नेक्सो ने दुनिया का पहला क्रिप्टो-समर्थित भुगतान कार्ड “नेक्सो कार्ड” लॉन्च किया
लंदन स्थित क्रिप्टोकरेंसी ऋणदाता, नेक्सो (Nexo) ने दुनिया का पहला “क्रिप्टो-समर्थित (crypto-backed)” भुगतान कार्ड लॉन्च करने के लिए वैश्विक भुगतान कंपनी मास्टरकार्ड के साथ हाथ मिलाया है। क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख इलेक्ट्रॉनिक मनी फर्म DiPocket नेक्सो की कार्ड जारीकर्ता है। कार्ड को न्यूनतम भुगतान, मासिक या निष्क्रियता शुल्क की आवश्यकता नहीं है। प्रति माह 20,000 यूरो तक के लिए कोई एफएक्स शुल्क नहीं है। उन ग्राहकों के लिए ब्याज 0% पर क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख रहता है जो 20% या उससे कम के लोन-टू-वैल्यू रेश्यो को बनाए रखते हैं।
क्रिप्टो और मौजूदा वित्तीय नेटवर्क का यह कदम डिजिटल संपत्ति को अधिक मुख्यधारा बनने के लिए मजबूर करता है। प्रारंभ में, कार्ड चयनित यूरोपीय देशों में उपलब्ध होगा। कोई ग्राहक ओपन क्रेडिट लाइन से कितना खर्च या निकासी कर सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है और ब्याज का भुगतान केवल वास्तव में उपयोग की गई क्रेडिट की राशि पर किया जाता है।
किसने खाया 40 अरब का पिज़्ज़ा? जानिये बिटकॉइन पिज़्ज़ा की अनोखी कहानी
पिज़्ज़ा फ़ास्ट फ़ूड (pizza fast food) का एक ऐसा प्रकार है जिसका नाम लेते ही क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख मुँह में पानी आ जाता है। बच्चे, बढे, बूढ़े सभी की सबसे पसंदीदा डिश पिज़्ज़ा (pizza) माना जाता है। कभी किसी दोस्त की पार्टी में तो कभी ख़ुशी के मौकों पर पिज़्ज़ा हमारा मोस्ट प्रिफर्ड ऑप्शन होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की दुनिया का सबसे महंगा पिज़्ज़ा कितना महंगा हो सकता है?
इंसान की भूख उससे कुछ भी करवा सकती है यह तो सभी जानते है लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा की एक ऐसा अमेरिकी भी है जो अपनी पिज़्ज़ा की भूख मिटाने के लिए 40 अरब रुपये तक खर्च कर चुका है।
अमेरिका के फ्लोरिडा (Florida of America) में रह रहे एक व्यक्ति को अपनी पिज़्ज़ा (pizza) की भूख मिटने के लिए 40 अरब रूपए से भी ज्यादा का भुगतान क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख करना पड़ा। जी हाँ, ना तो ये कोई मज़ाक है और न ही हाल ही में बढ़ती महंगाई पर तंज, ये कहानी है दुनिया के सबसे महंगे पिज़्ज़ा की।
आज हम जानेंगे की आखिर क्यों पड़ा इस व्यक्ति को एक पिज़्ज़ा (pizza) क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख इतना महंगा और एक पिज़्ज़ा (pizza) के लिए कैसे चुकाई उन्होंने 40 अरब रूपए की भारी रकम।
अगर आप जानना चाहते हैं इस 40 अरब रूपए के पिज़्ज़ा की अनोखी कहानी तो बने रहिये अग्निबाण पर इस रोचक ब्लॉग श्रंखला में सिर्फ CoinGabbar के साथ।
पिज़्ज़ा और बिटकॉइन की अनोखी दास्ताँ
अरबों रूपए के पिज़्ज़ा की ये कहानी आज कल की नहीं है। इस को समझने के लिए आइये हम आपको लेकर चलते हैं 12 साल पहले के ज़माने में जब क्रिप्टोकरंसी बाजार में अपने वर्चस्व को स्थापित करने में लगी हुई थी।
2010 में बिटकॉइन अपने इस्तेमाल को बढ़ावा देने और और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लिए संघर्ष कर रहा था। उन्ही दिनों फ्लोरिडा के एक व्यक्ति ने साधारण जीवन में बिटकॉइन के इस्तेमाल का उदहारण पेश करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया।
