Zerodha के सीईओ Nithin Kamath का रिटेल ट्रेडर्स को सुझाव, शेयर बाजार में यूं सुधारें अपना प्रदर्शन

जीरोधा के सीईओ नितिन कामत ने एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है रिटेल ट्रेडर्स को कुछ अहम सुझाव दिए हैं

ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) ने सोमवार को रिटेल ट्रेडर्स को शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए ट्रेडिंग को लेकर कुछ जरूरी और अहम सुझाव दिए। देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म के CEO ने कहा कि लोगों के बीच ऐसी धारणा है कि लागातार सक्रिय रहकर ट्रेडिंग करने से अच्छा पैसा बनाया जा सकता है। कामत ने कहा कि हकीकत इस धारणा के बिल्कुल उलट है और सक्रिय रूप से ट्रेडिंग करना जीवन में आसान पैसा बनाने का सबसे कठिन तरीका है।

कामत ने कहा, "इसके अलावा लगातार सक्रिय रहते हुए ट्रेडिंग करना काफी तनावपूर्ण होता है और तनाव ऐसी चीज होती है, जो बढ़ती ही जाती है।" उन्होंने सुझाव दिया, "अच्छा ट्रेड करने के लिए आपको कम ट्रेडिंग करने की जरूरत है। कम ट्रेडिंग से यहां मतलब- ट्रेडिंग की संख्या और पूंजी दोनो है।"

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इससे पहले अक्टूबर महीने में नितिन कामत ने एल्गोरिदम ट्रेडिंग को लेकर फैले कुछ मिथ को तोड़ने का काम किया था। एल्गोरिदम ट्रेडिंग, एक तरह की ट्रेडिंग है जिसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से किया जाता है। इसमें ट्रेडिंग से जुड़े कई नियमों को एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में फिट कर दिया जाता है और फिर कंप्यूटर उस प्रोग्रामिंग के आधार पर किसी शेयर को खरीदता या बेचता है।

कामत ने कहा, "मैं पिछले कुछ समय से सुन रहा हूं कि एल्गो ट्रेडिंग करना काफी मुनाफे का सौदा है, जो कि सही नहीं है।" उन्होंने कहा, "यह सही है कि एल्गो में भावनाएं नहीं होती है, लेकिन यह उतना ही सही है कि जितना कि उसका प्रोग्रामिंग लिखने वाला या उसे कंट्रोल करने वाला शख्स। और हर शख्स लालच और भय से जूझता रहता है।"

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Cryptocurrency : क्या है क्रिप्टो का R.O.H.A.S. फॉर्मूला? निवेश करते समय जरूर जान लें ये गणित

चीफ ब्लॉकचेन आर्किटेक्ट रोहास नागपाल ने एक क्रिप्टो वैल्यूएटर यानी क्रिप्टोकरेंसी को कई पैमानों पर परखने का एक सिस्टम तैयार किया है. उनका कहना है कि इससे निवेशक किसी भी क्रिप्टो पर जरूरी आंकड़ों को समझ सकते हैं, और निवेश को लेकर सही फैसला ले सकते हैं.

Cryptocurrency : क्या है क्रिप्टो का R.O.H.A.S. फॉर्मूला? निवेश करते समय जरूर जान लें ये गणित

Cryptocurrency Investment : क्रिप्टो में निवेश का गुणा-गणित समझें. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तेजी से बढ़ती क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में आज 6,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग (Cryptocurrency Trading) हो रही है. ऐसे में आप अपने निवेश के लिए सबसे बेहतर कॉइन कैसे चुन सकते हैं? अगर आपका कहना है कि आपको अनुमानों का सहारा लेना पड़ेगा, तो ऐसा सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं. हालांकि, यह अप्रोच बहुत सही भी नहीं है. समझदार निवेशक हमेशा अपनी रिसर्च करते हैं. चीफ ब्लॉकचेन आर्किटेक्ट रोहास नागपाल (Rohas Nagpal) ने एक क्रिप्टो वैल्यूएटर (Crypto Valuator) यानी क्रिप्टोकरेंसी को कई पैमानों पर परखने का एक सिस्टम तैयार किया है. उनका कहना है कि इससे निवेशक किसी भी क्रिप्टो पर जरूरी आंकड़ों को समझ सकते हैं, और निवेश को लेकर सही फैसला ले सकते हैं.

