नियंत्रण स्टॉक

नियंत्रण स्टॉक एक सार्वजनिक रूप से कारोबार वाली कंपनी के प्रमुख शेयरधारकों के स्वामित्व वाले इक्विटी शेयरों को संदर्भित करता है। इन शेयरधारकों के पास या तो बकाया शेयर का अधिकांश हिस्सा होगा या शेयरों का एक हिस्सा होगा जो कंपनी द्वारा किए गए निर्णयों पर नियंत्रण प्रभाव डालने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त महत्वपूर्ण है। जब कंपनियों के पास सामान्य शेयरों की एक से अधिक वर्ग होते हैं, तो बेहतर वोटिंग शक्ति वाले शेयर या वोट वेटिंग को नियंत्रण शेयरों के रूप में माना जाता है, जो कि वोटिंग अधिकार शेयरों के अवर वर्ग के सापेक्ष होता है।

चाबी छीन लेना

  • नियंत्रण स्टॉक स्टॉकधारक को नियंत्रण देता है जब बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय किए जा रहे हैं।
  • बेहतर वोटिंग पावर या वोट वेटिंग वाले शेयरों को कंट्रोल स्टॉक माना जाता है।
  • नियंत्रण स्टॉक एक सार्वजनिक रूप से कारोबार वाली कंपनी के प्रमुख शेयरधारकों के स्वामित्व वाले इक्विटी शेयरों को संदर्भित करता है।
  • सामान्य स्टॉक कॉर्पोरेट इक्विटी स्वामित्व का एक रूप है जो धारक को लाभांश के लिए हकदार है जो राशि में भिन्न होता है।
  • कई कंपनियां केवल एक प्रकार का सामान्य स्टॉक जारी करती हैं; हालाँकि, ऐसी कई कंपनियां हैं जो सामान्य स्टॉक की दो या अधिक कक्षाएं जारी करती हैं।

कैसे नियंत्रण स्टॉक काम करता है

स्टॉक नियंत्रण, जिसे इन्वेंट्री कंट्रोल के रूप में भी जाना जाता है, का प्रबंधन करता है कि किसी कंपनी के पास कितना उत्पाद है। हालांकि, स्टॉक नियंत्रण भी एक निश्चित शेयरधारक या शेयरधारकों के समूह को कितना स्टॉक करता है, इसका प्रबंधन करता है।

शेयरधारक जो कंपनी के अधिकांश शेयरों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हैं, उनके पास फर्म के निर्णयों को निर्धारित करने के लिए पर्याप्त मतदान शक्ति होती है। जैसे, उनके शेयरों को नियंत्रण स्टॉक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। एक पार्टी इस स्थिति को प्राप्त कर सकती है जब तक कि कुल हिस्सेदारी स्टॉक के संबंध में स्वामित्व हिस्सेदारी समान रूप से महत्वपूर्ण हो।

ऐसी विधियाँ हैं जिन्हें कंपनी और निवेशक एक सूची में नियंत्रण के रूप में जाना जाता है, जो यह दर्शाने के लिए उपयोग करते हैं कि किसी विशेष समय में किसी के पास कितना स्टॉक है।

विशेष ध्यान

कई मालिक हमेशा कंपनी का कम से कम 51% हिस्सा रखेंगे। वे कंपनी का केवल 51% हिस्सा बेचेंगे। ऐसा करने से, वे बहुमत धारक बने रहेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे। यहां तक ​​कि अगर किसी और के पास 50.9% है, तो 51% का मालिक बहुमत धारक अंतिम निर्णय लेने के लिए उनके लिए संभव बनाता है।

वे शायद 51% नहीं रख सकते हैं, लेकिन संभावना है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि वे अपने हाथों में निर्णय लेने के लिए सबसे बड़े शेयरधारक होने जा रहे हैं। एक शेयरधारक के लिए लगभग सभी शेयरों को खरीदना और मुख्य शेयरधारक बनना संभव है, जिससे उन्हें निर्णय सही लगता है।

नियंत्रण स्टॉक के लाभ

कई निवेशक एक कंपनी के लिए महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होना चाहेंगे। इस तरह के नियंत्रण के लिए सक्षम होने का एक तरीका नियंत्रण स्टॉक का मालिक है। इस तरह के स्टॉक को खरीदने के लिए धन की आवश्यकता होती है।

