Updated on: July 10, 2022 19:24 IST
IT कंपनियों के शेयर अभी दबाव में रहेंगे, लंबी अवधि के निवेश पर बेहतर रिटर्न संभव
विश्लेषकों का मानना है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और बड़े पैमाने पर प्रतिभा की कमी के चलते वेतन बढ़ाने की चुनौतियों से परिचालन मार्जिन पर असर पड़ रहा है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: July 10, 2022 19:24 IST
Photo:INDIA TV IT Stocks
Highlights
- 30 शेयरों वाले सेंसेक्स के पांच आईटी शेयर इस साल 43 फीसदी तक लुढ़क गए
- टेक महिंद्रा 42.68%, विप्रो 41.38% और एचसीएल टेक्नोलॉजीज 25.38% तक लुढ़का
- लंबी अवधि में आईटी क्षेत्र के लिए दो अंक में वृद्धि की काफी संभावनाएं
IT कंपनियों के शेयरों पर अभी दबाव बने रहने का अनुमान है। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि प्रमुख वैश्विक बाजारों में बिगड़ती आर्थिक स्थिति और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते ऐसा होने की आशंका है। हालांकि, लंबी अवधि के लिए संभावनाएं अच्छी बनी हुई हैं। कंपनियों के पास आने वाले वक्त में काम मजबूत बना हुआ है। देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का जून तिमाही का शुद्ध लाभ 5.2 प्रतिशत बढ़ा है। कंपनी के तिमाही नतीजे शुक्रवार को कारोबार बंद होने के बाद आए थे। इस बीच, आईटी शेयरों में गिरावट हो रही है और बीएसई निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल आईटी सूचकांक इस साल अबतक लगभग 24 प्रतिशत गिर गया है।
परिचालन मार्जिन पर असर पड़ा
विश्लेषकों का मानना है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और बड़े पैमाने पर प्रतिभा की कमी के चलते वेतन बढ़ाने की चुनौतियों से परिचालन मार्जिन पर असर पड़ रहा है। हालांकि, कोई भी निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन ब्रिटेन में चल रहे घटनाक्रम पर भी सभी की बारिक नजर है। वहां तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम में भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। सुनक इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर में रिसर्च एसोसिएट अदिति पाटिल ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में व्यापक आर्थिक वातावरण खराब होने के संकेत हैं और इसका असर आईटी क्षेत्र पर पड़ेगा।
आईटी शेयर इस साल 43 फीसदी तक लुढ़के
आईटी शेयरों के दबाव में रहने की आशंका है। यही वजह है कि 30 शेयरों वाले सेंसेक्स के पांच आईटी शेयर इस साल 43 फीसदी तक लुढ़क गए हैं। वर्ष 2022 में अब तक टेक महिंद्रा 42.68 फीसदी, विप्रो 41.38 फीसदी और एचसीएल टेक्नोलॉजीज 25.38 फीसदी तक गिर चुका है। टीसीएस और इन्फोसिस में क्रमशः 12.63 प्रतिशत और 19.87 प्रतिशत गिरावट आई है। इस साल अबतक सेंसेक्स 3,771.98 अंक या 6.47 प्रतिशत टूटा है। इक्विटीमास्टर में शोध की सह-प्रमुख तनुश्री बनर्जी ने निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल कहा कि निकट भविष्य में विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के कारण आईटी कंपनियों को कुछ हद तक मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ सकता है। बनर्जी ने कहा, लंबी अवधि के लिए संभावनाएं अच्छी बनी हुई हैं, कंपनियों के पास आने वाले वक्त में काम मजबूत बना हुआ है।
दो अंक में वृद्धि की काफी संभावनाएं
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (संस्थागत शोध - आईटी) अपूर्व प्रसाद ने कहा कि मध्यम अवधि में आईटी क्षेत्र के लिए दो अंक में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि हालिया तेज गिरावट के बाद आईटी शेयर काफी अच्छे हैं।
बाजार में जारी रहेगा कोरोना का कहर! एक्सपर्ट्स बोले- अगले सप्ताह भी मार्केट में रहेगी 'वॉलेटिलिटी', ये फैक्टर्स डालेंगे असर
विश्लेषकों के अनुसार, ग्लोबल संकेत और चीन में कोविड महामारी की स्थिति (Corona New Variant), रुपये की चाल और क्रूड की की . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 25, 2022, 15:18 IST
हाइलाइट्स
दुनियाभर में कोविड-19 के बढ़ते मामलों से बाजार में पिछले सप्ताह गिरावट बढ़ी.
