Bombay Stock Exchange- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) क्या है?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) भारत का पहला और सबसे बड़ा सिक्योरिटी मार्केट है। इसकी स्थापना 1875 में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के रूप में हुई थी। मुंबई स्थित बीएसई में लगभग 6,000 कंपनियां सूचीबद्ध हैं और एनवाईएसई, नास्दक, लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप, जापान एक्सचेंज ग्रुप और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के साथ यह दुनिया के सबसे बड़े एक्सचेंजों में से एक है। निवेश पूंजी जुटाने के लिए भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए कारगर मंच उपलब्ध कराकर, भारतीय पूंजी बाजार के विकास में बीएसई की मुख्य भूमिका रही है।
बीएसई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली के लिए जाना जाता है, जो तेज और प्रभावी ट्रेड एक्सीक्यूशन उपलब्ध कराता है। बीएसई निवेशकों को इक्विटीज, करेंसीज, डेट इंस्ट्रूमेंट्स, डेरिवेटिव्स और म्युचुअल फंड्स में ट्रेड करने में सक्षम बनाता है। बीएसई रिस्क मैनेजमेंट, क्लीयरिंग, सेटलमेंट और निवेशक शिक्षा जैसी अन्य महत्वपूर्ण पूंजी बाजार ट्रेडिंग सेवाएं भी प्रदान करता है।
बीएसई किस प्रकार काम करता है?
1995 में, बीएसई ओपेन-फ्लोर से एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली में तब्दील हो गया। आज इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली का कुल मिला कर पूरी फाइनेंशियल इंडस्ट्री पर दबदबा है, जो कम गलतियों, त्वरित निष्पादन और पारंपरिक ओपन-आउटक्राई ट्रेडिंग प्रणालियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता है। बीएसई जो सिक्योरिटीज सूचीबद्ध करता है, उनमें स्टॉक्स, स्टॉक फ्यूचर्स, स्टॉक ऑप्शंस, इंडेक्स ऑप्शंस और वीकली ऑप्शंस शामिल हैं। बीएसई के समग्र प्रदर्शन की माप सेंसेक्स द्वारा की जाती है, जो 12 सेक्टरों को कवर करते हुए बीएसई का सबसे बड़ा और सर्वाधिक सक्रिय ट्रेडेड स्टॉक्स है। सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई और यह भारत का सबसे पुराना स्टॉक इंडेक्स है। इसे ‘बीएसई 30' भी कहा जाता है और यह इंडेक्स व्यापक रूप से भारत के पूरे मार्केट कंपोजिशन का प्रतिनिधित्व करता है।
दलाल स्ट्रीट पर स्थित
बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज मुंबई के उपनगर दलाल स्ट्रीट में स्थित है। 1850 के दशक में, स्टॉकब्रोकर मुंबई टाऊनहॉल के सामने एक बरगद के पेड़ के नीचे व्यवसाय का संचालन करते थे। कुछ दशकों तक विभिन्न बैठक स्थलों के बाद औपचारिक रूप से 1874 में दलाल स्ट्रीट का नेटिव स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन की जगह के रूप में चयन कर लिया गया।
शेयर बाजार में पैसे कमाने के 7 गोल्डेन टिप्स, देखते-देखते बन जाएंगे मालामाल
how to make money from stock market: शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां निवेशकों को लगता है कि रातोंरात कमाई की जा सकती है. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में ही शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. बावजूद इसके यह ध्यान रखना चाहिए कि इक्विटी में ट्रेडिंग हमेशा से आसान नहीं है. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. आइए जानते हैं 7 ऐसे गोल्डेन टिप्स, जिनका अगर ध्यान रखा जाए तो शेयर बाजार से जमकर कमाई की जा सकती है.