लास्ज़लो हान्येक्ज़ नाम के इस व्यक्ति ने बिटकॉइन फोरम (bitcoin forum) पर क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख अपनी लिखी एक पोस्ट में एक पिज़्ज़ा डिलीवरी के बदले 10,000 बिटकॉइन देने का प्रस्ताव रख दिया।
उस समय बिटकॉइन की कीमत बहुत कम होने की वजह से लास्ज़लो को कई दिनों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली लेकिन उनके इस प्रस्ताव ने बिटकॉइन प्रेमियों के बीच इसकी बढ़ती संभावनाओं को और हवा देने का काम किया।
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कुछ ही दिनों बाद फ्लोरिडा में ही स्थित जेरेमी स्टर्डिवेंट इस प्रस्ताव को बिना किसी शर्त स्वीकार करने को राज़ी हो गए। जेरेमी ने तय किया की वह लास्ज़लो के घर उनकी पसंद के 2 पिज़्ज़ा डिलीवर करेंगे और उसके बदले में लास्ज़लो उन्हें 10,000 बिटकॉइन भेजेंगे।
यकीन मानिये, ऐसा हुआ भी। जेरेमी स्टर्डिवेंट ने 2 पिज़्ज़ा लास्ज़लो के घर पर डिलीवर करे और उसके बदले में 10,000 बिटकॉइन कमाए। यह क्षण बिटकॉइन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुआ और बिटकॉइन के पहले आर्थिक ट्रांसैक्शन के क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख तौर पर मशहूर हो गया।
किसने खाया 40 अरब का पिज़्ज़ा?
जिस समय लास्ज़लो हान्येक्ज़ ने बिटकॉइन फोरम के सामने यह प्रस्ताव रखा था तब ना तो लास्ज़लो को और ना ही जेरेमी को इस बात का अंदाजा था की आने वाले भविष्य में एक बिटकॉइन की कीमत कहाँ तक पहुँच सकती है। जिस समय 10,000 बिटकॉइन के बदले 2 पिज़्ज़ा क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख को जेरेमी द्वारा डिलीवर किये गए उस समय इन बिटकॉइन की कुल कीमत $41 से ज्यादा नहीं थी। हालाँकि इस ट्रांसैक्शन के कुछ ही सालों बाद बिटकॉइन की कीमतों ने तेज़ी से रफ़्तार पकड़ी।
बिटकॉइन की कीमतों में तेज़ी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की 2021 में अपने चरम पर ट्रेड कर रहे एक बिटकॉइन की कीमत 50 लाख रूपए तक पहुँच चुकी थी।
अगर लास्ज़लो अपने बिटकॉइन को पिज़्ज़ा पर खर्च ना करके 11 साल बाद उन्हें बेचते तो उन 10,000 बिटकॉइन की कीमत 2021 में 40 अरब रूपए से भी ज्यादा होती। लास्ज़लो ने खुद इस बात को स्वीकारा है की उन बिटकॉइन की बचत न कर पाने का उन्हें बेहद अफ़सोस है।
हालांकि उन्हें इस बात पर गर्व भी है की वो बिटकॉइन के सुनहरे इतिहास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके। 40 अरब के पिज़्ज़ा का ये किस्सा बिटकॉइन कम्युनिटी में बहुत मशहूर हुआ और लोगों ने इसका नाम बिटकॉइन पिज़्ज़ा रख दिया।
क्या है बिटकॉइन पिज़्ज़ा डे?
बिटकॉइन पिज़्ज़ा (bitcoin pizza) के बारे में तो आप जान ही चुके हैं लेकिन बिटकॉइन कम्युनिटी में इसकी लोकप्रियता बस एक किस्से तक ही सीमित नहीं। बिटकॉइन पिज़्ज़ा की ये कहानी लोगों के दिलों के इतने क़रीब है की हर साल बिटकॉइन कम्युनिटी, 22 मई को ‘बिटकॉइन पिज़्ज़ा डे’ (bitcoin pizza day) के तौर पर मनाती है।
22 मई के दिन ही जेरेमी ने लास्ज़लो के घर पर दो लज़ीज़ पिज़्ज़ा की डिलीवरी करी गयी थी और यह बात लास्ज़लो ने बिटकॉइन फोरम पर कमेंट कर दुनिया से साझा भी की थी।
बिटकॉइन से वास्तविक दुनिया में भी कुछ खरीदा जा सकता है यह बात सभी ने इस प्रसंग के बाद ही जानी और आज हाल ये है की बिटकॉइन इंटरनेट की नयी करंसी बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 40 अरब का यह पिज़्ज़ा दुनिया में बिटकॉइन लेन-देन की नींव बना और इसके साथ ही डिजिटल करंसी के नए युग की शुरुवात हुई।
क्यों खरीदें बिटकॉइन??
