लिक्विडिटी क्या है?
Please Enter a Question First
'तरलता अधिमान' क्या होता है? .
परिसंपत्तियों को नकदी में रखने की इच्छा बंधपत्रों और प्रतिभूतियों को रखने की इच्छा बैंक जमा रखने की इच्छा संपत्ति रखने की इच्छा
Solution : एक परिसंपत्ति के रूप में मुद्रा की मांग मुद्रा की सट्टा मांग होती है। प्रो. रॉल्विन हसन के अनुसार, कीन्स ने इसे "वास्तविक तरलता अधिमान" (Liquidity Preference Proper) के रूप में माना। यहां मुद्रा की मांग की अन्य परिसंपत्तियों की मांग से तुलना की जा सकती है। इसे सट्टा मांग इसलिए कहा जाता है कि यह भविष्य में बॉण्ड कीमत और तदनुरूप ब्याज दर में होने वाले परिवर्तनों के प्रति व्यक्ति के विचारों पर निर्भर करती है। अतः वह अटकलबाजी करता रहता है कि वह बॉण्ड रखे या मुद्रा। सट्टेबाजी के लिए प्रयुक्त धनराशि को निष्क्रिय नकदी शेष कहा जाता है।
Liquidity Operation: जरूरत पड़ने पर तरलता संचालन में सुधार करेगा आरबीआई
Liquidity Operation: जरूरत पड़ने पर तरलता संचालन में आरबीआई सुधार करेगा.
Published: September 1, 2021 9:30 AM IST
Liquidity Operation: गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जरूरत पड़ने पर, समय-समय पर तरलता के संचालन में सुधार करेगा. उन्होंने एफआईएमएमडीए-पीडीएआई वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक प्रणाली में आरामदायक तरलता की स्थिति बनाए रखने के अपने प्रयास के एक अभिन्न तत्व के रूप में सरकारी प्रतिभूति बाजार में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा.
Also Read:
उन्होंने कहा, “इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने का प्रयास जारी है, क्योंकि लिक्विडिटी क्या है? बाजार नियमित समय पर व्यवस्थित हो जाते हैं और कामकाज और तरलता संचालन सामान्य हो जाता है, रिजर्व बैंक समय-समय पर फाइन-ट्यूनिंग संचालन भी करेगा, जैसा कि अप्रत्याशित और एकमुश्त तरलता प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक है, ताकि तरल स्थिति प्रणाली में संतुलन आए और यह समान रूप से विकसित हो.
यह देखते हुए कि सरकारी प्रतिभूतियां एक अलग परिसंपत्ति वर्ग हैं, दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समग्र मैक्रो ब्याज दर के माहौल में सरकारी प्रतिभूति बाजार की भूमिका की सराहना करना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में सरकारी प्रतिभूतियों का बाजार और इससे जुड़े बाजार के बुनियादी ढांचे एक ऐसे चरण में पहुंच गए हैं, जहां इसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक माना जा सकता है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ये घटनाक्रम अन्य प्रमुख वित्तीय बाजारों जैसे कि ब्याज दर डेरिवेटिव और विदेशी मुद्रा बाजारों के लिए बाजारों को विकसित करने और उदार बनाने के प्रयासों के साथ-साथ विभिन्न बाजारों और बाजार के बुनियादी ढांचे में संबंध बनाने के प्रयासों के साथ हुआ है.
उन्होंने कहा, “हमने देश में वित्तीय बाजारों को विकसित करने में एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन यह एक सतत यात्रा है और साथ में हम इसे और भी मजबूत और जीवंत बना सकते हैं.”
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
SBI Report: देश के बैंकों में ज्यादा ब्याज देने और सस्ते लोन बांटने की मची होड़, रिस्क की हो रही अनदेखी, SBI की रिपोर्ट में खुलासा
देश में क्रेडिट ग्रोथ पिछले एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर 18 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ काफी पीछे चल रही है.
