बाजार का वर्गीकरण
स्थानीय बाजार से अभिप्राय उस बाजार से है जो किसी गांव अथवा छोटे क्षेत्र मे सीमित होता है। स्थानीय बाजार उन वस्तुओं के लिये सहयोगी होता है जिनकी मांग व्यापक नही होती अथवा उन वस्तुओं को एक स्थान के आस-पास ही क्रय अथवा बेजा जा सकता है। स्थानीय बाजार की वस्तुओं मे दूध, दही, सब्जी इत्यादि के साथ-साथ रेत, पत्थर, ईंट आदि को शामिल किया जाता है।
(ब) क्षेत्रीय बाजार
क्षेत्त्रीय बाजार का क्षेत्र स्थानीय बाजार से व्यापक होता है। यहां वस्तु की मांग एवं पूर्ति एक खास क्षेत्र अथवा प्रांत की सीमा तक विस्तृत रहती है। इन प्रातीय सीमाओं के अंतर्गत वस्तु की मांग और प्रतिपूर्ति क्षेत्रीय बाजार माना जाता है जैसे राजस्थान मे लंहगा चुनरी का व्यापार, जम्मू-कश्मीर मे टोपी का व्यापार आदि।
(स) राष्ट्रीय बाजार
राष्ट्रीय बाजार का क्षेत्र पूरे देश तक फैला होता है। अर्थात् जिन वस्तुओं की मांग देश की सीमाओं को छूती है उन वस्तुओं का बाजार राष्ट्रीय बाजार कहलाता है। उदाहरणार्थ भारत की सिल्क की साड़ियां, भारत की बनी चूड़ियां इत्यादि।
(द) अंतर्राष्ट्रीय बाजार
जिन वस्तुओं के क्रेता और विक्रेता विश्व के विभिन्न क्षेत्रों मे फैले होते है उसे हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार कहते है। उदाहरणार्थ सोने चांदी एवं जवाहरात आदि का व्यापार।
2. समय के आधार पर बाजार का वर्गीकरण
समय के आधार पर बाजार का वर्गीकरण इस प्रकार है--
(अ) दीर्घकालीन बाजार
दीर्घकालीन बाजार वह बाजार है जिसमे विक्रेता के पास पूर्ति मे वृद्धि करने के लिए पर्याप्त लम्बा समय होता है। इस बाजार मे मांग और पूर्ति की शक्तियों मे पूर्ण समायोजन हो जाता है। फलतः मूल्य के निर्धारण मे मांग और पूर्ति दोनों का समान प्रभाव पड़ता है।
(ब) अति दीर्घकालीन बाजार
इस बाजार मे विक्रेता के पास इतना अधिक समय होता है कि वह उपभोक्ता के स्वभाव, रूचि और फैशन के अनुसार उत्पादन कर सकता है।
(स) अल्पकालीन बाजार
अल्पकालीन बाजार वह बाजार है जिसकी पूर्ति कुछ सीमा तक बढ़ाई जा सकती है, किन्तु यह वृद्धि मांग के अनुपात मे नही होती है।
(द) अति अल्पकालीन बाजार
जब वस्तु के विक्रेता के पास पूर्ति मे वृद्धि करने का समय बिल्कुल भी उपलब्ध नही होता, तब इस प्रकार के बाजार को अति अल्पकालीन बाजार कहते है। जैसे-- हरी सब्जियां, दूध, दही आदि।
3. प्रतियोगिता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण
प्रतियोगिता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण इस प्रकार से है--
(अ) पूर्ण प्रतियोगिता बाजार
जब बाज़ार मे किसी वस्तु के क्रय-विक्रय के लिए क्रेताओं व विक्रेताओं के बीच प्रतियोगिता होती है तब बाजार को पूर्ण प्रतियोगिता बाजार कहा जाता है। इस प्रकार के बाजार मे क्रेता और विक्रेता को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।
(ब) अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार
अपूर्ण बाजार की व्याख्या करते हुए बेन्हम ने लिखा है," अपूर्ण बाजार उस दशा मे कहा जायेगा जब क्रेताओं और विक्रेताओं को या कुछ क्रेताओं और कुछ विक्रेताओं को एक बाजार का अध्ययन दूसरे के द्वारा दिया हुआ या मांग हुआ मूल्य का ज्ञान नही होता है।"
इस बाजार मे क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या कम होती है तथा उन्हे बाजार का भी पूर्ण ज्ञान नही होता है। प्रमुख रूप से इस बाजार मे वस्तु विभेद किया जाता है।
