साल 2016 में शुरू हुई थी विनिवेश की प्रक्रिया
पवन हंस सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प लिमिटेड (ONGC) के बीच 51:49 हिस्सेदारी वाला एक संयुक्त उद्यम है। यह हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता मुख्य रूप से ओएनजीसी के ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए काम करता है और पहाड़ों व दुर्गम इलाकों के लिए कुछ उड़ानें संचालित करता है। साल 2016 में सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। उस समय जिन विकल्पों पर विचार किया गया था, उनमें से एक ओएनजीसी को कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति देना भी था। हालांकि, इस विकल्प को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। साल 2018 में ओएनजीसी ने भी सरकार के रणनीतिक विनिवेश लेनदेन के बोलीदाता को समान मूल्य और शर्तों पर अपनी पूरी हिस्सेदारी देने का फैसला किया।

तीन बार बिकने में असफल रही यह कंपनी

सरकार ने अक्टूबर 2016 में पवन हंस में सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने विनिवेश के तीन असफल प्रयास किए। पहले दौर में, अक्टूबर 2017 में रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) मांगी गई थी। उस समय चार ईओआई प्राप्त हुई थी और इनमें से केवल एक पात्र पाया गया था। इसके बाद लेनदेन रद्द कर दिया गया था। दूसरे प्रयास में, अप्रैल 2018 में ईओआई मांगी गई। दो बोलीदाताओं को योग्य पाया गया और उन्हें प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) जारी किया गया। लेकिन अंत में एक अधूरी बोली प्राप्त हुई। बिक्री का तीसरा प्रयास जुलाई 2019 में हुआ। उस दौरान चार ईओआई प्राप्त हुई। इनमें से केवल एक को ही योग्य पाया गया और प्रक्रिया को फिर से रद्द कर दिया गया था। चौथी बार सरकार ने 8 दिसंबर, 2020 को ईओआई मंगाई। सात ईओआई प्राप्त हुई और चार इच्छुक बोलीदाताओं को योग्य बोलीदाताओं के रूप में चुना गया। योग्य बोलीदाताओं को वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके बाद तीन वित्तीय बोलियां प्राप्त हुईं। इसमें स्टार9 मोबिलिटी 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाकर सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में सामने आई।
Privatisation: पवन हंस की बिक्री के लिए सरकार को मिल गया खरीदार, ​जानिए कौन होगा नया ​मालिक
जानिए कैसा है पवन हंस का खरीदार

पवन हंस के लिए विजेता बोलीदाता स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड रहा है। यह बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड (Big Charter Private Limited), महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (Maharaja Aviation Private Limited) और अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी (Almas Global Opportunity Fund SPC) के बीच तीन-तरफा कंसोर्टियम है। इन तीनों कंपनियों के पास स्टार9 मोबिलिटी में क्रमशः 26%, 25% और 49% हिस्सेदारी है। कंपनी को अक्टूबर 2021 में निगमित किया गया था। यह कंपनी भी हवाई सेवाओं से जुड़ी है। कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार, यह ओएनजीसी सहित पेट्रोलियम क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एयर सपोर्ट सर्विसेज को संचालित करने की दिशा में काम कर रही है। यह हेलीकॉप्टरों द्वारा टूरिट्स चार्टर्स का संचालन भी करती है। इसके अलावा यह सरकार के निर्देशों पर या डिमांड आने पर हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराती है।

LPG Cylinder Expiry Date: आपका रसोई गैस सिलिंडर दुर्घटना से कितना सुरक्षित है, जानिए यहां

LPG Cylinder Expiry Date Information: आप रसोई में जिस सिलिंडर का उपयोग कर रहे हैं वो आपके लिए कितना सेफ है इसकी जानकारी आपको रखनी चाहिए.

By: ABP Live | Updated at : 09 Feb 2022 03:41 PM (IST)

Edited By: Meenakshi

एलपीजी सिलिंडर (फाइल फोटो)

LPG Cylinder Expiry Date Information: रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करने वालों के मन में कभी-कभी इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल मन में आते होंगे. क्या आप जानते हैं कि आपके एलपीजी सिलिंडर की एक्सपायरी डेट क्या होती है और आपके लिए ये कितने सुरक्षित होते हैं? ऑयल मार्केटिंग कंपनी आईओसीएल (इंडियन ऑयल) ने ग्राहकों के लिए बेहद काम की जानकारी दी है जो आपको भी चिंतामुक्त कर सकती है.

