लिक्विडिटी और वोलेटाइल क्या है Difference between liquidity and volatility

लिक्विडिटी क्या है? (Meaning of liquidity in Hindi)

शेयर मार्केट में कुछ समय से या पहले से निवेश करने वाले निवेशकों को लिक्विडिटी के बारे में जानकारी होती है परंतु यदि आपने निवेशक है और लिक्विडिटी शब्द से अपरिचित है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आज हम आपको लिक्विडिटी क्या है इस बारे में जानकारी देंगे।

लिक्विडिटी शेयर मार्केट में एक परिस्थिति है जो यह दर्शाती है कि किसी कंपनी के शेयर को कितनी तेजी में खरीदा गया और उतनी ही तेजी से नकदी में बेच दिया गया। उदाहरण -: रमेश ने एक कंपनी के हजार शेयर ₹200 में खरीदे और उसे ₹220 में बेच दिए।

इस तरह कहा जा सकता है कि शेयर की लिक्विडिटी अधिक है। ‌

वोलेटाइल क्या है?

Meaning of Volatile in Hindi

वोलेटाइल वह कीमत है जिस पर किसी भी दिए गए सेट की प्रतिभूतियों की कीमत बढ़ जाती है या घट जाती है। यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है तो वह अत्याधिक अस्थिर वोलेटाइल कहलायेगा।

इसी तरह यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत में धीरे-धीरे उतार-चढ़ाव हो रहा है तो वह कम वोलेटाइल कहलाएगा। उदाहरण -: रमेश शेयर बाजार में सूचीबद्ध एक कंपनी में अक्सर ट्रेडिंग करता रहता है और एक दिन उस कंपनी के शेयर की कीमत 100 से बढ़कर 120 हो गई। यहां इस बढ़ती हुई कीमत को हम अस्थिर वोलेटाइल मानेंगे।

शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल का क्या महत्व है?

अब हम आपको शेयर मार्केट में लिक्विडिटी और वोलेटाइल की महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी देंगे।

लिक्विडिटी

शेयर बाजार में लिक्विडिटी की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वह इस बात पर प्रकाश डालती है कि किसी भी स्टॉक में निवेशक कितनी जल्दी उसे खरीद सकता है तथा उसे बेचकर बंद कर सकता है। लिक्विडिटी में जोखिम कम होता है क्योंकि यहां पर एक अन्य निवेशक हमेशा दूसरे पक्ष की तरफ से तैयार रहता है। जिस बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति अत्याधिक लिक्विडिटी क्या है होती है वहां पर सट्टेबाजों और निवेशकों का आकर्षण होना सामान्य है। एक लिक्विडिटी शेयर में निम्न विधि होती है जबकि पूरे बाजार में लिक्विडिटी की परिस्थिति अधिक होती है।

वोलेटाइल

वोलेटाइल से निवेशकों को किसी विशेष शेयर्स की ओर ट्रेड करने के लिए आकर्षित किया जाता है। किसी शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होने का मतलब है अधिक वोलेटाइल तथा किसी शेयर की कीमत में घटोती का मतलब वोलेटाइल।

Liquidity and Volatility लिक्विडिटी और वोलेटाइल का प्रयोग कैसे करें?

यदि आप liquidity and volatility का प्रयोग करना चाहते हैं तो आप शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म ट्रेडज को अंजाम दे क्योंकि शॉर्ट टर्म ट्रेड्स धीमी गति से कार्य करते हैं तथा कम समय में लाभ प्रदान करते हैं।‌

इस आर्टिकल में हमने आपको लिक्विडिटी और वोलेटाइल के बारे में जानकारी प्रदान की है। जो लोग शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं परंतु liquidity and volatility से अंजान है तो उनके साथ हमारा यह आर्टिकल साझा करें। उम्मीद करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा।

Share Market Liquidity क्या होता है

Share Market Liquidity का मतलब होता है कि आप जिस भी चीज में Trading कर रहे हैं ( Share, Commodity, Future Contract) उसमें Volume जितना ज्यादा अधिक होता है उसकी Liquidity भी उतनी ही ज्यादा होती है आप उस शेयर को उतनी ही आसानी से खरीद या बेच सकते हैं ! यानी अगर आप उस शेयर किसी भी कीमत पर कितनी भी मात्रा में खरीदना चाहते हैं तो आपको वह शेयर उस कीमत पर मिल जाएगी या फिर अगर आपको किसी शेयर को बेचना है किसी कीमत पर तो आप उस शेयर को उतनी ही आसानी से बेच पाएंगे इसी को लिक्विडिटी कहते हैं !

