आपका कॉन्टेंट हमारे लिए अहम है
AdSense का इस्तेमाल 20 लाख (2 मिलियन) लोग कर रहे हैं, इसकी वजह यहां दी गई है
अपनी साइट से पैसे कमाएं
विज्ञापन देने वाले लाखों लोग आपके विज्ञापन स्पेस के लिए बोली लगाते हैं. इससे, विज्ञापन के ज़्यादा स्पेस भरेंगे, ज़्यादा काम के विज्ञापन दिखेंगे, और कमाई भी ज़्यादा होगी.
मोबाइल के लिए ऑप्टिमाइज़ विज्ञापन
Google आपकी विज्ञापन यूनिट के साइज़ को ऑप्टिमाइज़ कर सकता है, ताकि डेस्कटॉप या मोबाइल पर ये अपने-आप फ़िट हो सकें. इससे, उनके दिखने और उन पर क्लिक किए जाने की संभावना बढ़ जाती है.
समय बचाएं
अपनी साइट पर एक छोटा-सा कोड जोड़ें. इसके बाद, Google आपकी साइट के लेआउट के मुताबिक बनाए गए विज्ञापनों को अपने-आप दिखाएगा. इस तरह, विज्ञापन कोड में बदलाव करने में लगने वाला आपका समय बचेगा.
देखें कि AdSense से आपकी कितनी कमाई हो सकती है
अपनी संभावित आय देखने के लिए, अपनी साइट की कोई एक कैटगरी और साइट पर आने वाले लोगों का इलाका चुनें.
साइट पर आने वाले लोगों की जगह और कॉन्टेंट की कैटगरी को इस तरह सेट किया गया है
हर महीने मिलने वाले पेज व्यू
हर महीने आपकी वेबसाइट के पेज कितनी बार लोड हुए और कितने लोगों ने उन्हें देखा.
आपकी संभावित सालाना आय
यह एक अनुमान है जिसका इस्तेमाल संदर्भ के रूप में किया जाना चाहिए.
* आपकी कमाई कितनी होगी, इसकी कोई गारंटी या वादा नहीं है. ये अनुमान चुने गए कॉन्टेंट की कैटगरी और इलाके के आधार पर दिए गए हैं. असल आय कई चीज़ों पर निर्भर करती है, जैसे कि विज्ञापन देने वाले की मांग, इस्तेमाल करने वाले की जगह, डिवाइस, कॉन्टेंट का विषय, सीज़न, विज्ञापन का साइज़, और मुद्रा विनिमय की दरें.
सबसे ज़्यादा पैसे चुकाने वाले विज्ञापन ही लाइव दिखाए जाते हैं
ऑनलाइन विज्ञापन देने वालों के सबसे बड़े नेटवर्क में शामिल होकर अपनी आय बढ़ाएं. जो लोग आपके विज्ञापन स्पेस के लिए बोली लगाते हैं वे ही ये विज्ञापन देते हैं.
ऑडियंस को उनके काम के विज्ञापन दिखेंगे
विज्ञापनों की जांच की जाती है, ताकि यह पक्का हो सके कि वे अच्छी क्वालिटी और आपके कॉन्टेंट या ऑडियंस के काम के हों, भले ही उन्हें स्मार्ट फ़ोन और टैबलेट पर ही क्यों न देखा जा रहा हो. इसका नतीजा? ऑनलाइन ज़्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं.
हर चीज़ का कंट्रोल आपके पास होता है
ऐसे विज्ञापन जो लोगों को नहीं दिखाए जाने चाहिए उन्हें ब्लॉक किया जा सकता है. साथ ही, आपको यह चुनने का विकल्प भी मिलता है कि किस तरह के विज्ञापन आपकी साइट के लिए सही हैं और वे कहां दिखें.
शुरू करें
AdSense के साथ काम शुरू करने के लिए आपको बस तीन चीज़ें चाहिए
Google खाता
अगर आप Gmail या किसी दूसरी Google सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पास पहले से एक खाता है. अगर ऐसा नहीं है, तो साइन अप करने के लिए बस क्लिक करें और हम एक नया खाता बनाने में आपकी मदद करेंगे. इससे आप AdSense और Google के सभी उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
फ़ोन नंबर और डाक का पता
आपके फ़ोन नंबर और डाक के पते को आपके बैंक खाते से जोड़ दिया जाता है, ताकि आपको पैसे मिल सके.
