इसके अलावा ई-रुपया पर कोई ब्याज भी नहीं मिलेगा. RBI ने इसकी वजह भी बताई है. केंद्रीय बैंक की मानें तो अगर डिजिटल रुपया पर ब्याज दिया ये करेंसी मार्केट में अस्थिरता ला सकता है. क्योंकि ऐसे में लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकालकर उसे डिजिटल करेंसी में बदलने लगेंगे.

Digital Currency Benefits: आखिर भारतीय रिजर्व बैंक क्यों लाना चाहता है डिजिटल करंसी, जानिए क्या फायदा होगा इससे!

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Digital Currency Benefits: आखिर भारतीय रिजर्व बैंक क्यों लाना चाहता है डिजिटल करंसी, जानिए क्या फायदा होगा इससे!

अगर बात की जाए फिजिकल करंसी की तो उसके चोरी होने, खराब होने आदि का काफी डर रहता है। इसका रख-रखाव भी काफी अधिक करना पड़ता है। वहीं अगर ये पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे तो उसके रख-रखाव पर कम खर्च होगा और उसे ट्रैक करना बहुत ही आसान हो जाएगा। वहीं बात अग वैल्यू की करें तो जितनी वैल्यू 10 रुपये के नोट की है, उतनी ही 10 रुपये की डिजिटल करंसी की होगी। जिस तरह आप अभी तमाम तरह के मोबाइ वॉलेट में पैसे रखते हैं, वैसे ही बाद में भी आप पैसे रख पाएंगे। फर्क सिर्फ इतना होगा डिजिटल करंसी आने के बाद हो सकता है कि धीरे-धीरे सिस्टम से नोट खत्म हो जाएं।

ना नोट छापने की जरूरत, ना असली-नकली का डर

डिजिटल करंसी होने से सरकार को करंसी छापने के झंझट से भी मुक्ति मिल सकता है, लेकिन इसमें कई साल लगेंगे। फिजिकल से डिजिटल होने में काफी वक्त लग सकता है, क्योंकि भारत में हर कोई डिजिटल को अच्छे से नहीं समझता है। डिजिटल करंसी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि असली नोट-नकली नोट का झंझट खत्म हो जाएगा। हालांकि, उस केस में साइबर सिक्योरिटी पर सरकार को तगड़ा ध्यान देना होगा।

टैक्स चोरी हो सकती है कम

अगर अभी की बात करें तो कैश कहां जाता है, इसे ट्रैक करना डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? काफी मुश्किल होता है। कोई भी शख्स किसी को कैश देता है तो उसका कोई रेकॉर्ड नहीं होता, लेकिन डिजिटल करंसी में इसकी ट्रैकिंग बेहद आसान हो जाएगी। नतीजा ये होगा कि कालेधन पर लगाम लग सकेगी और टैक्स चोरी की वजह से सरकार को आय में जो नुकसान होता है, वह भी कम होगा या हो सकता है धीरे-धीरे खत्म ही हो जाए।

प्राइवेट वर्चुअल करंसी के उतार-चढ़ाव से लोगों की रक्षा

गुरुवार को डिजिटल करंसी की बात करते हुए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा था डिजिटल करंसी बेहद फायदेमंद साबित होगी। इसके आने से प्राइवेट वर्चुअल करंसी के उतार-चढ़ाव से लोगों की रक्षा की जा सकेगी। अगर बात करें बिटकॉइन की तो सरकार उसके खिलाफ इसीलिए है, क्योंकि उसकी ट्रांजेक्शन पर नजर नहीं रखी जा सकती है और इससे लोगों को भारी नुकसान हो जाते हैं। वहीं डिजिटल करंसी सरकार की तरफ से जारी करंसी होगी और ऐसे में उसकी ट्रैकिंग आसानी से की जा सकेगी।

Cryptocurrency और Digital Rupee में क्‍या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्‍तेमाल तो आपको क्‍या होगा फायदा?

अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्‍तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्‍टोकरेंसी में क्‍या फर्क है और इससे आम लोगों को क्‍या फायदा होगा?

क्रिप्‍टोकरेंसी को टक्‍कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्‍वस्‍त होने के बाद इसके इस्‍तेमाल को शुरू किया जाएगा.

क्रिप्‍टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्‍टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्‍लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्‍टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्‍टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्‍टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्‍य संस्‍था नहीं है और न डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्‍टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.


डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्‍टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्‍यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्‍त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्‍कत आने पर वित्‍तीय संस्‍थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्‍टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.

Digital Rupee के क्या फायदे-नुकसान? कैश रखने की जरूरत नहीं, लेकिन.

आरबीआई की डिजिटल करेंसी के फायदे ज्यादा नुकसान कम

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 01 नवंबर 2022, 6:22 PM IST)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल करेंसी E-Rupee का पायलट लॉन्च कर दिया है. अब केंद्रीय बैंक इस पायलट प्रोजेक्ट के स्कोप के आगे बढ़ने के साथ CBDC से जुड़े नए फीचर्स और फायदे लोगों के साथ शेयर करेगा. इस डिजिटल रुपया को देश में लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया गया. आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान के बारे में सब कुछ.

एक महीने चलेगा पायलट प्रोजेक्ट
सबसे पहले बता दें कि मंगलवार से शुरू हुआ डिजिटल रुपया (Digital Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट करीब एक महीने तक चलेगा. फिलहाल, इसका इस्तेमाल होलसेल ट्रांजैक्शन और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट के लिए किया जाएगा. सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के 9 बैंकों को इससे जोड़ा गया है. हालांकि, इस पायलट लॉन्च के तहत कुछ चुनिंदा लोगों को ही लेनदेन की अनुमति होगी.

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  • डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार.
  • लोगों को जेब में कैश लेकर की जरूरत नहीं रहेगी.
  • मोबाइल वॉलेट की तरह ही इससे पेमेंट करने की सुविधा होगी.
  • डिजिटल रुपया को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे.
  • विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी.
  • ई- रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा.
  • ई-रूपी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी.

Digital Rupee के कुछ नुकसान भी
रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी E-Rupee के नुकसान की अगर बात करें तो इसका एक बड़ा नुकसान ये हो सकता है कि इससे पैसों के लेन-देन से संबंधित प्राइवेसी नहीं रहेगी. आमतौर पर कैश में लेन-देन करने से पहचान गुप्त रहती है. लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन सरकार की निगरानी में रहेगा. ऐसे में कुछ लोगों के लिए ये परेशानी का सबब बन सकता है.

CBDC: आरबीआई के ई-रूपी से क्या है फायदा, यूपीआई से डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? कैसे अलग है डिजिटल रुपया, जानिए सब कुछ

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नई दिल्ली: भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई जल्द ही देश में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसीया सीबीडीसी की शुरुआत करने जा रहा है. अगर आप भी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में समझना चाहते हैं तो इसमें सबसे मुख्य बात यह है कि ई करेंसी से लेनदेन में कोई भी इंटरमीडिएरी शामिल नहीं होता. ई करेंसी के जरिए किया जाने वाला ट्रांजैक्शन गुप्त रह सकता है, जैसा नकदी में होता है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की घोषणा करने के बाद यह कहा है.

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सीबीडीसी का मुख्य उद्देश्य डिजिटल पेमेंट को और आसान और सुरक्षित बनाना है. e-RUPI को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर बनाया है. e-RUPI एक कैश और कॉन्टैक्ट लैस पेमेंट मोड के तौर पर पेश किया गया है.
अगर आप भी भर्ती रिजर्व बैंक की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या ई रुपए के बारे में यह जानना चाहते हैं कि हमारी जिंदगी कैसे बदल सकता है तो हम आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.

RBI Digital Rupee: आज से लेन-देन के लिए डिजिटल करेंसी, जानिए क्या हैं इसके फायदे

Digital Rupee

Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज से डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल को लेकर पहला पायलट परीक्षण शुरू कर रहा है. रिजर्व बैंक के अपनी डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी नाम दिया है. पायलट परीक्षण के तहत फिलहाल सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के चार बैंकों को शामिल किया गया है. गौरतलब है कि आरबीआई ने बीते मंगलवार को एक बयान में यह जानकारी देते हुए पायलट परीक्षण की बात कही थी.

ई-रुपये से लेनदेन में होगी आसानी: डिजिटल करेंसी को लेकर आरबीआई ने कहा है कि, डिजिटल रुपये को बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा. वहीं, पायलट प्रोजेक्ट के तहत उपयोगकर्ता परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की तरफ से पेश किए जाने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रुपये से लेनदेन कर सकेंगे. यह लेनदेन पी2पी और पी2एम दोनों ही फॉर्मेट में किए जा सकेंगे.

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