Human Development Index 2021: ह्यूमन डेवलपमेंट से प्रेस फ्रीडम इंडेक्स तक, जानें कहां-कहां गिरी भारत की रैंकिंग
UNDP Report: मानव विकास, प्रेस की आजादी और भुखमरी के मुद्दों पर देशों की रैंकिंग बताने वाली रिपोर्ट्स में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है. 2021 एचडीआई में भारत 132वें स्थान पर आ गया.
By: ABP Live | Updated at : 10 Sep 2022 09:48 AM (IST)
2021 के मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर रहा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Human Development Index 2021: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के तहत 2021 की 191 देशों के मानव विकास सूचकांक (Human Development Index 2021) की रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें भारत (India) की स्थिति अच्छी नहीं है. मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 132वें स्थान पर है. इससे पहले 2020 में भारत इस मामले में एक पायदान आगे यानी 131वें स्थान पर था. हालांकि, 2020 में 189 देशों की सूची साझा की गई थी. मौजूदा सूचि में भारत का एडीआई मान 0.6333 है. इस मानदंड के मुताबिक, भारत मध्यम मानव विकास श्रेणी में है. यह एचडीआई मान 2020 की रिपोर्ट में इसके मान 0.645 से कम है.
2019 में भारत का एचडीआई मान 0.645 था जो 2021 में 0.633 तक आ गया, इसके लिए औसत आयु में गिरावट को कारण माना जा रहा है. भारत में औसत आयु 69.7 वर्ष से घटकर 67.2 वर्ष हो गई है. रिपोर्ट और जिन मानकों के आधार पर तैयार की जाती है, उनमें एक मुद्दा स्कूली शिक्षा का भी प्रमुख संकेतक और सूचकांक है. भारत में स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 हैं जबकि इसे 11.9 वर्ष होना चाहिए. स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय के आधार पर मानव विकास सूचकांक में 2020 और 2021 में गिरावट दर्ज की गई जबकि इससे पहले के पांच वर्षों में काफी विकास हुआ.
कई पड़ोसी देशों से पीछे भारत
भारत की मौजूदा रैंकिंग को वैश्विक स्तर पर गिरावट के अनुरूप बताया गया है. मौजूदा रैंकिंग को लेकर कहा जा रहा है कि 32 वर्षों में पहली बार दुनियाभर में मानव विकास ठहर सा गया है. वैश्विक स्तर पर इंसान की औसत आयु में भी गिरावट हुई है, 2019 में यह 72.8 वर्ष थी जो घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गई. जानकार समस्या से निपटने के लिए वैश्विक एकजुटता की भावना को विकसित करने पर जोर दे रहे हैं.
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लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और सभ्य जीवन स्तर, इन तीन प्रमुख मुद्दों पर मानव विकास सूचकांक तैयार किया जाता है. इन मुद्दों को गणना चार संकेतकों के आधार पर होती है, जिनमें जन्म के समय जीवन का पूर्वानुमान, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) शामिल है.
मानव विकास सूचकांक में नेपाल और पाकिस्तान को छोड़कर भारत बाकी पड़ोसी देशों से पीछे चला गया है. इस सूची में श्रीलंका 73वें स्थान पर है. चीन 79, भूटान 127, बांग्लादेश 129, नेपाल 143 और पाकिस्तान 161वें स्थान पर रहा. वहीं शीर्ष पांच देशों में क्रमश: स्विटजरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया हैं.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक
मई में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें भारत की रैकिंग 142वें स्थान से खिसककर 150वें नंबर पर आ प्रमुख संकेतक और सूचकांक गई थी. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने रिपोर्ट जारी की थी. हालांकि, नेपाल को छोड़कर भारत के बाकी पड़ोसी देशों की रैंकिंग में गिरारव दिखाई गई थी. कुल 180 देशों की रैंकिंग में पाकिस्तान 157, श्रीलंका 146, बांग्लादेश 162 और म्यांमार 176वें स्थान पर रहा था. नेपाल की स्थिति बेहतर बताई गई थी, वह 76वें स्थान पर बताया गया था.
