वित्त मंत्री के बयान पर आप सांसद बोले – ऐसे ज्ञानियों से छुट्टी लेलो भाई, यूजर्स ने दिए ऐसे जवाब
वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो सोर्स: @SANDHUTARANJITS)
अमेरिका दौरे पर गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉलर के मुकाबले रूपये की गिरती कीमत पर बयान दिया, जिस पर विपक्ष के नेताओं ने जमकर वित्त मंत्री की खिंचाई की। सोशल मीडिया पर निर्मला सीतारमण के इस बयान की खूब चर्चा हुई। अब आप नेता और राज्यसभा सांसद ने भी वित्त मंत्री के बयान का जिक्र कर तंज कसा है।
संजय सिंह ने निर्मला सीतारमण पर कसा तंज
एक सभा को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा है कि मोदी जी से चार गुना आगे वित्त मंत्री जी निकल गई हैं। रूपये की गिरवाट पर उन्होंने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। मतलब वो कह रही हैं कि पेट्रोल महंगा नहीं हुआ, डीजल महंगा नहीं है, दवाई महंगी नहीं हुई है। उन्होंने तो बस महंगाई बढ़ाई है। अगर आप महंगाई नहीं झेल पा रहे हैं तो ये आपकी कमी है।
“हम रो नहीं रहे बल्कि आंसू रोकने की क्षमता कम ही गई है”
संजय सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री का ये ज्ञान सुनकर हमने कहा कि हां, वित्त मंत्री जी, हम रो भी नहीं रहे हैं बस हमारे अन्दर आंसू रोकने की क्षमता कम हो गई है। संजय सिंह ने कहा कि ऐसे ज्ञानियों से छुट्टी ले लो मेरे भाई, इन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है। संजय सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
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@sa_123456_as यूजर ने लिखा कि भ्रष्टाचार नहीं बढ़ा है। केवल रिश्वत लेने वालों की जनसंख्या बढ़ी है। दिल्ली और पंजाब में डीजल-पेट्रोल से राज्य सरकार अगर अपना कर हटा दे तो खुद 20/25 रुपया सस्ता हो जाएगा। @nirdesh_samant यूजर ने लिखा कि पूरा विश्व मंदी की तरफ जा रहा है, कुछ देशों में मुद्रास्फीति दर 50-60% है। @Parveen03178391 यूजर ने लिखा कि अगर उत्तर प्रदेश में बाजरा ₹18 किलो है और वही बाजरा दिल्ली में ₹30 किलो बिकता है तो बताओ कौन चोर है?
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर हैं। इसी दैरान वह वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुपये में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर निरंतर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की गिरावट को थामने के लिए सबसे अच्छे उपाय कर रहा है।
अमेरिकी डॉलर को अब टक्कर देगी भारतीय मुद्रा, PM Modi ने बनाया मास्टर प्लान..
न्यूज डेस्क: मौजूदा समय में भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले काफी सस्ती है। इसको लेकर देश में तमाम तरह की बातें किए जा रहे हैं। लोग काफी निराश भी हैं। वहीं अब मोदी सरकार की ओर से भारतीय करेंसी को मजबूती प्रदान करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड का निर्णय लिया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, अब मोदी सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर फैसला ले लिया है और भारत भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए भारत लगातार कुछ देशों से बात भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपए में कारोबार करने पर भी सहमति जताई है।
श्रीलंका है राजी
वहीं, भारत उन देशों की तलाश कर रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है। इसी क्रम में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
इंडियन करेंसी का उपयोग
श्रीलंकाई बैंकों ने कथित तौर पर भारतीय रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते या एसवीआरए नामक विशेष रुपया व्यापार खाते खोले हैं। इससे श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं। वहीं भारत के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है और भारत के इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नजर जरूर पड़ सकती है।