एकाधिकार बाजार उस उस दशा को कहा जायेगा जिसमे वस्तु का अकेला उत्पादन होता है और उसकी स्थानापन्न वस्तु का भी कोई और उत्पादन नही होता है।
4. कार्य के आधार पर बाजार का वर्गीकरण
कार्य के आधार पर बाजार का वर्गीकरण इस प्रकार से है--
(अ) विशिष्ट बाजार
कभी कभी कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण कुछ वस्तुओं का बाजार एक साथ कुछ क्षेत्रों मे या स्थानों मे क्रेन्द्रित हो जाता है। उसे विशिष्ट बाजार कहा जाता है।
(ब) मिश्रित बाजार
जब एक ही बाजार मे एक से अधिक वस्तुओं या मिली-जुली वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है, तब उस बाजार को मिश्रित बाजार या सामान्य बाजार कहा जाता है।
(स) नमूनों द्वारा बाजार
वर्तमान समय मे बड़े पैमाने का क्रय विक्रय नमूनों के आधार पर किया जाने लगा है। माल बेचने वाली मिलों व फर्मों के द्वारा अपने प्रतिनिधियों को वस्तुओं के नमूने दे दिये जाते है, और वे उन नमूनों को दिखाकर माल का आर्डर बुक कर लेते है। इस प्रकार की व्यवस्था कपड़े, ऊन तथा रंग-पेण्ट, आदि मे अधिकाधिक लोकप्रिय होती जा रही है।
(द) श्रेणियों के आधार पर बाजार
वर्तमान मे ग्रेज के द्वारा वस्तुओं के क्रय-विक्रय को बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है। इस व्यवस्था मे वस्तु को कई ग्रेडों मे बांट दिया जाता है और इन्हीं ग्रेडों के आधार पर वस्तुओं का सौदा किया जाता है।
5. वैधानिकता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण
वैधानिकता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण इस प्रकार है--
जिस बाजार मे ग्राहकों को सरकार द्वारा निर्यात किये गये मूल्यों पर वस्तुएं मिलती है, उसे वैध बाजार कहा जाता है। जैसे, राशन की दुकान आदि।
जब किसी वस्तु का क्रय विक्रय सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कम या अधिक होता है, तब उस बाजार को अवैध बाजार कहा जाता है।
6. वस्तु की प्रकृति के आधार पर बाजार का वर्गीकरण
वस्तु की प्रकृति के आधार पर बाजार का वर्गीकरण इस प्रकार है--
जिस बाज़ार मे उत्पादित वस्तुओं के क्रय-विक्रय के सौदे होते है, उसे उपज बाजार कहा जाता है।
(ब) स्कन्ध बाजार
जिस बाज़ार मे अंश, प्रतिभूतियों तथा स्टाॅक, आदि के सौदे होते है, उसे उपज बाजार कहते है।
जिस बाज़ार मे सोने-चांदी के क्रय-विक्रय के सौदे होते है, उसे धातु बाजार कहा जाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, ‘ खुला बाजार प्रचालन’ (Open Market Operations) किसे निर्दिष्ट करता है-
खुले बाजार की क्रियाओं से आशय केन्द्रीय बैंक द्वारा बाजार में प्रतिभूतियों, ऋण पत्रों तथा बिलों के क्रय विक्रय से है। केन्द्रीय बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को बेचने से बाजार में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है जिससे साख का सन्तुलन होता है और प्रतिभूतियों के खरीद जाने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ती है तथा साख का विस्तार हो जाता है।
Share Market Next Week: इस वजह से बाजार में जारी रह सकती है गिरावट, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Share Market Next Week: भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव की स्थिती बनी हुई है। बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक, इस सप्ताह भी बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। बाजार की चाल पर इस सप्ताह कई चीजें असर डालेंगी। पिछले सप्ताह भी बाजार में गिरावट देखने को मिली थी।
