अल्पकालीन सहकारी ऋण व्यवस्था
कृषि प्रधान होने के कारण उत्तर प्रदेश में सहकारिता आन्दोलन मुख्य रूप से ग्रामीण विकासोन्मुखी आन्दोलन के रूप में संचालित है। कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी एवं कृषकों की आय में वृद्धि करके आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने हेतु कृषि एवं अन्य सम्बन्धित कार्यो के लिये अल्पकालीन एवं मध्यकालीन ऋण उपलब्ध कराने के लिये त्रिस्तरीय सहकारी साख ढाॅचे का गठन किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रदेश स्तर पर शीर्ष बैंक उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0, जनपद स्तर पर 50 जिला सहकारी बैंक एवं न्याय पंचायत स्तर पर 7479 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियॉ कार्यरत हैं।
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022: ऑनलाइन आवेदन, लाभ, फसलों की सूची
Haryana Crop Diversification Scheme Apply Online 2022 | हरियाणा फसल विविधीकरण योजना आवेदन फॉर्म, पात्रता एवं जरूरी दस्तावेज | हरियाणा फसल विविधीकरण योजना जिलेवार लाभार्थी सूची | हरियाणा सरकार ने अपने राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए फसल विविधीकरण योजना को शुरू किया था। Haryana Crop Diversification Scheme के तहत धान की खेती को छोड़ने वाले किसानों को ₹7000 प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है साथ ही उन्हें अन्य वैकल्पिक फसलों जैसे-मक्का की खेती करने पर ₹2400 प्रति एकड़ और दलहन (मूंग, उड़द, अरहर) की खेती करने पर ₹3600 प्रति एकड़ का अनुदान भी प्रदान किया जाता है। राज्य के एक किसान को 5 एकड़ तक ही यह प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। प्रदेश सरकार का सन् 2022 में यह लक्ष्य है कि इस योजना विविधीकरण के प्रकार को 10 जिलों में 50 हजार एकड़ में अपनाया जाएगा।
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Haryana Crop Diversification Scheme विविधीकरण के प्रकार 2022
फसल विविधीकरण योजना को हरियाणा सरकार ने अपने राज्य के गिरते हुए भूजल स्तर को नियंत्रित करने के लिए मेरा पानी मेरी विरासत के तहत लॉन्च किया है। इस योजना के तहत धान की फसल को छोड़कर अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे-कपास, मक्का, दलहन, जवार, अरंडी, मूंगफली, सब्जी एवं फल की खेती करने पर ₹7000 प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इन फसलों को सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीदा जाता है। प्रदेश सरकार ने Haryana Crop Diversification Scheme को शुरू करने का निर्णय इसलिए लिया था। क्योंकि 1 किलो चावल उगाने में औसतन 300 लीटर पानी की आवश्यकता होती है जो एक बहुत बड़ी मात्रा है। इसलिए राज्य के किसानों को धान की खेती छोड़कर अन्य कम पानी वा कम लागत वाली फसलों की बुवाई करने के लिए प्रोत्साहन राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे एक तरफ किसानों को फायदा हो और दूसरी तरफ राज्य के भूजल स्तर को नियंत्रित किया जा सके।
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022 Highlights
योजना का नाम | हरियाणा फसल विविधीकरण योजना |
शुरू की गई | मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी के द्वारा |
साल | 2022 |
लाभार्थी | राज्य के किसान |
उद्देश्य | भूजल स्तर को नियंत्रित करना एवं फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना |
योजना की श्रेणी | राज्य सरकारी योजना |
आवेदन प्रक्रिया | Online |
अधिकारिक वेबसाइट | https://agriharyana.gov.in/ |
Haryana Crop Diversification Scheme 2022 के तहत आवेदन की अंतिम तिथि
राज्य के जो किसान हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022 के तहत अपना आवेदन करना चाहते हैं तो वह 31 अगस्त सन 2022 से पहले अपना ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत कर दें। क्योंकि राज्य विविधीकरण के प्रकार सरकार द्वारा इस योजना के तहत आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त सन् 2022 निर्धारित की गई है। इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है। इसलिए आवेदक किसान का बैंक खाता होना चाहिए जो आधार कार्ड से लिंक हो। हरियाणा चारा-बिजाई योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022 का उद्देश्य
इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य हरियाणा में बढ़ती हुई पानी की कमी की समस्या को दूर करना और किसानों को धान की खेती छोड़कर अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना है। क्योंकि धान की खेती में बहुत अधिक मात्रा में पानी का उपयोग होता है जिसके कारण हरियाणा के कई जिलों में जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है। इसी समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री जी ने हरियाणा फसल विविधीकरण योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत धान की खेती छोड़कर अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करने पर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। Haryana Crop Diversification Scheme के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ राज्य में अन्य फसलें जैसे-मक्का, दलहन एवं तिलहन की फसलों को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे राज्य इन फसलों के क्षेत्र में विकसित होगा।
कृषि विविधीकरण क्या है इसकी आवश्यकता क्यों है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण आवश्यक है क्योंकि : (1) पूरी तरह कृषि पर निर्भर रहने से अधिक जोखिम है। (2) विविधीकरण इसलिए भी आवश्यक है ताकि जोखिम को कम किया जा सके तथा धारणीय जीवन स्तर प्राप्त किया जा सके।
कृषि विविधीकरण को कौन कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
- प्र.