नियंत्रण स्टॉक होने के बजाय लाभकारी कारण का भुगतान किया जा रहा है। मालिक शेयर की कीमत में वृद्धि करने में कंपनी को विकसित करने और अधिक लाभदायक बनने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होंगे। निवेशक के लिए यह और भी बेहतर है यदि कंपनी अपने स्टॉक के साथ लाभांश प्रदान करती है। लाभांश का भुगतान करने वाले बहुत सारे स्टॉक का मालिक निवेशक की आय में अत्यधिक वृद्धि कर सकता है। लाभांश का उपयोग किया जा सकता है, हालांकि मालिक चाहता है, लेकिन यह आय का एक और स्रोत है, जो चारों ओर फेंकना या फिर से पुनर्निवेश करना है।

नियंत्रण स्टॉक का उदाहरण

उदाहरण के लिए, मान लें कि XYZ Corp. के पास सामान्य स्टॉक की दो कक्षाएं थीं, क्लास ए और क्लास बी। इन दोनों प्रकार के शेयरों में फर्म की संपत्ति के बराबर दावा होता है। दूसरे शब्दों में, यदि फर्म के कुल 100 सामान्य शेयर हैं, तो 50 क्लास ए शेयर हैं और 50 क्लास बी शेयर हैं ।

मान लेते हैं कि बी शेयर एक वोट के लिए शेयरधारक को हकदार करते हैं, लेकिन ए शेयर शेयरधारक को 10 वोट का हकदार बनाते हैं। यदि आपके पास एक ए श्रेणी का स्वामित्व है, तो आप कंपनी की 1% संपत्ति के मालिक होंगे, लेकिन कंपनी की बैठकों में 10 वोटों को जीतेंगे। इस बीच, एक निवेशक जो एक क्लास बी शेयर का मालिक था, उसकी फर्म की संपत्ति पर समान 1% का दावा होगा, लेकिन केवल कंपनी की बैठकों में एक वोट डालने में सक्षम होगा।

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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के नियम आधारित विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली के लिए 5 कदम रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क नियम आधारित विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली के लिए 5 कदम सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

RBI का बड़ा फैसला! रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट को दी मंजूरी, डॉलर पर कम होगी निर्भरता

RBI की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, ग्‍लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्‍सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्‍लोबल कारोबारी कम्‍युनिटी के रुपये में बढ़ते इंटरेस्‍ट को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ने यह कदम उठाया है.

RBI के नोटिफिकेशनक के मुताबिक, सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. (Representational Image)

RBI on International Trade in rupees: डॉलर पर निर्भरता कम करने और रुपये के अंतरराष्‍ट्रीयकरण की दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा कदम उठाया है. RBI ने रुपये में विदेशी व्यापार करने को इजाजत दी है. रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है, जिसके तहत अब एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. RBI की ओर से जारी नोटिफिकेशन में इस बारे में बैंकों को निर्देश दे दिए गए हैं.

RBI की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, बैंक भारतीय करेंसी में एक्‍सपोर्ट-इम्‍पोर्ट के सेटलमेंट के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें. ग्‍लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्‍सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्‍लोबल कारोबारी कम्‍युनिटी की रुपये में बढ़ते इंटरेस्‍ट को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ने यह कदम उठाया है. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके फॉरेन एक्‍सपेंच डिपार्टमेंट से पूर्व-अनुमति लेना होगी.

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क्‍या है RBI का मैकेनिज्‍म?

आरबीआई के नोटिफिकेशनक के मुताबिक, सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. विदेशी नियम आधारित विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली के लिए 5 कदम मुद्रा अधिनियम कानून 1999 के तहत रुपये में इनवॉयस की व्यवस्था होगी. जिस देश के साथ कारोबार होगा, उसकी मुद्रा और रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी. रुपये में भी सेटलमेंट के नियम दूसरी करेंसीज की तरह ही होंगे. एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा. वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act- 1999) के तहत कवर होंगे.

स्‍पेशल रुपया VOSTRO अकाउंट की होगी जरूरत

नोटिफिकेशन के मुताबिक, ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को पार्टनर कारोबारी देश के AD बैंक के स्‍पेशल रुपया वोस्ट्रो (VOSTRO) अकाउंट की जरूरत होगी. केंद्रीय बैंक ने कहा, इस मैकेनिज्‍म के जरिए भारतीय आयातकों को विदेशी सेलर या सप्‍लायर से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इनवॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा. इसे उस देश के AD बैंक (अथराइज्‍ड डीलर बैंक) के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा. इसी तरह, विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की सप्‍लाई करने वाले एक्‍सपोर्टर्स को उस देश के एडी बैंक के स्‍पेशल वोस्ट्रो खाते में डिपॉजिट से भारतीय रुपये में पेमेंट किया जाएगा. इस मैकेनिज्‍म से भारतीय एक्‍सपोर्टर विदेशी इम्‍पोर्टर से एडवांस पेमेंट भी रुपये में ले सकेंगे.