बैंकिंग सिस्टम में कैश की कमी की मुख्य वजह आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए बैंकों से अतिरिक्त कैश को वापस लेना है.
SBI Report: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने बैंकिंग सेक्टर में आई कैश लिक्विडिटी की कमी को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट एसबीआई के चीफ इकॉनमिस्ट के निर्देशन में तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में दावा किया है कि मौजूदा लिक्विडिटी क्या है? वक्त में अधिकतर बैंक ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट जुटाने और लोन देने के चक्कर में अपने क्रेडिट रिस्क को ठीक से कवर नहीं कर रहे हैं. यानी डिपॉजिट पर जरूरत से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं और लोन पर जितना ब्याज लेना चाहिए उतना नहीं रहे.
क्रेडिट ग्रोथ एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में क्रेडिट ग्रोथ पिछले एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर 18 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ काफी पीछे चल रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैंकिंग सिस्टम में कैश की कमी की मुख्य वजह आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए बैंकों से अतिरिक्त कैश को वापस लेना है. वहीं RBI द्वारा पिछले 10 महीने से रिटेल मुद्रास्फीति के तय सीमा से ऊपर बने रहने की वजह से रेपो रेट में इजाफा किया जा रहा है. पिछले छह महीने में आरबीआई ने रेटो रेट में 1.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी लिक्विडिटी क्या है? की है.
Petrol and Diesel Price Today: क्रूड फिर 100 डॉलर के करीब, क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुआ बदलाव
इंडस्ट्रियल वर्कर्स को पिछले महीने महंगाई से मिली राहत, लेकिन सालाना आधार पर बढ़ गया खर्च, सरकारी आंकड़ों से खुलासा
रिटेल मुद्रास्फीति को 4% पर रखना है RBI का लक्ष्य
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई रिटेल मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर रखना चाहता है. ब्याज दर बढ़ने से पहले अप्रैल 2022 के दौरान बैंकिंग सिस्टम में एवरेज नेट ड्यूरेबल लिक्विडिटी 8.3 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब घटकर 3 लाख करोड़ रुपये के करीब रह गई है. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार ने दिवाली के हफ्ते में कैश बैलेंस का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया है, जिसकी वजह से लिक्विडिटी के स्तर में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है. इसके साथ ही सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की ओर से अपने कर्मचारियों को दिए गए बोनस से भी लिक्विडिटी बढ़ी है.
मौद्रिक नीति में के लिए होता है LAF इस्तेमाल
एलएएफ मौद्रिक नीति में इस्तेमाल किये जाने वाला एक उपाय है. इसके जरिये रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकदी प्रबंधन के लिये रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का उपयोग करता है. एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकों में एक तरफ ब्याज दर बढ़ी है, दूसरी तरफ नकदी को सोच-विचार कर कम किया गया है. लेकिन एक चीज अभी भी नहीं बदली है. वह है कर्ज को लेकर जोखिम का पर्याप्त रूप से प्रबंधन.
कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी
उन्होंने कहा कि एक तरफ कर्ज की मांग एक दशक के उच्चस्तर पर है, जबकि कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार भले ही बैंकिंग सिस्टम में नेट एलएएफ घाटा देखा जा रहा है. हालांकि मार्केट सूत्रों का कहना है कि मुख्य डिपॉजिट की लागत के ऊपर लोन को लेकर जो रिस्क है, उसका ध्यान नहीं रखा गया है.
उदाहरण के लिये एक वर्ष से कम अवधि का कार्यशील पूंजी कर्ज 6% से कम दर पर दिया जा रहा है और यह एक महीने व तीन महीने के ट्रजरी बिल की दर से जुड़ा है, जबकि 10 और 15 वर्ष के कर्ज की लागत 7% से कम है. यहां पर 10 साल की अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियां करीब 7.46% के आसपास की दर पर कारोबार रही हैं. वहीं 91 दिन की अवधि वाले ट्रेजरी बिल 6.44% की दर पर कारोबार कर रहे हैं, जबकि 364 दिन के ट्रेजरी बिल की लागत 6.97% प्रतिशत है.