F&O दिसंबर मंथली एक्सपायरी होने के चलते बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है.
पिछले हफ्ते हुई भारी बिकवाली से निवेशकों को 19 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.
मुंबई. पिछले कारोबारी सत्र में भारी बिकवाली के बाद अब कल से शेयर बाजार (Stock Market) फिर से नई शुरुआत करने के लिए तैयार रहेंगे. लेकिन निवेशकों के मन में बड़ सवाल यह है कि गिरावट का ये सिलसिला क्या अगले हफ्ते भी जारी रहेगा और कौन-से ऐसे फैक्टर्स होंगे जो मार्केट की चाल को प्रभावित करेंगे. विश्लेषकों के अनुसार, ग्लोबल संकेत और चीन में कोविड महामारी की स्थिति (Corona New Variant) इस सप्ताह शेयर बाजारों की चाल तय करेंगे. इसके अलावा गुरुवार को फ्यूचर एंड ऑप्शन मार्केट की दिसंबर मंथली एक्सपायरी होने के चलते बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है.
विश्लेषकों के अनुसार चीन और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच पिछले सप्ताह निवेशकों की धारणा बदलने से बाजार में कमजोर रही. इसके अलावा, अमेरिका के मजबूत वृद्धि आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व के अपने आक्रामक रुख को जारी रखने की गुंजाइश दी है. इस वजह से भी मार्केट टूटा है.
मंथली एक्सपायरी के कारण वॉलेटिलिटी बढ़ेगी
पिछले सप्ताह सेंसेक्स 1,492.52 अंक या 2.43 प्रतिशत टूटा, जबकि निफ्टी 462.20 अंक की गिरावट के साथ 2.52 प्रतिशत टूट गया है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में टेक्निकल रिसर्च के वाइस प्रेसीडेंट अजीत मिश्रा ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा, ”दिसंबर महीने के अनुबंधों की निर्धारित डेरिवेटिव समाप्ति प्रतिभागियों को व्यस्त रखेगी. इसके अलावा कोविड संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी से अस्थिरता बढ़ेगी.”
रुपया, क्रूड प्राइस और FII की खरीदारी भी अहम फैक्टर
अगले सप्ताह रुपये की चाल, ब्रेंट क्रूड तेल और विदेशी निवेशकों के रुख पर भी निवेशकों की नजर रहेगी. कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ”चीन में कोविड संक्रमण में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका से वैश्विक इक्विटी बाजार प्रभावित होंगे.” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल विनोद नायर ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने का अनुमान है, क्योंकि निवेशक चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर नजर रख रहे हैं.
बता दें कि पिछले सप्ताह कोरोना के नए वेरिएंट और कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली. इसके चलते निवेशकों को तगड़ा नुकसान हुआ. 14 दिसंबर को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 291.25 करोड़ था, जो शुक्रवार को घटकर 272.29 लाख करोड़ पर आ गया. इस तरह कंपनियों के कुल मार्केट कैप में करीब 19 लाख करोड़ की गिरावट आई.
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क्या शेयर बाजार में पैसे लगाने का यह सही समय नहीं है? जानें एक्सपर्ट की राय
बीते कुछ समय से शेयर बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है। इसके कई वैश्विक कारण हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि निवेशकों के मन में तमाम सवाल होंगे। तो चलिए ऐसे कुछ सवालों के जवाब तलाशते हैं जो निवेशकओं के लिए जरूरी हैं।
नई दिल्ली, वैभव अग्रवाल। बाजार की उथल-पुथल ने निवेशकों को बाजार के निकट भविष्य के बारे में परेशान कर दिया है। वर्तमान अस्थिरता कठिन है, लेकिन सुरंग के अंत में हमेशा प्रकाश होता है। इसलिए अपनी सारी उम्मीदें न खोएं। हालांकि, मौजूदा स्थितियों के बीच निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल निवेशकों के मन में कई सवाल हो सकते हैं, जैसे कि अभी क्या करना चाहिए, आगे क्या हो सकता है या बाजार से क्या उम्मीद रखें आदि। चलिए, इन सवालों के जवाब जानते हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
शेयर बाजार में अनिश्चितता ही एकमात्र निश्चितता है। किसी को भी आपको अन्यथा न बताने दें। निफ्टी 50 इंडेक्स ने अपने अक्टूबर के उच्च स्तर के बाद से 14% सुधार किया है। उसके बाद 9% रिकवर हुआ है। यदि आपने बाजार में सुधार के समय निवेश किया होता, तो आपको रिकवरी के चरण में लाभ होता। परस्पर विरोधी और अस्थिर बाजारों के बीच, गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश करें, खास कर के ब्लू-चिप्स में। ब्लू-चिप रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स आदि जैसी अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त और स्थिर कंपनियां होती हैं। दिशाहीन बाजार को एक अवसर के रूप में सोचें।
वर्तमान परिदृश्य ने नीति निर्माताओं और बाजार विशेषज्ञों को बेखबर बना दिया है क्योंकि वैश्विक स्तर पर कई कारक प्रभाव डाल रहे हैं, जैसे- यूक्रेन-रूस युद्ध, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि आदि। समस्या यह है कि कोविड युग के बाद मांग बढ़ रही है और मुद्रास्फीति भी अधिक है। इस बार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मैक्रोइकॉनॉमिक चुनौतियों से जूझ रही है।
बाजार में कितनी संभावनाएं हैं?
