बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक 6 जून, 2021 से लेकर 21 सितंबर, 2021 के बीच शेयर बाजार में एक करोड़ नए यूनिक क्लायंट शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक कोड पंजीकृत किए गए हैं। यूनिक क्लायंट कोड शेयर बाजार के निवेशकों को दिया जाने वाला एक यूनिक कोड होता है। शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक इस यूनिक क्लायंट कोड की संख्या के आधार पर ही शेयर शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक बाजार के निवेशकों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है। दावा किया जा रहा है कि भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में पहली बार सिर्फ 3 महीने के अंतराल में एक करोड़ नए निवेशक स्टॉक मार्केट से जुड़े हैं।

एनपीए को कुछ कड़े उपायों से नियंत्रित तो किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह खत्म करना असंभव दिखता है।

सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर भारतीय शेयर बाजार

पिछले कुछ महीनों में भारत के घरेलू आम निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बढ़ा है।

वर्तमान परिस्थितियों में किसी भी गिरावट की दशा में खरीदारी तथा शेयर विशेष में निवेश की रणनीति अच्छी दिख रही है। निवेशकों को स्मरण रखना होगा कि अच्छा शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक निवेश आशातीत फल देता है तमाम संकेत दर्शा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है।

शशांक भारद्वाज। भारत में शेयर बाजार का भविष्य सुनहरा कहा जा सकता है। हालांकि इसकी राह में कुछ झटके आ सकते हैं, परंतु ये अल्पकालीन ही होंगे और यह शीघ्र ही इन झटकों को आत्मसात कर फिर से ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होगा। इसके कई कारण हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और आधारभूत आर्थिक कारकों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जो शेयर बाजार की ताकत के लिए अत्यंत सकारात्मक हैं।

एफपीआइ की तरफ से 2.9 अरब डालर का निवेश

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों का भरोसा फिर से बढ़ने लगा है और अगस्त महीने की 12 तारीख तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की तरफ से 2.9 अरब डालर का निवेश किया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 13.6 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11.6 अरब डालर का विदेशी निवेश किया गया था।

एनपीए वसूली तंत्र की सुस्ती बरकरार, वर्ष 2021-22 में NPA के आए मामलों में 18.4 फीसद हुई वसूली

वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल

फरवरी आखिर में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल होने से निवेशक उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से अपने पैसे निकालने लगे थे और भारत भी इससे प्रभावित हुआ था। वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकार का पूंजीगत व्यय 1.75 लाख करोड़ तक पहुंच गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 57 प्रतिशत अधिक है।

Air India not govt controlled : Delhi High Court (Jagran File Photo)

विकास और महंगाई दोनों मोर्चों पर कम हुई चिंता

केंद्रीय वित्‍त मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी जुलाई माह की आर्थिक शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए अब विकास और महंगाई दोनों को लेकर चिंता कम हुई है। इसकी मुख्य वजह है कि गत जून से अगस्त माह में कच्चे तेल के दाम में अच्छी गिरावट हुई है। खुदरा महंगाई दर सात प्रतिशत से नीचे आ गई है और राजस्व संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

Happy Birthday Ratan Tata (Jagran File photo)

पी-नोट्स के जरिये निवेश में भूचाल, जून में 20 महीने के निचले लेवल पर लुढ़का इन्वेस्टमेंट, जानें आगे कैसा रहेगा ट्रेंड

Investment through P-notes: रजिस्टर्ड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी करते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से रजिस्टर हुए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि, उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी पड़ती है.

मई में शेयरों में 70,644 करोड़ रुपये और बॉन्ड में 9,355 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था.

Investment through P-notes: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के आक्रामक तरीके से नीतिगत दर में बढ़ोतरी के साथ घरेलू बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के जरिये निवेश जून में घटकर 80,092 करोड़ रुपये रहा. यह 20 महीने में पी-नोट्स के जरिये निवेश का सबसे निचला स्तर है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इंटरनेशनल लेवल पर अनिश्चितता के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में पी-नोट्स के जरिये निवेश में उतार-चढ़ाव रहेगा. रजिस्टर्ड विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी करते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से रजिस्टर हुए बिना भारतीय शेयर बाजार शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि, उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी पड़ती है.

FDI in India: एफडीआइ ने तोड़े सारे रिकार्ड, 2021-22 में 83.57 अरब डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा प्रत्‍यक्ष विदेश निवेश

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को 83.57 अरब डालर (करीब 6.48 लाख करोड़ रुपये) का शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) मिला है। यह अब तक का सर्वाधिक सालाना एफडीआइ है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। वित्‍त वर्ष 2021-22 में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय (Commerce and Industry Ministry) ने कहा कि भारत ने 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डालर का 'उच्चतम' वार्षिक एफडीआइ (FDI, Foreign Direct Investment ) यानी प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश दर्ज किया गया है। मालूम हो कि साल 2020-21 में यह आमद 81.97 अरब अमेरिकी डालर थी।

गैर-पंजीकृत व्यक्तियों को रिफंड के लिए आवेदन की सुविधा देने के लिए पोर्टल पर नई व्यवस्था शुरू की गई है।

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निवेशकों की संख्या में हुई बढ़ोतरी की अगर बात की जाए तो इस साल के नौ महीनों के दौरान अभी तक 2 करोड़ नए निवेशक शेयर बाजार से जुड़ चुके हैं। जनवरी 2021 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने 6 करोड़ निवेशकों के आंकड़े तक पहुंचने में सफलता पाई थी। इसके बाद के 6 महीने की अवधि में ही यानी जून के महीने की शुरुआत तक ही भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों की संख्या बढ़कर 7 करोड़ हो गई जबकि इसके बाद के अगले 3 महीने में यह संख्या बढ़कर 8 करोड़ हो गई।

उल्लेखनीय है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने सबसे पहले फरवरी 2008 में पहली बार 8 डिजिट के आंकड़े को स्पर्श किया था। यानी फरवरी 2008 में पहली बार शेयर बाजार के निवेशकों की संख्या एक करोड़ हो गई थी। एक करोड़ से 3 करोड़ तक की निवेशकों की संख्या तक पहुंचने में शेयर बाजार को इसके बाद के 10 साल का समय लगा। साल 2018 में शेयर बाजार के निवेशकों की शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक संख्या बढ़कर 3 करोड़ हो गई थी लेकिन इसके बाद शेयर बाजार से जुड़ने वाले नए निवेशकों की संख्या में जोरदार तेजी आई। 2018 के 3 करोड़ निवेशकों की संख्या से 6 करोड़ निवेशक तक की संख्या पहुंचने में शेयर बाजार को और शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक 2 साल का समय लगा। यानी इस साल जनवरी की शुरुआत में शेयर बाजार के निवेशकों की संख्या 6 करोड़ तक पहुंच गई। इसके बाद के अगले 9 महीने में ही इस संख्या में दो करोड़ निवेशकों की बढ़ोतरी हो गई, जिसके कारण अब शेयर बाजार से 8 करोड़ से ज्यादा निवेशक जुड़ चुके हैं।

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