफिट कमा सकते हैं।
लेकिन अगर हमारा ट्रेड हमारी उम्मीदों के अनुसार नहीं होता है, तो हमारा लॉस केवल प्रीमियम प्राइस तक लिमिटेड होगा जिसका हमने भुगतान किया था।
आप Elearnoptions का उपयोग करके लॉन्ग पुट ऑप्शन स्ट्रेटेजीज का अभ्यास कर सकते हैं׀
पुट ऑप्शन बेचने से क्या तात्पर्य है?
पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू गंवाने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।
एक बार जब पुट एक खरीदार को बेच दिया जाता है, तो विक्रेता को स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने की बाध्यता होती है, यदि ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है।
लाभ कमाने के लिए स्टॉक प्राइस को स्ट्राइक प्राइस से ऊपर होना चाहिए।
यदि एक्सपायरेशन डेट से पहले अंडरलाइंग स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है, तो खरीदार को बिक्री करने पर प्रॉफिट होता है।
खरीदार को पुट बेचने का अधिकार है, जबकि विक्रेता को इसके लिए बाध्यता है और वह स्पेसिफिक स्ट्राइक प्राइस पर पुट खरीदता है।
हालांकि, यदि पुट स्ट्राइक प्राइस से ऊपर है, तो खरीदार नुकसान उठाने के लिए खड़ा होता है।
उपरोक्त चित्र से हम यह कह सकते हैं कि प्रॉफिट प्रीमियम तक लिमिटेड है जबकि यदि प्राइस हमारी अपेक्षा के विपरीत मूव करते हैं तो हमें अनलिमिटेड लॉस हो सकता है।
पुट ऑप्शन फार्मूला:
यदि आप पुट ऑप्शन की वैल्यू की गणना करना चाहते हैं, तो हमें 2 पैरामीटर की आवश्यकता होगी:
• एक्सरसाइज प्राइस
• अंडरलाइंग एसेट की करंट मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग किया जाता है, तो हम नीचे दिए गए सूत्र द्वारा, पुट ऑप्शन की वैल्यू का पता लगा सकते हैं:
वैल्यू= एक्सरसाइज प्राइस – अंडरलाइंग एसेट की मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग नहीं किया जाता, तो इसकी कोई वैल्यू नहीं होती हैं׀
पुट ऑप्शन प्रीमियम:
पुट ऑप्शन प्रीमियम की गणना करने के लिए, आपको आवश्यकता होगी:
• इन्ट्रिन्सिक वैल्यू
• टाइम वैल्यू
इन्ट्रिन्सिक वैल्यू की गणना करने के लिए, आपको अंडरलाइंग स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस और स्ट्राइक प्राइस की आवश्यकता होती है।
इन दोनों के बीच अंतर को इन्ट्रिन्सिक वैल्यू के रूप में जाना जाता है।
टाइम वैल्यू इस बात पर निर्भर करती है कि करंट डेट से एक्सपायरेशन डेट कितनी दूर है। साथ ही, वोलेटाइलिटी जितनी अधिक होगी, टाइम वैल्यू भी उतनी ही अधिक होगी׀
Put Options ट्रेडिंग:
एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है:
1. स्पेकुलेशन:
पुट ऑप्शन का व्यापक रूप से ट्रेडर द्वारा तब उपयोग किया जाता है जब अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में आपेक्षित गिरावट होती है׀
2. इंकम जनरेशन:
ट्रेडर्स सिक्योरिटी को होल्ड करने के स्थान पर शेयरों पर पुट ऑप्शन को बेच भी सकते हैं׀
3. टैक्स मैनेजमेंट:
ट्रेडर्स केवल पुट ऑप्शन पर टैक्स का भुगतान करके स्टॉक पर होने वाले कैपिटल लाभ पर भारी टैक्स का भुगतान करना कम कर सकते हैं।
आप StockEdge वेब वर्जन का उपयोग करके अगले दिन ट्रेडिंग करने के लिए स्टॉक फ़िल्टर करने के लिए ऑप्शन स्कैन का उपयोग भी कर सकते हैं׀
महत्वपूर्ण बिंदु:
- पुट ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशिष्ट प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस भी कहा जाता है, पर बेचने की कोई बाध्यता नहीं देता है।
- पुट खरीदी पुट ऑप्शन की ट्रेडिंग के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है।
- पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू खोने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।
- एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन, और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है।
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Alert! हाई रिटर्न का लालच पड़ेगा भारी, जानें- NSE ने कहां निवेश न करने की दी सलाह
कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हैं, जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर कमाई होती है.
NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में हाई रिटनर्न के लालच से बचें. (reuters)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट को लेकर आगाह किया है. NSE का कहना है कि निवेशक हाई रिटर्न के झांसे वाले अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट के लालच में न फंसे. इससे वे बड़े नुकसान में पड़ सकते हैं. NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में निवेश न करें. कुछ स्टार्टअप प्लेटफार्म पर कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस के कॉन्ट्रैक्ट चल रहे हैं.
