Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

Options Trading: निश्चित ही ऑप्‍शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.

जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्‍यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्‍शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.

धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.

ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्‍ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.

जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.

इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.

होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्‍त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्‍य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.

ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.

ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  • डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
  • समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
  • अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
  • प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.

नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्‍त किया जा सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर : प्रकाशित विचार एक्‍सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें.)

Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

विकल्प व्यापार क्या है

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निवेश पोर्टफोलियो अक्सर विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों से बना रहे हैं। आमतौर पर ये स्टॉक, म्यूचुअल फंड, ईटीएफ और बॉन्ड होते हैं। विकल्प अलग से एक संपत्ति वर्ग हैं। यदि उचित रूप से उपयोग किया जाता है, तो विकल्प ट्रेडिंग कई फायदे देता है करता है जो अकेले स्टॉक और बॉन्ड में काम करने पर नहीं मिलते हैं इससे पहले कि हम इन लाभों के बारे में जाने,जानते हैं कि विकल्प क्या हैं?

विकल्प क्या हैं?

एक ‘विकल्प’ एक कॉन्ट्रैक्ट है जो किसी निवेशक को प्रतिभूति, ईटीएफ या इंडेक्स फंड जैसे उपकरणों को खरीदने या व्यापार करने की एक निर्दिष्ट अवधि के बाद पूर्व निर्धारित दर पर अनुमति लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं होती है) देता है (। विकल्प बाजार में बेचना और खरीदना विकल्प हैं। एक विकल्प जो आपको भविष्य में कुछ समय के शेयरों को प्राप्त करने की अनुमति देता है, उसे “कॉल विकल्प” के रूप में जाना जाता है। दूसरी ओर, एक विकल्प जो आपको भविष्य में कभी-कभी शेयर बेचने में सक्षम बनाता है वह “पुट विकल्प” है।

विकल्प ट्रेडिंग और अन्य उपकरणों के बीच अंतर

विकल्प स्टॉक, इंडेक्स और कमोडिटी ट्रेडिंग में इस्तेमाल पारंपरिक वायदा अनुबंधों की तुलना में कम जोखिम उपकरणों माना जाता है। यह इस तथ्य के कारण है कि कोई किसी भी समय अपने विकल्प कॉन्ट्रैक्ट को त्यागने या वापस लेने का चयन कर सकता है। इसका यह भी अर्थ है कि, स्टॉक के विपरीत, विकल्प किसी कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। विकल्प का बाजार मूल्य (जिसे प्रीमियम भी कहा जाता है) इसलिए इसके अंदर की सुरक्षा या संपत्ति का एक हिस्सा है।

विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है?

जब कोई निवेशक या व्यापारी विकल्प खरीदता है या बेचता है, तो उन्हें समाप्ति की तिथि से पहले किसी भी बिंदु पर उस विकल्प विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है को लागू करने का अधिकार होता है। बस किसी विकल्प को खरीदने या बेचने के लिए किसी को वास्तव में समाप्ति बिंदु पर इसका उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस संरचना के कारण, विकल्पों को ‘ डेरीवेटिव प्रतिभूति’ माना जाता है। दूसरे शब्दों में, कीमत विकल्प संपत्ति, प्रतिभूतियों, और अन्य अंतर्निहित उपकरणों के मूल्य की तरह अन्य बातों से ली गई है) है।

विकल्प ट्रेडिंग के लाभ

– विकल्प खरीदने के लिए स्टॉक प्राप्त करने की तुलना में कम प्रारंभिक व्यय की आवश्यकता होती है। एक विकल्प (प्रीमियम और ट्रेडिंग शुल्क) प्राप्त करने की कीमत एक व्यापारी एकमुश्त शेयर खरीदने के लिए खर्च करने के लिए होता है की तुलना में बहुत सस्ता है।

– विकल्प ट्रेडिंग निवेशकों को एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित राशि पर अपने स्टॉक की कीमत फ्रीज करने की सुविधा देती है। उपयोग किए गए विकल्प की श्रेणी के आधार पर, निश्चित स्टॉक मूल्य (स्ट्राइक मूल्य के रूप में भी जाना जाता है) गारंटी देता है कि कोई विकल्प कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने से पहले किसी भी बिंदु पर उस दर पर व्यापार करने में सक्षम होगा।

