आज के अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल में और शिक्षा के बढ़ते खर्च को देखते हुए 10-12 साल की लंबी अवधि के लिए एजुकेशन लोन लेना समझदारी है। पढ़ाई की अवधि के दौ़रान माता-पिता भी एजुकेशन लोन के ब्याज का पूरा या इसके एक हिस्से का भुगतान करना शुरू कर सकते हैं। स्ट्डेट्स को एजुकेशन लोन की को पूरी सवधानी के साथ खर्च करना चाहिए और उतना ही कर्ज लें जितना आवश्यक लो। वित्तीय रूप से अनुशासित स्टुडेंट्स और माता-पिता खर्च में बचत के लिए नए-नए तरीके अपना सकते हैं।

भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम

शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?

सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?

  • शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
  • वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
  • इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
  • इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
  • अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू लाभ उठाना और मार्जिन एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।

विदेश में पढ़ाई के लिए रुपए में लोन लेना बेहतर विकल्प हो सकता है

प्रतिभाशाली भारतीयों का आज सपना है कि वे भारत या दुनिया के किसी बेहतर इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करें। लेकिन उच्च शिक्ष का बढ़ता खर्च लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। ऐसे में एजुकेशन लोन उन योग्य स्टूडेंट्स के लिए ऐसा विकल्प है जो उन्हें पसंद के इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करने में आर्थिक मदद मुहैया करा सकता है।

बैंक चार लाख रुपए तक के लोन पर कोई मार्जिन मनी लेते हैं। लेकिन इससे अधिक राशि के लोन के लिए भारत में पढ़ाई करने पर बैंक 5% और विदेश में 15% मार्जिन मनी लेते हैं। मार्जिन मनो वह रकम होती है, जो आवेदक को डाउन पेमेंट के तौर पर देनी पड़ती है। जहाँ तक एचडीएफसी क्रेडिला की बात है यह कोइ एजुकेशन लोन पर किसी तरह की मार्जिन मनी नहीं लेती है। यह ट्युशन फीस के अलावा रहने के खर्च, यात्रा आदि के पूरे खर्च के लिए एजुकेशन लोन दैती है। इसके अलावा, धारा 80-ईं के तहत एजुकेशन लोन पर आकर्षक टैक्स बेनिफिट उपलब्ध हैं। इसमें ब्याज राशि पर टैक्स छूट की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक या सह-कर्जधारक इस आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं।

जागरूकता की कमी के कारण उठाना पड़ रहा है नुकसान, पशुपालकों को नहीं मिलता दवा व पूरक आहार में मार्जिन का लाभ

पशुपालकों को नहीं मिलता दवा व पूरक आहार में मार्जिन का लाभ

रांची : पशुओं के उपयोग में आनेवाली दवाइयों तथा फीड सप्लीमेंट की कीमत मेें मार्जिन का लाभ पशु पालकों को नहीं मिलता है. जागरूकता की कमी तथा छोटी-छोटी कंपनियों के दवा कारोबार में होने का नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ता है. वेटनरी मेडिसिन और फीड सप्लीमेंट के कारोबार पर सरकारी एजेंसियों की भी नजर कम होती है.

इस कारण पशु उत्पादों के प्रिंट रेट और बाजार दर में काफी अंतर होता है. 1200 से लेकर 1500 रुपये प्रिंट वाला फीड सप्लीमेंट बाजार में 400-500 रुपये में बिकता है. पशु चिकित्सा के पेशे में बड़ी संख्या में क्वैक (नीम-हकीम) हैं, जो पशुओं के इलाज के मानक का पालन नहीं करते तथा दवाओं की गुणवत्ता का ख्याल रखे बिना इसे बेचते भी हैं. ऐसे लोंगों पर नियंत्रण के लिए राज्य में वेटनरी काउंसिल का कार्यालय भी है.

कई छोटी-छोटी कंपनियां बना रही है दवा :

पशुओं के लिए दवा उतत्पादन के कारोबार में बड़े-बड़े ब्रांड के साथ-साथ छोटी-छोटी कंपनियां भी हैं. इन छोटी कंपनियों के दवाअों में 60-70 फीसदी तक मार्जिन रहता है. 100 रुपये की दवा बाजार में 30 रुपये में बेची जाती है. पशुओं की दवा की दुकान कम होने से गांव-देहात में ये छोटी कंपनियां खूब प्रचार-प्रसार भी करती हैं. इन कंपनियों के प्रतिनिधि क्वैक या पशु चिकत्सिकों से सीधे बात करते हैं.