डिपॉजिट जुटाने की औसत लागत करीब 6.2%
बैंकों में मुख्य डिपॉजिट जुटाने की औसत लागत करीब 6.2% है, जबकि रिवर्स रेपो दर 5.65% है. ऐसे में हैरानी की बात नहीं है कि बैंक वर्तमान में ज्यादा डिपॉजिट जुटाने के लिये ब्याज दर बढ़ाने की होड़ में हैं. चुनिंदा मैच्योरिटी अवधि की डिपॉजिट्स पर ब्याज दर 7.75% तक कर दी गई है. इसके साथ ही बैंक अब 390 दिनों के लिये जमा प्रमाणपत्र यानी सीडी 7.97% की दर पर जुटा रहे हैं, जबकि लिक्विडिटी क्या है? कुछ बैंक 92 दिनों के लिये सीडी 7.15% पर जुटा रहे हैं.
डिपॉजिट जुटाने और कर्ज देने की होड़
एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर लिक्विडटी की कमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. कुल सीडी 21 अक्टूबर के समय 2.41 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इस अवधि में 57 हजार करोड़ रुपये था. घोष ने रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉन्ड प्रतिफल भी अप्रैल 2022 के बाद 2.55 प्रतिशत बढ़ा है और अक्टूबर 2022 में 6.92 प्रतिशत रहा. रिपोर्ट के अनुसार पॉजिटिव बात ये है कि डिपॉजिट जुटाने और कर्ज देने को लेकर जो होड़ है, वह ‘एएए’ दर्जे वाले कर्जदारों तक सीमित है.
RBI monetary policy: RBI के गवर्नर ने दी शेयर बाजार को चेतावनी, जानिए निवेशकों को किस चीज से दूर रहने की मिली है सलाह
गवर्नर ने कहा कि त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद करेंसी लिक्विडिटी क्या है? सर्कुलेशन में गिरावट, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के वापस आने पर फॉरेन फंड इनफ्लो बढ़ने से लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने मार्केट को आश्वस्त करते हुए कहा कि सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी मौजूद है
देश की ओवरऑल मॉनीटरी और लिक्विडिटी स्थिति ऊंचे स्तरों पर नजर आ रही है। ऐसे में आरबीआई ने सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने पर फोकस बनाए रखा है
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 दिसंबर को कहा कि बाजार को सिस्टम में उपलब्ध सरप्लस लिक्विडी पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए। उन्होंने कहा"रिजर्व बैंक लिक्विडिटी में लचीलापन बनाए रखने और लिक्विडिटी ऑपरेशन को द्विपक्षीय बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन बाजार भागीदारों को भी अपने को लिक्वीडिटी सरप्लस के ओवरहैंग से दूर रखना चाहिए।" RBI गवर्नर ने आज ये बातें आरबीआई पॉलिसी का ऐलान करते समय कहीं। बता दें कि आज RBI ने ब्याज दरों (रेपो रेट) में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। RBI ने रेपो रेट 0.35 फीसदी बढ़ाकर 6.25 कर दिया है। रेपो रेट 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हुआ है। आरबीआई एमपीसी ने ग्रोथ को सपोर्ट करते हुए बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए सिस्टम से अतिरिक्त लिक्विडिटी को निकालने के रुख को बरकरार रखा है।
अक्टूबर-नवंबर में बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी में और कमी आई
शक्तिकांत दास ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर में बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी में और कमी आई है। इस अवधि में लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फेसिलिटी (LAF)के तहत औसत कुल अवशोषण (average total absorption)अगस्त-सितंबर लिक्विडिटी क्या है? के 2.2 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.4 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद से इसमें बढ़त देखने को मिली है और ये 5 तक 2.6 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर आ गया। देश की ओवरऑल मॉनीटरी और लिक्विडिटी स्थिति ऊंचे स्तरों पर नजर आ रही है। ऐसे में आरबीआई ने सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने पर फोकस बनाए रखा है।