स्टेट बैंक ऑफ स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? इंडिया
समाप्ति तिमाही 30-09-2022 के लिए, बैंक द्वारा रिपोर्टेड संगठित ब्याज आय Rs 114782.48 करोड़ की है, 21.43 % ऊपर अंतिम तिमाही के ब्याज आय - Rs 94524.30 करोड़ से और 13.49 % ऊपर पिछले साल की इसी तिमाही के ब्याज आय - Rs 101143.25 करोड़ से| नवीनतम तिमाही में बैंक का Rs 14752.00 करोड़ का रिपोर्टेड टैक्स पश्चात शुद्ध मुनाफा है|
शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप वास्तव में उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदारी ले रहे होते हैं और कंपनी के शेयरधारक (शेयर होल्डर) बन जाते हैं. शेयर की कीमतों में हर पल उतार-चढ़ाव होता है.
स्टॉक मार्केट केवल शेयरों तक ही सीमित नहीं है इसमें कई और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट भी शामिल हैं . ये इंस्ट्रूमेंट एक बड़ा रिटर्न भी देते हैं . निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में पूंजी बनाने के लिए लगाते हैं . कुछ निवेशक लंबी अवधि ( लॉन्ग टर्म ) के लिए और कुछ छोटी अवधि ( शॉर्ट टर्म ) के लिए पैसा लगाते हैं . आमतौर पर लोगों को लगता हैं कि शेयर मार्केट में सिर्फ शेयरों का ही कारोबार होता है लेकिन ऐसा नहीं है . शेयरों के अलावा और भी कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट ( वित्तीय साधन ) हैं , जिनका शेयर मार्केट में कारोबार होता है . इस आर्टिकल ( लेख ) में हम उनके बारे में बात करेंगे .
शेयर शेयर , स्टॉक एक्सचेंज का सबसे पॉपुलर ( लोकप्रिय ) फाइनेंशियल प्रोडक्ट ( वित्तीय उत्पाद ) है . जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप वास्तव में उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदारी ले रहे होते हैं और कंपनी के शेयरधारक ( शेयर होल्डर ) बन जाते हैं . शेयर की कीमतों में हर पल उतार – चढ़ाव होता है . इस उतार – चढ़ाव से फायदा और नुकसान निर्धारित होता है .
डेरिवेटिव्स एक डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट है . डेरिवेटिव्स में निवेशक एक खास दिन और एक खास दर पर एसेट खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट ( अनुबंध ) करता है . इस एसेट में शेयर , करेंसी , कमोडिटी आदि शामिल हो सकते हैं . डेरिवेटिव्स को सोने ( गोल्ड ) और तेल ( ऑयल ) में निवेश के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है . मूल रूप से चार तरह के डेरिवेटिव्स होते हैं – फ्यूचर्स ( वायदा कारोबार ), ऑप्शंस , फॉरवर्ड्स और स्वैप . डेरिवेटिव ट्रेड के बारे में ज्यादा जानने के लिए 5paisa.com https://bit.ly/3RreGqO पर जाएं , जहां आपको डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए कई प्रोडक्ट मिलेंगे .
म्यूचुअल फंड (Mutual fund ) म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा जुटाकर विभिन्न एसेट में जैसे इक्विटी , मनी मार्केट , बॉन्ड और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स ( वित्तीय साधनों ) में पैसा लगाते हैं . इसमें आपके पोर्टफोलियो को फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है , जिनका काम निवेशकों को हाई रिटर्न दिलाना होता है . नए निवेशकों और शेयर मार्केट की कम जानकारी रखने वालों के लिए म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प ( ऑप्शन ) हो सकता है .
बॉन्ड (Bonds) सरकार या कंपनियां पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं . वास्तव में बांड खरीदकर आप एक तरह से इसे जारी करने वाले को उधार दे रहे होते हैं . जारीकर्ता आपको इस ऋण ( लोन ) के लिए ब्याज ( इंटरेस्ट ) का भुगतान करता है . बॉन्ड को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है क्योंकि वे निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर देते हैं . बॉन्ड को उनकी निश्चित आय ( फिक्स्ड इनकम ) की वजह से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज ( निश्चित आय प्रतिभूतियां ) भी कहा जाता है .