छोटी लाभ उठाना और मार्जिन कंपनियों की दवा लिखने वाले पशु चिकत्सिक या क्वैक आम तौर पर पशुपालकों से फीस नहीं लेते हैं. जानवरों को देखने के बाद दवा खुद ही देते हैं. ऐसे क्वैक प्रिंट रेट में दवा बेचकर ही कमाई कर लेते हैं. छोटी-छोटी कंपनियां इस कारण दवाओं के उपयोग की विधि भी हिंदी में प्रिंट करती हैं, ताकि बिना पशु चिकित्सा की डिग्री वाले क्वैक, उपयोग की गाइड लाइन देख-समझ कर इसका प्रयोग कर सकता है.

बिना निबंधन के बिकता है फीड सप्लीमेंट :

पशुओं का फीड सप्लीमेंट बिना निबंधन के बिकता है. इसे बेचने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है. कस्बाई इलाके में फीड सप्लीमेंट का कारोबार करने वाले दुकानदार साथ में दवा भी बेचने लगते हैं.

जानवरों के वैक्सिनेशन की दवा में भी बड़ा खेल है. कुत्तों को दिये जाने वाले वैक्सिन का प्रिंट रेट 500-600 रुपये प्रति इकाई होता है. यह पशुपालकों को प्रिंट रेट में मिलता है. जबकि, पशु चिकत्सिकों को यह वैक्सीन 200 से 250 रुपये में मिलता है. वैक्सिन उत्पादन में भी बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटी कंपनियां भी है.

वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार केवल निबंधित पशु चिकत्सिक ही प्रैक्टिस कर सकते हैं. लेकिन, यह देखा जाता है कि बिना निबंधन वाले कई लोग जानवरों का इलाज करते लाभ उठाना और मार्जिन हैं. इन पर कार्रवाई करने का प्रावधान है. लेकिन सही तरीके से शिकायत नहीं मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती है.

ग्रीस कर अप्रत्याशित लाभ

Grèce Kostas Skrekas

ग्रीस ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से अप्रत्याशित लाभ की पहचान करता है। हालांकि, लगभग तीस वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर मुद्रास्फीति के कारण ग्रीक परिवार दबाव में हैं। इस प्रकार, सरकार देश के ऊर्जा नियामक आरएई को अप्रत्याशित लाभ की पहचान करने का निर्देश देती है।

इसका उद्देश्य उच्च गैस कीमतों के परिणामस्वरूप कंपनियों के सकल मार्जिन के आधार पर अप्रत्याशित लाभ उठाना है। इस प्रकार, मुनाफे का उपयोग उपभोक्ताओं के उच्च ऊर्जा बिलों की भरपाई के लिए किया जाएगा। ग्रीस में ऊर्जा मंत्री कोस्टास स्क्रेकास कहते हैं:

“यूरोप के लिए इस महान परीक्षा की शुरुआत से, सरकार और प्रधान मंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस ने (…) को किसी भी प्रकार की मुनाफाखोरी की अनुमति नहीं देने का संकल्प लिया।”

सरकारी सहायता

ग्रीस ने मुनाफे पर 90% कर लगाने की योजना बनाई है। इस प्रकार, अक्टूबर 2021 से जून 2022 तक की अवधि के लिए, यह आरएई सर्वेक्षण के अनुसार €375 मिलियन का प्रतिनिधित्व करता है। एथेंस इस अखिल यूरोपीय ऊर्जा संकट के खत्म होने तक उपभोक्ता बिलों पर कीमतों को वहन करना चाहता है।

अब तक, ग्रीस ने घरेलू बिजली सब्सिडी के लिए €9 बिलियन से लाभ उठाना और मार्जिन अधिक का आवंटन किया है। इसके अलावा, व्यक्तियों की मदद के लिए पिछले सितंबर से अन्य उपाय किए गए हैं। व्यवसायों को अपने उपयोगिता बिलों का भुगतान करने के उपायों से भी लाभ होता है।

GST लागू होने के दौरान डीलरों के लिए मार्जिन स्कीम

नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के मद्देनजर पुरानी वस्तुओं, विशेषकर खाली बोतलों का कारोबार करने के वालों के लिए मार्जिन स्कीम शुरू की गयी है जिसका लाभ इस कारोबार से जुड़ा कोई भी पंजीकृत व्यक्ति उठा सकता है। सरकार ने आज यहां एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि जीएसटी […]

GST लागू होने के दौरान डीलरों के लिए मार्जिन स्कीम

नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के मद्देनजर पुरानी वस्तुओं, विशेषकर खाली बोतलों का कारोबार करने के वालों के लिए मार्जिन स्कीम शुरू की गयी है जिसका लाभ इस कारोबार से जुड़ा कोई भी पंजीकृत व्यक्ति उठा सकता है। सरकार ने आज यहां एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि जीएसटी के तहत पुरानी वस्तुओं के डीलरों और पुराने तथा उपयोग की जा चुकी बोतलों के कारोबारियों के लिए शुरू की गयी मार्जिन स्कीम को लेकर आशंकायें जतायी जा रही है।

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