[ 1 ] उपभोक्ता व्यवहार अनुसन्धान ( Consumer Behavior Research ) :- इस अनुसन्धान का मुख्य लक्षण उपभोक्ता प्रकृति, प्रवृत्तियों एवं व्यवहार का अध्ययन करना होता है । उत्पाद के प्रति उपभोक्ता का दृष्टिकोण, उसका क्रय-व्यवहार, प्रतिक्रियायें और उत्पाद विपणन विश्लेषण के प्रकार के प्रति रुझान का अध्ययन किया जाता है । साथ ही उपभोक्ता सन्तुष्टि के लिए अन्य घटकों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है ।

ग्रामीण विपणन की परिभाषा

ग्रामीण विपणन जरूरतों को पूरा करने, समझाने और बदलने की प्रथा है, ग्राहकों की खरीद शक्ति को उत्पादों और सेवाओं के लिए प्रभावी मांग में बिक्री के लिए जो ग्रामीण इलाकों में लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा और इस प्रकार संतुष्टि के स्तर को बढ़ाएगा साथ ही रहने का मानक भी। इन ग्रामीण बाजारों की संभावना साबित करने के कई कारण हैं।

डायरेक्ट मेल मार्केटिंग

इनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं-

ए) विशाल बाजार का आकार

बी) ग्रामीण उपभोग के स्तर में वृद्धि

डी) ग्रामीण बाजार शहरी बाजारों की तुलना में महंगा नहीं है

ई) शहरी बाजार की तुलना में ग्रामीण बाजार विकास दर अधिक है

बड़ी संभावना के बावजूद इस ग्रामीण बाजार में कई समस्याएं हैं। इनमें से कुछ हैं-

ए) एकाधिक बोलीभाषाएं और भाषाएं

बी) बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी

विपणन अनुसन्धान का अर्थ ( Meaning of Marketing Research ) क्या है ?

विपणन अनुसन्धान उपभोक्ता अभिमुखी विपणन की देन है । उपभोक्ताओं को बदलती रुचियाँ, आवश्यकताएँ और उसके अनिश्चितत व्यवहार ने निर्माता को 'उपभोक्ता' के अध्ययन के लिए सूचनाओं को एकत्रित करने विपणन विश्लेषण के प्रकार एवं विश्लेषित करने पर विवश कर दिया है । वर्तमान में उपभोक्ता की अपेक्षा एवं। आवश्यकताओं के अनुरूप विपणन प्रक्रिया से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न तत्त्वों का व्यवस्थित अध्ययन करना आवश्यक हो गया है । इसी अध्ययन को विपणन अनुसन्धान कहा जाता है ।

परिभाषाएँ ( Definitions ) :-

साधारण शब्दों में विपणन अनुसन्धान विपणन की विविध समस्याओं के विश्लेषण हेतु तथ्यों के संकलन, विश्लेषण एवं निर्वचन की व्यवस्थित प्रक्रिया है । विपणन अनुसन्धान का उद्देश्य विपणन नियोजन, विपणन निर्णय एवं विपणन व्यूह रचनाओं को सुदृढ़ बनाना है । विपणन अनुसन्धान की परिभषाएँ इस प्रकार हैं -

(II) वार्षिक योजना नियन्त्रण तकनीक

(Annual Plan Control Techniques)

यह तकनीक शीर्ष व मध्य प्रबन्धकों द्वारा अपनायी जाती है जो संस्था की वार्षिक योजना की प्रगति की जाँच करते हैं तथा यदि किसी अधिकारी का कार्य कम होता है तो उसके कारण ढूंढें जाते हैं तथा सुधार हेतु कार्य किये जाते हैं। इस प्रकार के नियन्त्रण में निम्न चार तकनीकें प्रयोग में लायी जाती हैं –