इतिहास खुद को दोहराता है लेकिन इसके बाद के प्रभाव भी दोहराते हैं। अतीत में, कई अमेरिकी मंदी ने संकेत दिया है कि बाजार हमेशा छह महीने के बाद सकारात्मक रिटर्न देते हैं। वर्तमान में हम जिसका सामना कर रहे हैं, वह मुद्रास्फीति और लो पर्चेसिंग पावर है। इन चुनौतियों के बीच एक सेक्टर दूसरों की तुलना में बेहतर कर रहा है, और वह है टेक्नोलॉजी स्टॉक्स। फरवरी के निचले स्तर से निफ्टी आईटी इंडेक्स 13% चढ़ा है। चल रहे मैक्रो हेडविंड और भू-राजनीतिक तनावों के कारण बाजार संकुचित रह सकता है। इसका असर इंडिया इंक की कमाई पर भी पड़ेगा।
आगे क्या हो सकता है?
शेयर बाजार में लाभ कमाने के लिए व्यक्ति को धैर्य और अनुशासित रहना चाहिए। सॉलिड कंपनियों की तलाश करें, जो सुधार कर रही हैं और व्यवस्थित रूप से फंड्स को जोड़ रही हैं। भले ही बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव हो, बड़ी कंपनियां इतनी आसानी से प्रभावित नहीं होती हैं। यहां से रास्ता तय करना नामुमकिन है। हमें यूक्रेन-रूस युद्ध के मोर्चे पर कुछ खुशखबरी का इंतजार करना होगा।
(लेखक तेज़ी मंदी के सीआईओ हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)
सिप और एसटीपी से निवेश का साल रहेगा 2019, जानिए क्यों
निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल-पुथल रह सकती है.
रुपये ने भी वापसी की है. यह अच्छी खबर है. भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 74 के स्तर से मजबूत होकर 70 के स्तर पर पहुंच गई है. बॉन्ड यील्ड के घटने से भी अर्थव्यस्था पर दबाव कम हो रहा है. दूसरे व्यापक आर्थिक कारक भी वित्तीय स्थिरता की तरफ इशारा कर रहे हैं.
निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल-पुथल रह सकती है. देखा गया है कि चुनावी वर्षों के दौरान वित्तीय बाजारों में अमूमन अस्थिरता रहती है. पहले भी 2004, 2009 और 2014 के चुनावी समर में शेयर बाजार में निवेशकों को भरपूर मौके मिले थे. ऐसे वक्त में निवेश निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल की सबसे अच्छी रणनीति सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट होती है. इसकी मदद से शेयरों को जुटाया जा सकता है.
हमारा मानना है कि 2019 सिप और एसटीपी के जरिए सिस्टेमैटिक तरीके से शेयरों को जुटाने का वर्ष होगा. ऐसा करते हुए भावनाओं को दूर रखना होगा. इस तरह का शेयरों को जुटाने का चरण अक्सर तेजी से पहले आता है. लेकिन, इस दौरान संयम को बनाए रखने की जरूरत होगी. बाजार चढ़ने पर इसका फायदा होगा.