भारत अवसर की तालाश में
इसके अलावा रूस उन देशों की सूची में भी शामिल हो सकता है जो आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करेंगे। इसके अलावा भारत ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान समेत कई अन्य देशों में भी रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है। दूसरी ओर रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से उम्मीद की जा रही है कि भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी।
'2022 में सोने में रोलर-कोस्टर राइड से ज्यादा उतार-चढ़ाव रहे'
चेन्नई (आईएएनएस)| उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2022 में सोने के बाजार की तुलना में रोलर-कोस्टर की सवारी में कम उतार-चढ़ाव रहे होंगे। नवनीत दमानी, सीनियर वीपी, करेंसी एंड कमोडिटी, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा- 2022 के वर्ष में सर्राफा बाजार की तुलना में रोलर-कोस्टर की सवारी में कम उतार-चढ़ाव थे। सोना और चांदी दोनों धातुओं ने बाजार सहभागियों को बढ़त पर बनाए रखा।
दमानी के अनुसार, कॉमेक्स गोल्ड ने लगभग 1,935 डॉलर का उच्च और लगभग 1,630 डॉलर का निचला स्तर बनाया, जबकि चांदी ने लगभग 25 डॉलर का उच्च डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? और लगभग 18 डॉलर का निचला स्तर बनाया। कुछ कारक हैं जो बाजार में अस्थिरता को ट्रिगर करते हैं जैसे, डॉलर इंडेक्स, प्रमुख केंद्रीय बैंकों से आक्रामक मौद्रिक नीति रुख, मुद्रास्फीति की बढ़ती चिंता, भू-राजनीतिक तनाव, जिसके कारण यह अस्थिरता हुई।
उनके साथ चिराग मेहता, सीआईओ और गजल जैन, फंड मैनेजर वैकल्पिक निवेश, क्वांटम एएमसी ने एक रिपोर्ट में कहा: रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न जोखिम से बचने के कारण मार्च में सोने की कीमतें लगभग 2,070 डॉलर के डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। लेकिन बाद में, जैसे-जैसे भू-राजनीतिक जोखिम प्रीमियम कम होता गया, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आकाश-उच्च मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए कड़ी होड़ के साथ, कीमतों को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा रेपो दर में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए, दो विशेषज्ञों ने कहा कि इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप जोखिम भरी संपत्तियों से अमेरिकी डॉलर में धन बढ़ा क्योंकि वास्तविक ब्याज दरें (यूएस 10वाई ट्रेजरी इन्फ्लेशन प्रोटेक्टेड सिक्योरिटीज द्वारा इंगित किया गया) मई 2022 में दो वर्षों में पहली बार सकारात्मक हुई।
क्वांटम एएमसी रिपोर्ट ने कहा- इससे सोने में बिकवाली हुई और कीमतें ढाई साल के निचले स्तर 1,614 डॉलर पर आ गईं। हालांकि, जैसे-जैसे मुद्रास्फीति 2022 की चौथी तिमाही में क्रमिक रूप से कम होने लगी, निवेशकों ने 2023 में कम आक्रामक फेड की उम्मीद करना शुरू कर दिया, और डॉलर के दबाव में आने से सोने की कीमतों को वापस बढ़ने में मदद मिली।
क्वांटम एएमसी के अधिकारियों ने कहा- 2023 में कदम रखते हुए, हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि यह प्रतिक्रिया उचित है या नहीं, यह देखते हुए कि अमेरिका में मुद्रास्फीति फेड के 2 प्रतिशत लक्ष्य से काफी ऊपर है, जबकि दर वृद्धि की गति धीमी हो सकती है, लेकिन धीमी गति का मतलब कम दरों का मतलब नहीं है, जिसकी बाजार ने आशंका शुरू कर दी थी।
क्वांटम एएमसी रिपोर्ट के अनुसार, यूएस फेड द्वारा 2023 की पहली छमाही में 50-75 आधार अंकों की और बढ़ोतरी की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप जोखिम वाली संपत्तियों और सोने दोनों में अस्थिरता का दौर हो सकता है क्योंकि लड़खड़ाती मुद्रास्फीति और उच्च नाममात्र दरों के वातावरण में वास्तविक दरों में वृद्धि होती है। दमानी ने कहा कि सोने की घरेलू कहानी काफी अलग है, क्योंकि इस तरह की बड़ी घटनाओं के बाद भी एमसीएक्स पर बहुत अच्छा नहीं था, रुपये में तेज गिरावट जैसे कारकों के साथ-साथ सोने पर बुनियादी सीमा शुल्क में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