बिटकॉइन इंटरनेट (bitcoin internet) की करंसी के तौर पर मार्केट में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है और इसको लेकर लगाए जा रहे सारे अनुमान, बिटकॉइन के सकारात्मक और स्थिर भविष्य की और संकेत कर रहे हैं। वैश्विक महंगाई के चलते बिटकॉइन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है और यह गिरावट बिटकॉइन में निवेश के लिए एक बेहतरीन मौका साबित हो सकती है।
लेकिन अगर एक बिटकॉइन की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है तो इसमें निवेश तो आम लोगों के लिए शायद नामुमकिन होगा? यदि आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें की बिटकॉइन में निवेश के लिए आपको एक पूरा बिटकॉइन खरीदने की कोई ज़रुरत नहीं। आप 100 रूपए से भी शुरू कर अपनी इच्छानुसार बिटकॉइन में निवेश कर सकते हैं।
बिटकॉइन (bitcoin) में निवेश न सिर्फ आपको बेहतरीन रिटर्न्स दे सकता है बल्कि आपको भविष्य में होने वाले बदलावों से भी रूबरू करा सकता है। लेकिन सही निवेश के लिए ज़रूरी है बिटकॉइन और क्रिप्टो मार्केट की सही समझ। इसलिए जुड़िये भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो कम्युनिटी से सिर्फ Coin Gabbar पर और पाएं क्रिप्टो से जुड़ी सभी सबसे सटीक जानकारियाँ – सबसे पहले।
गरीबों की भूख मिटाने के लिए केरल के कलेक्टर का ऑपरेशन सुलेमानी
केरल के कोजिकोड जिले में कोई भूखा न रहे, इसके लिए वहां के कलेक्टर एन.प्रशांत नायर 'ऑपरेशन सुलेमानी' चला रहे हैं। यदि किसी के पास सुलेमानी कूपन है तो वह केरल के होटल-रेस्तरांओं में बिना पैसे दिए बेफिक्र खाना खा सकता है। दरअसल, 'सुलेमानी' दक्षिण भारत की एक मशहूर चाय का नाम है।
सुलेमानी नाम के बारे में प्रशांत बताते है कि हम अपनी स्कीम का किसी तरह का टिपिकल सरकारी नाम नहीं रखना चाहते थे। उनको सुलेमानी नाम कैची लगा। 'ऑपरेशन सुलेमानी' के जरिये प्रशांत नायर ने अपने तरीके से एक ऐसी मिसाल पेश की है कि मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सोशल नेटवर्क के साथ किस तरह आम लोगों के दुख-दर्द को इस तरह के सेटअप में साझा किया जा सकता है।
सिर्फ मुफ्त भोजन ही नहीं, एन.प्रशांत नायर समय-समय पर तरह-तरह के ऐसे लोकप्रिय प्रयोग करते रहते हैं, जिससे जुड़े आम लोगों को ही नहीं, प्रशासन और सरकार को भी एक झटके में फायदा मिल जाता है। मसलन, कभी सैकड़ों लोगों को बिरयानी खिलाकर झील की सफाई करा लेना तो कभी पेटिंग योजना अमल में लाकर पूरे शहर की दीवारे खूबसूरत चित्रकारी से सजा देना।
कलेक्टर खुद का एक फेसबुक पेज भी चलाते हैं, जहां वह अपने दो लाख से अधिक फॉलोवर्स से जुड़े हुए हैं। उनसे रोजाना बातचीत करते हैं। बेहतर सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में विचार-विमर्श करते हैं। उनके बेहतर सुझावों को तत्काल लागू कराने की कोशिश करते हैं। वह अपने से जुड़े हर फेसबुक यूजर की टिप्पणियों का समय से जवाब देते हैं। फेसबुक पर आम लोगों से हर बड़े मुद्दे पर वह यूजर्स की राय मांगते हैं। फिर उसे प्लानिंग के साथ अमल में ले आते हैं। बताया जाता है कि 'ऑपरेशन सुलेमानी' की दिशा भी इसी फ्रंट से सामने आई। सरकारी कार्यालयों और दुकानों पर स्वयंसेवक गरीबों को सुलेमानी कूपन वितरित करते रहते हैं।