फेडरल रिजर्व ने तेजतर्रार रुख को बरकरार रखा
यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) जैसे वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में वृद्धि और आक्रामक टिप्पणी देने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण किया। इस वजह से पिछले सप्ताह दुनिया भर के बाजारों में गिरावट आई। पिछले सप्ताह सेंसेक्स 843.86 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरा, जबकि निफ्टी 227.60 अंक या 1.23 प्रतिशत टूट गया।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि फेडरल रिजर्व ने तेजतर्रार रुख को बरकरार रखा, जबकि निवेशक कुछ नरमी की उम्मीद कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रमुख घटनाक्रम की कमी के कारण इस सप्ताह घरेलू बाजार वैश्विक सूचकांकों का अनुसरण कर सकते हैं। इसके अलावा, आगामी सर्दियों की छुट्टी के कारण संस्थागत निवेशकों की कम भागीदारी से बाजार में सुस्ती बनी रहेगी।
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शिक्षा का बाजार और समाज
अब शोध का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति के बजाय केवल डिग्री हासिल करना भर रह गया है।
सांकेतिक फोटो।
ज्योति सिडाना
अब शोध का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति के बजाय केवल डिग्री हासिल करना भर रह गया है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि डिग्रियों के बिना शिक्षण संस्थानों में पदोन्नति असंभव हो गई है। जब शिक्षा अपने मूल उद्देश्य से भटक जाए तो उसके परिणाम कितने हानिकारक हो सकते हैं, वर्तमान दौर के संकटों में
इसे समझा जा सकता है।
शोध और विकास के बीच गहरा संबंध है। शोध कार्यों के नतीजों के आधार पर ही विकास कार्यों बाजार का अध्ययन के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। इसलिए अकादमिक संस्थानों में किए जाने वाले शोध देश के समग्र विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं। विज्ञान नीति पर चर्चा करते हुए एक बार प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर ने कहा था कि भारत सरकार और विभिन्न सरकारों ने विज्ञान एवं अन्य अनुसंधानों को दिशा देने के लिए अनेक शोध संस्थान स्थापित किए हैं, ताकि एक वैज्ञानिक अपने विचार एवं क्रियाओं की स्वतंत्रता के साथ एक स्वायत्तशासी परिवेश में सक्रिय हो सके।
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लेकिन इन संस्थानों के प्रशासनिकीकरण, युवा वैज्ञानिकों के लिए शोध संबंधी रोजगार का ह्रास, विश्वविद्यालयों में विज्ञान एवं समाज विज्ञान विषयों की उपेक्षा और इन क्षेत्रों में कार्यरत विशेषज्ञों की तुलनात्मक रूप से कम प्रतिष्ठा आदि ऐसे पक्ष हैं जो भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था के विकास के समक्ष गंभीर चुनौती पेश करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से अकादमिक संस्थानों में किए जाने वाले शोध कार्यों की गुणवत्ता बाजार का अध्ययन पर संदेह किया जाता रहा है। साथ ही वैश्विक पायदान में भी हमारा कोई विश्वविद्यालय उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सका है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या वास्तव में उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति इतनी खराब है कि उसमें नवाचार, नवीनता, वैधता जैसे तत्वों का अभाव है? अगर ऐसा है तो क्यों? यह सोचने का विषय है?
