शेयर बाजार - Share Market
बाजार में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिभूतियों (अंश, ऋण पत्र, बॉण्ड्स आदि) का क्रय-विक्रय बिचौलियों (Brokers) के माध्यम से निर्धारित नियमों के तहत किया जाता है एवं जहां अंशों एवं ऋणपत्रों के बाजार मूल्यों का नियमित रूप से खुलासा किया जाता है, उसे ^ शेयर बाजार^ कहते हैं। पाइले के अनुसार ^शेयर बाजार ऐसे स्थान हैं, जहाँ इन बाजारों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों का निवेश या सट्टे के लिए क्रय-विक्रय किया जाता है?
शेयर बाजार की विशेषताएं ( Stock market features ):
शेयर बाजार में विभिन्न प्रकार की सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता हैं।
शेयर बाजार में यह क्रय-विक्रय पंजीकृत शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक दलालों के माध्यम से निवेशकों एवं सट्टेबाजों द्वारा किया जाता हैं | शेयर बाजार व्यक्तियों के पंजीकृत संघ होते हैं।
शेयर बाजार के कार्यों पर सेबी का पूर्ण नियंत्रण होता हैं।
शेयर बाजार के कार्य ( Stock market work )
शेयर बाजार की सबसे महत्वपूर्ण कार्य विभिन्न प्रतिभूतियों के लेन-देन की व्यवस्था करना |
यह निवेशकर्ताओं एवं कम्पनियों को प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय करने की सुविधा एवं प्लेटफार्म प्रदान करना है| • शेयर बाजार दैनिक आधार पर विभिन्न प्रतिभूतियों की कीमतों से अवगत कराता है
ताकि विभिन्न निवेशकर्ताओं को मुल्यों की सही जानकारी रहे । इसके अलावा यह विभिन्न प्रकाशनों द्वारा विभिन्न इच्छुक पक्षकारों को अन्य कई महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराता है।
शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियों के लेन-देन के विभिन्न नियमों, उपनियमों आदि का निर्धारण करते हैं। ताकि प्रतिभूति व्यवहार उचित प्रकार से एवं सुरक्षित तरीके से हो सकें।
ये बाजार विभिन्न प्रतिभूतियों में क्रय-विक्रय की सुविधा प्रदान कर निवेशकों एवं कम्पनियों को तरलता प्रदान करने का कार्य करते हैं।
• शेयर बाजार सूचिबद्ध कम्पनियों के अंतिम लेखों का निरीक्षण भी करते हैं, ताकि उसके अंशों के निर्गमन के
विदेशी निवेशकों को भारत पसंद: विदेश से आया रिकॉर्ड तोड़ 83.57 अरब डॉलर का निवेश, इस सेक्टर में बंपर इन्वेस्टमेंट
विदेशी निवेश (Foreign investment) के मामले में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। विदेशी निवेशक देश में जमकर निवेश कर रहे हैं। निवेश के लिए भारत पसंदीदा देश बनता जा रहा है।
FDI Inflow: जहां एक तरफ महंगाई के मोर्चे पर लगातार बुरी खबर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी निवेश (Foreign investment) के मामले में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। विदेशी निवेशक देश में जमकर निवेश कर रहे हैं। निवेश के लिए भारत पसंदीदा देश बनता जा रहा है। दरअसल, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी निवेश आया है। इसकी जानकारी कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई (FDI) हासिल किया है, जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है।
सिंगापुर से आया सबसे ज्यादा FDI
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर की अब तक का सबसे ज्यादा सालाना एफडीआई आया है।’’ इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में एफडीआई इनफ्लो 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर था। भारत में निवेश करने वाले प्रमुख निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद अमेरिका है जो कि 18 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और 16 फीसदी के साथ मॉरीशस तीसरे का स्थान है।
इस सेक्टर में सबसे अधिक निवेश
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबकि, ‘‘मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत बहुत तेजी से विदेशी निवेश के लिए पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है।’’ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 2020-21 (12.09 अरब डॉलर) की तुलना में 2021-22 में (21.34 अरब डॉलर) 76 प्रतिशत बढ़ा है। मंत्रालय के मुताबिक, भारत में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के सेक्टर में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला है। इसके बाद सबसे अधिक विदेशी निवेश सर्विस सेक्टर और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को मिला है।