उन्होंने कहा कि 2022 ने निश्चित रूप से सोने और चांदी के रूप में बाजार सहभागियों के विश्वास को बढ़ावा दिया है। रूस-यूक्रेन तनाव, मुद्रास्फीति की चिंता और चीन में कोविड के डर के साथ-साथ बाजार सहभागियों को अगले साल धीमी वैश्विक वृद्धि का बोझ भी उठाना होगा। आगे बढ़ते हुए, बाजार सहभागी प्रमुख केंद्रीय बैंकरों से मौद्रिक नीति के रुख पर ध्यान केंद्रित करेंगे। डॉलर इंडेक्स और यील्ड में बदलाव पर भी बाजार की नजर रहेगी। सोने/चांदी का अनुपात भी लगभग 97 के हाल के शिखर से गिरकर लगभग 75 हो गया है, जिससे चांदी की चाल को समर्थन मिला है साथ ही सेफ हेवन दांव के अलावा, हरित प्रौद्योगिकी में प्रगति और औद्योगिक मांग में वृद्धि डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? से चांदी की कीमतों को समर्थन मिल सकता है।
उनके अनुसार, सोने और चांदी में थकावट (गिरावट) के कुछ संकेत दिख रहे हैं और किसी भी मध्यम से लंबी अवधि के निवेशक के लिए सोने में 58,000 रुपये और चांदी में 73,000 रुपये के बाद 82,000 रुपये के लक्ष्य के लिए खरीदारी के अवसर के रूप में गिरावट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
रूस और चीन देखते रह गए लेकिन भारत ने कर दिखाया, वैश्विक हुआ ‘भारतीय रुपया’
अमेरिकी डॉलर का अस्थि विसर्जन तय हो गया है. मोदी सरकार ने भारतीय रुपये को इंटरनेशल करेंसी बनाने की ऐसी पहल शुरू की है, जिसके बारे में जानकर आप गर्व करेंगे.
India-Sri Lanka Rupee trade: रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक ओर तो रूस के मजबूत पक्ष को दुनिया के सामने लाया लेकिन दूसरी ओर कथित वैश्विक शक्ति अमेरिका के खोखलेपन को उजागर भी कर दिया। इस युद्ध के शुरू होने के बाद से ही अमेरिका के अच्छे दिन खत्म हो गए। वैश्विक स्तर पर अमेरिका के वर्चस्व में सेंध लग गई। कई देशों ने अमेरिकी डॉलर के मकड़जाल से स्वयं को आजाद करने हेतु कदम भी बढ़ा दिए। भारत भी उन्हीं में से एक रहा। युद्ध के शुरुआती दिनों में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि रूसी ‘रूबल’ और चीनी ‘युआन’, डॉलर का विकल्प बन सकते हैं लेकिन अभी ये दोनों देश सोच ही रहे थे कि भारत ने इस क्षेत्र में पहली सफलता भी हासिल कर ली है।
India-Sri Lanka Rupee trade – श्रीलंका ने किया भारत से आग्रह
दरअसल, दुनिया के तमाम देश जैसे ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्समबर्ग, सूडान, जिम्बाब्वे, जिबूती, मलावी, इथियोपिया, श्रीलंका, मॉरिशस, सऊदी अरब आदि भारत के साथ रुपये में व्यापार करने हेतु बातचीत कर रहे थे लेकिन इस कड़ी में श्रीलंका (India-Sri Lanka Rupee trade) ने सबसे पहले बाजी मार ली है। WION की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की कमी से जूझ रहे श्रीलंका ने अपने यहां स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट शुरू किया है। इस तरह के अकाउंट्स को वोस्त्रो अकाउंट (Vostro Accounts) भी कहा जाता है। इस अकाउंट को खोलने के बाद श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने भारत के रिजर्व बैंक (RBI) से आग्रह किया है कि वह श्रीलंका में इंडियन रुपये (Indian Rupee) को विदेशी करेंसी के रूप में मान्यता दे।
