गौरतलब है कि निर्यातकों की अधिकतर कमाई डॉलर में होती है, और डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से निर्यातकों के मुनाफे पर चोट पहुंचती है। निर्यातकों के अलावा डॉलर में कमाई करने वाले आईटी उद्योग के भी रुपये की मजबूत शुभ संकेत नहीं है। हालांकि, रुपया मजबूत होने से देश के चालू खाते के घाटे से जरूर राहत मिलेगी।

विदेशी मुद्रा भंडार से देश को संबल : The Dainik Tribune

RBI रुपये की रक्षा के लिए 'समझदारी' से विदेशी मुद्रा भंडार का कर रहा उपयोग

NAMITA DIXIT

भारतीय रुपया, जो कैलेंडर वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से गिर रहा था और कई बार निचले स्तर को छू गया था, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार को खर्च करके कई बार विवेकपूर्ण तरीके से बचाव किया विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने है।एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की मांग-आपूर्ति के बीच अंतर को भरने के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को देखते हुए आरबीआई ने पिछले कुछ वर्षो में प्रवाह और बहिर्वाह को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है।

केंद्रीय बैंक ने इस कैलेंडर वर्ष की शुरुआत

आरबीआई की वेबसाइट से संकलित आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने इस कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के बाद से रुपये को मुक्त गिरावट से बचाने के लिए अब तक 94.752 अरब डॉलर खर्च किए हैं। इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत के बाद से, इसने 71.768 अरब डॉलर का उपयोग किया है।26 अगस्त को, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 561.046 अरब डॉलर था, जो विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने 31 दिसंबर, 2021 को 633.614 अरब डॉलर से बहुत कम है।

रुपया हुआ मजबूत तो कौन हो गया परेशान?

now rupee is giving challange to exporter

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि चुनाव नतीजों से पहले रुपये में उतार-चढ़ाव को थामने के लिए रिजर्व बैंक सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर की खरीद करवा रहा है। हालांकि, रुपये में मजबूती अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा संकेत है, लेकिन इससे निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष अनुपम शाह का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का 60 रुपये से ज्यादा मजबूत होता निर्यातकों केलिए अच्छी खबर नहीं है। रुपये की मजबूती के चलते ग्लोबल मार्केट में भारतीय उत्पादों के लिए जगह बनाना मुश्किल हो जाएगा।

वित्त मंत्रालय ने कहा- खेती से विदेशी मुद्रा भंडार तक. इकॉनमी में तेजी लौटने के दिखने लगे संकेत

वित्त मंत्रालय ने कहा- खेती से विदेशी मुद्रा भंडार तक. इकॉनमी में तेजी लौटने के दिखने लगे संकेत

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कृषि क्षेत्र के दम पर अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी और इसके 'हरे कोपले' दिख रहे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि कृषि उत्पाद में विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने खरीद, खाद बिक्री, ऊर्जा मांग, माल आवाजाही, डिजिटल ट्रांसजेक्शन और विदेशी मुद्रा आमदनी में वृद्धि से ये संकेत मिल रहे हैं।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है। सामान्य मॉनसून अर्थव्यवस्था के लिए मददगार होगा। सरकारी एजेंसियों ने 16 जून तक किसानों से रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की है। यह 2012-13 की रिकॉर्ड खरीद से अधिक है। इसे कोविड-19 की महामारी की चुनौती और सोशल डिस्टेंशिंग के प्रतिबंधों के बीच अंजाम दिया गया है। 42 लाख किसानों को एमएसपी के रूप में कुल 73,500 करोड़ रुपए दिए गए हैं।''

Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना हमेशा अच्छे संकेत ही नहीं देता, जानिए क्यों

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  • विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती है।
  • भारत के साथ एक खास बात यह है कि हम एक्सपोर्ट सरप्लस देश नहीं हैं।
  • पूंजी निवेश में जोरदार वृद्धि की वजह से हमारा डॉलर का भंडार (Forex Reserve) भर रहा है।

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के फायदे
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में इस वृद्धि से मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता लाने में काफी मदद मिलती है। फॉरेक्स रिजर्व (Forex विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने Reserve) से होने वाली सुविधाओं की बात करें तो हमारे पास अब 18 महीने के आयात के हिसाब से पर्याप्त डॉलर मौजूद है। अगर साल 1991 की बात करें तो उस समय हमारे पास 2 हफ्ते का फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) भी नहीं विदेशी मुद्रा संकेत खरीदने था। फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) की जरूरत कच्चे तेल के आयात, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स आदि के मामले में होती है। भारत कई चीजों के आयात के लिए दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर है। इसमें वैक्सीन, स्टील, ऑटो कंपोनेंट आदि शामिल है। इन सब बातों के बीच सवाल यह है कि क्या बहुत अधिक मात्रा में डॉलर जमा होने (Forex Reserve) के कुछ नुकसान भी हैं।

विस्तार

भारतीय मुद्रा में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले यह अब तक के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अमेरिकी मुद्रा में मजबूती के चलते रुपये में भारी गिरावट आई है। शुरुआती कारोबार में रुपया 52 पैसे की गिरावट के साथ 77.42 के स्तर पर आ गया।

खुलते ही धड़ाम हुआ रुपया
बड़ी गिरावट के साथ खुलने के बाद अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कुछ ही देर में डॉलर के मुकाबले 77.17 पर खुला और कुछ ही देर में 77.42 पर आ गया। यह रुपये के पिछले बंद भाव के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट है। यहां बता दें कि बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार का भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 55 पैसे टूटकर 76.90 पर बंद हुई थी। इस बीच शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 1.06 फीसदी और बीएसई सेंसेक्स 1.09 फीसदी नीचे था।

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