अपनी साइट को AdSense से कनेक्ट करें
अपनी साइट में छोटा सा कोड जोड़ें और बाकी काम Google खुद कर लेगा. इससे आप अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान दे सकते हैं.
AdSense विशेषज्ञ से संपर्क करके अपने लिए खास सहायता पाएं.
ऐसा लगता है कि यह Google खाता किसी AdSense खाते से नहीं जुड़ा हुआ है. चिंता वाली कोई बात नहीं है. आपके पास दो विकल्प हैं. आप या तो AdSense से जुड़े Google खाते से साइन इन करें या आज ही AdSense खाते के लिए साइन अप करें.
आपके Google खाते में आपके जन्म की तारीख मौजूद नहीं है. आगे बढ़ने के लिए, कृपया यहां अपनी जानकारी अपडेट करें. इसके बाद, फिर से कोशिश करें.
जैसा कि AdSense के नियमों और शर्तों में बताया गया है, AdSense से कमाई करने के लिए एक उम्र तय की गई है. आपकी उम्र उससे कम नहीं होनी चाहिए.
अगर आपकी उम्र कम है, तो आपके माता-पिता या अभिभावक आपकी तरफ़ से ऐप्लिकेशन सबमिट कर सकते हैं.
आधार कार्ड - अप्लीकेशन और रजिस्ट्रेशन कैसे करें
क्या आप अभी तक अपने आधार कार्ड के लिए अप्लीकेशन कर सकते हैं? अभी करे। आधार की अप्लीकेशन और रजिस्ट्रेशन प्रासेस को ईजी बना दिया गया है!
आधार कार्ड
युनीक आइडेंटिफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार को इंडिया के सभी सिटीजन के लिए 12 डिजिट की स्पेशल आइडेंटिफिकेशन नंबर डिक्लेयर किया । इंडिया के रेजीडेंट्स ने कई गवर्नमेंट –अथराइज्ड आधार रजिस्ट्रेशन केंद्रों पर अपने बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकी डेटा देकर यह नंबर प्राप्त की । लिंग और एज के डिस्पाइट कोई भी इंडिविजुएल जो इंडिया का रेजीडेंट्स या सिटीजन है एजिली आधार नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है । रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के ड्यूरिंग मिनिमम डेमोग्रेफ़िक और बायोमेट्रिक डेटा देना होगा जो कंप्लीट वे से फ्री है।
आधार रजिस्ट्रेशन के लिए एलिजिबिलिटी
UIDAI द्वारा इंडिया के रेजीडेंट के लिए आधार इश्यू करने का विचार उन्हें एक रिपोर्ट के साथ तैयार करना था जिसका यूज कई ऐम के लिए एक युनीक आइडेंटिटी प्रूफ के रूप में किया जा सकता है। यह ओन्ली एक डिटेल नंबर से अधिक है। हालांकि यह केवल प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? इंडियन ही नहीं है जो आधार के लिए अप्लीकेशन कर सकते हैं । आधार रजिस्ट्रेशन के लिए एलिजिबिलिटी इस प्रकार हैं-
- अपीलेंट इंडिया में रहने वाला एक इंडियन रेजीडेंट रेजीडेंट है या
- उम्मीदवार इंडिया में रहने वाला एक नॉन-रेजीडेंट है या
- आधार अप्लीकेन्ट इंडिया में रहने वाला एक फारेनर है
रेजीडेंट इंडियन के लिए आधार कार्ड
हर इंडियन सिटीजन आधार कार्ड के लिए अप्लीकेशन कर सकता है । इसके अलावा इंडिया गवर्नमेंट ने टैक्स पेयर्स के लिए अपने ईयरली इन्कम टैक्स रिटर्न (ITR) को रजिस्टर्ड करने के लिए अपने पैन को आधार से लिंक मेंडेटरी कर दिया है।
माइनर्स के लिए आधार कार्ड
वोटर आईडी के अपोजीट चाइल्ड के लिए भी आधार रजिस्ट्रेशन पासिबल है। माइनोरिटी के लिए आधार कार्ड के लिए अप्लीकेशन करने के लिए आपको माता-पिता की आइडेंटी और प्लेस के वेरिफिकेशन के साथ बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट देना होगा। आधार के लिए न्यू बोर्न चाइल्ड को भी रजिस्टर्ड किया जा सकता है । लेकिन उन्हें अपने बायोमेट्रिक डेटा को मॉडर्न बनाना होगा क्योंकि वे 5 और 15 साल की एज में बदल जाते हैं। 5 ईयर से कम उम्र के बच्चों के लिए बाल आधार कार्ड का कलर ब्लू है ।