शेयर बाजार की रेकॉर्ड तेजी के पीछे FII और चीन का हाथ, क्या और ऊपर जाएगा मार्केट? जानिए नए टार्गेट्स
Why Share Market Going Up : चीन में कोरोना प्रतिबंधों में ढील से वैश्विक बाजार ने राहत की सांस ली है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है। वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों में नए सिरे से लिवाली कर रहे हैं। इससे बाजार में लगातार तेजी देखने को मिल रही है।
Reasons for boom in stock market : विदेशी निवेशकों और चीन के चलते आ रही शेयर बाजार में तेजी
अब 19,000 का लेवल छुएगा निफ्टी
शेयरखान के तकनीकी अनुसंधान प्रमुख गौरव रत्नापारखी ने कहा, 'पिछले कुछ सत्रों से 18600 से 18700 के बीच कंसोलिडेट रहने का बाद निफ्टी ने आज 18700 अंक के अवरोध को पार कर लिया है। 18700 के इस अवरोध को पार करते ही इंडेक्स में ताजा मोमेंटम बनता दिख रहा है।' उन्होंने आगे कहा, 'हावरली और डेली अपर बोलिंगर बैंड प्राइस एक्शन के साथ एक्सपेंड हुआ है। इसने आज बुल्स की मदद की। इस तरह निफ्टी ऊपर की ओर 19,000 का लेवल (Nifty Target) छूने को तैयार है। वहीं नीचे का स्तर देखें, तो 18700 से 18600 अब निफ्टी के लिए शॉर्ट टर्म बेस बन गया है। इस शॉर्ट टर्म बुलिश स्थिति के लिए रिवर्सल इस सपोर्ट जोन के नीचे देखा जा सकता है।'
लगातार 7 दिनों से शेयर बाजार में तेजी, आज भी ऑलटाइम हाई पर बंद हुए सेंसेक्स-निफ्टी, आगे क्या हैं संकेत?
विदेशी निवेशकों की खरीदारी जारी
इस बीच, विदेशी निवेशकों ने घरेलू बाजारों में खरीदारी का सिलसिला जारी रखा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, एफआईआई (FII) ने मंगलवार को 1,241.57 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। विदेशी बाजारों की बात करें, तो एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक बंद हुआ। जबकि जापान के निक्की में गिरावट रही। यूरोप के शेयर बाजारों में दोपहर के सत्र में बढ़त दर्ज की गई। अमेरिकी बाजारों में मंगलवार को मिला-जुला रुख रहा था।
शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक
Q. With reference to the foriegn investments in India, which of the following statements is/are correct?
1. Any investment above 10% in a company is classified as Foriegn Direct Investment (FDI).
2. Foriegn Portfolio Investors (FPI) can invest only in the shares of listed companies.
3. The domestic policies affect the flow of FDI more than the FII.
Select the correct answer using the code given below:
Q. भारत में विदेशी निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा /कथन सही है / हैं?
1. किसी कंपनी में 10% से अधिक के निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) केवल सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
3. घरेलू नीतियां FDI के प्रवाह को एफआईआई से अधिक प्रभावित करती हैं।
सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर भारतीय शेयर बाजार
वर्तमान परिस्थितियों में किसी भी गिरावट की दशा में खरीदारी तथा शेयर विशेष में निवेश की रणनीति अच्छी दिख रही है। निवेशकों को स्मरण रखना होगा कि अच्छा निवेश आशातीत फल देता है तमाम संकेत दर्शा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है।
शशांक भारद्वाज। भारत में शेयर बाजार का भविष्य सुनहरा कहा जा सकता है। हालांकि इसकी राह में कुछ झटके आ सकते हैं, परंतु ये अल्पकालीन ही होंगे और यह शीघ्र ही इन झटकों को आत्मसात कर फिर से ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होगा। इसके कई कारण हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और आधारभूत आर्थिक कारकों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जो शेयर बाजार की ताकत के लिए अत्यंत सकारात्मक हैं।
इस प्रकार के तमाम संकेत यह दर्शा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है। प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा करों का संग्रह लगातार कई महीनों से एक लाख रुपये शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक से अधिक हो रहा है। अप्रैल 2022 में तो यह 1.4 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक था। भारत सरकार के आर्थिक संसाधन मजबूत हुए हैं और व्यय करने की क्षमता बढ़ी है। इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण जैसे संकट से उबरते हुए दौर में यह हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने में बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी वर्ष 2021-22 में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद और टैक्स रेशियो यानी कर का अनुपात 11.7 प्रतिशत हो गया जो पिछले 23 वर्षों के दौरान सर्वाधिक है।