ये फॉर्मूला है:

  1. R = रेवेन्यू (Revenue)
  2. O = ऑर्गनाइजेशन (Organization)
  3. H = हिस्ट्री (History)
  4. A = एल्गोरिदम (Algorithm)
  5. S = सोशल इंगेजमेंट (Social engagement)

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आइए इसे विस्तार में समझते हैं

R = रेवेन्यू (Revenue)

पहले हमें यह जानना होगा कि क्रिप्टो का रेवेन्यू मॉडल या इकोनॉमिक इंपैक्ट यानी आर्थिक प्रभाव क्या होता है. चूंकि क्रिप्टो एक वित्तीय संपत्ति है, ऐसे में इससे या तो किसी समस्या का समाधान निकलेगा या फिर उम्मीद होगी कि ये अपने इकोसिस्टम के लिए कुछ फंड पैदा करे. इसके इकोसिस्टम में माइनर्स, नोड ऑपरेटर्स, पार्टनर्स और प्लेटफॉर्म के स्टार्टअप्स भी शामिल हो सकते हैं.

O = ऑर्गनाइजेशन (Organization)

किसी भी क्रिप्टो में निवेश करने से पहले यह जान लेना चाहिए कि उस कॉइन के पीछे कौन सा संगठन है. वैसे तो क्रिप्टोकरेंसी का कॉन्सेप्ट ही डिसेंट्रलाइज्ड यानी विकेंद्रित यानी बस एक बिंदू से नियंत्रित न किया जा सकने वाला सिस्टम है. इसका मतलब है कि क्रिप्टो के एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है पीछे कोई एक संस्था या कुछ लोगों का समूह नहीं होना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है. ऐसे में यह देखना बहुत जरूरी है कि किसी क्रिप्टो के फाउंडर कौन हैं, उसको डेवेलप किसने किया है, मार्केटिंग कौन कर रहा है, वगैरह-वगैरह. किसी भी क्रिप्टो के पीछे एक एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है कुशल, अनुभवी और प्रतिष्ठित टीम का होना जरूरी है, जिसकी बाजार में विश्वसनीयता हो, सोशल मीडिया में सकारात्मक छवि हो.

H = हिस्ट्री (History)

किसी भी क्रिप्टो की हिस्ट्री देखनी जरूरी होती है. इसमें दो चीजें जाननी अहम होती हैं, पहली- क्या इस कॉइन ने अतीत में अपने प्रोजेक्ट माइलस्टोन को वक्त पर पूरा किया है या नहीं. ईथर सहित कई ऐसे बड़े क्रिप्टो कॉइन्स हैं, जो इस पहलू पर आकर पिछड़ जाते हैं. दूसरी चीज जो होती है वो ये कि उस क्रिप्टो की हिस्ट्री और लिक्विडिटी कैसी रही है. आदर्श रूप से, किसी भी क्रिप्टो के एक्टिव यूजर्स और ट्रेडिंग वॉल्यूम में मजबूत ग्रोथ दिखनी चाहिए. साथ ही बाजार में इसकी लिक्विडिटी यानी क्षमता और उपयोगिता कितनी है, ये मल्टीपल ट्रेड पेयर्स में उपलब्ध है या नहीं, ये भी अहम है. वो क्रिप्टो ज्यादा से ज्यादा विश्वसनीय ट्रेडिंग एक्सचेंज पर उपलब्ध हो तो बहुत अच्छी बात है.

A = एल्गोरिदम (Algorithm)

यहां हम तीन पहलुओं पर बात करेंगे- consensus mechanism, source code, और developer pool.

consensus mechanism उस सिस्टम को कहते हैं, जिसमें किसी भी भी नेटवर्क पर मौजूद कई एजेंटों के बीच किसी एक डेटा वैल्यू या एक नेटवर्क पर बराबर अग्रीमेंट होता है. इस सिस्टम का सुरक्षित, सक्षम और पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव होना चाहिए.