Liquidity का महत्व

आपको कंपनी के 1000 शेयर आपको खरीदनी है अगर उस शेयर में Liquidity अधिक है तो आप जिस भी कीमत पर मान के चलिए अभी कीमत 1000 रुपए चल रही है तो आप हजार रुपए में खरीदेंगे तो 1000 शेयर आपको उसी कीमत पर मिल जाएगा लेकिन अगर उस में लिक्विडिटी कम है उसमें शेयर बहुत ही कम मात्रा में ट्रेड होते हैं तो हो सकता है आप बाजार शेयर खरीदने के लिए जाए तो इससे उसे शेयर की कीमत जो है वह बढ जाए और आपको कुछ ऐसे हजारों रुपए पर मिलेगा कुछ ₹1010 पर और कुछ शेयर आपको ₹1020 पर मिले, तो ऐसे लिक्विडिटी क्या है में आपको शेयर खरीदने के लिए अधिक कीमत देना पड़ा !

वहीं दूसरी तरफ से आप ने जो शेयर ₹1000 की कीमत पर खरीदा था उसकी कीमत 1100 ₹ हो जाती है और अब आप उसे बेचना चाहते हैं जब उसकी लिक्विडिटी अधिक है तो आप उस शेयर को 1100 रुपए की कीमत पर बेच पाएंगे लेकिन अगर उसमें लिक्विडिटी कम है तो जब आप उसे बेचने के लिए जाएंगे तो उसकी कीमत कम हो जाएगी और आप को उसे 1100 से कम कीमत पर बेचना पड़ेगा इससे आपको नुकसान है !

यही कारण है कि लोग फ्यूचर एंड ऑप्शन में किसी शेयर में ट्रेडिंग करने के बजाय इंडेक्स Nifty 50 और Nifty Bank में Trading करते हैं, क्योकि इसमें सबसे अधिक Liquidity होती है अगर वे किसी दूसरे शेयर में करते हैं तो उसमें लिक्विडिटी कम होती है !

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Share Market Liquidity

Technical Analysis मे Liquidity का महत्व

शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस में लिक्विडिटी का भी बहुत अधिक महत्व है जब हम किसी कंपनी का टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो अगर उसमें लिक्विडिटी जितनी अधिक होती है उतना ही हमारी एनालिसिस से भी होने की संभावना रहती है इसका कारण यह है कि अगर हम कम लिक्विड स्टॉक में एनालिसिस करते हैं तो वह भी आसानी से Manipulat की जा सकती है जबकि जिस में लिक्विडिटी अधिक होती है उन्हें कर पाना मुश्किल होता है !

इसके अलावा हम Technical Analysis में हम लोग जो Trade कर रहे है उसी का अध्ययन करते है, और लोगो का शेयर के लिक्विडिटी क्या है प्रति जितना अधिक Trade करेंगे हमारा Analysis उतना ही अधिक होने कि संभावना होगी !

Liquidity Operation: जरूरत पड़ने पर तरलता संचालन में सुधार करेगा आरबीआई

Liquidity Operation: लिक्विडिटी क्या है जरूरत पड़ने पर तरलता संचालन में आरबीआई सुधार करेगा.

Published: September 1, 2021 9:30 AM IST

RBI RESERVE BANK OF INDIA

Liquidity Operation: गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जरूरत पड़ने पर, समय-समय पर तरलता के संचालन में सुधार करेगा. उन्होंने एफआईएमएमडीए-पीडीएआई वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक प्रणाली में आरामदायक तरलता की स्थिति बनाए रखने के अपने प्रयास के एक अभिन्न तत्व के रूप में सरकारी प्रतिभूति बाजार में लिक्विडिटी क्या है पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा.

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उन्होंने कहा, “इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने का प्रयास जारी है, क्योंकि बाजार नियमित समय पर व्यवस्थित हो जाते हैं और कामकाज और तरलता संचालन सामान्य हो जाता है, रिजर्व बैंक समय-समय पर फाइन-ट्यूनिंग संचालन भी करेगा, जैसा कि अप्रत्याशित और एकमुश्त तरलता प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक है, ताकि तरल स्थिति प्रणाली में संतुलन आए और यह समान रूप से विकसित हो.

यह देखते हुए कि सरकारी प्रतिभूतियां एक अलग परिसंपत्ति वर्ग हैं, दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समग्र मैक्रो ब्याज दर के माहौल में सरकारी प्रतिभूति बाजार की भूमिका की सराहना करना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में सरकारी प्रतिभूतियों का बाजार और इससे जुड़े बाजार के बुनियादी ढांचे एक ऐसे चरण में पहुंच गए हैं, जहां इसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक माना जा सकता है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ये घटनाक्रम अन्य प्रमुख वित्तीय बाजारों जैसे कि ब्याज दर डेरिवेटिव और विदेशी मुद्रा बाजारों के लिए बाजारों को विकसित करने और उदार बनाने के प्रयासों के साथ-साथ विभिन्न बाजारों और बाजार के बुनियादी ढांचे में संबंध बनाने के प्रयासों के साथ हुआ है.