ध्यान देने योग्य है कि श्रीलंका में अभी तक सारी चीजें या तो श्रीलंकन रुपी या डॉलर में हो रही थी लेकिन अब श्रीलंका ने स्वयं डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? भारत से इंडियन रुपये को विदेशी करेंसी की मान्यता देने की मांग की है। इसका दूसरा मतलब ये है कि भारत और श्रीलंका के कारोबारी और आम नागरिक, अमेरिकी डॉलर (US Dollars) के बजाय आसानी से भारतीय रुपये (Indian Rupee) में व्यापार और खरीदारी कर सकेंगे। ज्ञात हो कि RBI अब तक 18 वोस्त्रो अकाउंट्स खोल चुका है। जिनमें भारत ने रुस में 12 खाते खोले हैं, श्रीलंका में 5 और मॉरीशस में 1 अकाउंट खोला है। उम्मीद जताई जा रही है कि जिन देशों ने भी रुपये में व्यापार करने की डिमांड की है, वहां RBI अपने वोस्त्रो अकाउंट्स खोल सकता है। यानी यह स्पष्ट है कि भारतीय रूपया, अब अमेरिकी डॉलर का विकल्प बनने की ओर तेजी से बढ़ चला है।
डॉलर का अस्थि विसर्जन तय है
आपको बताते चलें कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है और इस मुश्किल दौर में भारत ने एक जिम्मेदार पड़ोसी देश होने के नाते श्रीलंका की खूब सहायता की है। डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? दूसरी ओर श्रीलंका, विदेशी मुद्रा की कमी का सामना कर रहा है और ऐसे में उसने फिर से भारत का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, RBI के द्वारा हरी झंडी मिलते ही श्रीलंका विदेशी करेंसी के विकल्प के तौर पर भारतीय करेंसी का इस्तेमाल भी कर सकेगा।
अभी तक भारतीय रुपये के ग्लोबल होने की केवल बातें ही सामने आ रही थी लेकिन अब इसकी शुरुआत भी हो गई है। इसके अलावा विश्व में भारत के बढ़ते वर्चस्व को भी नकारा नहीं जा सकता है। अभी के समय में तमाम वैश्विक देश भारत के हिसाब से अपनी रणनीति तय करते हुए दिख रहे हैं। दूसरी ओर चीन पर किसी को भरोसा है नहीं, अमेरिका को कोई पूछ नहीं रहा, सब उसके मकड़जाल से निकले के प्रयास में ही जुटे हुए हैं। ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब भारतीय रूपया वैश्विक बाजार में अमेरिकी डॉलर का अस्थि विसर्जन कर देगा।
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अमेरिकी डॉलर को अब टक्कर देगी भारतीय मुद्रा, PM Modi ने बनाया मास्टर प्लान..
न्यूज डेस्क: मौजूदा समय में भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले काफी सस्ती है। इसको लेकर देश में तमाम तरह की बातें किए जा रहे हैं। लोग काफी निराश भी हैं। वहीं अब मोदी सरकार की ओर से भारतीय करेंसी को मजबूती प्रदान करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड का निर्णय लिया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, अब मोदी सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर फैसला ले लिया है और भारत भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए भारत लगातार कुछ देशों से बात भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपए में कारोबार करने पर भी सहमति जताई है।
श्रीलंका है राजी
वहीं, भारत उन देशों की तलाश कर रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है। इसी क्रम में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
इंडियन करेंसी का उपयोग
श्रीलंकाई बैंकों ने कथित तौर पर भारतीय रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो रुपया खाते या एसवीआरए नामक विशेष रुपया व्यापार खाते खोले हैं। इससे श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं। वहीं भारत के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है और भारत के इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नजर जरूर पड़ सकती है।
भारत अवसर की तालाश में
इसके अलावा रूस उन देशों की सूची में भी शामिल हो सकता है जो आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करेंगे। इसके अलावा भारत ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान समेत कई अन्य देशों में भी रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है। दूसरी ओर रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से उम्मीद की जा रही है कि भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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