इसके बाद सोर्स कोड की बारी आती है. सोर्स कोड हाई क्वालिटी का होना चाहिए. इसमें कुछ फैक्टर्स हैं, जिनका ध्यान रखना चाहिए:

  • थर्ड पार्टी ऑडिट्स (Third-party audits),
  • पुल रिक्वेस्ट्स (Pull requests),
  • समस्याएं और उनका समाधान (Issues and their resolution),
  • स्टार्स (Stars),
  • क्रिप्टो में कमिटमेंट की क्वालिटी और क्वांटिटी (Quantity and quality of commits),
  • फोर्क्स (Forks),
  • डॉक्यूमेंटेशन (Documentation)

डेवलपर पूल में यह देखना चाहिए कि सक्षम डेवलपर टैलेंट की उपलब्धता लंबे समय तक है या नहीं. कोडिंग स्किल्स, टैलेंट की उपलब्धता, सीखने के स्रोतों की उपलब्धता और कौशल को बढ़ाने के साधन वगैरह इसके अहम पहलू होते हैं.

S = सोशल इंगेजमेंट (Social engagement)

यह फैक्टर भी किसी क्रिप्टो की अहमियत तय करता है कि उसकी कम्युनिटी में कितना सोशल इंगेजमेंट है. सभी सफल क्रिप्टोकरेंसी की बड़ी, एक्टिव, इंगेजिंग और पॉजिटिव कम्युनिटी है, जो इस क्रिप्टो की वैल्यू और पॉपुलैरिटी में इजाफा करते हैं.

शब्दों की क्रिप्टोग्राफी शब्दावली — अक्षर 'ए'

एडम बैक : एडम बैक यूनाइटेड किंगडम के एक विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश क्रिप्टोग्राफर, साइफरपंक और क्रिप्टो उद्योग का आंकड़ा है, जो अब ब्लॉकस्ट्रीम नामक कंपनी चलाता है। एडम ने 1997 में हैशकैश (कार्य प्रणाली का एक प्रमाण) भी बनाया, अब इसका उपयोग बिटकॉइन खनन में प्रूफ ऑफ वर्क एल्गोरिदम में किया जाता है।

एयर गैप : यदि डेटा को एक्सेस नहीं किया जा सकता है, तो इसे संक्रमित या दूषित नहीं किया जा सकता है - यह एक एयर गैप की अवधारणा है।

Airdrop : एक एयरड्रॉप एक मार्केटिंग नौटंकी है जिसमें आमतौर पर एक नई क्रिप्टो मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए अपने बटुए के पते पर मुफ्त सिक्के भेजना शामिल होता है।

एल्गो-ट्रेडिंग (एल्गोरिथम ट्रेडिंग) : एल्गो-ट्रेडिंग एक स्वचालित ट्रेडिंग सिस्टम है जहां कंप्यूटर प्रोग्राम या एल्गोरिदम के नियमों के अनुसार ऑर्डर खरीदने और बेचने के लिए रखा जाता है।

Altcoins: बिटकॉइन के लिए वैकल्पिक क्रिप्टोकरेंसी। उदाहरण: एथेरियम, बिटकॉइन कैश, लाइटकोइन डॉगकोइन, आदि - जिसे 'शिटकोइन्स' के रूप में भी जाना जाता है।

Amazon S3 : Amazon Simple Storage Service (S3) किसी भी समय और कहीं भी डेटा को स्टोर और पुनः प्राप्त करने के लिए एक स्केलेबल, हाई-स्पीड और सस्ती वेब-आधारित क्लाउड स्टोरेज सेवा है।

AML : एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक संक्षिप्त शब्द।

AMLD5: यूरोपीय संघ का 5 वां एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग डायरेक्टिव (AMDL5) यूनियन के एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) फ्रेमवर्क का एक अपडेट है।

एपिंग : एपिंग तब होता है जब एक क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडर पूरी तरह से शोध किए बिना टोकन प्रोजेक्ट लॉन्च के तुरंत बाद एक टोकन खरीदता है।