उन्होंने कहा, “हमने देश में वित्तीय बाजारों को विकसित करने में एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन यह एक सतत यात्रा है और साथ में हम इसे और भी मजबूत और जीवंत बना सकते हैं.”

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तरलता और तरल संपत्ति के बीच अंतर क्या है?

Cash reserve ratio & Statutory liquidity ratio (दिसंबर 2022)

तरलता और तरल संपत्ति के बीच अंतर क्या है?

छोटी सूचना पर वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए किसी कंपनी की तरल परिसंपत्तियों को आसानी से नकद में बदला जा सकता है तरलता एक तरल परिसंपत्तियों का उपयोग करके अपने ऋण का भुगतान करने की क्षमता है।

बैंकों से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए सभी व्यवसायों के लिए सबसे आम प्रकार की तरल संपत्तियां, जांच और बचत खातों और बाजारों में प्रतिभूतियों जैसे कि स्टॉक और बांड के रूप में धन हैं अत्यधिक तरल प्रतिभूतियों को उनकी कीमत को प्रभावित किए बिना जल्दी और आसानी से बेचा जा सकता है। एक शेयर निवेश को अंजाम देना एक आदेश देने के रूप में सरल है, जो वर्तमान बाजार मूल्य पर लगभग तुरंत शेयरों की बिक्री को ट्रिगर करता है।

एक बैंक की तरलता अपने सभी अनुमानित खर्चों को पूरा करने की क्षमता से निर्धारित होती है, जैसे ऋण निधि या ऋण पर भुगतान, केवल तरल संपत्ति का उपयोग करके। आदर्श रूप से, बैंक को तरलता के स्तर को बनाए रखना चाहिए जो कि अन्य परिसंपत्तियों को समाप्त किए बिना किसी अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने की अनुमति देता है। प्रत्याशित देनदारियों के मुकाबले तरल परिसंपत्तियों के ऊपर तकिया, बड़ा बैंक की तरलता

बैंक की निरंतर शोधन क्षमता में तरलता के महत्व को समझने के लिए, यह तरल और अतरल, या निश्चित संपत्ति के बीच के अंतर को समझने में मदद करता है। अचल परिसंपत्तियां तेजी से नकदी में बदल सकती हैं, जिनमें रियल एस्टेट और उपकरण शामिल हैं, जो व्यवसाय को दीर्घकालिक मान प्रदान करते हैं। वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए अतरल संपत्ति का उपयोग करना आदर्श नहीं है। उदाहरण के लिए, वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए रियल एस्टेट को बेचना, अक्षम और संभावित महंगा है। अगर जल्दी में धन की आवश्यकता होती है, तो कंपनी को परिसमापन में तेजी लाने के लिए संपत्ति को छूट पर बेचना पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त, इन प्रकार की संपत्ति को कर्ज का भुगतान करने के लिए व्यवसाय की क्षमता और सड़क के नीचे लाभ उत्पन्न करने की क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। एक कपड़ों के निर्माता को ऋण बंद करने के लिए अपने उपकरणों को बेचना पड़ता है, जिससे लगातार उत्पादन के स्तर को बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है और प्रतिस्थापन की खरीद के लिए नए ऋण लेने की आवश्यकता होगी। स्थाई परिसंपत्तियों को सुलझाने के लिए एक अल्पकालिक समस्या का अंतिम सहारा समाधान होता है जो दीर्घकालिक परिणामों को विनाशकारी कर सकता है।

2008 की वित्तीय संकट के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि बैंक अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए जरूरी तरल संपत्ति के भंडार को बनाए नहीं रख रहे थे। कई बैंकों को जमाकर्ता निधियों की अचानक वापसी का सामना करना पड़ा या उपप्रदेश बंधक संकट के कारण अवैतनिक ऋणों में अरबों डालर डाल दिए गए। परेशान समय के माध्यम से उन्हें ले जाने के लिए तरल लिक्विडिटी क्या है संपत्तियों के पर्याप्त तकिया के बिना, कई बैंक तेजी से दिवालिया हो गए। अंत में, बैंकिंग उद्योग ऐसे खराब स्थिति में था कि सरकार को कुल आर्थिक पतन को रोकने के लिए कदम उठाना पड़ा।