वैश्विक भुखमरी सूचकांक
2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 116 देशों को शामिल किया गया था, जिनमें भारत का स्थान 101वां रहा. यह रिपोर्ट पिछले साल अक्टूबर में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में पड़ोसी देश- पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल भारत से आगे बताए गए थे. वहीं, 2020 में वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा था.
लोकतंत्र सूचकांक
ब्रिटेन के इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने 2020 के लोकतत्र सूचकांक की वैश्विक रैंकिंग में भारत को 53वें स्थान पर रखा था. वहीं, 2019 में भारत 51वें स्थान पर रहा था. भारत ज्यादातर पड़ोसी देशों के मुकाबले सूची में ऊपर बताया गया था. सूची में श्रीलंका 68, बांग्लादेश 76, भूटान 84 और पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा था. वहीं, शीर्ष पांच देशों में क्रमश: नॉर्वे, आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल थे. उत्तर कोरिया अंतिम 167वें स्थान पर था. लोकतत्र सूचकांक की रिपोर्ट देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की स्थिति को देखते हुए तैयार की जाती है.
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Published at : 10 Sep 2022 09:48 AM (IST) Tags: united nations INdia India News हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
आर्थिक संकेतक
आर्थिक संकेतक आमतौर पर व्यापक आर्थिक पैमाने पर आर्थिक डेटा के एक टुकड़े को संदर्भित करता है, और ज्यादातर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों द्वारा निवेश के लिए वर्तमान या भविष्य की संभावनाओं की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया जाता है। संकेतकों का दिया गया सेट समग्र का विश्लेषण करने में भी मदद करता हैअर्थव्यवस्था'स्वास्थ्य।
आर्थिक संकेतकों को कुछ भी माना जाता है जिसे निवेशक चुनने पर विचार करेंगे। हालाँकि, डेटा के कुछ विशेष सेट हैं जो सरकार के साथ-साथ गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा जारी किए जाते हैं जिनका दुनिया भर में पालन किया जाता है। इनमें से कुछ संकेतक हैं:
- GDP –सकल घरेलू उत्पाद
- जीएनपी-सकल राष्ट्रीय उत्पाद
- सीपीआई-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
- कच्चे तेल की कीमत
- बेरोजगारी दर
आर्थिक संकेतकों में एक अंतर्दृष्टि
आर्थिक संकेतकों को कई समूहों या श्रेणियों में विभाजित करने के लिए जाना जाता है। अधिकांश सामान्य संकेतकों में रिलीज के लिए एक उचित कार्यक्रम होता है। यह निवेशकों को महीने और वर्ष के विशेष उदाहरणों पर विशिष्ट जानकारी देखने के साथ-साथ योजना तैयार करने की अनुमति देता है।
कुछ प्रमुख संकेतकों में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, यील्ड कर्व्स, शेयर की कीमतें और नेट बिजनेस फॉर्मेशन शामिल हैं, जिनका उपयोग अर्थव्यवस्था के भविष्य के आंदोलनों की भविष्यवाणी के लिए किया जाता है। संबंधित गाइडपोस्ट पर डेटा या संख्या अर्थव्यवस्था से पहले स्थानांतरित या उतार-चढ़ाव की उम्मीद है-यह श्रेणी के दिए गए नाम का कारण है।