– विकल्प ट्रेडिंग अतिरिक्त आय, लेवरेज़ और यहां तक ​​कि सुरक्षा के माध्यम से एक व्यापारी के निवेश पोर्टफोलियो में सुधार करता है। गिरावट के विकल्पों को सीमित करने के लिए विकल्पों का उपयोग करने का एक सामान्य तरीका गिरावट वाले शेयर बाजार के खिलाफ हेज़ के रूप में है। इसके अलावा, विकल्पों का उपयोग आय के आवर्ती स्रोत का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।

– विकल्प ट्रेडिंग स्वाभाविक रूप से लचीला है। उनके विकल्पों के कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति से पहले, व्यापारी विभिन्न रणनीतिक चालों को की योजना बना सकते हैं। । इनमें उनके निवेश पोर्टफोलियो में जोड़ने के लिए शेयरों को खरीदने के विकल्पों का उपयोग करना शामिल है। निवेशक भी शेयर खरीदने की कोशिश कर सकते हैं और फिर लाभ पर उनमें से कुछ या सभी को बेच सकते हैं। वे कॉन्ट्रैक्ट को किसी अन्य निवेशक को उच्च दर पर बेच सकते हैं इससे पहले कि वह परिपक्व हो जाए और समाप्त हो जाए।

कॉल विकल्प का उपयोग कैसे करें

एक कॉल विकल्प एक व्यापारी को कॉन्ट्रैक्ट की समय सीमा समाप्त होने से पहले किसी भी बिंदु पर या तो बांड, स्टॉक या इंडेक्स और ईटीएफ जैसे अन्य उपकरणों में शेयरों की एक निश्चित मात्रा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। कॉल विकल्प खरीदते समय, मुनाफा कमाने के लिए, आप यह पसंद करेंगे कि संपत्ति या सुरक्षा मूल्य बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका कॉल विकल्प कॉन्ट्रैक्ट आपको उस अंतर्निहित संपत्ति या सुरक्षा को पूर्व निर्धारित दर पर खरीदने में सक्षम बनाता है जो कम है। इसलिए, इस मामले में, जब आप खरीदारी करने के लिए अपने कॉल विकल्प कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करते हैं तो आपको छूट मिलती है।

हालांकि, ध्यान रखें कि आपको अपने कॉल विकल्प को नया बनवाना पड़ेगा (आमतौर पर त्रैमासिक, मासिक या साप्ताहिक आधार पर)। यही कारण है कि विकल्पों को लगातार ‘समय के नुक़सान’ का अनुभव किया जाता है, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि वे समय के साथ मूल्य में भी नुकसान करते हैं। जब कॉल विकल्पों की बात आती है, तो कम स्ट्राइक कीमतों की तलाश करें, क्योंकि इससे पता चलता है कि कॉल विकल्प का अधिक आंतरिक मूल्य है।

पुट विकल्पों का उपयोग कैसे करें

एक पुट विकल्प कॉन्ट्रैक्ट निवेशक को कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने से पहले पूर्व निर्धारित दर पर कुछ अंतर्निहित सुरक्षा, परिसंपत्ति या कमोडिटी के शेयरों की एक विशिष्ट मात्रा बेचने का अवसर देता है। ऐसे विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है कॉन्ट्रैक्ट के साथ, भविष्य में संपत्ति या सुरक्षा की कीमतों में गिरावट के मामले में कोई लाभ कमा सकता है। यह पुट विकल्प का उपयोग करके मूल कीमत के करीब पूर्व निर्धारित कीमत पर अंडरपरफॉर्मिंग शेयर बेचकर किया जाता है। ।

पुट विकल्पों के साथ किसी के शुद्ध हानि को कम करना भी संभव है। मान लीजिए कि आप 2250 रुपये के एक पुट विकल्प के साथ 2500 रुपये के स्टॉक खरीदते हैं क्योंकि आपका अनुमान है कि उनका बाजार मूल्य कम हो जाएगा। कुछ महीने के समय के भीतर, यह मानते हुए कि ये स्टॉक 2000 रुपये में कम प्रदर्शन करते हैं, आप उन्हें 2250 रुपये के लिए बेच सकते हैं, जिससे 500 रुपये के बजाय 250 रुपये का शुद्ध हानि कम हो जाता है। कॉल विकल्पों के समान, विकल्प समय नुक़सान से गुजरते हैं। हालांकि, एक आंतरिक रूप से मूल्यवान पुट विकल्प खोजने के लिए, शुरू में उच्च स्ट्राइक की कीमतों की तलाश करें।

शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है

शेयर मार्केट में बहुत सारे लोगों को नहीं पता Option Trading क्या है, Call और Put क्या है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सारे माय्धाम है उनमे से एक है Option Trading। बहुत विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है सारे लोग शेयर मार्केट में Call & Put खरीद करके ट्रेडिंग करते हैं। आज हम सरल भाषा में जानेंगे Option Trading कैसे करे, क्या हैं-

Option Trading क्या हैं:-

आपको नाम से ही पता लग गया होगा Option का मतलब विकल्प। उदाहरण के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 1000 शेयर 5000 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 100 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी का शेयर 1 महीने बाद 70 हो गया तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।

ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।

Call और Put क्या है:-

Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो। आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।

Option Trading का Expiry कब होता है:-

Option Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह और दूसरा होता है महीना में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry होता हैं। महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार expiry होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।

शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है

कब ज्यादा नुकसान हो सकता है:-

जो लोग Call या Put Option को खरीदते है उनको Premium का ही ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सकता है। लेकिन जो लोग Call और Put को बेच देते है उनका नुकसान असीमित हैं। बहुत बड़े बड़े ट्रेडर ही Call या Put को बेचते हैं उसके पास नॉलेज के साथ पैसा भी बहुत होता हैं।

Option Trading कैसे करे:-

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आप एक कंपनी का 1 शेयर नहीं खरीद सकते आपको LOT में खरीदना पड़ेगा. Nifty50 का एक Lot 75 का होता है लेकिन शेयर में ज्यादा होता हैं। किसी भी शेयर और Nifty50, Bank NIfty का Option खरीदने के लिए आपको जाना होगा आपके Demat Account में। उसके बाद जो भी खरीदना है उसमे आपको देखने को मिलेगा Option Chain आप उस पर से आपको Call या Put जो भी खरीदना है खरीद सकते हैं।

क्या आपको Option Trading करना चाहिए हमारी राय:-

दोस्तों आप यदि नए हो शेयर मार्केट में तो आपको इतना जोखिम नहीं लेना है। आपको लंबे समय के लिए शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए। Option Trading बहुत ज्यादा रिस्क भी है और रिवॉर्ड भी। आप यदि सही तरीके से पैसा लगाएंगे तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा होगा। किसी के दिए हुए नुस्के से आप बिल्कुल मत इन्वेस्ट करो आप पहले सीखिए उसके बाद इन्वेस्ट करे।

आशा करता हु आप हमारे पोस्ट शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है पढ़के आपको सिखने को मिला। और भी शेयर मार्केट के बारे में जानने के लिए आप हमारे और विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।

कम जोखिम में ज्यादा फायदा पाने का आसान तरीका है ऑप्शन ट्रेडिंग से निवेश, ले सकते हैं बीमा

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग है क्या? क्या हैं इसके फायदें? कौन कर सकता है ऑप्शन ट्रेडिंग? क्या हैं इसकी जरूरी शर्तें? इन सवालों के सभी जबाव 5 मिनट में .

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.

फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.

क्या है कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
कॉल ऑप्शन तब इस्तेमाल होता है जब आपको लगता है कि किसी कमोडिटी में आप तेजी पर दांव लगाते हैं. काल ऑप्शन में आपको प्रीमियम भरना होता वहीं आपका अधिकतम नुकसान होता है. दूसरी ओर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब होता है जब आपको लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार है.

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में ऑप्शंस कैसे चलेगा?
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि जो ऑप्शंस एक्सपायरी पर आउट ऑफ द मनी रह जाएंगे वे लॉस में कटेंगे. जिन ऑप्शन होल्डर्स के ऑप्शंस इन द मनी रहेंगे उनको अपनी पोजिशन प्रॉफिट में काटने या फिर उनको फ्यूचर्स पोजिशन में कनवर्ट करने की सहूलियत होगी.

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ट्रेडिंग अकाउंट होना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. अगर आपका पहले से फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं. अगर आप नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा.

यह ट्रेडिंग खुलवाते समय जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे है वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य जरूर हो. साथ ही बाज़ार में इस ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान हो. इसके लिए आप इन दोनों एक्सचेंज की बेवसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटा सकते हैं.

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकउंट की आईडी मुहैया कराता. इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग के 5 बड़े फायदे

1-वायदा के मुकाबले कम रिस्क, रिटर्न ज्यादा

2- प्रीमियम पर टैक्स लगेगा इसलिए वायदा के मुकाबले टैक्स कम

3-हेजिंग का टूल होने से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी

4-कमोडिटी में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, कमोडिटी बाज़ार को बूस्टर मिलेगा

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