त्राटक क्रिया के फायदे - Benefits of Tratak Kriya in Hindi
आटे का हलुआ बनाने की विधि
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। शिशु में नया आहार शुरू करते वक्त उन्हें एक बार में एक ही आहार देना चाहिए। आटे का हलुआ बनाने के लिए सिर्फ एक ही ingredient का इस्तेमाल होता है - और मोमबत्ती चार्ट के गुण एक 6 माह के शिशु आहार का ये सबसे महत्वपुर गुण है। बच्चे कोई भी नया आहार पहली बार दें तो तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें।
आटे का हलुवा से सम्बंधित जरुरी बातें:
- बच्चे का उम्र: 6 माह के बच्चों के लिए
- पौष्टिक तत्त्व: प्रोटीन, मैग्नीशियम और फाइबर
- सावधानी बरतें: छोटे बच्चों को गेहूं से एलेर्जी का खतरा रहता है इसीलिए शुरू में थोड़स ही दें
आटे का मोमबत्ती चार्ट के गुण हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है। - इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं। जितना हो सके बाजार के शिशु आहार को इस्तेमाल ना करें। जब तक बच्चा एक साल का ना हो जाये उसे उसके आहार में नमक और चीनी ना दें (या बहुत कम दें)। बच्चों को अलग से नमक और चीनी की आवश्यकता नहीं होती है।
सामग्री (Ingredients)
- 2 चम्मच आटा
- आधा चमच शुद्ध देशी घी
- 2 कप पानी
- 1 कप दूध
- कड़ाई को गैस पे धीमी आंच पे चढ़ाएं।
- कड़ाई में घी डालें। थोड़ा गरम हो जाने पे उसमे आटा डालें।
- आटे को लगातार मोमबत्ती चार्ट के गुण चलाते रहें ताकि वो जले नहीं और अच्छी तरह भून जाये।
- एक बार जब आटा मोमबत्ती चार्ट के गुण अच्छी तरह भून जायेगा तब उसमे से अच्छी महक आने लगेगी।
- जब आटा भून जाये तो उसमे पानी और दूध डाल दें।
- खौलाते रहें जब तक की आवश्यकता अनुसार गाहड़ा ना हो जाये। बहुत ज्यादा गाहड़ा ना होने दें क्योँकि ठंडा होने पे वो खुद-ब-खुद गाहड़ा (thick consistency) हो जायेगा।
- एक बार जब आटे का हलुवा ठंडा हो जाये तब बच्चे को खिलाएं।
त्राटक क्रिया के फायदे – Benefits of Tratak Kriya in Hindi
त्राटक क्रिया के फायदे - Benefits of Tratak Kriya in Hindi
त्राटक के सम्बंध में यहाँ सूत्रकार कहते हैं कि बगैर पलक झपकाए किसी लघु लक्ष्य पर टकटकी लगाकर देखते रहना त्राटक है। इसके अभ्यास से शाम्भवी की सिद्धि होती है। नेत्र-विकार का क्षय होकर दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है। मुद्रा त्राटक क्रिया को भले ही हठ योग का एक अंग माना गया हो परंतु त्राटक करने मोमबत्ती चार्ट के गुण वाले कुछ साधक हठयोग के बारे में नहीं जानते किंतु फिर भी इसका अभ्यास कर जीवन को आनंदमय बनाते हैं। सचमुच में त्राटक क्रिया का अपना अलग ही महत्त्व है।
त्राटक को दूसरे शब्दों में सम्मोहन (हिप्नोटिज़्म) भी कहते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करने वाले साधक की आँखों में आकर्षण न हो, ऐसा हो नहीं सकता। सच बात तो यह भी है कि त्राटक को अब प्रदर्शन की वस्तु बना लिया गया है। जहाँ-तहाँ इसके सेमिनार आयोजित होते हैं और सिर्फ़ त्राटक को लक्ष्य बनाकर वक्ता एक घंटे का भाषण देकर चले जाते हैं। मोमबत्ती चार्ट के गुण उनकी पूरी प्रयोगात्मक पद्धति न तो वे बता पाते हैं और न ही आम व्यक्ति ठीक से समझ पाता है।
त्राटक क्रिया को करने विधि :
- आप एक ऐसे स्थान का चयन कीजिए जो साफ़, सुंदर व शांतिमय हो तथा वातावरण भी अच्छा हो। वहाँ जब तक आप अभ्यास करें तब तक किसी प्रकार का विघ्न न हो पाए।
- त्राटक करने की वस्तु से लगभग 4 फीट दूर सुखासन में बैठिए।
- सबसे पहले मोमबत्ती जलाइए और मोमबत्ती चार्ट के गुण इसको उचित दूरी पर रखिए (मोमबत्ती एवं ऑँखें समकक्ष होना चाहिए) यदि कमरे में हवा का आवागमन अधिक होगा तो मोमबत्ती की लौ हिलेगी जिससे आँखों में विकार हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि उसके तीन तरफ़ काँच या प्लास्टिक का आवरण लगा दें और सामने से खुला रखें।
- अब प्रसन्नचित्त होकर मोमबत्ती की ऊपरी लौ को बगैर पलक झपकाए देखें।
- शुरू-शुरू में ऑँखों में जलन मचेगी अतः धैर्य पूर्वक अभ्यास करें। यथाशक्ति निर्विकार व निर्निमेष होकर देखने का प्रयास करें।
- एकदम से काफ़ी देर तक न देखते रहें अन्यथा दूसरे दिन अभ्यास में कठिनाई महसूस होगी।
- लगभग 5 से 6 महीने के अभ्यास से सफलता मिलने लगती है।
- मोमबत्ती की जगह दीपक या अगरबत्ती से अभ्यास कर सकते हैं। परंतु मोमबत्ती चार्ट के गुण अंधेरे कमरे में करें ।
- बिना आकुलता के जब तक देख सकते हैं देखने का प्रयास करें। तदोपरांत आँखें बंद कर उसी लौ को देखने का प्रयास करें। वह लौ आपको कुछ देर तक आँख बंद करने पर भी दिखेगी।
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