इस तरह के दौर का उदाहरण 2010 से 2013 तक का वक्त है. इस दौरान शेयर बाजार एक दायरे में कारोबार कर रहे थे. जो निवेशक इस अवधि में पैसा लगाते रहे, उन्हें आने वाले वर्षों 2014 से 2017 के बीच भरपूर लाभ हुआ. इस दौरान बाजार ने सरपट दौड़ लगाई.
इन सबके बीच निवेशकों को कुछ चीजों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. ब्याज दरों पर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व का रुख देखना होगा. इसमें नरमी आने पर भारतीय बाजारों में तेजी देखी जा सकती है. इसके साथ शेयरों को जुटाने का दौर भी खत्म होगा.
इन सभी बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह समय स्मॉलकैप, मिडकैप और वैल्यू फंडों में सिप शुरू करने या इसे जारी रखने का है. एकमुश्त निवेश करने वाले निवेशक बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और इक्विटी सेविंग्स फंड पर दांव लगा सकते हैं. इस तरह के फंडों का निवेश इक्विटी और डेट दोनों में होता है. इस तरह बाजार के हालात बिगड़ने पर इनसे कुछ हद तक सुरक्षा मिलती है.
डेट में अस्थिरता से लाभ उठाने वाली डायनेमिक ड्यूरेशन स्कीम में पैसा लगाया जा सकता है. इसके अलावा लो ड्यूरेशन फंड और एक्रुअल स्कीमें भी ठीक विकल्प निकट से मध्यम अवधि में शेयर बाजार में उथल हैं.
शंकरन नरेन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फंड में सीआईओ हैं.
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Share Market: अगले हफ्ते शेयर मार्केट में लगाने वाले हैं पैसा? जान लें कैसे तय होगी बाजार की दिशा
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Share Market Update: शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह कंपनियों के तिमाही नतीजों, विदेशी निवेशकों के रुख, वैश्विक रुझान और रुपये के उतार-चढ़ाव से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट कच्चे तेल के दाम भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगे. स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि इस सप्ताह सोमवार को बाजार एचडीएफसी बैंक के तिमाही नतीजों पर प्रतिक्रिया देगा. सप्ताह के दौरान अंबुजा सीमेंट, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इंडसइंड बैंक और विप्रो के तिमाही नतीजे भी आने हैं.
इन पर रहेगी नजर
मीणा ने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए तो यूरोपीय केंद्रीय बैंक और बैंक ऑफ जापान का ब्याज दरों पर निर्णय बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा. साथ ही डॉलर इंडेक्स का रुख भी बाजार की दृष्टि से अहम होगा. मीणा ने कहा कि इसके साथ ही बाजार की निगाह जिंस कीमतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख पर रहेगी.
एचडीएफसी बैंक का मुनाफा
वहीं एचडीएफसी बैंक का जून तिमाही का शुद्ध लाभ 20.91 प्रतिशत के उछाल के साथ 9,579.11 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. एकल आधार पर बैंक का शुद्ध लाभ बढ़कर 9,195.99 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की समान तिमाही में 7,729.64 करोड़ रुपये था. हालांकि, यह मार्च तिमाही के 10,055.18 करोड़ रुपये से कम रहा है.
संघर्ष देखने को मिलेगा
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि किसी प्रमुख घटनाक्रम के अभाव में हमारा मानना है कि कंपनियों के तिमाही नतीजे और वैश्विक संकेतक बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे. न सिर्फ देश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 721.06 अंक या 1.32 प्रतिशत नीचे आया.
भविष्य के आंकलन पर गौर
सैमको सिक्योरिटीज में प्रमुख (बाजार परिदृश्य) अपूर्व सेठ ने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ती चिंता तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका की वजह से निकट भविष्य में भारतीय बाजारों में अनिश्चितता रहेगी. इस समय तिमाही नतीजों का दौर चल रहा है. बाजार के खिलाड़ियो को कंपनियों के आंकड़ों पर ध्यान देने के बजाय प्रबंधन के भविष्य के आंकलन पर गौर करना चाहिए.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि तिमाही नतीजों के सीजन के जोर पकड़ने के साथ बाजार में शेयर विशेष गतिविधियां देखने को मिलेंगी. आगे चलकर बाजार में एक दायरे में कारोबार हो सकता है. सप्ताह के दौरान हिंदुस्तान जिंक, आईडीबीआई, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पीवीआर और रिलायंस इंडस्ट्रीज के तिमाही नतीजे भी आने हैं.
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