वर्ष 2020 में कोविड के दौर में वैज्ञानिक शोधों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। देखा जाए तो लगभग एक लाख से ज्यादा शोध लेख विभिन्न वैज्ञानिक पत्र-पत्रिकाओं में छपे। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इन वैज्ञानिक लेखों की जो बहुस्तरीय बौद्धिक समीक्षा होती थी, अब वह समाप्त-सी हो गई है जिसके कारण अकादमिक धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार बढ़ गया है। इसलिए वैज्ञानिक शोध आलेखों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ गुणवत्ता में गिरावट भी आती गई। देखा जाए तो यह न केवल शैक्षणिक जगत के लिए अपितु समाज व राष्ट्र के विकास के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि वैज्ञानिक शोध जो एक निश्चित परिणाम लेकर विकसित होने चाहिए, वे अब नहीं हो रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि वर्तमान में हो रहे शोध विशेष रूप से विज्ञान के क्षेत्र में किए जाने वाले शोध बाजार को लाभ पहुंचाने वाली सूचनाएं ही उपलब्ध करवाने में जुटे हैं। जबकि वैज्ञानिक सूचनाएं पूर्वाग्रहों व व्यक्तिगत मूल्यों से रहित और विश्वसनीय होनी चाहिए, न कि बाजार केंद्रित। महामारी के दौर में कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव या किसी टीके से रोगी की मृत्यु होने या किसी अमुक दवा से कोविड से पूरी तरह स्वस्थ होने की खबरे आए दिन सुर्खियों में थी। फिर बाद में उनके खंडन या स्पष्टीकरण भी सामने आते रहे। ऐसी सूचनाएं तभी अस्तित्व में आ सकती हैं जब किसी शोध लेख को संबंधित विशेषज्ञों के समूह द्वारा समीक्षा किए बिना प्रकशित कर दिया जाए।
इस तरह की सूचनाओं ने समाज में लोगों में भय और भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं भी सामने आर्इं, जिसमें लोगों ने कोविड की चपेट में आने से पहले ही सिर्फ खौफ और गफलत के कारण अपनी जान तक दे दी। इस तरह की भ्रामक और मिथ्या सूचनाओं को सार्वजानिक करना क्या अकादमिक बेईमानी नहीं कहा जाना चाहिए? कोई भी शोध या सूचना, चाहे वह चिकित्सा के क्षेत्र से संबंधित हो या राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक या फिर अर्थव्यवस्था से जुड़ी हो, बिना किसी बौद्धिक समीक्षा के सार्वजानिक नहीं की जानी चाहिए। यह शोधकर्ता और सूचनादाता की नैतिक जिम्मेदारी होती है। ऐसा न होने पर समाज में फैलने वाली अव्यवस्था और भय के लिए कौन जिम्मेदार होगा? यह विचारणीय विषय है।
इस दौर में ऑनलाइन राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियों-सम्मेलनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इसमें न केवल विषय विशेषज्ञों के विवेचन और विश्लेषणों में भी कमी आई है बल्कि एक सामान्य जन के रूप में विषयों पर विवेचन और विमर्श बढ़ रहे हैं। एक और चुनौती जो सामने आई है, वह यह है कि वेबीनार में बिना सभागिता किए केवल फीस जमा करके या केवल जानकारी संबंधी फॉर्म भर कर ही प्रमाणपत्र लेना आसान हो गया है।
क्योंकि एपीआइ स्कोर इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास अकादमिक कार्यक्रमों में सहभागिता के कितने प्रमाणपत्र हैं, न कि इस बात पर कि आपने कितने शोध आलेख प्रस्तुत किए, उनकी गुणवत्ता और वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता क्या है। ऑनलाइन वेबिनार के दौर में हर कोई अधिकाधिक प्रमाण पत्र एकत्र करने में जुटा है। इसलिए क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि महामारी का यह दौर शोध एवं सैद्धांतिक विवेचन के ह्रास का दौर है? और यदि यह वास्तव में ह्रास का दौर है तो महामारी के बाद के दौर में शोध की क्या स्थिति होगी, इसका अनुमान लगा पाना कठिन नहीं है।
Share Market Today : आज बढ़त के साथ होगी बाजार की शुरुआत! निवेशक कहां पैसे लगाकर कमा सकते हैं मुनाफा?
सेंसेक्स पिछले सत्र में 461 अंकों की गिरावट पर बंद हुआ था.