फारेनर्स के लिए आधार
एक आधार कार्ड इंडियन सिटीजन के सर्टिफिकेट के रूप में काम नहीं करता है। इसमें किसी इंडिविजुएल की आइडेंटी करने के लिए आवश्यक कई डिटेल इंकलुड़ हैं। इसलिए जो फारेनर्स इंडिया में रह रहे हैं वे आधार प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? के लिए एलीजिबल हैं वेल ,वे दूसरे देश के रेजीडेंट हों। हालांकि उन्हें आधार के लिए एलीजिबल होने के लिए लास्ट 12 मंथ में 182 दिनों से अधिक समय तक इंडिया में रहना होगा ।
आधार कार्ड के लिए अप्लीकेशन कैसे करें ?
रिगूलर रूल और एक स्टेप टु स्टेप मेथोड है जिसे आधार कार्ड के लिए अप्लीकेसन करने के लिए देवलप करने की आवश्यकता है । कंडीडेट से आधार रजिस्ट्रेसन के टाइम एक्सपेकटेड डेटा देने की होप की जाती है और जब इस तरह की जानकारी की कन्फार्मेशन की जाती है तो आधार कार्ड बनाया जाता है। आप आधार रजिस्ट्रेशन स्थिति की समीक्षा ऑनलाइन भी कर सकते हैं।
ऑनलाइन ठगी के हैं शिकार, तो इस नंबर पर मदद करेगी सरकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन शुरू किया है. राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र की सुविधा देता है, ताकि उनकी गाढ़ी कमाई की हानि को रोका जा सके.
जितेंद्र बहादुर सिंह
- नई दिल्ली ,
- 18 जून 2021,
- (अपडेटेड 18 जून 2021, 7:59 AM IST)
- ऑनलाइन ठगी के शिकार लोगों के पैसे हो सकेंगे वापस
- राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म पर करें शिकायत
- सायबर अपराध करने वालों पर कसेगा शिकंजा
सुरक्षित डिजिटल पेमेंट इको-सिस्टम प्रदान करने और साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन शुरू किया है. राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र की सुविधा देता है, ताकि उनकी गाढ़ी कमाई की हानि को रोका जा सके.
इससे पहले इस हेल्पलाइन को 01 अप्रैल, 2021 के दिन सॉफ्ट लॉन्च किया गया था. हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सभी प्रमुख बैंक, भुगतान बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन मर्चेंट के सक्रिय समर्थन और सहयोग से गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4सी) द्वारा संचालित किया जा रहा है.
कानून प्रवर्तन एजेंसियों और बैंकों एवं वित्तीय मध्यस्थों को एकीकृत करने के उद्देश्य से आई4सी द्वारा प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? आतंरिक रूप से नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है. वर्तमान में हेल्पलाइन नंबर 155260 के साथ इसका उपयोग सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा किया जा रहा है, जो देश की 35 प्रतिशत से भी अधिक आबादी को कवर करते हैं.
जालसाजों द्वारा ठगे गए धन के प्रवाह प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? को रोकने के लिए अन्य राज्यों में भी इसकी शुरुआत की जा रही है, ताकि पूरे देश में इसकी कवरेज हो सके. अपनी लॉन्चिंग के बाद केवल दो माह की छोटी सी अवधि में ही हेल्पलाइन नंबर 155260 कुल 1.85 करोड़ रुपये से भी अधिक की धोखाधड़ी की गई रकम को जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में सफल रहा है. दिल्ली एवं राजस्थान ने क्रमशः 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये की बचत की है.
ये हेल्पलाइन और इससे जुड़े प्लेटफॉर्म कुछ इस तरह काम करते हैंः
1. साइबर ठगी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.
2. कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी लिखता है, और इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज करता है.
3. फिर ये टिकट संबंधित प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है, और ये इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वो बैंक/वॉलेट हैं जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है.
4. फिर पीड़ित को एक एसएमएस भेजा जाता है जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करें.
5. अब संबंधित बैंक, जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वो अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है.
6. अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी मौजूद है, तो बैंक उसे रोक देता है, यानी जालसाज उस पैसे को निकलवा नहीं सकता है. अगर वो धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है, तो वो टिकट उस अगले बैंक को पहुंचाया जाता है, जहां पैसा चला गया है. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक कि पैसा जालसाजों के हाथों में पहुंचने से बचा नहीं लिया जाता.
मौजूदा समय में ये हेल्पलाइन और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म में सारे प्रमुख सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं. इनमें उल्लेखनीय हैं - भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडसइंड, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस, यस और कोटक महिंद्रा बैंक. इससे सभी प्रमुख वॉलेट और मर्चेंट भी जुड़े हुए हैं, जैसे - पेटीएम, फोनपे, मोबीक्विक, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन.
इस हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई मौकों पर ठगी के पैसे का नामोनिशान मिटाने के लिए ठगों द्वारा उसे पांच अलग-अलग बैंकों में डालने के बाद भी उसे ठगों तक पहुंचने से रोका गया है.
अगर कल तक पैन-आधार को लिंक नहीं किया तो देना होगा 500 से 1,000 रुपये का जुर्माना, साथ में.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा 29 मार्च, 2022 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, समय सीमा समाप्त होने के बाद तीन महीने के भीतर पैन-आधार को लिंक करने पर 500 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।
PAN-Aadhaar linking deadline: पैन को आधार से जोड़ने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2022 है। यानी कल तक अगर आपने अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं कराते हैं तो आपको तगड़ा जुर्माना देना पड़ सकता है। जी हां..अगर आप किसी कारणवश 31 मार्च से पहले पैन को आधार से लिंक (Pan-Aadhaar linking deadline) कराने में विफल रहते हैं और आप 1 अप्रैल 2022 के बाद लिंक कराते हैं तो उस स्थिति में आपको जुर्माना देना पड़ेगा।
क्या है नियम?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा 29 मार्च, 2022 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, समय सीमा समाप्त होने के बाद तीन महीने के भीतर पैन-आधार को लिंक करने पर 500 रुपये का शुल्क लिया जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि यदि पैन-आधार 1 अप्रैल, 2022 और 30 जून, 2022 के बीच जुड़ा हुआ है तो व्यक्ति को इसे जोड़ने के लिए 500 रुपये का जुर्माना देना होगा। अगर पैन-आधार को तीन महीने के बाद लिंक किया जाता है, तो 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
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पहले नहीं था कोई कानून
तय डेट (वर्तमान में 31 मार्च, 2022) तक पैन-आधार को लिंक नहीं करने पर जुर्माना लगाने का नियम वित्त अधिनियम 2021 में संशोधन के रूप में पेश किया गया था। आयकर अधिनियम, 1961 में धारा 234H को लगाने के लिए पेश किया गया था। तय तारीख के बाद पैन को आधार से लिंक नहीं करने पर जुर्माना देना पड़ेगा। पहले, पैन आधार को तय तारीख तक लिंक नहीं करने पर लगने वाले जुर्माने पर कोई कानून नहीं था।
फाइन के अलावा भी ये दिक्कतें
जुर्माना लगाने के अलावा, यदि तय तारीख तक पैन को आधार से नहीं जोड़ा जाता है तो किसी व्यक्ति का पैन डिएक्टिवेट हो जाएगा। एक बार जब पैन डिएक्टिवेट हो गया तो कोई व्यक्ति वित्तीय लेनदेन नहीं कर पाएगा, जहां भी पैन की डिटेल होगी। इनमें म्यूचुअल फंड, स्टॉक, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि में निवेश शामिल हैं। कई वित्तीय संस्थान जैसे बैंक, म्यूचुअल फंड, स्टॉकब्रोकर अपने ग्राहकों को ईमेल भेजकर पैन को आधार से जोड़ने की याद दिला रहे हैं।
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कैसे करें पैन को आधार से लिंक
1- सबसे पहले इनकम टैक्स की वेबसाइट पर जाएं।
2- आधार लिंक सेक्शन पर क्लिक करें।
3- अब अपना आधार कार्ड नंबर, पैन कार्ड नंबर और नाम लिखें।
4- इसके बाद लिंक आधार के ऑप्शन पर क्लिक करें। यह प्रकिया पूरी करते ही आपका आधार पैन लिंक हो जाएगा।
ऑनलाइन ठगी के हैं शिकार, तो इस नंबर पर मदद करेगी सरकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन शुरू किया है. राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र की सुविधा देता है, ताकि उनकी गाढ़ी कमाई की हानि को रोका जा सके.
