Diwali Muhurat Trading: जानिए क्या होती है मुहूर्त ट्रेडिंग, क्यों इस दिन हर कोई चाहता है शेयर खरीदना!

Diwali Muhurat Trading: जानिए क्या होती है मुहूर्त ट्रेडिंग, क्यों इस दिन हर कोई चाहता है शेयर खरीदना!

दिवाली के दिन शाम को शेयर बाजार में मुहूर्त ट्रेडिंग होती है. तमाम निवेशक शगुन के क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? लिए कुछ शेयर खरीदते हैं. अधिकतर निवेशक इस दिन शेयरों को खरीदकर उसे लंबे समय तक अपने पास रखते हैं.

शेयर बाजार (Share Market) के लिए ये हफ्ता बहुत ही शानदार साबित हुआ है. इस हफ्ते सेंसेक्स में 1387 अंकों की तेजी देखने को मिली है. हफ्ते के आखिरी दिन में सेंसेक्स 104 अंक चढ़ा है. त्योहारों के चलते इस महीने में शेयर बाजार कई दिन बंद रहेगा. इसी बीच कई लोगों के मन में ये सवाल भी है कि क्या दिवाली (Diwali) को शेयर बाजार बंद रहेगा (Share Market on Diwali) या फिर उस दिन मार्केट खुलेगा? आपको बता दें कि 24 अक्टूबर को दिवाली पर छुट्टी की वजह से सामान्य घंटों में तो शेयर बाजार बंद रहेगा, लेकिन शाम तो 1 घंटे की मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए खुलेगा. आइए समझते हैं क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग (Diwali Muhurat Trading) और क्यों की जाती क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? है.

क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग?

जैसा कि नाम से ही काफी हद तक समझ आ रहा है कि यह किसी तरह का मुहूर्त है. दरअसल, दिवाली पर लोग खरीदारी को शुभ मानते हैं. वहीं शेयर बाजार का तो पूरा कारोबार ही खरीद-फरोख्त का है. ऐसे में दिवाली पर लोग मुहूर्त ट्रेडिंग में सिर्फ शगुन के लिए खरीदारी करते हैं. वैसे तो बहुत से लोग इस दिन मुनाफा भी काटने की कोशिश करते हैं, लेकिन अधिकतर लोग मुहूर्त ट्रेडिंग को सिर्फ शगुन के लिए खरीददारी की तरह देखते हैं. शेयर बाजार में रेगुलर पैसे लगाने वाले निवेशक मुहूर्त ट्रेडिंग पर शगुन के तौर पर शेयर खरीद कर उन्हें अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. माना जाता है कि इस दौरान शेयर खरीदने वालों को साल भर लाभ मिलता है. मुहूर्त ट्रेडिंग दिवाली की शाम 6.15 से 7.15 तक यानी 1 घंटे होती है.

5 दशकों से चली आ रही है ये परंपरा

शेयर बाजार में दिवाली के दिन शाम को एक घंटे मुहूर्त ट्रेडिंग करने की परंपरा एक दो साल नहीं बल्कि करीब 5 दशक पुरानी है. इसकी शुरुआत बीएसई में 1957 में हुई थी, जबकि एनएसई में इसे 1992 से शुरू किया गया. मुहूर्त ट्रेडिंग को पूरी तरह से परंपरा से जोड़कर देखा जाता है.

कई निवेशक अगली पीढ़ी तक ले जाते हैं ये शेयर

बहुत सारे ऐसे निवेशक हैं जो मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन खरीदे गए शेयरों को अच्छा शगुन मानते हैं और उन्हें कभी नहीं बेचते. वह मानते हैं कि ये शेयर उनके पोर्टफोलियो में बरक्कत के लिए बहुत ही शुभ हैं. ऐसे में वह निवेशक तो मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन खरीदे हुए शेयरों को कभी नहीं बेचते हैं. यहां तक कि कुछ तो उन शेयरों को अगली पीढ़ी तक ले जाते हैं.