मुद्रा (Currency) करेंसी को करेंसी मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है जैसे फॉरेक्स मार्केट . करेंसी ट्रेडिंग में बैंक , कंपनियां , केंद्रीय बैंक ( जैसे भारत में आरबीआई बैंक ), इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म , ब्रोकर और सामान्य निवेशक शामिल होते हैं . करेंसी ट्रेडिंग में लेनदेन हमेशा जोड़ों में होता है . उदाहरण स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? के लिए , USD/INR रेट का मतलब है कि एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने में कितने रुपये लगेंगे . आप BSE, NSE, या MCX-SX जैसे एक्सचेंजों के जरिए करेंसी ट्रेड कर सकते हैं .
अडानी पावर Vs टाटा पावर: बंपर कमाई के लिए कौन सा स्टॉक है बेहतर और क्यों? चेक करें डिटेल
Adani Power vs Tata Power Stock: पावर स्टॉक में निवेश के लिए टाटा पावर और अडानी पावर के शेयरों को हमेशा से ही बेहतर माना जाता रहा है। अगर आप पावर स्टॉक में निवेश (Power stock) करने की सोच रहे हैं.
Adani Power vs Tata Power Stock: पावर स्टॉक में निवेश के लिए टाटा पावर और अडानी पावर के शेयरों को हमेशा से ही बेहतर माना जाता रहा है। अगर आप पावर स्टॉक में निवेश (Power stock) करने की सोच रहे हैं लेकिन टाटा पावर के शेयर और अडानी पावर के शेयर में कंफ्यूज्ड हैं तो आपके लिए यह खबर काम की हो सकती है। हम आपको दोनों कंपनी और शेयरों की तुलनात्मक डिटेल दे रहे हैं ताकि आपकी दुविधा कुछ हद तक कम सके।
अडानी पावर और टाटा पावर स्टॉक ही क्यों?
इस आधुनिक दुनिया में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बिजली बहुत महत्वपूर्ण है। चूंकि बिजली किसी देश के बुनियादी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए यह एक देश की जिम्मेदारी है कि वह सभी को सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे। फिर भी, देश अभी भी बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप अन्य देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति खपत कम है। उदाहरण के लिए, भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और बिजली का उत्पादक है। हालांकि, प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत के एक तिहाई से भी कम है। हालांकि, 2040 तक भारत में बिजली की मांग तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है। भारत थर्मल, हाइड्रो, सौर, पवन और परमाणु जैसे बिजली के विविध स्रोतों का घर है, फिर भी यह थर्मल स्रोतों से अपनी अधिकांश बिजली आवश्यकताओं को पूरा करता है। थर्मल पावर कैटेगरी में दो मशहूर प्राइवेट पलेयर, अडानी पावर और टाटा पावर हैं।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- बिजनेस
अडानी पावर, अडानी ग्रुप (Adani group) का हिस्सा है, जो भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट थर्मल पावर कंपनी है। भारत में यह कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने में अग्रणी है। कंपनी के पास बिजली बेचने के लिए कई अल्पकालिक स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? और स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) हैं। यह भारत में बिजली उत्पादन की कुल क्षमता का 6% है। यह रिनेबल एनर्जी सेक्टर में भी है और गुजरात में इसका एक सोलर प्लांट भी है। अब आते हैं टाटा पावर पर, टाटा पावर प्रतिष्ठित टाटा समूह (Tata group) का हिस्सा है और यह विविध विद्युत कंपनी है। कंपनी सोलर रूफटॉप्स, पंप्स, माइक्रोग्रिड्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्जिंग स्टेशनों जैसे कंज्यूमर-सेंट्रिक व्यवसायों में भी मौजूद है। जहां एक तरफ अडानी पावर पूरी तरह से थर्मल पावर जेनरेट करने में लगी है। वहीं, दूसरी तरफ टाटा पावर बिजली क्षेत्र की वैल्यू चेन में मौजूद है, उसके पास काफी नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो है।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- रेवेन्यू ग्रोथ