आईओसीएल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी
आईओसी ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी है कि सभी एलपीजी सिलिंडर एक खास तरह के स्टील और प्रोटेक्टिव कोटिंग के साथ बनते हैं और इनकी मैन्यूफैक्चरिंग BIS 3196 के तहत होती है. उन्हीं सिलेंडर मैन्यूफैक्चरर्स को इन्हें बनाने की इजाजत होती है जो चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव्स (CCOE) से मान्यता प्राप्त हों और जिनके पास बीआईएस लाइसेंस हो.

एक्सपायरी डेट से जुड़ी इंफॉर्मेशन
हालांकि ये सर्कुलर साल 2007 का है लेकिन आईओसी की वेबसाइट पर ये जानकारी भी दी गई है कि चूंकि एक्सपायरी डेट उन वस्तुओं की होती है जो किसी पर्टिकुलर समय में खराब होने वाले होते हैं. एलपीजी सिलेंडर की बात करें तो इनका निर्माण कई बाहरी और भीतरी मानकों से तय होकर निकलता है तो इनकी एक तरह से कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती और सिर्फ तय समय पर टेस्टिंग होती है.

सिलेंडर की मार्किंग या कोड के बारे में जानें-कैसे देखते हैं इसे
एलपीजी सिलेंडरों की स्टैच्युटरी टेस्टिंग और पेंटिंग के लिए समय तय किया जाता है और इनके ऊपर एक कोड की तरह ये लिखा जाता है कि अगली डेट कौनसी होगी जिसपर इन्हें टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. उदाहरण के लिए A 2022 का अर्थ है कि साल 2022 की शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है? पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में इनको टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. इसी तरह B 2022 जिन सिलेंडर पर लिखा होगा उनको साल 2022 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सिंतबर) के बीच री-टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. इसी तरह C 2022 का अर्थ है कि साल 2022 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में इनको टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. D 2022 जिन सिलेंडर पर लिखा होगा उनको साल 2022 की चौथी तिमाही यानी (जनवरी-मार्च) के बीच री-टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा.

इंडियन ऑयल की वेबसाइट का ये लिंक है काम का
अगर आपको इस बारे में और जानकारी लेनी है तो इंडियन ऑयल की वेबसाइट के इस लिंक iocl.com/pages/indane-cooking-gas-overview पर जाकर देख सकते हैं और डिटेल में सारी सूचना पढ़ सकते हैं. इसके लिए आपको इस लिंक पर जाना होगा.

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Published at : 09 Feb 2022 03:41 PM (IST) Tags: lpg cylinder indian oil IOCL Cylinder expiry Date Pipeline Gas हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

साल में एक बार बैंक अकाउंट से कटेगा 12 रुपये और आपको मिलेगा ₹2 लाख का फायदा, जानें क्या है स्कीम?

Pradhanmantri Suraksha Bima Yojana: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद से हर इंसान बीमा के महत्त्व को समझने लगे हैं। लेकिन आम आदमी के लिए बीमा लेना इतना भी आसान नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीमा.

साल में एक बार बैंक अकाउंट से कटेगा 12 रुपये और आपको मिलेगा ₹2 लाख का फायदा, जानें क्या है स्कीम?

Pradhanmantri Suraksha Bima Yojana: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद से हर इंसान बीमा के महत्त्व को समझने लगे हैं। लेकिन आम आदमी के लिए बीमा लेना इतना भी आसान नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीमा लेने के लिए प्रीमियम के तौर पर जेब ढीली करनी पड़ती है। अगर आप बीमा लेने की सोच शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है? रहे हैं वो भी कम खर्च में तो आपके लिए केंद्र की प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) एक बेहतर विकल्प है। इस बीमा योजना (Insurance policy) के तहत आप सालाना सिर्फ 12 रुपये जमा करके 2 लाख रुपये का एक्सिडेंटल इंश्योरेंस (Accidental insurance) पा सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में डिटेल्स-

