इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 77.55 के स्तर पर बंद हुआ. यह ऑल टाइम लो स्तर है. इस गिरावट का कारण महंगाई संबंधी चिंताओं का बढ़ना तथा डॉलर का मजबूत होना है. साप्ताहिक आधार पर रुपए में 65 पैसे की भारी गिरावट आई. ट्रेड और करेंट अकाउंट डेफिसिट में उछाल, विदेशी निवेशकों के आउटफ्लो, डॉलर में विदेशी मुद्रा समय क्या है? मजबूती तीन ऐसे फैक्टर हैं जिसके कारण इस साल रुपए में 4 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.

कमजोर रुपए और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से महंगाई में और आएगा उछाल, जानिए देश की इकोनॉमी और जनता पर कैसे होगा असर

विदेशी मुद्रा समय क्या है?

ड्यूटी के लिए वैल्यूएशन डी.-की

राशि का रूपांतरण विदेशी मुद्राओं में व्यक्त किया.

प्र.20. (1) एक उपकरण की तुलना में अन्य किसी भी मुद्रा में व्यक्त कोई पैसा के संबंध में यथामूल्य शुल्क के साथ प्रभार्य कहां है 1 [भारत], इस तरह के शुल्क की मुद्रा में इस तरह के पैसे के मूल्य पर गणना की जाएगी 1 अनुसार [भारत] साधन की तारीख के दिन पर विनिमय की मौजूदा दर को.

(2) केन्द्रीय सरकार, समय - समय पर सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा की मुद्रा में अंग्रेजों के रूपांतरण या किसी भी विदेशी मुद्रा के लिए विदेशी मुद्रा की दर लिख सकते हैं 1 , स्टांप शुल्क की गणना के प्रयोजनों के लिए [भारत] और इस तरह विदेशी मुद्रा समय क्या है? दर उपधारा के प्रयोजनों के लिए वर्तमान दर होना समझा जाएगा (1).

1 भारतीय स्टाम्प (संशोधन) अधिनियम, 1955 से प्रभावी द्वारा "अमेरिका" के लिए एवजी 1956/01/04.

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है.

वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड तेजी से गिर रहा है. भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वह वर्ष 2003 से इसका डाटा एकत्र कर रहा है और यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इस साल वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी की गिरावट के साथ 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. गिरावट विदेशी मुद्रा समय क्या है? का सबसे बड़ा कारण डॉलर का येन और यूरो जैसी मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच जाना है. डॉलर की तेजी ने सभी देशों के केंद्रीय बैंक को दबाव में ला दिया है.

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उदाहरण के तौर पर भारत का ही विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है. भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान संपत्ति के मूल्यांकन में 67 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड स्तर पर था. भारतीय केंद्रीय बैंक को रुपये की गिरावट रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा.

इसी तरह 1998 के बाद पहली बार जापान ने 20 बिलियन डॉलर खर्च विदेशी मुद्रा समय क्या है? कर येन को संभाला. इससे उसके रिजर्व का लगभग 19 प्रतिशत तक कम हुआ. चेक गणराज्य का भी फरवरी से अब तक 19 प्रतिशत रिजर्व कम हुआ है. आमतौर पर सभी देशों के केंद्रीय बैंक विदेशी पूंजी आने पर डॉलर खरीदते हैं और खराब समय आने पर इसे कम कर अपनी मुद्रा को ताकत देते हैं, मगर इस बार मामला गंभीर दिख रहा है.

डच बैंक एजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकार एलन रस्किन ने बताया कि एशिया के कुछ देशों के पास अभी भी विदेशी मुद्रा भंडार काफी है. वह अपनी मुद्रा की गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर सकते हैं. भारत के पास अभी भी वर्ष 2017 की तुलना में 49 प्रतिशत ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है और यह नौ महीने के आयात के भुगतान विदेशी मुद्रा समय क्या है? के लिए पर्याप्त है. शुक्रवार को इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन और थाइलैंड अपने नवीनतम विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करेंगे. हालांकि, अन्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार जल्द समाप्त हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 42 फीसदी की गिरावट के बाद पाकिस्तान का 14 अरब डॉलर का भंडार तीन महीने के आयात को भी कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, इस बार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर पर आया

पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 अरब डॉलर से गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. पिछले हफ्ते की गिरावट क . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 17, 2022, 08:41 IST
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है.
इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

मुंबई. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है. विदेशी मुद्रा भंडार नौ सितंबर को समाप्त सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.94 अरब डॉलर घटकर 553.10 अरब डॉलर रहा था. पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट, जानिए कितना बचा है देश के पास रिजर्व

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Published on: August 20, 2022 16:32 IST

भारत के विदेशी मुद्रा. - India TV Hindi

Photo:INDIA TV भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट

Indian Foreign Reserves: एक बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) में कमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2.7 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया है। इससे पहले 29 जुलाई को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था।

क्या कहता है आरबीआई?

विदेशी मुद्रा भंडार घटने के पीछे विश्व में आर्थिक मंदी आने के संकेत भी है। भारतीय रिजर्व बैंक इसे कंट्रोल करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। उसके हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।

आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 विदेशी मुद्रा समय क्या है? प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए।

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