लिक्विडिटी और वोलेटाइल क्या है Difference between liquidity and volatility
लिक्विडिटी क्या है? (Meaning of liquidity in Hindi)
शेयर मार्केट में कुछ समय से या पहले से निवेश करने वाले निवेशकों को लिक्विडिटी के बारे में जानकारी होती है परंतु यदि आपने निवेशक है और लिक्विडिटी शब्द से अपरिचित है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आज हम आपको लिक्विडिटी क्या है इस बारे में जानकारी देंगे।
लिक्विडिटी शेयर मार्केट में एक परिस्थिति है जो यह दर्शाती है कि किसी कंपनी के शेयर को कितनी तेजी में खरीदा गया और उतनी ही तेजी से नकदी में बेच दिया गया। उदाहरण -: रमेश ने एक कंपनी के हजार शेयर ₹200 में खरीदे और उसे ₹220 में बेच दिए।
इस तरह कहा जा सकता है कि शेयर की लिक्विडिटी अधिक है।
वोलेटाइल क्या है?
Meaning of Volatile in Hindi
वोलेटाइल वह कीमत है जिस पर किसी भी दिए गए सेट की प्रतिभूतियों की कीमत बढ़ जाती है या घट जाती है। यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है तो वह अत्याधिक अस्थिर वोलेटाइल कहलायेगा।
इसी तरह यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में धीरे-धीरे उतार-चढ़ाव हो रहा है तो वह कम वोलेटाइल कहलाएगा। उदाहरण -: रमेश शेयर बाजार में सूचीबद्ध एक कंपनी में अक्सर ट्रेडिंग करता रहता है और एक दिन उस कंपनी के शेयर की कीमत 100 से बढ़कर 120 हो गई। यहां इस बढ़ती हुई कीमत को हम अस्थिर वोलेटाइल मानेंगे।
शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल का क्या महत्व है?
अब हम आपको शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल की महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी देंगे।
लिक्विडिटी
शेयर बाजार में लिक्विडिटी की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वह इस बात पर प्रकाश डालती है कि किसी भी स्टॉक में निवेशक कितनी जल्दी उसे खरीद सकता है तथा उसे बेचकर बंद कर सकता है। लिक्विडिटी में जोखिम कम होता है क्योंकि यहां पर एक अन्य निवेशक हमेशा दूसरे पक्ष की तरफ से तैयार रहता है। जिस बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति अत्याधिक होती है वहां पर सट्टेबाजों और निवेशकों का आकर्षण होना सामान्य है। एक लिक्विडिटी शेयर में निम्न विधि होती है जबकि पूरे बाजार में लिक्विडिटी की परिस्थिति अधिक होती है।
वोलेटाइल
वोलेटाइल से निवेशकों को किसी विशेष शेयर्स की ओर ट्रेड करने के लिए आकर्षित किया जाता है। किसी शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होने का मतलब है अधिक वोलेटाइल तथा किसी शेयर की कीमत में घटोती का मतलब वोलेटाइल।
Liquidity and Volatility लिक्विडिटी और वोलेटाइल का प्रयोग कैसे करें?
यदि आप liquidity and volatility का प्रयोग करना चाहते हैं तो आप शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म ट्रेडज को अंजाम दे क्योंकि शॉर्ट टर्म ट्रेड्स धीमी गति से कार्य करते हैं तथा कम समय में लाभ प्रदान करते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको लिक्विडिटी और वोलेटाइल के बारे में जानकारी प्रदान की है। जो लोग शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं परंतु liquidity and volatility से अंजान है तो उनके साथ हमारा यह आर्टिकल साझा करें। उम्मीद करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 861