संयोग संकेतकों में रोजगार दर, सकल घरेलू उत्पाद और खुदरा बिक्री जैसी वस्तुएं शामिल हैं, जिन्हें विशेष आर्थिक गतिविधियों की घटना के साथ देखा जाता है। मेट्रिक्स का दिया गया वर्ग किसी विशिष्ट क्षेत्र या क्षेत्र की गतिविधि को प्रकट करता है। अधिकांश अर्थशास्त्री और नीति निर्माता दिए गए रीयल-टाइम डेटा का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं।
लैगिंग संकेतक - आमतौर पर ब्याज दरें, बेरोजगारी का स्तर, जीएनपी, सीपीआई, और अन्य, किसी विशेष आर्थिक गतिविधि की घटना के बाद ही देखे जाते हैं। संकेतक के नाम के अनुसार, दिए गए डेटा सेट विशेष घटना होने के बाद ही जानकारी प्रकट करने के लिए जाने जाते हैं। अनुगामी संकेतक एक तकनीकी संकेतक के रूप में कार्य करता है - एक प्रमुख आर्थिक बदलाव के बाद।
आर्थिक संकेतकों की व्याख्या
एक आर्थिक संकेतक तभी उपयोगी साबित होता है जब वह सही ढंग से व्याख्या करने में सक्षम हो। इतिहास ने कॉर्पोरेट लाभ वृद्धि और के बीच मजबूत सहसंबंधों की उपस्थिति का खुलासा किया हैआर्थिक विकास (जैसा कि जीडीपी से पता चलता है)। हालाँकि, इस तथ्य का निर्धारण कि कोई विशेष कंपनी अपने समग्र रूप से वृद्धि कर सकती है या नहींआय परआधार एक सकल घरेलू उत्पाद संकेतक का लगभग असंभव हो सकता है।
अन्य सूचकांकों के साथ सकल घरेलू उत्पाद, ब्याज दरों और चल रही घरेलू बिक्री के समग्र महत्व में कोई इनकार नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप वास्तविक रूप से जो माप रहे हैं, वह है समग्र खर्च, पैसे की लागत, पूरी अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गतिविधि स्तर और निवेश।
एक मजबूत की उपस्थितिमंडी यह इंगित करने के लिए जाना जाता है कि संबंधित अनुमानित प्रमुख संकेतक और सूचकांक कमाई ऊपर की ओर है। यह सुझाव देता है कि पूरी आर्थिक गतिविधि भी ऊपर है।
UNDP Human Development Index 2021-22 in Hindi: यूएनडीपी मानव विकास सूचकांक 2021-22, भारत भारत एक पायदान गिरकर 132वें स्थान पर पहुँचा
UNDP Human Development Index 2021-22, India drops one spot to 132 in Hindi: 8 सितंबर, 2022 को ज़ारी संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2021-22 (United Nation Human Development Index 2021-22) में भारत 191 प्रमुख संकेतक और सूचकांक देशों में से 132वें स्थान पर रहा है। मानव विकास सूचकांक में भारत के प्रदर्शन में एक स्थान की गिरावट देखी गयी है, पिछले साल देश 131वें स्थान पर था। संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2021-22 रिपोर्ट के अनुसार, मानव विकास सूचकांक में मौजूदा गिरावट काफी हद तक दुनिया भर में जीवन प्रत्याशा (life expectancy) में कमी के कारण है, जो वर्ष 2019 में 72.8 साल से गिरकर वर्ष 2021 में 71.4 साल हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि, कोविड-19 महामारी के प्रकोप, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और जलवायु संकट ने 90 प्रतिशत देशों के मानव विकास सूचकांक पर असर डाला है।
प्रमुख संकेतक और सूचकांक
Q. With reference to the Human Development Index (HDI) and Human Capital Index (HCI), consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index-HDI) और मानव पूँजी सूचकांक (Human Capital Index-HCI) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
मानव विकास सूचकांक (HDI-Human Development Index) 2018
मानव विकास सूचकांक (HDI-Human Development Index) है क्या?