उम्मीद की जा रही है कि हमारी अर्थव्यवस्था के कोरोना के दुष्प्रभाव से पूरी तरह मुक्त होने पर कर संग्रह में और बढ़ोतरी हो सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को नए तरीके से विस्तार मिल सकता है। स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था अच्छी होगी तो शेयर बाजार भी उछलेगा। शेयर बाजार को सहारा देने के लिए और उसमें बढ़त के लिए लगातार निवेश होते रहने की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ महीनों में भारत के घरेलू आम निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बढ़ा है। करोड़ों की संख्या में नए डिमैट खाते खोले गए हैं। इन नए निवेशकों ने उस समय भारतीय शेयर बाजार को बहुत सहारा दिया, जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में आक्रामक बिकवाली कर रहे थे। यही कारण था कि इस आक्रामक बिकवाली के बाद भी भारतीय शेयर बाजार में बहुत बड़ी गिरावट नहीं देखी गई। जो गिरावट आई, वह भी संभल गई तथा बाजार फिर से अपनी ऐतिहासिक ऊंचाइयों की तरफ बढ़ा। यह एक सुखद संकेत है। इससे भारतीय शेयर बाजार का आधार शक्तिशाली हुआ है। हालांकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव उसकी प्रकृति होती है।
अभी एलआइसी का आइपीओ भी प्रस्तावित है। इस कारण अभी बड़ी संख्या में नए डिमैट खाते खुलने की उम्मीद है। इससे अन्य शेयरों की भी मांग बढ़ेगी और शेयर मूल्यों को सहारा मिलेगा। घरेलू निवेशकों के द्वारा बड़ी संख्या में डिमैट खातों को खोलना भारत के शेयर बाजार में उनके बढ़े विश्वास को दर्शाता है। भारत के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकारी उपक्रमों के विनिवेश पर भी सरकार आक्रामक हो रही है। एयर इंडिया टाटा को बेच जा चुका है। कुछ अन्य उपक्रमों के लिए भी प्रक्रिया प्रारंभ है। इसे भी शेयर बाजार के विस्तार की संभावनाओं के अनुकूल ही कहा जा सकता है।
जहां तक देश में 'इज आफ डूइंग बिजनेसÓ का मामला है तो इस दिशा में नरेन्द्र मोदी सरकार पहले से ही गंभीर दिख रही है। इस दिशा में कई कारगर कदम उठाए गए हैं। विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए मोदी सरकार ने कई पहल की है। टैक्स संबंधी प्रोत्साहन देने से विनिर्माण क्षेत्र में भी कायाकल्प की उम्मीद जगी है। चीन की तुलना में भारत भी अब इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी हो रहा है। केंद्र सरकार स्टार्टअप को भी बढ़ावा दे रही है। इससे कई स्टार्टअप यूनिकार्न बन चुके हैं, कई इस पंक्ति में हैं। इससे शेयर बाजार का पूंजीकरण तो बढ़ा ही है, शेयर होल्डर के लिए भी धन संपदा का सृजन हुआ है। निवेश के विकल्प भी बढ़े हैं।
सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत में समृद्धि का विस्तार कर रही है। साथ ही मांग में भी वृद्धि कर रही है। इससे कंपनियों का व्यापार बढ़ रहा है। इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड में एसआइपी यानी सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान के माध्यम से वर्ष 2021-22 में 1.64 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इस राशि का निवेश शेयर बाजार को और ऊंचे स्तर पर ले जा सकता है। वर्ष 2021-22 में नौ प्रतिशत वृद्धि दर के साथ भारत विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह भी भारतीय शेयरों में निवेश को आकर्षित करेगी। हाल के महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारत मे शेयर बेचे हैं। पर यह स्थिति नियमित रूप से नहीं बनी रहेगी। अधिक समय तक वह भारतीय शेयर बाजार की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं। उनकी खरीदारी भी लौटेगी।
हालांकि शेयर बाजार से संबंधित कुछ आशंकाएं भी लोगों के मन में हंै। जैसे वैश्विक रूप से कच्चे तेल की बढ़ती कीमत, वैश्विक तथा भारत में ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका, रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार, रुपये में बड़ी गिरावट, मुद्रास्फीति में उछाल आदि कुछ आशंकाएं भी हैं जो भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का कारण भी बन सकती है। परंतु इससे संबंधित सभी सकारात्मक कारकों एवं नकारात्मक आशंकाओं का विश्लेषण करें तो भारतीय शेयर बाजार में तेजी का ही पलड़ा भारी दिखता है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 444