ऐसे प्लेटफार्म SEBI में रजिस्टर्ड नहीं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि देश में कुछ इंटरनेट बेस्ड अवैध प्लेटफार्म पर इस तरह के ऑफर निवेशकों को दिए जा रहे हैं. ऐसे प्लेटफार्म मार्केट रेगुलेटर सेबी में रजिस्टर्ड नहीं हैं और प्रोडक्ट को भी मंजूरी नहीं मिली है. इन बाइनरी ऑप्शन खरीदार और विक्रेता प्लेटफॉर्म पर निवेशकों को इस तरह के प्रोडक्ट में हाई रिटर्न का लालच दिया जा रहा है. निवेशकों को इनसे बचकर रहने की सलाह दी जा रही है.
NSE के अनुसार एक्सचेंज ने यह नोटिस किया कि कुछ अनरेगुलेटेड प्लेटफॉर्म या वेबसाइट कुछ अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स में ट्रेडिंग ऑफर कर रही हैं, जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस (CFD) या बाइनरी ऑप्शंस कहा जाता है. जिसके बाद NSE ने यह चेतावनी जारी की है.
क्या होते हैं कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस
ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर बाइनरी ऑप्शन खरीदार और विक्रेता कमाई होती है. बाजार की भाषा में कह सकते हैं कि CFD एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच एक कांट्रैक्ट है, जो यह निर्धारित करता है कि खरीदार, विक्रेता को एक एसेट की मौजूदा वैल्यू और कांट्रैक्ट टाइम पर उसके वैल्यू के बीच अंतर का भुगतान करेगा. US और भारत जैसे मार्केट में ऐसे कॉन्ट्रैक्ट की मंजूरी नहीं है. UK, स्पेन, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर जैसे मार्केट में सीमित छूट के साथ इसकी मंजूरी है.
क्या है बाइनरी ऑप्शन
बाइनरी ऑप्शन एक निश्चित भुगतान के साथ एक तरह का विकल्प है, जिसमें एक निवेशक दो संभावित रिजल्ट से आउटकम का अनुमान लगाता है. अगर अनुमान सही है, तो निवेशक को मुनाफा होता है. अगर अनुमान सही नहीं होता है तो निवेशक शुरूआती हिस्सेदारी खो देता है. इसे 'बाइनरी' कहा जाता है क्योंकि इसके केवल 2 परिणाम हो सकते हैं- जीत या हार.
एनएसई ने निवेशकों ने बिना नियमन वाले डेरिवेटिव उत्पादों में निवेश से बचने को कहा
नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने निवेशकों से बिना नियमन वाले डेरिवेटिव उत्पादों में निवेश से बचने को कहा है। एक्सचेंज का कहना है कि निवेशकों को इंटरनेट आधारित ट्रेडिंग मंचों के डिफरेंस और बाइनरी ऑप्शन विकल्पों से बचना चाहिए। एनएसई ने सोमवार को बयान में कहा कि निवेशक बाइनरी ऑप्शन खरीदार और विक्रेता इन मंचों के बड़े रिटर्न के वादे जाल में फंस जाते हैं। अंतत: उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। एक्सचेंज ने कहा कि इसके मद्देनजर निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों में निवेश करने से बचें। एक्सचेंज के संज्ञान में आया
एनएसई ने सोमवार को बयान में कहा कि निवेशक इन मंचों के बड़े रिटर्न के वादे जाल में फंस जाते हैं। अंतत: उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
एक्सचेंज ने कहा कि इसके मद्देनजर निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे उत्पादों में निवेश करने से बचें।
एक्सचेंज के संज्ञान में आया है कि कुछ बिना नियमन वाले मंच या वेबसाइट डेरिवेटिव उत्पादों. डिफरेंस के लिए अनुबंध (सीएफडी) या बाइनरी ऑप्शन की पेशकश कर रहे हैं। इसके मद्देनजर एक्सचेंज ने यह परामर्श जारी किया है।
सीएफडी को बाजार की भाषा में खरीदार और विक्रेता के बीच अनुबंध कहा जाता है। इसके तहत क्रेता को संपत्ति के मौजूदा मूल्य तथा अनुबंध के समय के मूल्य के अंतर का भुगतान विक्रेता को करना होता है।
बाइनरी ऑप्शन के तहत निश्चित भुगतान करना होता है। इसमें निवेशक दो संभावित नतीजों में एक का अनुमान लगाता है। यदि उसका अनुमान सही साबित होता है तो निवेशक को तय भुगतान मिलता है। लेकिन उसका अनुमान गलत होने पर वह अपना शुरुआती भुगतान गंवा देता है।
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