एन.प्रशांत नायर की कोशिशों का ही प्रतिफल है कि आज उनके पूरे जिले में न कोई भूखा सोता है, न कोई भीख मांगने के लिए मजबूर है। हर सरकारी दफ्तर में बाहर से आने वाले भूखे लोगों को एक-एक कूपन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। जिसे भी भूख लगे, किसी भी नज़दीकी सरकारी दफ्तर से कूपन ले सकता है। इसमें जिले के होटल मालिक और युवा भरपूर सहयोग करते हैं। खाना खिलाने वाले होटल मालिक महीने के अंत में कलेक्टर कार्यालय में एक साथ सभी कूपन जमा कर प्रशासन के खाते से पूरा भुगतान ले लेते हैं।
गरीबों की भूख मिटाने के लिए केरल के कलेक्टर का ऑपरेशन सुलेमानी
केरल के कोजिकोड जिले में कोई भूखा न रहे, इसके लिए वहां के कलेक्टर एन.प्रशांत नायर 'ऑपरेशन सुलेमानी' चला रहे हैं। यदि किसी के पास सुलेमानी कूपन है तो वह केरल के होटल-रेस्तरांओं में बिना पैसे दिए बेफिक्र खाना खा सकता है। दरअसल, 'सुलेमानी' दक्षिण भारत की एक मशहूर चाय का नाम है।
सुलेमानी नाम के बारे में प्रशांत बताते है कि हम अपनी स्कीम का किसी तरह का टिपिकल सरकारी नाम नहीं रखना चाहते थे। उनको सुलेमानी नाम कैची लगा। 'ऑपरेशन सुलेमानी' के जरिये प्रशांत नायर ने अपने तरीके से एक ऐसी मिसाल पेश की है कि मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सोशल नेटवर्क के साथ किस तरह आम लोगों के क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख दुख-दर्द को इस तरह के सेटअप में साझा किया जा सकता है।
सिर्फ मुफ्त भोजन ही नहीं, एन.प्रशांत नायर समय-समय पर तरह-तरह के ऐसे लोकप्रिय प्रयोग करते रहते हैं, जिससे जुड़े आम लोगों को ही नहीं, प्रशासन और सरकार को भी एक झटके में फायदा मिल जाता है। मसलन, कभी सैकड़ों लोगों को बिरयानी खिलाकर झील की सफाई करा लेना तो कभी पेटिंग योजना अमल में लाकर पूरे शहर की दीवारे खूबसूरत चित्रकारी से सजा देना।
कलेक्टर खुद का एक फेसबुक पेज भी चलाते हैं, जहां वह अपने दो लाख से अधिक फॉलोवर्स से जुड़े हुए हैं। उनसे रोजाना बातचीत करते हैं। बेहतर सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में विचार-विमर्श करते हैं। उनके बेहतर सुझावों को तत्काल लागू कराने की कोशिश करते हैं। वह अपने से जुड़े हर फेसबुक यूजर की टिप्पणियों का समय से जवाब देते हैं। फेसबुक पर आम लोगों से हर बड़े मुद्दे पर वह यूजर्स की राय मांगते हैं। फिर उसे प्लानिंग के साथ अमल में ले आते हैं। बताया जाता है कि 'ऑपरेशन सुलेमानी' की दिशा भी इसी फ्रंट से सामने आई। सरकारी कार्यालयों और दुकानों पर स्वयंसेवक गरीबों को सुलेमानी कूपन वितरित करते रहते हैं।
एन.प्रशांत नायर की कोशिशों का ही प्रतिफल है कि आज उनके पूरे जिले में न कोई भूखा सोता है, न कोई भीख मांगने के लिए मजबूर है। हर सरकारी दफ्तर में बाहर से आने वाले भूखे लोगों को एक-एक कूपन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। जिसे भी भूख लगे, किसी भी नज़दीकी सरकारी दफ्तर से कूपन ले सकता है। इसमें जिले के होटल मालिक और युवा भरपूर सहयोग करते हैं। खाना खिलाने वाले होटल मालिक क्रिप्टो भुगतान के लिए भूख महीने के अंत में कलेक्टर कार्यालय में एक साथ सभी कूपन जमा कर प्रशासन के खाते से पूरा भुगतान ले लेते हैं।
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