  1. विक्रय विश्लेषण (Sales Analysis)- इस विश्लेषण में अपेक्षित बिक्री की वास्तविक बिक्री से तुलना की जाती है, उसके अन्तरों का पता लगाया जाता है व सुधार हेतु उपाय किये जाते हैं। इसके लिए दो तकनीकें काम में लायी जाती हैं – (1) विक्रय विचरण विश्लेषण (Sales Variance Analysis) व (2) सूक्ष्म विक्रय विश्लेषण (Micro Sales Analysis)। विक्रय विचरण विश्लेषण में विशिष्ट वस्तुओं, क्षेत्रों व विक्रयकर्त्ताओं आदि की कुल बिक्री में विपणन विश्लेषण के प्रकार जो कमी आयी है उसके कारणों का पता लगाया जाता है जिसके लिए प्रतिवेदनों का गहन अध्ययन किया जाता है, सूक्ष्म विक्रय विश्लेषण में सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं व उनका विश्लेषण किया जाता है। तत्पश्चात् भावी सुधार हेतु उपाय सुझाये जाते हैं।
  2. बाजार अंश विश्लेषण (Market Share Analysis)- बाजार अंश विश्लेषण से आशय इस बात का पता लगाने से है कि वस्तु के पूरे बाजार में संस्था का क्या हिस्सा है, यह बढ़ रहा है या घट रहा है। यदि घट रहा है तो क्यों घट रहा है? इसके कारण कौन-कौन से हैं? इन कारणों का पता लगाकर सुधार हेतु प्रयास किये जा सकते हैं।
  3. विक्रय व्यय अनुपात (Sales Expenses Ratio)- वार्षिक योजना नियन्त्रण का उद्देश्य न केवल विक्रय निष्पादनों की कमियों का पता लगाना है बल्कि यह भी जाँचना है कि फर्म द्वारा किया गया विक्रय उचित है। इसके लिए (1) सकल लाभ व बिक्री का अनुपात (2) विज्ञापन व्यय व बिक्री का अनुपात (3) विक्रय शक्ति व्यय व बिक्री का अनुपात को मालूम किया जाता है। यदि कहीं व्यय अत्यधिक हैं तो उन्हें कम करने का प्रयास करते हैं।
  4. रुख का अध्ययन (Attitude Study)- विपणन नियन्त्रण विपणन विश्लेषण के प्रकार करने का एक तरीका ग्राहकों के रुख का समय-समय पर अध्ययन करते रहना है जिससे कि माहकों के बारे में पहले से ही पताचल जाये कि वे क्या चाहते हैं। यदि बिक्री में गिरावट आने का आभास होता है तो उसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाये जाने चाहिए।

(III) लाभदेयता नियन्त्रण तकनीक

(Profitability Control Technique)

इस तकनीक के द्वारा लाभदेयता सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की जाती है और जहाँ कमी है उसे दूर कर लाभ बढ़ाने का प्रयास किया जाता है और उन विपणन प्रयासों को त्यागा जा सकता है जिनके द्वारा फर्म की बिक्री की लाभदायकता में रुकावट आती है। इसके लिए निम्न दो विधियाँ अपनायी जाती है

  1. विपणन लागत विश्लेषण (Marketing Cost Analysis) – विपणन लागत विश्लेषण एक फर्म के सम्पूर्ण वितरण लागत ढाँचे का विस्तृत अध्ययन है। वर्तमान विपणन प्रयासों में किस विपणन प्रयास को त्यागा जाये व किसे जोड़ा जाये, इस सम्बन्ध में जानकारी के लिए विपणन लागत का विश्लेषण अत्यधिक उपयोगी होता है। यहाँ विपणन लागत से अभिप्राय बिक्री प्राप्त करने की लागतों, आदेश पूर्ण करने की लागतों तथा विक्रय को बनाये रखने की लागतों के जोड़ से हैं। इस प्रकार के विश्लेषण से विक्रय क्षेत्र, विक्रेता, उत्पाद, ग्राहक समूह, आदेश का आकार व वितरण वाहिका सम्बन्धी निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। इन लागतों के विश्लेषण के लिए अग्र तरीका अपनाया जाता है –