किसी व्यवसाय के विकास का पहला संकेतक उसका राजस्व है। Equitymaster रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी पावर का साल 2017-18 में रेवेन्यू ग्रोथ 8.9% था, 2018-19 में 25.0%, 2019-20 में 5.6% और 2020-2021 में रेवन्यू ग्रोथ 1.1% रहा। तो वहीं, टाटा पावर का 2017-18 में रेवेन्यू ग्रोथ 4.7%, 2018-19 में 12.1%, 2019-20 में 1.7% और 2020-21 में 11.2 फीसदी रहा। टाटा पावर का राजस्व पिछले पांच वर्षों में अडानी पावर के 4.1 फीसदी के मुकाबले 3.1 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। वहीं, पिछले पांच वर्षों में अडानी पावर का वॉल्यूम 0.3% गिर गया, जबकि टाटा पावर का 2.3% (CAGR) गिर गया। स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? वित्त वर्ष 2021 में अडानी पावर का एबिटडा मार्जिन टाटा पावर के 23.8% के मुकाबले 40.4% था। अडानी पावर के लिए, मार्जिन में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि टाटा पावर ने अपने एबिटडा मार्जिन को 23%-24% की सीमा में बनाए रखा। कम लॉजिस्टिक्स लागत और प्लांट लेवल पर लागत-कटौती पहल के कारण अडानी पावर का एबिटडा मार्जिन अधिक है।
अडानी पावर Vs टाटा पावर- बिजली उत्पादन क्षमता
अडानी पावर की भारत में छह बिजली प्लांट्स में कुल 12,410 मेगावाट की स्थापित कैपासिटी है। इसका गुजरात में 40MW की क्षमता वाला एक सोलर एनर्जी प्लांट भी है। कंपनी अपने सभी प्लांट में 7,000 मेगावाट कैपासिटी एड कर रही है, जिसमें बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति के लिए झारखंड में 1,600 मेगावाट की एक परियोजना भी शामिल है।
पावर सेक्टर का फ्यूचर
हालांकि, भारत बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत से काफी कम है। इस सेक्टर में ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। यह सरकार की पहल जैसे 'सभी के लिए बिजली', बढ़ती जनसंख्या और भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के सरकार के उद्देश्य के साथ मिलकर इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगा। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, अडानी पावर नए और मौजूदा प्लांट्स में अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
दूसरी ओर, टाटा पावर अक्षय ऊर्जा में प्रवेश कर रहा है और अपने नवीकरणीय ऊर्जा स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है? पोर्टफोलियो को आक्रामक रूप से बढ़ा रहा है। कंपनी ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सौर इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी) और ईवी चार्जिंग स्टेशनों में भी कदम रखा है। टाटा पावर 3,532 किमी के ट्रांसमिशन नेटवर्क और पूरे भारत में चार लाख सर्किट किमी से अधिक के वितरण नेटवर्क का प्रबंधन भी करता है।
शेयरों की कीमत स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है?
अडानी पावर के शेयर वर्तमान में एनएसई पर 123.35 रुपये पर हैं तो टाटा पावर के शेयर 223 रुपये प्रति स्तर पर है।
कौन है बेहतर
टाटा पावर की तुलना में अदानी पावर की राजस्व वृद्धि और परिचालन मार्जिन अधिक है, जो परिचालन दक्षता को दर्शाता है। आर्थिक मंदी के दौरान भी, कंपनी के वॉल्यूम पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। टाटा पावर, शुद्ध लाभ मार्जिन और उच्च रिटर्न अनुपात के मामले में आगे है। इसमें अडानी पावर की तुलना में कम लीवरेज है, जो एक मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल का संकेत देता है। कंपनी के पास सकारात्मक मुक्त कैश प्रवाह भी है और उसने पिछले 20 वर्षों से अपने शेयरधारकों को लगातार लाभांश का भुगतान किया है। जबकि दोनों कंपनियां अपनी-अपनी श्रेणियों में प्रमुख खिलाड़ी हैं, किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले, दोनों कंपनियों के मूल सिद्धांतों और मूल्यांकन की जांच करें। साथ ही एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 730