Today Share Market : भारतीय शेयर बाजार में बीते सप्ताह जारी गिरावट का सिलसिला आज खत्म हो सकता है. एक्सपर्ट का कहना . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 19, 2022, 08:34 IST
हाइलाइट्स
पिछले कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 461 अंकों की गिरावट के साथ 61,338 पर बंद हुआ.
निफ्टी 146 अंक टूटकर 18,269 के स्तर पर बंद हुआ था.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1,975.44 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले
नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में पिछले सप्ताह जारी गिरावट के सिलसिले पर आज विराम लग सकता है. ग्लोबल मार्केट से मिल रहे पॉजिटिव संकेतों का असर आज घेरलू निवेशकों के सेंटिमेंट पर भी दिखेगा और वे खरीदारी की तरफ जा सकते हैं. सेंसेक्स पहले ही लगातार गिरावट से 61 हजार के करीब पहुंच चुका है.
पिछले कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 461 अंकों की गिरावट के साथ 61,338 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 146 अंक टूटकर 18,269 पर बंद हुआ था. एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार इस सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ कर सकता है, क्योंकि ग्लोबल मार्केट में वापस लौटी तेजी का घरेलू निवेशकों के सेंटिमेंट पर पॉजिटिव असर होगा और आज उनका जोर खरीदारी पर हो सकता है.
अमेरिका और यूरोपीय बाजारों का हाल
फेरल रिजर्व ने जबसे साल 2023 में भी ब्याज दरों के बढ़ाए जाने का संकेत दिया है, वहां के शेयर बाजारों में भगदड़ मची हुई है. निवेशक लगातार मुनाफावसूली कर रहे हैं, जिससे पिछले कारोबारी सत्र में भी अमेरिका के सभी प्रमुख बाजारों में गिरावट दिखी. S&P 500 1.11 फीसदी के नुकसान पर बंद हुआ तो DOW JONES 0.85 फीसदी टूटकर बंद हुआ. इसके अलावा NASDAQ पर 0.97 फीसदी की गिरावट दिखी.
अमेरिका की तर्ज पर यूरोपीय बाजारों में भी पिछले कारोबारी सत्र में गिरावट दिखी है. यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में शामिल जर्मनी का स्टॉक एक्सचेंज 0.68 फीसदी के नुकसान पर बंद हुआ जबकि फ्रांस का शेयर बाजार 1.08 फीसदी के नुकसान पर रहा, जबकि लंदन का स्टॉक एक्सचेंज 1.28 फीसदी गिरकर बंद हुआ.
एशियाई बाजारों का मिलाजुला रुख
एशिया के ज्यादातर शेयर बाजारों में आज सुबह तेजी दिख रही है. सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज सोमवार सुबह 0.35 फीसदी की तेजी पर कारोबार कर रहा था, जबकि जापान का निक्केई 1.09 फीसदी गिरावट पर दिख रहा था. हांगकांग के शेयर बाजार में 1.30 फीसदी की तेजी है तो ताइवान में 0.43 फीसदी की गिरावट. दक्षिण कोरिया के कॉस्पी पर भी 0.23 फीसदी का नुकसान दिख रहा है. आज चीन का शंघाई कंपोजिट 0.03 के नुकसान पर कारोबार कर रहा है.
आज इन शेयरों पर रहेगी निगाह
एक्सपर्ट का मानना है कि आज बाजार में तेजी के बीच कुछ ऐसे भी शेयर होंगे जिन पर निवेशकों की करीबी निगाह बनी रहेगी और इनमें मुनाफा कमाने का मौका है. ऐसे शेयरों को हाई डिलीवरी पर्सेंटेज की श्रेणी में रखा जाता है और आज इसकैटेगरी में Power Grid Corporation of India, Tata Consultancy Services, HDFC Bank, Sun Pharma और बाजार का अध्ययन Mphasis जैसी कंपनियों के स्टॉक शामिल हैं.
विदेशी निवेशकों की निकासी
भारतीय पूंजी बाजार से विदेशी निवेशकों की धन निकासी का सिलसिला जारी है. पिछले कारोबारी सत्र में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1,975.44 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले, जबकि इसी दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,542.50 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है.
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