अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है

शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे चढ़ा

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 79.66 पर खुला और फिर शुरुआती सौदों में बढ़त दर्ज करते हुए 79.61 के स्तर पर आ गया। इस तरह स्थानीय इकाई ने पिछले बंद भाव के मुकाबले आठ पैसे की बढ़त दर्ज की। रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 26 पैसे की गिरावट के साथ 79.69 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.72 प्रतिशत गिरकर 108.92 पर आ गया। इसके अलावा यूरोप के केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के मद्देनजर अपनी प्रमुख ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की है। वहीं, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.22 प्रतिशत बढ़कर 89.35 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।

शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को शुद्ध रूप से 2,913.09 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

अमरीकी डालर के व्यापार

धन महोत्सव

भारत-अमेरिका व्यापार: दोनों देशों ने 2021-22 में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया

  • Post author: धन महोत्सव
  • Post category: बिजनेस
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भारत-अमेरिका व्यापार (India-US Trade) : भारतीय तकनीकी उद्योग ने 1.6 मिलियन नौकरियों का योगदान देकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के तहत, दोनों देशों ने 2021 में 100 अरब डॉलर के व्यापार का आंकड़ा पार किया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार (goods trade) की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को नई दिल्ली में इंडिया-यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में कहा कि कैसे भारतीय तकनीकी उद्योग ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

दोनों अर्थव्यवस्थाएं ने मिलकर भारत में चल रहे वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारत-अमेरिकी व्यापार और आर्थिक अवसर कार्यक्रम में एक साथ आकर कई पहल की हैं।

इंडिया यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में सत्र को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, “भारतीय तकनीकी उद्योग ने सीधे और अमेरिकी ग्राहक आधार का समर्थन करके, लगभग 1.6 मिलियन नौकरियों का समर्थन किया है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों ने दोनों देशों के व्यापार में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

इसके साथ ही पिछले एक दशक में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। रक्षा व्यापार या माल व्यापार के मामले में, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से घातीय वृद्धि देखी है।

सीतारमण ने कहा, “हमारे गहरे होते आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों का एक प्रमाण यह है कि दोनों देशों के बीच माल में द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।”

वित्त मंत्री ने भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह में अमेरिका के योगदान को भी स्वीकार किया।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में डेटा जारी किया है, जिससे पता चलता है कि 2021-22 में अमेरिका ने चीन को झटका देकर भारत को शीर्ष व्यापारिक भागीदार बना दिया है।

अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 80.51 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले 119.42 बिलियन अमरीकी डालर (2021-2022) तक पहुँच गया।

अमेरिका को निर्यात भी पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 2021-22 में 76.11 बिलियन अमरीकी डालर हो गया, जबकि आयात 2020-21 में लगभग 29 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में बढ़कर 43.31 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

China नहीं,अब USA भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार- पर ड्रैगन से चिंता बढ़ी

China के साथ Import और Export की रकम में जो अंतर 44 बिलियन डॉलर का था वह बढ़कर 72.91 बिलियन डॉलर हो चुका है.

China नहीं,अब USA भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार- पर ड्रैगन से चिंता बढ़ी

पिछले कुछ समय में भारत की विदेश व्यापार नीति में आए बदलाव का असर अब दिखने लगा है. लंबे समय से जो चीन (China) भारत (India) का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार हुआ करता था, उसे जब अमेरिका (America) ने पछाड़ दिया है.

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार 119.42 बिलियन डॉलर का रहा, जबकि 2020-21 में ये 80.51 बिलियन डॉलर था.

चीन के साथ भी व्यापार बढ़ा, लेकिन घाटा ज्यादा बढ़ा

भारत के व्यापार में वृद्धि केवल अमेरिका के साथ ही नहीं हुई बल्कि अमरीकी डालर के व्यापार चीन के साथ भी इसमें वृद्धि देखी गई है. चीन के साथ वित्त वर्ष 2020-21 में व्यापार 86.4 बिलियन डॉलर था जो 2021 में बढ़कर 115.42 बिलियन डॉलर पहुंच गया.

चीन को निर्यात में भी हल्की वृद्धि देखी गई है, हालांकि इसकी तुलना में आयात काफी बड़ा है, जो चिंता का कारण है. पिछले अमरीकी डालर के व्यापार वित्त वर्ष में 21.18 बिलीयन डॉलर के निर्यात की तुलना में इस बार भारत ने 21.25 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है.

आयात की बात करें तो भारत ने चीन से 2020-21 में मात्र 65.21 मिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया था जो बढ़कर 94.16 बिलियन डॉलर पहुंच गया. चीन के साथ आयात और निर्यात की रकम में जो अंतर 44 बिलियन डॉलर का था वह बढ़कर 72.91 बिलियन डॉलर हो चुका है.

अमेरिका के साथ व्यापार और मजबूत होने की संभावना

एक्सपर्ट की मानें तो भारत और अमेरिका की व्यापारिक साझेदारी आने वाले समय में और गहरी हो सकती है दोनों ही देश अपने व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने में जुटे हैं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि "भारत एक भरोसेमंद वैश्विक व्यापार पार्टनर के रूप में उभर रहा है और विदेशी कंपनियां चीन पर से अपनी निर्भरता कम करते हुए भारत जैसे देशों में मौका तलाश रही हैं."

भारत, अमेरिका के इंडो पेसिफिक इकोनॉमिक्स फ्रेमवर्क (IPEF) पहल के साथ जुड़ चुका है जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत होने की संभावना है.

