भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है
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शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष
शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।
शेयर बाजार के कार्य
1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।
3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।
4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।
5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।
Share Market: क्या शेयर मार्केट में शेयर खरीदने की कोई लिमिट है?
किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए दो तरह की मार्केट होती हैं। पहली प्राइमरी मार्केट भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है और दूसरी सेकंडरी मार्केट। दोनों ही मार्केट में कोई निवेशक किसी कंपनी के कितने शेयर खरीद सकता है या कुल कितने शेयर खरीद सकता है, इसके अलग-अलग नियम हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए share Market investment के क्षेत्र भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है से जुड़ी कुछ अहम बातें जानना बेहद जरूरी है।
#2. शेयर खरीदने की दो मार्केट हैं और दोनों में अलग-अलग लिमिट है
सामान्य भाषा में कहें, तो किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए दो तरह की मार्केट होती हैं। पहली प्राइमरी मार्केट और दूसरी सेकंडरी मार्केट। दोनों ही मार्केट में कोई निवेशक किसी कंपनी के कितने शेयर खरीद सकता है या कुल कितने शेयर खरीद सकता है, इसके अलग-अलग नियम हैं, जो हम आपको बताएंगे।
#A. प्राइमरी मार्केट
प्राइमरी मार्केट में शेयर खरीदने वालों को तीन अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है, जिनके लिए शेयर खरीदने की लिमिट अलग-अलग होती है।
1. खुदरा निवेशक: इस कैटेगरी में आने वाले लोग अधिकतम दो लाख रुपए तक के शेयर खरीद सकते हैं। फिर वो चाहे एक ही कंपनी के दो लाख रुपए के शेयर खरीद लें या अलग-अलग कंपनियों के कुल-मिलाकर दो लाख रुपए के शेयर खरीद लें।
2. हाई नेटवर्क इंडिविजुअल: इनके लिए कोई सीमा नहीं होती है। ये जितनी चाहें, उतनी कीमत के शेयर खरीद सकते हैं।
3. संस्थागत निवेशक: इनके लिए भी कोई सीमा नहीं होती है। ये जिस कंपनी के जितने चाहें, उतनी कीमत के शेयर खरीद सकते हैं।
#B. सेकंडरी मार्केट
सेकंडरी मार्केट से आशय उस बाजार से है, जिसमें निवेशक शेयर मार्केट में जाकर किसी भी स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदते और बेचते हैं। इसमें भी किसी निवेशक के लिए कोई लिमिट नहीं है। वह किसी भी कंपनी के कितनी भी कीमत के शेयर खरीद सकता है। हां, 50% शेयर वाला नियम यहां भी लागू होगा। इसके अलावा जब कोई निवेशक किसी कंपनी के 5% से ज़्यादा शेयर खरीदता है, तो उस पर SEBI के कुछ और नियम लागू होते हैं। SEBI वह संस्था है, जो भारत के निवेश बाज़ार में नियंत्रक का काम करती है।
तो आखिर में आपके सवाल का जवाब यही है कि आपके शेयर खरीदने पर कोई लिमिट नहीं है। बस आप जितनी ज़्यादा कीमत के शेयर खरीदते जाते हैं, तो आप पर उतने ही नए नियम लगते जाते हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही आप और शेयर खरीद सकते हैं। बाकी आप लाखों-करोड़ों कितने के भी शेयर खरीदें, कोई फर्क नहीं पड़ता।
#3. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होता है?
किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना ज़रूरी है। यह आप किसी भी बैंक में खुलवा सकते हैं। आमतौर पर आप जिस बैंक में बचत खाता खुलवाते हैं, उसी खाते के साथ आपका डीमैट अकाउंट भी खोल दिया जाता है। हालांकि, यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप बचत खाते के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना चाहते हैं या नहीं। लेकिन, अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है। डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए पैन कार्ड देना होता है, क्योंकि पैन कार्ड के जरिए ही सरकार आपके सारे ट्रांजैक्शंस पर निगाह रखती है।
निवेश कितने तरह के होते हैं? जानें, निवेश के विभन्न प्रकार
आमतौर पर इन्वेस्टमेंट को चार टाइप में बांटा गया है। आप अपनी जरूरत, रिस्क, फायदे और और विशेषताओं के आधार पर इन्वेस्टमेंट का चयन कर सकते हैं।
शेयर
शेयर्स को आमतौर पर एक ग्रोथ इन्वेस्टमेंट के तौर पर जाना जाता है क्योंकि ये शॉर्ट और लॉन्ग टर्म के लिए आपके असल निवेश को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
अगर आपके पास शेयर्स है तो आप डिविडेंस से भी इनकम पा सकते हैं। यह वह हिस्सा होता है जो कंपनी अपने प्रॉफिट में से शेयरहोल्डर्स को देती है। हो सकता है कि आपके शेयर्स की भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है वैल्यू आपके द्वारा उनके लिए किए गए भुगतान से कम हो। हर दिन शेयरों की कीमत कम-ज्यादा हो सकती भारत में शेयर बाजार कितने प्रकार के होते है है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बेहतरीन ऑप्शन होते हैं खासकर उनके लिए जिन्हें मार्केट के उतार-चढ़ाव की समझ हो।
इन्हें इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है। शेयर्स ने कई बार दूसरे असेट्स की तुलना में ऐतिहासिक रिटर्न दिया है। ध्यान रहे कि शेयर्स को निवेश के सबसे रिस्की ऑप्शन्स में से एक माना जाता है।
प्रॉपर्टी
प्रॉपर्टी को भी ग्रोथ इन्वेस्टमेंट के विकल्प के तौर पर जाना जाता है क्योंकि घरों और दूसरी प्रॉपर्टी के दाम मीडियम और लॉन्ग टर्म पीरियड के दौरान कई बार तेजी से बढ़ते हैं। हालांकि, शेयरों की तरह ही प्रॉपर्टी की वैल्यू भी गिर सकती है और इसमें नुकसान का खता भी रहता है।
सीधे प्रॉपर्टी खरीदने के अलावा, प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट के जरिए भी निवेश किया जा सकता है।
डिफेंसिव इन्वेस्टमेंट
ग्रोथ के अलावा, नियमित तौर पर इनकम के लिए यह एक अच्छा निवेश टाइप है। ग्रोथ इन्वेस्टमेंट की तुलना में ये कम रिस्क वाले इन्वेस्टमेंट हैं।
कैश
कैश इन्वेस्टमेंट में हर दिन इस्तेमाल होने वाले बैंक अकाउट्स, ऊंची ब्याज दर वाले सेविंग अकाउंट्स और टर्म डिपॉजिट शामिल रहते हैं। सभी तरह के निवेश में कैश निवेश में सबसे कम रिटर्न की उम्मीद होती है।
कैश इन्वेस्टमेंट में कैपिटल ग्रोथ का कोई मौका नहीं होता। इनसे नियमित आय हो सकती है और वेल्थ को प्रोटेक्ट करने में इनकी अहम भूमिका भी होती है। इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में रिस्क भी कम रहता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट
फिक्स्ड ब्याज दर वाले इन्वेस्टमेंट में सबसे बेहतर हैं बॉन्ड्स। सरकार या कंपनियां निवेशकों से पैसे उधार लेती हैं और फिर एक निश्चित ब्याज दर रिटर्न में देती हैं।
बॉन्ड्स को डिफेंसिव इन्वेस्टमेंट भी माना जाता है क्योंकि इनसे आमतौर पर कम रिटर्न मिलता है। शेयर या प्रॉपर्टी की तुलना में इनमें रिस्क भी कम होता है। इसके अलावा, बॉन्ड्स को तेजी से बेचा जा सकता है। लेकिन गौर करने वाली बात है कि कैश की तरह ही इनमें भी कैपिटल लॉस का खतरा रहता है।
share market for beginners
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है आपके मन मे भी ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर स्टॉक मार्केट में कितने प्रकार की ट्रेडिंग होती है. मै आपको बता दू स्टॉक मार्केट में चार प्रकार की ट्रेडिंग होती है intraday trading. Swing trading. Short term trading. Long term trading. ये चार प्रकार की ट्रेडिंग कैसे …
शेयर मार्केट टिप्स | share market tips in hindi
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शेयर बाजार के फायदे और नुकसान
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nse or bse which is better | सबसे अच्छा शेयर बाजार कोनसा है
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