नकदी कवरेज अनुपात नियम को यह सुनिश्चित करने के साधन के रूप में विकसित किया गया था कि बैंक 2008 की दोबारा प्रदर्शन से बचने के लिए पर्याप्त तरलता का स्तर बनाए रखे। नए नियम के तहत, सभी बैंकों को तरल परिसंपत्ति स्टोर बनाए रखना चाहिए जो 100% के बराबर या उससे अधिक हो। 30-दिन की अवधि के लिए उनके कुल प्रत्याशित व्यय अचानक आय में गिरावट या अप्रत्याशित देयता की स्थिति में, बैंक नए ऋण लेने या अचल परिसंपत्तियों को समाप्त किए बिना अपने सभी वित्तीय दायित्वों को पूरा कर सकते हैं, इससे पहले कि वह एक और वित्तीय आपदा में बदल जाए, इस मुद्दे को हल करने के लिए उन्हें समय दे।

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RBI बना रहा, दिसंबर तक सरप्लस लिक्विडिटी में 5 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा कटौती की योजना

RBI की योजना सरप्लस लिक्विडिटी को कम करने की है ताकि रिवर्स रेपो ऑपरेशन के तहत बैंकों से उसकी उधारी दिसंबर 2021 तक घटकर 2-3 लाख करोड़ रुपये हो जाए.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - October 10, 2021 / 02:18 PM IST

RBI बना रहा, दिसंबर तक सरप्लस लिक्विडिटी में 5 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा कटौती की योजना

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दिसंबर 2021 तक सरप्लस लिक्विडिटी (अधिशेष तरलता) को 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक कटौती करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. हालांकि मॉनिटरी कमेटी ने दरों और ग्रोथ प्रोजेक्शन पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए फैसला लिया है. मॉनिटरी कमेटी का फैसला उधारकर्ताओं के लिए अच्छा है लेकिन लिक्विडिटी के विड्रॉल से बॉन्ड यील्ड पर दबाव पड़ेगा, जो अंततः लोन में भी पास हो सकता है. इसको लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की गई है.

क्या कहा गवर्नर शक्तिकांत दास ने?

लिक्विडिटी नॉर्मलाइजेशन रोडमैप की घोषणा करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वर्तमान में सरप्लस लिक्विडिटी अक्टूबर में अब तक औसतन 9.5 लाख करोड़ रुपये है. RBI की योजना सरप्लस लिक्विडिटी को कम करने की है ताकि रिवर्स रेपो ऑपरेशन के तहत बैंकों से उसकी उधारी दिसंबर 2021 तक घटकर 2-3 लाख करोड़ रुपये हो जाए. यह वर्तमान (current) में लगभग 8.8 लाख करोड़ रुपये है. दास ने अपने संबोधन में लिक्विडिटी को कम नहीं करने के पीछे के तर्क को समझाते हुए कहा, ‘हम जल्दबाजी नहीं चाहते. हम नाव को हिलाना नहीं चाहते हैं क्योंकि हमें किनारे तक पहुंचना है, जो अब दिखाई दे रहा है.

4% पर बनाए रखा RBI ने रेपो रेट

मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) ने रेपो रेट को 4% पर यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में 5:1 रेश्यो में वोट किया. RBI ने रिवर्स रेपो रेट को 3.35% पर बनाए रखने का भी फैसला किया. वहीं चालू वित्त वर्ष (current financial year) के लिए, RBI ने रियल GDP ग्रोथ के अपने अनुमान को 9.5% पर बरकरार रखा. RBI ने अपने FY22 के रिटेल इन्फ्लेशन प्रोजेक्शन को 5.3% से घटाकर 5.7% कर दिया. उन्होंने कहा कि इन्फ्लेशन ट्रैजेक्टरी अपेक्षा से अधिक अनुकूल हो गई है. उन्होंने बाजारों को फिर से आश्वासन दिया कि ग्रोथ के लिए लिक्विडिटी उपलब्ध रहेगी और रिवर्स रेपो के माध्यम से अवशोषण होगा जहां भागीदारी स्वैच्छिक है.

रिवर्स रेपो के तहत सरप्लस में और वृद्धि

उन्होंने संकेत दिया कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज एक्वीजीशन प्रोग्राम (G-SAP) की और आवश्यकता नहीं है. इसके माध्यम से RBI सरकारी बॉन्ड खरीदकर लिक्विडिटी को इंजेक्ट करता था. दास ने कहा RBI ने भारत में तेजी से रिकवरी के लिए महामारी की शुरुआत के बाद से पर्याप्त अधिशेष तरलता (surplus liquidity) बनाए रखी है. सितंबर के दौरान रिवर्स रेपो के तहत अधिशेष (surplus) में और वृद्धि हुई है. इस वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान G-SAP सहित इंजेक्ट की गई कुल तरलता 2.7 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पूरे वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान 3.1 लाख करोड़ रुपये की तरलता इंजेक्ट की गई है.

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