- उत्तर : कृषि विपणन प्रक्रिया की कुछ बाधाएँ इस प्रकार हैं
- (क) कृषि बाजार पर अभी भी निजी क्षेत्र का प्रभुत्व है।
- (ख) उचित भंडारण सुविधाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में आज तक भी उपलब्ध नहीं है।
- (ग) आज विविधीकरण के प्रकार भी बारहमासी सड़कों की कमी है।
- (घ) भारतीय किसानों में बाजार की जानकारी एवं सूचना की कमी है।
कृषि विकास से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकृषि का विकास-कृषि के विकास का तात्पर्य है कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयत्न किये जायें जिससे बढ़ती जनसंख्या की मांग पूरी की जा सके। यह कई प्रकार से जैसे फसल क्षेत्र को बढ़ाकर, फसलों की संख्या बढ़ाकर, सिंचाई की सुविधा बढ़ाकर, खाद का अधिक उपयोग करके, उच्च उत्पादन वाले बीजों का प्रयोग करके प्राप्त की जा सकती है।
फसल से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंमनुष्यों द्वारा अपने उपभोग के लिये कृषि क्षेत्र में एक निश्चित कार्यक्रम एवं योजनाबद्ध उपायों द्वारा उगाये गये अन्न, चारा, फल अथवा फूल आदि के पौधों के समूह को फसल (crop in hindi) कहा जाता है ।
कृषि विविधता क्या है Drishti IAS?
इसे सुनेंरोकेंफसल विविधीकरण से तात्पर्य नई फसलों या फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने से है, जिसमें एक विशेष कृषि क्षेत्र पर कृषि उत्पादन के पूरक विपणन अवसरों के साथ मूल्यवर्द्धित फसलों से विभिन्न तरीकों से लाभ मिल रहा है।
कृषि विविधीकरण से जुड़ी क्रियाएं कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंकृषि विविधीकरण से अभिप्राय विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने तथा पशपालन को बढावा देने से है। कई राज्यों में मुर्गी पालन, मछली पालन तथा बागवानी को भी इसमें सम्मिलित विविधीकरण के प्रकार किया जाता है।
भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का क्या कारण है?
इसे सुनेंरोकेंखेतों के छोटे-छोटे होने के कारण उन पर वैज्ञानिक ढंग से खेती करना कठिन हो जाता है जिससे पशुओं, यन्त्रों तथा सिंचाई क्षेत्र का अपव्यय होता है। यन्त्रों का प्रयोग बहुत ही कम होता है। खेती में पुराने यन्त्रों का प्रयोग करने से भूमि की उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो पाती तथा कृषि उत्पादन कम हो जाता है।
भारतीय कृषि के जुड़वा संकट कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंरबी, खरीफ और ज़ायद।
फसल के कितने प्रकार हैं?
इसे सुनेंरोकेंबोआई के आधार पर फसलों को तीन वर्गों में बांटा गया है खरीफ-रबी-जायद, जो क्रमश: बारिश-सर्दी-गर्मी में बोई जाती हैं। खरीफ की फसलों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है, जैसे धान, ज्वार, बाजरा। ये फसलें वर्षा ऋतु यानी जुलाई-अगस्त में बोई जाती हैं और जाड़े के प्रारंभ में यानी नवंबर में काट ली जाती हैं।
फसल किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंफसल किसे कहते है यह कितने प्रकार की होती है इनका वर्गीकरण एवं महत्त्व एक ही आकार तथा प्रकार के पौधों का वह समूह जो किसी क्षेत्र विशेष में किसी विशेष समय पर आर्थिक लाभ के लिए उगाया जाता है, फसल कहलाता है।
खेतीबाड़ी: फसल विविधीकरण योजना को लेकर अतिरिक्त निदेशक ने लिया जिले का जायजा
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा जगदीप बराड़ ने बुधवार फसल विविधीकरण योजना का जायजा लेने के लिए जिला का दौरा किया। इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की तथा इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए।
बराड़ ने बताया कि फसल विविधीकरण योजना के तहत किसानों को बाजरे के स्थान पर निर्धारित 5 फसलों को अपनाने पर 4000 रुपए प्रति एकड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जिले में 19400 एकड़ भूमि पर बाजरे के स्थान पर निर्धारित पांच फसलें उगाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी लगातार किसानों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर गोष्ठी आयोजित करवा रहे हैं तथा उन्हें जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपने आप को पंजीकृत करवाना होगा। इसके बाद ही इस योजना का लाभ मिलेगा।
उन्होंने बताया कि जिला में अभी तक मूंग व अरहर के लिए 13000 के लक्ष्य के खिलाफ 6900 एकड़ भूमि पर बाजरे की जगह यह दोनों फसलें लगाई गई है। इसी प्रकार मूंगफली के लिए 2000 एकड़ भूमि का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से अभी तक 468 एकड़ भूमि पर मूंगफली के लिए किसानों ने अपने आप को पंजीकृत करवाया है।
वहीं अरंड के लिए 4400 एकड़ भूमि का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से किसानों ने अभी तक 11 एकड़ भूमि के लिए अपने आप को पंजीकृत करवाया है। उन्होंने बताया कि अब सरकार ने इन चार फसलों के अलावा तिल लगाने पर भी किसानों को 4000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाएगा। यह भी केवल उसी किसान को मिलेगा जिसने बाजरे की जगह तिल लगाया है।
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