जानें क्या है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY)?
इस स्कीम के तहत बीमा लेने वाले की एक्‍सीडेंट में मौत होने या पूरी तरह से अपंग होने पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलता है। स्‍थायी रूप से आंशिक अपंग होने पर 1 लाख रुपये का कवर मिलता है। इस स्कीम का सालाना प्रीमियम महज 12 रुपये है। बता दें कि मई महीने के अंत में इसका प्रीमियम जमा किया जाता है। सबसे खास बात कि आपके बैंक खाते से 31 मई को यह राशि खुद ही कट जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि अगर आपने PMSBY ली है तो अपना बैंक अकाउंट खाली न रखें।

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क्लेम की राशि का भुगतान घायल या डिसेबल होने की स्थिति में बीमित व्यक्ति के खाते में होगा। दुर्घटना में मृत्यु होने पर नॉमिनी के खाते में भुगतान किया जाएगा। सड़क, रेल या ऐसे ही किसी अन्य एक्सीडेंट, पानी मे डूबने, अपराध में शामिल होने से मौत के मामले में पुलिस रिपोर्ट करना जरूरी होगा। सांप के काटने, पेड़े से गिरने जैसे हादसों में क्लेम हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के आधार पर मिल जाएगा।

ऐसे करा सकते हैं रजिस्‍ट्रेशन
PMSBY में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कि‍सी भी बैंक में आवेदन किया जा सकता है। चाहें तो बैंक मि‍त्र या बीमा एजेंट की भी मदद ले सकते हैं। बता दें कि सरकारी बीमा कंपनियां और कई प्राइवेट बीमा कंपनियां बैंकों के साथ मिलकर इन स्‍कीम्‍स की पेशकश कर रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एक साल तक वैध रहती है। इसके बाद आपको हर साल इसे रिन्यू करवाना होता है।

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कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?
>> भारतीय नागरिक होना चाहिए।
>> 18 से 70 वर्ष कीआयु वर्ग का हो।
>> आधार के साथ जनधन या बचत बैंक खाता हो।
>> बैंक खाते से ऑटो-डेबिट हेतु सहमति।
>> 12/- रुपये प्रति वर्ष की दर से प्रीमियम।

ओमीक्रॉन की आहट से डरा शेयर बाजार, निफ्टी गिरावट के साथ 17200 से नीचे बंद

Stock market scared of Omicron

#Sharemarket: शेयर बाजार पर एक बार फिर कोविड के नये स्वरूप ओमीक्रॉन का डर हावी हो गया है. दरअसल भारत में ओमीक्रॉन के नये मामले सामने आने पर निवेशकों के बीच अनिश्चितता बढ़ गयी है, जिससे आज बिकवाली देखने को मिली है. आज के कारोबार में सेंसेक्स 765 अंक की गिरावट के साथ 57,696 के स्तर पर और निफ्टी 205 अंक की गिरावट के साथ 17197 के स्तर पर बंद हुआ है.

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क्यों आई बाजार में गिरावट


शेयर बाजार में गिरावट कोविड को लेकर नयी आशंकाओं के बीच हैवीवेट स्टॉक्स में बिकवाली की वजह से देखने को मिली है. भारत में ओमीक्रॉन के मामले मिलने के साथ अब निवेशक नये निवेश को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं. कोविड के नये वेरिएंट को लेकर अलग अलग बातें सामने आ रही हैं इसी वजह से बाजार में अनिश्चितता बढ़ गयी है और निवेशक ऊपरी स्तरों से बाजार से बाहर निकल रहे हैं. इसके साथ ही आज ही रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज स्टॉक में तेज गिरावट दर्ज हुई है. मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी में आई 2 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट से इंडेक्स पर भी दबाव देखने को मिला है.