API : API का अर्थ एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस है। यह सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों के निर्माण के लिए रूटीन, प्रोटोकॉल और टूल का एक सेट है। API निर्दिष्ट करते हैं कि सॉफ़्टवेयर घटकों को कैसे सहभागिता करनी चाहिए, जैसे कि किस डेटा का उपयोग करना है और कौन सी कार्रवाइयाँ की जानी चाहिए।

Ashdraked : Ashdraked होने के नाते Zhoutonged होने का एक अधिक विस्तृत संस्करण है। यह तब होता है जब आप अपनी सभी निवेशित पूंजी खो देते हैं, एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है लेकिन आप विशेष रूप से बिटकॉइन को छोटा करके ऐसा करते हैं। अभिव्यक्ति “Ashdraked” एक रोमानियाई क्रिप्टोक्यूरेंसी निवेशक की कहानी से आती है, जिसने बीटीसी को छोटा करने पर जोर दिया था, जैसा कि उसने अतीत में सफलतापूर्वक किया था। जब BTC की कीमत 300 USD से बढ़कर 500 USD हो गई, तो रोमानियाई निवेशक ने अपना सारा पैसा खो दिया।

ASIC मशीन : एक एप्लिकेशन-विशिष्ट एकीकृत सर्किट (ASIC) एक प्रकार का सर्किट है जिसे एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किया गया है। ASIC माइनर एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसका एकमात्र उद्देश्य डिजिटल मुद्रा खनन करना है। ASIC खनिक अक्सर एक विशिष्ट डिजिटल मुद्रा को खदान करने के लिए बनाए जाते हैं।

ASIC प्रतिरोधी : यह उन ब्लॉकचेन को संदर्भित करता है जिन्हें ASIC के ओवर कंज्यूमर हार्डवेयर का उपयोग करते समय कोई लाभ नहीं देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे Ethereum (ETH) और Monero (XMR) दोनों ASIC प्रतिरोधी होने के लिए तैयार हैं।

Astroturfing : विपणन अभियानों को छिपाने की प्रथा या अन्यथा प्रायोजित संदेश वास्तविक समुदाय के सदस्यों के अनपेक्षित विचारों के रूप में।

ATH : एक क्रिप्टोकरेंसी के 'ऑल टाइम हाई' मूल्य के लिए एक संक्षिप्त नाम।

ATL : एक क्रिप्टोकरेंसी के 'ऑल टाइम लो' मूल्य के लिए एक संक्षिप्त नाम।

परमाणु स्वैप : लोगों को सीधे और लागत प्रभावी ढंग से एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी को दूसरे के लिए, वर्तमान दरों पर, खरीदने या बेचने की आवश्यकता के बिना विनिमय करने का एक तरीका।

ऑस्ट्रियाई स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स: वियना में 19 वीं सदी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उत्पन्न आर्थिक दर्शन का एक सेट। इस स्कूल के नेताओं में कार्ल मेंजर, लुडविग वॉन मिस और फ्रेडरिक हायेक शामिल हैं। शास्त्रीय अर्थशास्त्र के विपरीत, यह तर्क देता है कि कीमतें व्यक्तिपरक कारकों द्वारा निर्धारित की जाती हैं।

स्वचालित बाजार निर्माता (एएमएम) : एक स्वचालित बाजार निर्माता (एएमएम) एक ऐसी प्रणाली है जो स्वचालित ट्रेडिंग के माध्यम से संचालित होने वाले एक्सचेंज को तरलता प्रदान करती है

Cryptocurrency क्या है? ट्रेडिंग से पहले जान लें जरूरी बातें

Cryptocurrency:क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है. यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता.

  • Paurav Joshi
  • Publish Date - August 11, 2021 / 02:48 PM IST

Cryptocurrency क्या है? ट्रेडिंग से पहले जान लें जरूरी बातें

बिटकॉइन एक किस्म की वर्चुअल करेंसी है. जो 2009 मं शुरू हुई थी. फिलहाल बिटकॉइन तेजी से एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है लोकप्रिय हो रहे हैं.

एक वक्त था, जब दुनिया में कोई मुद्रा (Currency) नहीं थी. सिर्फ वस्तुओं के बदले वस्तुओं का लेन-देन होता था. लेकिन उसके बाद नोट और सिक्के अस्तित्व में आए. आज यही नोट और सिक्के हमारी मुख्य Currency हैं. लेकिन इसके अलावा भी एक करेंसी है, जो पूरी तरह Digital है. इसे Cryptocurrency कहा जाता है.