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India’s Trade Deficit : डबल से भी ज्यादा हुआ भारत का व्यापार घाटा, निर्यात में मामूली इजाफा

अगस्त के महीने में भारत का व्यापार घाटा 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो साल 2021 के अगस्त महीने के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है

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अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर अमरीकी डालर के व्यापार हो चुका है

India’s trade deficit : केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश का व्यापार घाटा डबल से भी ज्यादा रहा है. अगस्त के महीने में भारत का व्यापार घाटा 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो साल 2021 के अगस्त महीने के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है. पिछले साल अगस्त में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर दर्ज किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था. अगस्त महीने में देश के इम्पोर्ट 37.28 फीसदी की बढ़त के साथ 61.9 अरब डॉलर पहुंच गया है.

कच्चे तेल के इम्पोर्ट में 87.44 फीसदी का इजाफा

भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है, जिसकी वजह से उसका इम्पोर्ट एक्सपोर्ट के मुकाबले बहुत ज्यादा हो जाता है. अगस्त के महीने में कच्चे तेल का आयात 87.44 प्रतिशत के इजाफे के साथ बढ़कर 17.7 अरब डॉलर दर्ज किया गया. हालांकि, गोल्ड इम्पोर्ट में 47 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, अगस्त में गोल्ड इम्पोर्ट घटकर 3.57 अरब डॉलर रहा, जबकि सिल्वर का आयात बढ़कर 684.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर करीब पहुंच गया, जो पिछले साल अगस्त में 15.49 अमरीकी डालर के व्यापार मिलियन अमेरिकी डॉलर था.

मेजर कमोडिटी प्रोडेक्ट्स के इम्पोर्ट में भी हुआ खासा इजाफा

अगस्त में मेजर कमोडिटी प्रोडेक्ट्स के इम्पोर्ट खासा इजाफा देखा गया. कोयला, कोक और ब्रिकेट्स का इम्पोर्ट 133.64 फीसदी के इजाफे के साथ 4.5 बिलियन अमरीकी डालर पर पहुंच गया, केमिकल इम्पोर्ट 43 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3 बिलियन अमरीकी डालर पर रहा, वनस्पति तेल में 41.55 प्रतिशत के इजाफे के साथ 2 बिलियन अमरीकी डालर के करीब पहुंच गया. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामान, चावल, चाय, कॉफी और केमिकल्स के इम्पोर्ट में इजाफा देखा अमरीकी डालर के व्यापार गया. वहीं पेट्रोलियम उत्पादों का एक्सपोर्ट 22.76 फीसदी के इजाफे के साथ बढ़कर 5.71 अरब डॉलर हो गया. इसी तरह केमिकल्स और फार्मा से जुड़ी शिपमेंट में 13.47 प्रतिशत और 6.76 प्रतिशत बढ़कर 2.53 बिलियन अमरीकी डालर और 2.14 बिलियन अमरीकी डालर हो गए.

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एक्सपोर्ट में मामूली बढ़त

अगस्त महीने में देश का एक्सपोर्ट 1.62 फीसदी इजाफे के साथ 33.92 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है. मौजूदा फाइनेंशल ईयर के अप्रैल से अगस्त के बीच देश के एक्सपोर्ट 17.68 फीसदी की बढ़त के साथ 193.51 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया. जबकि इस दौरान देश का इम्पोर्ट 45.74 प्रतिशत इजाफे के साथ 318 अरब डॉलर हो गया है.

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अप्रैल में 40.19 बिलियन अमरीकी डालर तक निर्यात; व्यापार घाटा USD20.11 बिलियन बढ़ा

अप्रैल में 40.19 बिलियन अमरीकी डालर तक निर्यात; व्यापार घाटा USD20.11 बिलियन बढ़ा

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल में व्यापार घाटा बढ़कर 20.11 अरब डॉलर हो गया, लेकिन भारत का माल निर्यात 30.7 प्रतिशत बढ़कर 40.19 अरब डॉलर हो गया, जो पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक सामानों और रसायनों जैसे क्षेत्रों द्वारा मजबूत प्रदर्शन के लिए धन्यवाद है।

समीक्षाधीन महीने में आयात 30.97 प्रतिशत बढ़कर 60.3 अरब डॉलर हो गया।

अप्रैल अमरीकी डालर के व्यापार 2021 में, व्यापार घाटा 15.29 बिलियन अमरीकी डालर था। "निर्यात ने अप्रैल 2022 में मजबूत वृद्धि जारी रखी, पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड प्रदर्शन के बाद, माल निर्यात 40 बिलियन अमरीकी डालर को पार करके एक नया उच्च स्तर स्थापित करने के साथ," इसमें कहा गया है।

इस महीने के दौरान पेट्रोलियम और कच्चे तेल का आयात 87.54 प्रतिशत बढ़कर 20.2 अरब डॉलर हो गया। कोयला, कोक और ब्रिकेट्स का आयात अप्रैल 2021 में बढ़कर 4.93 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल 2021 में 2 अरब डॉलर था।
दूसरी ओर, सोने का आयात अप्रैल 2021 में 72% से अधिक घटकर 1.72 बिलियन अमरीकी डालर रह गया, जो पिछले महीने 6.23 बिलियन अमरीकी डालर था। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 15.38 प्रतिशत बढ़कर 9.अमरीकी डालर के व्यापार 2 अरब डॉलर हो गया, जबकि पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 113.21 प्रतिशत बढ़कर 7.73 अरब डॉलर हो गया।

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