एमनेवा नेवा का एक उपयोगकर्ता के अनुकूल मोबाइल ऐप है जो एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस पर भी उपलब्ध है। एमनेवा ने विधानमंडलों में व्यापार के संचालन की जानकारी को किसी भी समय, कहीं भी सभी के लिए सुलभ बना दिया है।
निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे बागवान: हिमाचल के संयुक्त किसान मंच की चेतावनी; घोषणाएं नहीं चाहिएं, धरातल पर लागू हो मांगें
हिमाचल के सेब बागवान पांच अगस्त को शिमला में ऐतिहासिक मार्च करेंगे। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान मंच पर व्यापार करने के लिए शर्तें ने मंगलवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि इससे पहले बागवानों ने 1987 और 1990 में ऐसे बड़े आंदोलन लड़े हैं। इस बार फिर से ऐसी ही निर्णायक लड़ाई पांच अगस्त को लड़ी जाएगी। इस दिन उनकी 20 सूत्रीय मांगे नहीं मानी गई तो दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
हरीश चौहान ने कहा कि जब किसान अपने खेत खलियान में बैठा था। तब सरकार ने उन्हें हल्के में लिया। अब बागवानों को संगठित होते देख आनन-फानन में सरकार ने कुछ मांगे मान रही है लेकिन इन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि MIS की बकाया पेमेंट के लिए 8 करोड़ जारी कर दिए है लेकिन एक भी बागवान को पेमेंट नहीं मिल पाई है।
शिकायत चुस्त तो एक्शन दुरुस्त
कंज्यूमर होने की चंद शर्तें हैं, मंच पर व्यापार करने के लिए शर्तें जिन्हें पूरा करना जरूरी है-
1- किसी चीज को खरीदने या सेवाएं लेने के लिए दाम का चुकाया जाना जरूरी है। यदि आपने कोई चीज खरीदी ही नहीं है तो आप इसके कंज्यूमर नहीं हो सकते। अगर कोई चीज गिफ्ट में मिली है तो यह जरूरी है कि गिफ्ट देने वाले ने उस वस्तु का दाम चुकाया हो, तभी आप खराबी होने पर कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर सकते हैं। बस गिफ्ट देने वाले से आपको दाम चुकाने का प्रमाण/रसीद लेना मंच पर व्यापार करने के लिए शर्तें होगा।
2- रसीद न होने पर इनसे भी काम चल सकते है जैसे कुछ खरीदने से पहले दिए हुए एडवांस की रसीद या विजिटिंग कार्ड पर लिखा बैलेंस भुगतान आदि। वैसे, हर मामले में ऐसा नहीं हो सकता, इसलिए दाम चुकाने का प्रमाण ही आपको सही मायने में कंस्यूमर बना सकता है। यह भी जान लें कि जो व्यापारी ग्राहकों को बेचने के लिए सामान खरीदते हैं, वे कंज्यूमर की श्रेणी में नहीं आते।
नेवा (राष्ट्रीय ई-विधान)
नेवा एनआईसी क्लाउड, मेघराज पर तैनात एक कार्य-प्रवाह प्रणाली है जो सदन के अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से पेपरलेस तरीके से संचालित करने में मदद करती है, माननीय सदस्य सदन में अपने कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक पूरा करने और सदन के विधायी कार्य का संचालन करने में मदद करते हैं।
NeVA एक उपकरण तटस्थ और सदस्य केंद्रित एप्लिकेशन है जो सदस्य संपर्क विवरण, प्रक्रिया के नियम, व्यवसाय की सूची, नोटिस, बुलेटिन, बिल, तारांकित / अतारांकित प्रश्न और उत्तर, कागजात के बारे में पूरी जानकारी डालकर, विविध हाउस बिजनेस को स्मार्ट तरीके से संभालने के लिए तैयार किया गया है। समिति की रिपोर्ट आदि को अपने हाथ में रखे हुए उपकरणों/टैबलेटों में रखा और सभी विधायिकाओं/विभागों को इसे कुशलता से संभालने के लिए सुसज्जित किया। NeVA डेटा संग्रह के लिए नोटिस/अनुरोध भेजने की प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।
डिजिटल मीडिया मंच पर व्यापार करने के लिए शर्तें के लिए अलग से किसी कानून का प्रस्ताव नहीं, केंद्र ने राज्यसभा में दी जानकारी
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि डिजिटल मीडिया को विनियमित करने के लिए एक अलग कानून बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। मंत्री ने कहा, डिजिटल मीडिया को विनियमित करने के लिए एक अलग कानून बनाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के विचाराधीन नहीं है।
सरकार के जवाब में कहा गया कि इंटरनेट को सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य के लिए और सोशल मीडिया मध्यस्थों को विनियमित करने और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 बनाए हैं।
‘मॉर्निंग वॉक’ विवाद के बाद एक मंच पर आयें दिलीप व शुभेंदु
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : ‘मॉर्निंग वॉक’ विवाद और एक-दूसरे पर कटाक्ष करने के बाद शुक्रवार को हुगली के बंडेल में आयोजित प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष एक मंच पर आयें। उनके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार भी मौजूद थे। बीच में शुभेंदु और एक तरफ दिलीप तो दूसरी तरफ सुकांत को मंच पर इस दिन देखा गया। इससे पहले शुभेंदु व अपने बीच किसी तरह के ‘विरोध’ की बात अस्वीकार करते हुए दिलीप घोष ने कहा कि एक पार्टी में एक ही आदर्श के साथ काम करने के बावजूद कुछ विषयों कोे लेेकर मतों में अंतर हो ही सकता है। इसका मतलब आपस में ‘लड़ना’ नहीं होता है। दिलीप घोष ने कहा, ‘कोई विरोध नहीं है, लेकिन मॉर्निंग वॉक के लिए दम चाहिये।’ वहीं शुभेंदु के साथ विरोध के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हम एक ही पार्टी में आदर्श लेकर काम करते हैं। हो सकता है कि मंच पर व्यापार करने के लिए शर्तें किसी मुद्दे को लेकर हमारा मतभेद हो, यही लोकतंत्र है। भाजपा में लोकतंत्र है जिस कारण हम लोग बोल सकते हैं। इसका मतलब क्या हम अलग हो गये हैं ? तृणमूल के समान क्या बम व बंदूक को लेकर लड़ने जायेंगे ?’ यहां उल्लेखनीय है कि हाल में विधानसभा में विपक्ष के नेता व मुख्यमंत्री की ‘सौजन्यतामूलक’ मुलाकात से लेकर ‘दिसम्बर’ तक के मुद्दे पर दिलीप घोष ने शुभेंदु पर कटाक्ष किया था। वहीं शुभेंदु ने भी हाजरा मोड़ की सभा से दिलीप घोष पर तंज कसा था जिस पर दिलीप घोष ने कहा था कि मॉर्निंग वॉक के लिए दम चाहिये। वहीं बाद में शुभेंदु ने सुर नरम करते हुए कहा कि दिलीपदा हमारे नेता हैं। उनका जवाब देकर मैं क्यों बयान दूंगा, मैं अनुशासित कार्यकर्ता हूं। हालांकि भाजपा सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं ने भले ही सुर नरम किये हो, लेकिन दोनों का ‘विरोध’ हटाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को बीच में आना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, गत गुरुवार की शाम भाजपा के राष्ट्रीय सांगठनिक महासचिव बी. एल. संतोष ने शुभेंदु व दिलीप के साथ बैठक की थी।
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