ग्रामीण विपणन की परिभाषा

ग्रामीण विपणन जरूरतों को पूरा करने, समझाने और बदलने की प्रथा है, ग्राहकों की खरीद शक्ति को उत्पादों और सेवाओं के लिए प्रभावी विपणन विश्लेषण के प्रकार मांग में बिक्री के लिए जो ग्रामीण इलाकों में लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा और इस प्रकार संतुष्टि के स्तर को बढ़ाएगा साथ ही रहने का मानक भी। इन ग्रामीण बाजारों की संभावना साबित करने के कई कारण हैं।

डायरेक्ट मेल मार्केटिंग

इनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं-

ए) विशाल बाजार का आकार

बी) ग्रामीण उपभोग के स्तर में वृद्धि

डी) ग्रामीण बाजार शहरी बाजारों की तुलना में महंगा नहीं है

ई) शहरी बाजार की तुलना में ग्रामीण बाजार विकास दर अधिक है

बड़ी संभावना के बावजूद इस ग्रामीण बाजार में कई समस्याएं हैं। इनमें से कुछ हैं-

ए) एकाधिक बोलीभाषाएं और भाषाएं

बी) बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी

विपणन प्रबंधन की विशेषताएं (vipanan prabandhan ki visheshta)

1. समग्र कार्य समन्वय
व्यापार की समस्त शाखाओं, विभागों या कार्यों का मुख्य उद्देश्य व्यावसायिक लक्ष्य "लाभ प्राप्ति" होता है जिसमे विपणन प्रबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः विपणन समस्त व्यापार के विभागों, शाखाओं एवं कार्यों की तरफ से प्रयास करता है एवं उनमे समन्वय स्थापित करवाता है, अतः विपणन प्रबंधन समस्त कार्यों का समन्वय भी होता है।
2. सामाजिक कार्य
विपणन प्रबंधन मे समाज के प्रत्येक वर्ग से पारस्परिक विपणन विश्लेषण के प्रकार सम्पर्क बनाना होता है, जिससे वस्तु के उपयोग उपभोक्ता की प्रकृति को प्रभावित कर उन्हें अपने अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके, इसलिए इसे सामाजिक कार्य भी कहा जाता है।
3. प्रबंधकीय दृष्टिकोण
जिस प्रकार प्रबंध विपणन विश्लेषण के प्रकार का मूल उसके सिद्धांत होते है, उसी प्रकार विपणन प्रबंध भी विक्रय कला को व्यवस्थित रूप से प्रबंध करने का दृष्टिकोण होता है। जिसमे उत्पाद के निर्मित होने के बाद से बिक्री तक के कार्य शामिल होते है।
4. प्रबंध की एक शाखा
विपणन प्रबंधन "प्रबंधन" का ही एक हिस्सा या शाखा है, जिसका मुख्य कार्य व्यवस्था करना होता है। समस्त प्रबंध एक वृक्ष के समान होता है, जिसकी अनेक प्रबंध शाखाओं मे से एक शाखा विपणन प्रबंधन होता है।
5. लाभ प्राप्ति की योजना
विपणन प्रबंधन मे माल के अधिकतम विक्रय करके लाभ कमाने का कार्य किया जाता है, इस हेतु विपणन एवं विक्रय कला को व्यवस्थित करने की योजना बनाई जाती है, जिससे लाभ प्राप्ति संभव हो, इसीलिए इसे लाभ प्राप्ति की योजना कहा जाता है।
6. अवसरों की प्राप्ति का साधन
विपणन प्रबंधन एक साधन है, जिसके द्वारा व्यवसाय मे अत्यधिक लाभ प्राप्ति के अवसरों को प्राप्त करने हेतु विक्रय कला एवं योजनाएँ बनाई जाती है और बाजार मे उत्पादों की मांग के अवसरों की तलाश की जाती है।

रेटिंग: 4.25
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 470