पिछले साल मुहूर्त ट्रेडिंग में बाजार हुआ था गुलजार

पिछले साल दिवाली 4 नवंबर 2021 को थी. उस दिन भी शाम को मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए शेयर बाजार खुला था. पिछली बार मुहूर्त ट्रेडिंग पर शेयर बाजार गुलजार हो गया था. महज क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? एक घंटे के सेशन में ही बीएसई का सेंसेक्स 60 हजार से भी ऊपर चाल गया था. मुहूर्त ट्रेडिंग में बाजार में तगड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. पिछली बार बाजार खुला तो 436 अंकों की तेजी के साथ, लेकिन बाद में करेक्ट हुआ और अंत में 295 अंकों की तेजी के साथ 60,067 अंकों के स्तर पर बंद हुआ.

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Share Market Update: 4 दिन में निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूबे, जानें क्यों लगातार गिर रहा है शेयर मार्केट

Share Market Update: 4 दिन में निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूबे, जानें क्यों लगातार गिर रहा है शेयर मार्केट

Share Market Update । शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी नुकसानदायक साबित हुआ है। बीते 4 दिनों में शेयर मार्केट में काफी तेज गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान सेंसेक्स 2500 अंक की गिरावट झेल चुका है। साथ निफ्टी 700 अंक नीचे चला गया। शेयर मार्केट से जुड़े जानकारों का मानना है कि कमजोर रुपया और भारतीय बाजारों से पैसा निकालने वाले एफआईआई ट्रेंड रिवर्सल के चलते बाजार में गिरावट आई है। साथ कई कंपनियों का प्रदर्शन भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है।

4 दिन में निवेशकों को 8 लाख करोड़ का घाटा

सेंसेक्स में लगातार गिरावट के चलते निवेशकों की संपत्ति में 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई। इस दौरान इंडिया विक्स की ग्रोथ 7.8 फीसदी रही। जानकारों के मुताबिक नैस्डैक के टेक दिग्गजों में गिरावट के साथ अमेरिकी बाजार लगातार पांचवें दिन कमजोर रहे, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार में टेक सेक्टर पर भी दिख रहा है।

विदेशी निवेशकों ने की 1 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक विक्रेता बने रहेंगे। 20 जनवरी 2022 तक, FII 12,415.14 करोड़ रुपए के शुद्ध विक्रेता बने रहे, जबकि उन्होंने 21 जनवरी 2022 तक 4,500 क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की। इन FII में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी शामिल हैं। बढ़ते वैश्विक बॉन्ड के परिणाम के बीच विदेशी निवेशक महंगे बाजारों से बाहर निकल रहे हैं और जापान और यूरोप जैसे आकर्षक मूल्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। कुल मिलाकर विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है।

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वैश्विक बाजार का भी पड़ा असर

अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी दिखाी दे रहा है। अमेरिकी मार्केट में गुरुवार को भी लगातार पांचवें दिन कमजोरी देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद से वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में उछाल के कारण निवेशक जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में बाजार में अनिश्चितता की स्थिति रहने तक निवेशकों को भी अपने पोर्टफोलियो में कम जोखिम वाली संपत्तियां शामिल करने की सलाह दी जा रही है।

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15 दिन में लगातार रुपए में गिरावट

पिछले 15 दिन में भारतीय रुपया 74 के स्तर से गिरकर लगभग 74.50 के स्तर पर आ गया है। FII के भारतीय बाजारों से पैसा क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? निकालने का यह भी एक मुख्य कारण है। गिरते बाजार में डॉलर के लिहाज से उनकी वापसी में भारी गिरावट दिख रही है।

भारतीय कंपनियों ने किया कमजोर प्रदर्शन

दिसंबर को समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों की अब तक की कमाई ने भारी दबाव का संकेत दिया है। नामी कंपनियों का मुनाफा प्रभावित रहा है, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की प्रारंभिक टिप्पणी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव का संकेत दिया। बजाज फाइनेंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि शहरी क्षेत्रों में कम आय वाले उपभोक्ता भी महामारी से प्रभावित हुए हैं।

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अमेरिका व भारत की आर्थिक स्थिति हो रही बदतर

अमेरिका के साथ साथ भारत में आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। इसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) धीरे-धीरे तरलता को सामान्य करने की ओर बढ़ रहा है। कॉल मनी दर बढ़कर 4.55 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 3.25-3.50 प्रतिशत थी। कॉल मनी रेट वह दर है जिस पर बैंक ओवरनाइट लोन लेते हैं। कॉल रेट में उछाल के साथ ट्राई-पार्टी रेपो डीलिंग और सेटलमेंट भी 4.24 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? के अंत तक लगभग 3.5 प्रतिशत था।

जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्‍या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा

शेयर बाजार में निवेश करने क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यहां पर पारंपरिक निवेश की तुलना में ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी होता है.

जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्‍या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा

अब आम आदमी भी शेयर बाजार में निवेश कर ज्‍यादा रिटर्न पाने में रुचि दिखा रहा है. यही कारण है कि बीते एक साल में रिकॉर्ड संख्‍या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. पिछले महीने तक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 6.9 करोड़ डीमैट अकांउट्स हैं. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले आबादी के लिहाज से यह अनुपात अभी भी बहुत कम है. भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्‍यादा पैसा महाराष्‍ट्र, गुजरात और उत्‍तर प्रदेश के लोग लगाते हैं. लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार से लेकर मिज़ोरम तक के लोग शेयर बाजार से अच्‍छी कमाई कर रहे हैं.

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सबसे पहली जरूरत डीमैट अकाउंट की होती है. इसी अकाउंट में शेयर्स, ईटीएफ, बॉन्‍ड्स, म्‍यूचुअल फंड्स और सिक्योरिटीज को इलेक्‍ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखा जाता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज एनसडीएल और सीडीएसल के साथ खोला जा सकता है. देश में कई स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां हैं, जो लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती हैं. स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां ही इस सुविधा को आम आदमी तक पहुंचाती हैं. इस सुविधा के बदले ये ब्रोकरेज फर्म्‍स छोटी फीस वसूलते हैं.

इस बात की भी संभावना है कि आप ये ब्रोकरेज फर्म्‍स ही किन्‍हीं कारणों से बंद हो जाए. ऐसी स्थिति में क्‍या आपका निवेश पूरी तरह से डूब जाएगा? कहीं स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनी आपका पूरा पैसा लेकर तो नहीं भाग जाएगी? एक निवेशक के तौर पर आपके मन में जरूर इस तरह के सवाल उठ रहे होंगे. लेकिन अब आपको इसकी चिंता नहीं करनी हैं. क्‍योंकि हम आपको इस तरह के सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं.

ब्रोकरेज कंपनी बंद होने पर आपके निवेश का क्‍या होगा?

आप यह जानकार राहत की सांस ले सकते हैं कि स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनी के डिफॉल्‍ट करने या बंद होने के बाद भी क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? आपकी पूंजी या फंड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि स्‍टॉक ब्रोकर आपकी पूंजी लेकर भाग जाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो जब हर्षद मेहता स्‍कैम सामने आया था, तब उनकी ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट को सेबी ने बैन कर दिया था. लेकिन इस कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ.

आपको सबसे पहले यह समझने की जरूरत कि ये स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां महज एक बिचौलिए के तौर पर काम करती हैं. आपके फंड पर इनकी पहुंच सीधे तौर पर नहीं होती है ताकि वे आपकी पूंजी पर अपना हम जमा सकें. लेकिन इनके पास पड़ी अपनी फंड या पूंजी को इस्‍तेमाल करने के लिए आप इन्‍हें निर्देश दे सकते हैं.

स्‍टॉक्‍स और शेयरों का क्‍या होगा?

आपका फंड डीमैट अकाउंट में जमा होता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज के पास खुलात है. सेबी ने दो डिपॉजिटरीज – नेशनल सिक्‍योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (CDSL) को मंजूरी दी है. भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय के प्रति सेबी की जवाबदेही होती है.

किसी भी समय पर एक निवेशक का स्‍टॉक या शेयर ब्रोकरेज फर्म्‍स के पास नहीं होता है. वे बस एक प्‍लेटफॉर्म के तौर पर काम करते हैं. इनका काम बस आपके निर्देश के हिसाब से आपकी जगह ट्रेड करना है. बदले में ये आपसे फीस वसूलते हैं.

इसी प्रकार आपका म्‍यूचुअल फंड इन्‍वेस्‍टमेंट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास होता है. ऐसे में अगर ब्रोकरेज फर्म बंद भी हो जाता है तो आपका म्‍यूचुअल फंड सुरक्षित रहेगा.

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।

क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।

IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।

जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।

IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।

आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।

अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।

ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।

क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।

IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।

जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।

IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।

आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।

अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।

ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के क्यों डाउन होती है शेयर मार्केट? जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।

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