Explainer: जानिए कैसे हेलिकॉप्टर हादसों के लिए बदनाम Pawan Hans को बेचने में सरकार के छूटे पसीने, छह साल और चार प्रयास, अब जाकर मिली सफलता

Pawan Hans Sale: पवन हंस लगातार गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 69 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसके बाद साल 2019-20 में कंपनी को करीब 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कंपनी पर 230 करोड़ रुपये का कर्ज भी है। सरकार पहले इस कंपनी को घाटे से उबारना चाहती थी। इसके लिए योजना भी बनाई गई। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

Pawan Hans sale

तीन बार बिकने में असफल रही है पवन हंस


साल 2016 में शुरू हुई थी विनिवेश की प्रक्रिया
पवन हंस सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प लिमिटेड (ONGC) के बीच 51:49 हिस्सेदारी वाला एक संयुक्त उद्यम है। यह हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता मुख्य रूप से ओएनजीसी के ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए काम करता है और पहाड़ों व दुर्गम इलाकों के लिए कुछ उड़ानें संचालित करता है। साल 2016 में सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। उस समय जिन विकल्पों पर विचार किया गया था, उनमें से एक ओएनजीसी को कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति देना भी था। हालांकि, इस विकल्प को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। साल 2018 में ओएनजीसी ने भी सरकार के रणनीतिक विनिवेश लेनदेन के बोलीदाता को समान मूल्य और शर्तों पर अपनी पूरी हिस्सेदारी देने का फैसला किया।

तीन बार बिकने में असफल रही यह कंपनी

सरकार ने अक्टूबर 2016 में पवन हंस में सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने विनिवेश के तीन असफल प्रयास किए। पहले दौर में, अक्टूबर 2017 में रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) मांगी गई थी। उस समय चार ईओआई प्राप्त हुई थी और इनमें से केवल एक पात्र पाया गया था। इसके बाद लेनदेन रद्द कर दिया गया था। दूसरे प्रयास में, अप्रैल 2018 में ईओआई मांगी गई। दो बोलीदाताओं को योग्य पाया गया और उन्हें प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) जारी किया गया। लेकिन अंत में एक अधूरी बोली प्राप्त हुई। बिक्री का तीसरा प्रयास जुलाई 2019 में हुआ। उस दौरान चार ईओआई प्राप्त हुई। इनमें से केवल एक को ही योग्य पाया गया और प्रक्रिया को फिर से रद्द कर दिया गया था। चौथी बार सरकार ने 8 दिसंबर, 2020 को ईओआई मंगाई। सात ईओआई प्राप्त हुई और चार इच्छुक बोलीदाताओं को योग्य बोलीदाताओं के रूप में चुना गया। योग्य बोलीदाताओं को वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके बाद तीन वित्तीय बोलियां प्राप्त हुईं। इसमें स्टार9 मोबिलिटी 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाकर सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में सामने आई।
Privatisation: पवन हंस की बिक्री के लिए सरकार को मिल गया खरीदार, ​जानिए कौन होगा नया ​मालिक
जानिए कैसा है पवन हंस का खरीदार

पवन हंस के लिए विजेता बोलीदाता स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड रहा है। यह बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड (Big Charter Private Limited), महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (Maharaja Aviation Private Limited) और अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी (Almas Global Opportunity Fund SPC) के बीच तीन-तरफा कंसोर्टियम है। इन तीनों कंपनियों के पास स्टार9 मोबिलिटी में क्रमशः 26%, 25% और 49% हिस्सेदारी है। कंपनी को अक्टूबर 2021 में निगमित किया गया था। यह कंपनी भी हवाई सेवाओं से जुड़ी है। कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार, यह ओएनजीसी सहित पेट्रोलियम क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एयर सपोर्ट सर्विसेज को संचालित करने की दिशा में काम कर रही है। यह हेलीकॉप्टरों द्वारा टूरिट्स चार्टर्स का संचालन भी करती है। इसके अलावा यह सरकार के निर्देशों पर या डिमांड आने पर हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराती है।

क्या कवर नहीं करती है आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी?

जिस रफ्तार से इलाज के तौर-तरीके बदल रहे हैं, उसी गति से बीमा कंपनियां खुद को नहीं बदल पा रही हैं.

क्या कवर नहीं करती है आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी?

सिग्मा टीटीके में सीओओ व कस्टमर ऑफिसर ज्योति पुंजा कहती हैं कि उनके यहां सर्जरी के तमाम तरह के दावे स्वीकार किए जाते हैं. लेकिन, शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है? हॉस्पिटल अगर रोबोटिक सर्जरी या साइबर नाइफ का सुझाव देता है तो वैसी सर्जरी पॉलिसी एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं होती हैं. इस तरह के क्लेम कवर नहीं किए जाते हैं. इन्हें पॉलिसी से बाहर रखा जाता है. स्टेम सेल थेरेपी भी कवर नहीं है.