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Largest Integrated Bauxite-Alumina-Aluminium Complex in Asia

मार्केट का निरीक्षण

स्पॉटलाइट

Year 1975

सीएमडी से संदेश

दूरदृष्टि

एल्यूमिनियम मूल्य शृंखला के देशीय एवं वैश्विक उत्खनन में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करते हुए धातु एवं ऊर्जा के क्षेत्र में प्रधान और एकीकृत कम्पनी बनना।

ध्येय

कुशलता एवं व्यवसाय प्रक्रियाओं में निरन्तर सुधार करते हुए खनिज, धातु और ऊर्जा क्षेत्र में चुनिंदा विविधीकरण के साथ खनन, एल्यूमिना और एल्यूमिनियम के व्यवसाय में संधारणीय विकास करना और इस रीति समस्त हितधारकों के लिए मूल्य बढ़ाना।

बुनियादी मूल्य

  • हि तधारकों लाभ देना
    हम अपने ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं तथा अन्य हितधारकों को महत्तम स्तर की मूल्य, सेवा तथा संतुष्टि प्रदान करते हैं।
  • उ त्कृष्टता और गुणवत्ता
    हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे उत्पाद, उत्पादन तथा व्यवसायिक प्रक्रिया उच्चतम गुणवत्ता-स्तरीय तथा मानकों के अनुसार हो।
  • सं धारणीयता
    हम नियम आधारित विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली के लिए 5 कदम संधारणीय अभ्यासों का सतत् अनुसरण करते हैं और हमसे जुड़े समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  • भ रोसा और ईमानदारी
    हम भरोसा बनाए रखने हेतु मर्यादा, सत्यनिष्ठा, समानता, पारदर्शिता तथा जवाबदेही के साथ आचरण करते हैं।

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देश का द्वितीय सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जक लोक उद्यम

निम्नतम लागत वाला बॉक्साइट उत्पादक

निम्नतम लागत वाला एल्यूमिना उत्पादक

कल्याण कार्यों में निवेश करना

जीवन स्तर एवं समुदाय में परिवर्तनकारक

श्री नरेन्द्र मोदी

कम्पनी परिचय

नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (नालको) खान मंत्रालय के अधीन अनुसूची-‘क’ का एक नवरत्‍न केन्द्रीय लोक उद्यम है। यह कम्पनी भुवनेश्‍वर में पंजीकृत कार्यालय के साथ 7 जनवरी, 1981 को स्थापित हुई थी। यह देश में एक वृहत्तम एकीकृत बॉक्साइट-एल्यूमिना-एल्यूमिनियम-विद्युत संकुल है। वर्तमान में भारत सरकार के पास 51.28% इक्विटी पूँजी धारिता है।इस कंपनी के ओड़िशा के कोरापुट जिले के दामनजोड़ी में अपने पिटहेड एल्यूमिना परिशोधक के लिए ग्रहीत पंचपटमाली बॉक्साइट खान और अनुगुळ में एल्यूमिनियम प्रद्रावक एवं ग्रहीत विद्युत संयंत्र का प्रचालन करती है। हरित पहल के रूप में नालको ने कार्बन पदचिह्न कम करने के लिए देश के विविध स्थानों पर 198 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र तथा अपने परिसर के छत पर 800 किलोवाट क्षमता के सोलर पॉवर संयंत्रों की स्थापना की है। कंपनी पिछले 34 वर्षों अर्थात् 1987 में प्रथम व्यवसायिक परिचालन से ही निरंतर लाभार्जन कर रही है। कोविड महामारी के बावजूद, वित्त वर्ष 20-21 के दौरान कंपनी ने ₹8869.29 करोड़ तथा ₹1299.56 करोड़ का क्रमश: प्रभावोत्पादक शुद्ध व्यवसाय तथा शुद्ध लाभ प्राप्त किया। इस कम्पनी के ओड़िशा के कोरापुट जिले के दामनजोड़ी में अवस्थित 68.25 लाख टन प्रतिवर्ष की बॉक्साइट खान और 21.00 लाख टन प्रतिवर्ष (नियामक क्षमता) का एल्यूमिना परिशोधक है और ओड़िशा के अनुगुळ में 4.60 लाख टन प्रतिवर्ष का एल्यूमिनियम प्रद्रावक एवं 1200.

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