आखिर क्या है क्रिप्टो करेंसी?

क्रिप्टो करेंसी Cryptocurrency एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है. यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है में भी नहीं होती. अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता. सबसे ज्यादा पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन, इथीरियम और डॉजकॉइन जैसे कुछ और कॉइन्स हैं. आज की तारीख में बिटकॉइन का बाजार 4 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है. अब सवाल है कि जब पूरा मामला कंप्यूटर आधारित है तो इसे कैसे सुरक्षित बनाएं?

1-छोटी बचत से शुरुआत

शुरू में उतना ही निवेश करें जितना घाटा सहने की क्षमता हो. यानी कि निवेश पर कुछ न भी मिले तो आपकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल नहीं होनी चाहिए. ठीक स्टॉक मार्केट की तरह ही cryptocurrency को भी लें कि बाजार में गिरावट आई तो मिनटों में कमाई जा सकती है. अपनी कमाई का एक हिस्सा क्रिप्टोकरंसी के लिए पहले ही बाहर निकाल दें जिसे सुविधा के हिसाब से खरीद बिक्री कर सकें.

2- एक ही क्रिप्टो में निवेश करें

निवेश की शुरुआत में एक ही क्रिप्टो (Cryptocurrency) में निवेश करें. और ऐसा ही क्रिप्टोकॉइन या टोकन चुनें, जिसमें निवेश को लेकर आप पूरी तरह से श्योर हों. निवेश के बाद अपने फैसले पर अडिग रहें और फिर अपना प्रोग्रेस मॉनिटर करें. इसके बाद ही अपना पोर्टफोलियो बढ़ाने के बारे में सोचें.

3- क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज का चयन

क्रिप्टो में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको सबसे बेहतर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ढूंढना होगा. भारत में फिलहाल बहुत सारे एक्सचेंज काम कर रहे हैं, जिसमें CoinSwitch Kuber, WazirX, BuyUCoin सहित कई अन्य हैं.

4-सुरक्षित वॉलेट की जरूरत

क्रिप्टोकरंसी को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी होती है एक सुरक्षित वॉलेट की. इस वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की कुंजी (key) को रखा जाता है. यही वॉलेट आपकी करंसी और ब्लॉकचेन के बीच लिंक करता है.

5- पेमेंट का तरीका

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) लेने से पहले उसका पेमेंट करने का तरीका जरूर जान लें. कई क्रिप्टो एक्सचेंज क्रेडिट कार्ड या बैंक ट्रांसफर की इजाजत देते हैं.

6- अपना ट्रेडिंग ऑर्डर डालना

एक्सचेंज के पास डॉक्यूमेंट और पैसे डिपॉजिट करने के बाद जरूरी नहीं है कि आप तुरंत ट्रेडिंग शुरू कर पाएंगे. इसके बाद वो एक्सचेंज आपकी डिटेल्स को वेरिफाई करेगा, इसमें थोड़ा टाइम लग सकता है. जब केवाईसी प्रोसेस पूरा हो जाता है तो एक्सचेंज अपने यूजर को इसे लेकर नोटिफाई कर देता है. रही बात कि ट्रेडिंग की तो क्रिप्टो मार्केट 24/7 खुला रहता है, आप कभी-कभी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं.

7- जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपलोड करना

क्रिप्टो एक्सचेंज पर ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने के लिए आपको आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, पैन कार्ड वगैरह जैसे डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आपका अकाउंट वैध और सही हो. इसके अलावा आपको अपना पेमेंट ऑप्शन भी देना होगा.

Cryptocurrency के नुकसान

Cryptocurrency में एक बार transaction पूर्ण हो जाने पर उसे reverse कर पाना असंभव होता है क्यूंकि इसमें वैसे कोई options ही नहीं होती है.
अगर आपका Wallet के ID खो जाती है तब वो हमेशा के लिए खो जाती है क्यूंकि इसे दुबारा प्राप्त करना संभव नहीं है.

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