मानव विकास सूचकांक का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा किया गया था मानव विकास सूचकांक का पहला सूचकांक 1990 में जारी किया गया | इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं।
(1) शिक्षा -एच डी आई के घटक प्रमुख संकेतक और सूचकांक शिक्षा को (2010 से) दो अन्य संकेतकौ से मापा जाता है |
- पढाई के सालो का औसत ( 25 वर्ष की उम्र से उपर)
- पढाई के सम्भावित साल ( स्कूल जाने की उम्र के बच्चों)
2 स्वास्थ्य ( जन्म घटक की जीवन प्रत्याशा द्ववारा )
3 जीवन स्तर ( जी एन आई प्रती व्यक्ति क्रय शक्ती समता)
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 14 सितंबर 2018 को मानव विकास सूचकांक 2018 की रिपोर्ट जारी की गई | वर्ष 2017 के लिए जारी रिपोर्ट में भारत ने 0.640 के साथ 130 वां स्थान प्राप्त किया, इस तरह से भारत 189 देशों के बीच में होने वाली इस रिपोर्ट में भारत को 130 स्थान मिला है जो कि पिछले प्रमुख संकेतक और सूचकांक वर्ष 2016 की रिपोर्ट में 131 वां स्थान है अर्थात भारत ने अपनी वृद्धि की है, आपको हम बता दें कि मानव विकास सूचकांक का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा किया गया था, मानव विकास सूचकांक का पहला सूचकांक 1990 में जारी किया गया निम्नलिखित में कौन से देश सबसे ज्यादा आगे हैं नॉर्वे 0.953 अंक|
Rank | Counry/Territory | HDI | ||
---|---|---|---|---|
2018 ranking | Change in rank from the previous year [1] | 2018 ranking | Change from previous yea | |
1 | Norway | 0.953 | 0.002 | |
2 | Switzerland | 0.944 | 0.001 | |
3 | Australia | 0.939 | 0.001 | |
4 | Ireland | 0.938 | 0.004 | |
5 | (1) | Germany | 0.936 | 0.002 |
Source: WikiPedia
दक्षिण एशियाई देशों में श्रीलंका और मालदीव ने भारत से बेहतर स्थान प्राप्त किया है श्रीलंका ने .770 के एचडी के मूल्य के साथ 76 वें स्थान पर और मालदीप दशमलव .717 एसडीआई मूल्य के साथ 101 स्थान प्राप्त किया है | तो इसका अर्थ यह भी है कि अभी भी भारत का एसडीआई सूचकांक में काफी न्यूनतम स्तर है और काफी विकास किया जाना बाकी है दूसरी तरफ अगर हम पड़ोसी देश की बात करें तो बंगलादेश का 136 वां स्थान और वही पाकिस्तान का 150 वां स्थान है |
मानव विकास सूचकांक के महत्वपूर्ण आयाम में जैसे शिक्षा स्वास्थ्य और जीवन स्तर की प्रगति में मापा जाता है इसमें जीवन स्तर का मापन प्रति व्यक्ति की सकल आय स्वास्थ्य का मापन जन्म पर जीवन प्रत्याशा से तथा शैक्षिक स्तर की गणना वयस्क आबादी में शिक्षा के आवश्यक वर्ष व बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा से अनुमानित की जाती है | एचडीआई में तीन आयामों में से प्रत्येक का सूचकांक ज्यामितीय माध्य है नवीनतम सूचकांक में भारत को .640 एसडीआई मूल्य के साथ मध्य मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है यूएनडीपी के अनुसार 1990 से 1917 के बीच भारत का एचडीआई दशमलव .427 से बढ़कर .640 हो गया है जो लगभग 50% प्रीति को दर्शाता है इस अवधि के दौरान जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा में लगभग 11 वर्ष की वृद्धि दर्ज की गई देश की प्रति व्यक्ति सकल आय जुलाई 1990 से 2017 के बीच में 26% का इजाफा हुआ
मानव विकास सूचकांक का विकास इस बात पर जोर देने के लिए किया गया था कि देश के विकास के आकलन करने के लिए अंतिम मानदंड लोगों और उनकी क्षमताओं को बनाए देना चाहिए ना कि अकेले आर्थिक विकास को मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट के अंतर्गत आयामी गरीबी सूचकांक यानी मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स को 2010 में शामिल किया गया था इसे मानव विकास रिपोर्ट ऑफिस के लिए ऑक्सफर्ड पावर्टी ह्यूमन डेवलपमेंट सिटी द्वारा विकसित किया जाता है
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