इंश्योरेंस ब्रोकिंग फर्म सिक्योर नाउ के सह-संस्थापक और एमडी कपिल मेहता के अनुसार, कुछ बीमा कंपनियां मानती हैं कि ये स्थापित चिकित्सा तकनीकें नहीं हैं. अलबत्ता इन पर प्रयोग किया जा रहा है. यही वजह है कि इन्हें पॉलिसी से बाहर रखा जाता है. हालांकि, मरीजों को अगर डॉक्टर इन विकल्पों को चुनने की राय देते हैं तो अच्छे नतीजों के लिए उन्हें वही कराना चाहिए.

रेजिडेंट डॉक्टर के चार्ज
अगर अस्पताल रूम रेंट और रेजिडेंट डॉक्टर के चार्ज को बिल में अलग-अलग दिखाता है तो इस बात की आशंका है कि बीमा कंपनी इसका भुगतान न करे. रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस में चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर (हेल्थ इंश्योरेंस) निखिल आप्टे इसे समझाते हैं. वह कहते हैं कि तकनीकी रूप से रेजिडेंट डॉक्टर के चार्ज रूम रेंट में शामिल होने चाहिए. इसलिए बीमा कंपनी अलग से रेजिडेंट डॉक्टर के चार्ज का भुगतान नहीं करेगी.

किन बातों पर बीमा नियामक इरडा को उठाने होंगे कदम
-उसे बीमा पॉलिसी में शामिल नहीं होने वाली बीमारियों को कम से कम करना होगा ताकि हेल्थ इंश्योरेंस का कवरेज बढ़ सके.
-पॉलिसी में इस तरह की तकनीकों को बाहर रखने की सूची घटानी होगी जो नर्इ हैं.
-पॉलिसी की शब्दावली का मानकीकरण करना होगा. साथ ही इसे सरल बनाना होगा.
-इस तरह के एक्सक्लूजन की पहचान करनी होगी जिन्हें हटाया जाना चाहिए. पॉलिसी में जिन चीजों को शामिल नहीं किया जाता है उन्हें एक्सक्लूजन कहते हैं.

Master

दिन में विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक से ज्यादा विजिट
पॉलिसी में यह कवर हो भी सकता है और नहीं भी. आप्टे कहते हैं कि उनके यहां विशेषज्ञ डॉक्टर की विजिट से जुड़े सभी चार्ज का भुगतान किया जाता है. वैसे, कुछ प्रोडक्ट में उसी विशेषज्ञ डॉक्टर की एक से ज्यादा विजिट के लिए भुगतान नहीं किया जाता है. उदाहरण के लिए पॉलिसी में संभव है कि दिन में एक बार गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट या नेफरोलॉजिस्ट की विजिट कवर हो. लेकिन, उन्हीं की कर्इ विजिट शेयर बाजार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुआ है? के लिए भुगतान न किया जाता हो.

भर्ती होने के दौरान कुछ दवाएं
मेहता कहते हैं कि कर्इ बीमा कंपनियां कैंसर की कुछ दवाएं कवर नहीं करती हैं. उदाहरण के लिए संभव है कि इस तरह की कुछ दवाएं जो इंजेक्शन से दी जाती हों, वे कवर हों. वहीं, वे दवाएं न कवर हों जिन्हें मुंह से खाने के लिए कहा जाता है.

नशीले पदार्थों के कारण बीमारी
अगर किसी को गंभीर बीमारी हुर्इ है और पता चलता है कि यह शराब पीने या बहुत ज्यादा धूम्रपान के कारण हो गर्इ है तो इसका खर्च खुद उठाना पड़ सकता है. वैसे, इस तरह के मामले काफी जटिल होते हैं.

घर में उपचार
अगर बीमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है तो कर्इ बीमा कंपनियां घर पर उपचार को कवर करती हैं. इस तरह के मामलों में बीमित राशि के 10 फीसदी के बराबर भुगतान किया जाता है. प्रोबस इंश्योरेंस ब्रोकर्स के डायरेक्टर राकेश गोयल कहते हैं कि अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों के मामले में भुगतान नहीं किया जाता है. फिर भले ही मरीज घर पर उपचार कराने के मानदंडों को पूरा करता हो.

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