जितेंद्र बहादुर सिंह
- नई दिल्ली ,
- 18 जून 2021,
- (अपडेटेड 18 जून 2021, 7:59 AM IST)
- ऑनलाइन ठगी के शिकार लोगों के पैसे हो सकेंगे वापस
- राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म पर करें शिकायत
- सायबर अपराध करने वालों पर कसेगा शिकंजा
सुरक्षित डिजिटल पेमेंट इको-सिस्टम प्रदान करने और साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन शुरू किया है. राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र की सुविधा देता है, ताकि उनकी गाढ़ी कमाई की हानि को रोका जा सके.
इससे पहले इस हेल्पलाइन को 01 अप्रैल, 2021 के दिन सॉफ्ट लॉन्च किया गया था. हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सभी प्रमुख बैंक, भुगतान बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन मर्चेंट के सक्रिय समर्थन और सहयोग से गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4सी) द्वारा संचालित किया जा रहा है.
कानून प्रवर्तन एजेंसियों और बैंकों एवं वित्तीय मध्यस्थों को एकीकृत करने के उद्देश्य से आई4सी द्वारा आतंरिक रूप से नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है. वर्तमान में हेल्पलाइन नंबर 155260 के साथ इसका उपयोग सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा किया जा रहा है, जो देश की 35 प्रतिशत से भी अधिक आबादी को कवर करते हैं.
जालसाजों द्वारा ठगे गए धन के प्रवाह को रोकने के लिए अन्य राज्यों में भी इसकी शुरुआत की जा रही है, ताकि पूरे देश में इसकी कवरेज हो सके. अपनी लॉन्चिंग के बाद केवल दो माह की छोटी सी अवधि में ही हेल्पलाइन नंबर 155260 कुल 1.85 करोड़ रुपये से भी अधिक की धोखाधड़ी की गई रकम को जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में सफल रहा है. दिल्ली एवं राजस्थान ने क्रमशः 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये की बचत की है.
ये हेल्पलाइन और इससे जुड़े प्लेटफॉर्म कुछ इस तरह काम करते हैंः
1. साइबर ठगी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.
2. कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी लिखता प्लेटफॉर्म द्वारा किस समय आधार का उपयोग किया जाता है? है, और इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज करता है.
3. फिर ये टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है, और ये इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वो बैंक/वॉलेट हैं जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है.
4. फिर पीड़ित को एक एसएमएस भेजा जाता है जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करें.
5. अब संबंधित बैंक, जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वो अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है.
6. अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी मौजूद है, तो बैंक उसे रोक देता है, यानी जालसाज उस पैसे को निकलवा नहीं सकता है. अगर वो धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है, तो वो टिकट उस अगले बैंक को पहुंचाया जाता है, जहां पैसा चला गया है. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक कि पैसा जालसाजों के हाथों में पहुंचने से बचा नहीं लिया जाता.
मौजूदा समय में ये हेल्पलाइन और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म में सारे प्रमुख सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं. इनमें उल्लेखनीय हैं - भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडसइंड, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस, यस और कोटक महिंद्रा बैंक. इससे सभी प्रमुख वॉलेट और मर्चेंट भी जुड़े हुए हैं, जैसे - पेटीएम, फोनपे, मोबीक्विक, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन.
इस हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई मौकों पर ठगी के पैसे का नामोनिशान मिटाने के लिए ठगों द्वारा उसे पांच अलग-अलग बैंकों में डालने के बाद भी उसे ठगों तक पहुंचने से रोका गया है.
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